Uttar Pradesh

StateCommission

A/1997/1331

Union Bank Of India - Complainant(s)

Versus

Yogesh Malviya - Opp.Party(s)

Rajesh Chadha

01 Aug 2018

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/1997/1331
( Date of Filing : 06 Aug 1997 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Union Bank Of India
A
...........Appellant(s)
Versus
1. Yogesh Malviya
A
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN PRESIDENT
 HON'BLE MR. Mahesh Chand MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 01 Aug 2018
Final Order / Judgement

                                                  (मौखिक)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

अपील सं0- 1331/1997

(जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम, वाराणसी द्वारा परिवाद सं0- 269/92 में पारित आदेश दि0 29.04.1997 के विरूद्ध)

Union Bank of India having its branch at Dashwamedh Varanasi (U.P.) through its Branch Manager.

                                                                             ………Appellant

                                          Versus

  1. Yogesh Malviya S/o Shri Madeva/Malviya R/o H.No.K-20/83 Mohalla- Rajmandir, City-Varanasi.
  2. Branch Manager, Central Bank of India, Vishweshawarganj, Varanasi.
  3. Branch Manager, Central Bank of India, Pahariya Branch, Varanasi.
  4. Branch Manager, Central Bank of India, Main Branch, Chowk, Varanasi.  

                                                                    ………….. Respondents

समक्ष:-                       

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष।

 माननीय श्री महेश चन्‍द, सदस्‍य।   

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित                  : श्री राजेश चड्ढा,

                                            विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी सं0- 1 की ओर से उपस्थित             : कोई नहीं।

प्रत्‍यर्थीगण सं0- 2 ता 4 की ओर से उपस्थित       : श्री शरद कुमार शुक्‍ला,

                                           विद्वान अधिवक्‍ता।                

दिनांक:-  01.08.2018                      

 

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष  द्वारा उद्घोषित                                                 

निर्णय

  परिवाद सं0- 269/1992 योगेश मालवीय बनाम शाखा प्रबंधक सेन्‍ट्रल बैंक ऑफ इंडिया, शाखा विश्‍वेश्‍वरगंज, वाराणसी व तीन अन्‍य में जिला फोरम, वाराणसी द्वारा पारित निर्णय और आदेश दि0 29.04.1997 के विरुद्ध यह अपील धारा 15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत आयोग के समक्ष प्रस्‍तुत की गई है।

  आक्षेपित निर्णय और आदेश के द्वारा जिला फोरम ने परिवाद   स्‍वीकार करते हुए निम्‍न आदेश पारित किया है:-

  ‘’दावा वादी डिक्री किया जाता है। यह आदेश दिया जाता है कि विपक्षी नं0- 2 परिवादी को दो माह के अंतर्गत मु0-2,000/- (दो हजार रू0) बतौर क्षतिपूर्ति अदा करेगा। परन्‍तु उक्‍त समयावधि बीत जाने के पश्‍चात बैंक परिवादी को मु0- 15 प्रतिशत (पन्‍द्रह प्रतिशत) वार्षिक ब्‍याज भी अदा करेगा।‘’   

  जिला फोरम के निर्णय और आदेश से क्षुब्‍ध होकर परिवाद के विपक्षी यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने यह अपील प्रस्‍तुत की है।  

  अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री राजेश चड्ढा उपस्थित आये हैं। प्रत्‍यर्थी/परिवादी को रजिस्‍टर्ड डाक से नोटिस दि0 08.03.2018 को प्रेषित की गई है जो अदम तामील वापस नहीं आयी है। अत: प्रत्‍यर्थी/परिवादी पर नोटिस का तामीला पर्याप्‍त माना गया, फिर भी उसकी ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ है। प्रत्‍यर्थीगण सं0- 2, 3 और 4 की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री शरद कुमार शुक्‍ला उपस्थित आये हैं।

  हमने अपीलार्थी और प्रत्‍यर्थीगण सं0- 2, 3 व 4 के विद्वान अधिवक्‍तागण के तर्क को सुना है और आक्षेपित निर्णय और आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है।

  अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्‍त सुसंगत तथ्‍य इस प्रकार है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने परिवाद जिला फोरम के समक्ष इस कथन के साथ प्रस्‍तुत किया है कि उसने सेन्‍ट्रल बैंक ऑफ इंडिया के अपने बचत खाता सं0- 5711 से यूनिट ट्रस्‍ट ऑफ इंडिया का इक्विटी शेयर लेने हेतु आवेदन फार्म भरा और 10,000/-रू0 का एक चेक दि0 28.01.1992 को जारी करके यू0टी0आई0 के आवेदन पत्र के साथ संलग्‍न कर अपीलार्थी/विपक्षी सं0- 2 यूनियन बैंक ऑफ इंडिया दशाश्‍वमेध वाराणसी में जमा कर दिया, परन्‍तु कुछ दिन बाद यह पता लगा कि विपक्षी सं0- 2 ने दि0 04.02.1992 को प्रत्‍यर्थी/परिवादी के यू0टी0आई0 फार्म को रद्द करके सेन्‍ट्रल बैंक ऑफ इंडिया के मेमो पर यह लिखकर वापस कर दिया है कि यह चेक ड्रा नहीं किया गया है। इसके साथ ही परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्‍यर्थी/परिवादी को यह भी पता चला कि अपीलार्थी/विपक्षी सं0- 2 ने लापरवाही वश चेक उपरोक्‍त विपक्षी सं0- 1 के यहां न भेजकर विपक्षी सं0- 3 के यहां भेज दिया। जहां पर प्रत्‍यर्थी/परिवादी का कोई खाता नहीं है। इस कारण विपक्षी सं0- 3 शाखा प्रबंधक सेन्‍ट्रल बैंक ऑफ इंडिया शाखा पहडि़या, वाराणसी ने उसके चेक को रद्द कर दिया और उसे अपीलार्थी/विपक्षी सं0- 2 को वापस कर दिया जिससे अपीलार्थी/विपक्षी सं0- 2 ने उसका आवेदन पत्र निरस्‍त कर दिया।

  परिवाद पत्र में प्रत्‍यर्थी/परिवादी की ओर से कहा गया है कि यदि विपक्षी सं0- 3 शाखा प्रबंधक सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया शाखा पहडि़या, वाराणसी और शाखा प्रबंधक सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया मूल शाखा चौक, वाराणसी अपना कर्तव्‍य ठीक ढंग से निभाते तो प्रत्‍यर्थी/परिवादी को यह क्षति न होती और उसके कमीशन की धनराशि बच जाती। परिवादी पत्र में प्रत्‍यर्थी/परिवादी की ओर से यह भी कहा गया है कि यू0टी0आई0 की यूनिट हेतु उसका प्रार्थना पत्र निरस्‍त किये जाने के कारण उसे आयकर की मिलने वाली छूट भी नहीं मिली है और उसकी प्रतिष्‍ठा भी गिरी है। अत: उसने परिवाद जिला फोरम के समक्ष प्रस्‍तुत कर 5,000/-रू0 क्षतिपूर्ति दिलाये जाने की मांग की है।

  जिला फोरम के समक्ष परिवाद के विपक्षी सं0- 1 शाखा प्रबंधक सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया शाखा विश्‍वेश्‍वरगंज, वाराणसी ने अपना कथन प्रस्‍तुत कर कहा है कि उनके द्वारा कोई त्रुटि नहीं की गई है। जिला फोरम के समक्ष अपीलार्थी/विपक्षी सं0- 2 व अन्‍य विपक्षीगण ने लिखित कथन प्रस्‍तुत नहीं किया है।

  जिला फोरम ने परिवाद पत्र के कथन एवं उपलब्‍ध साक्ष्‍यों के आधार पर यह निष्‍कर्ष निकाला है कि अपीलार्थी/विपक्षी सं0- 2 ने चेक विपक्षी सं0- 3 को गलत ढंग से भेजा है और उसकी आसवधानी से प्रत्‍यर्थी/परिवादी का चेक निरस्‍त हुआ है। अत: जिला फोरम ने प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा प्रस्‍तुत परिवाद अपीलार्थी/विपक्षी सं0- 2 के विरुद्ध स्‍वीकार करते हुए उपरोक्‍त प्रकार से आदेश पारित किया है।

  अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि अपीलार्थी/विपक्षी सं0- 2 द्वारा सेवा में कोई त्रुटि नहीं की गई है। अपीलार्थी/विपक्षी सं0- 2 ने चेक प्रत्‍यर्थी/विपक्षी सं0- 4 जो कि प्रत्‍यर्थी सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया की मुख्‍य शाखा है को सामान्‍य प्रक्रिया के अनुसार भेजा है और प्रत्‍यर्थी सं0- 4 ने यह चेक प्रत्‍यर्थी सं0- 1 की ब्रांच को प्रेषित न कर प्रत्‍यर्थी/विपक्षी सं0- 3 को प्रेषित किया है तब प्रत्‍यर्थी सं0- 3 ने चेक अपनी मूल ब्रांच प्रत्‍यर्थी/विपक्षी सं0- 4 को Not drawn on us की प्रविष्टि से वापस भेजा है और प्रत्‍यर्थी/विपक्षी सं0- 4 ने ड्रा ब्रांच का सत्‍यापन किये बिना अपीलार्थी/विपक्षी सं0- 2 को चेक वापस भेज दिया है। इस प्रकार अपीलार्थी/विपक्षी सं0- 2 की सेवा में कोई त्रुटि नहीं है। सेवा में जो त्रुटि हुई है वह प्रत्‍यर्थी सं0- 4 सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया की मूल शाखा से हुई है। अत: जिला फोरम ने अपीलार्थी/विपक्षी के विरुद्ध जो आदेश पारित किया है वह साक्ष्‍य और विधि के विरुद्ध है और निरस्‍त किये जाने योग्‍य है।

  प्रत्‍यर्थीगण सं0- 2 ता 4 के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि उनके बैंक ने सेवा में कोई त्रुटि नहीं की है।

  हमने अपीलार्थी एवं प्रत्‍यर्थीगण सं0- 2 ता 4 के विद्वान अधिवक्‍तागण के तर्क पर विचार किया है।

  परिवाद पत्र के कथन एवं आक्षेपित निर्णय से स्‍पष्‍ट है कि यह तथ्‍य निर्विवाद है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया शाखा विश्‍वेश्‍वरगंज, वाराणसी के अपने बचत खाते का चेक यूनिट ट्रस्‍ट ऑफ इंडिया के इक्विटी शेयर हेतु आवेदन पत्र के साथ अपीलार्थी/विपक्षी सं0- 2 के बैंक में प्रस्‍तुत किया है जिसने चेक सम्‍बन्धित सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया को भुगतान हेतु भेजा है।

  अपीलार्थी/विपक्षी के अनुसार उसने यह चेक सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया की मुख्‍य शाखा को प्रचलित प्रक्रिया के अनुसार भुगतान हेतु भेजा है जिसे सेंट्रल बैंक की मुख्‍य शाखा विपक्षी सं0- 4 ने अपनी शाखा विपक्षी सं0- 1 को न भेजकर अपनी शाखा विपक्षी सं0- 3 पहडि़या को भेज दिया है जिसने चेक पर Not drawn on us की प्रविष्टि अंकित कर वापस कर मूल शाखा को भेजा है। मूल शाखा ने पुन: चेक वापस प्राप्‍त होने पर भी चेक को विपक्षी सं0- 2 को भुगतान हेतु नहीं भेजा है और अपीलार्थी/विपक्षी बैंक को वापस कर दिया है। इस प्रकार यह स्‍पष्‍ट है कि अपीलार्थी/विपक्षी बैंक की सेवा में कोई त्रुटि नहीं है। अत: जिला फोरम ने अपीलार्थी/विपक्षी बैंक के विरुद्ध जो आक्षेपित निर्णय और आदेश पारित किया है वह विधि सम्‍मत नहीं है।

  जिला फोरम ने आक्षेपित निर्णय व आदेश अपीलार्थी/विपक्षी के विरुद्ध एकपक्षीय रूप से पारित किया है। अपीलार्थी/विपक्षी जिला फोरम के समक्ष उपस्थित नहीं हुआ है और लिखित कथन प्रस्‍तुत नहीं किया है। अत: जिला फोरम ने अपीलार्थी/विपक्षी के कथन पर विचार नहीं किया है। परन्‍तु प्रत्‍यर्थी/विपक्षी सं0- 1 के लिखित कथन से स्‍पष्‍ट है कि चेक प्रत्‍यर्थी/विपक्षी सं0- 3 की शाखा को प्राप्‍त हुआ तो उसने चेक Not drawn on us की प्रविष्टि से वापस कर दिया। उसने चेक अपनी सम्‍बन्धित ब्रांच को भुगतान हेतु नहीं भेजा। अत: अपीलार्थी/विपक्षी को चेक का भुगतान न होने हेतु उत्‍तरदायी नहीं ठहराया जा सकता है और प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण सं0- 3 व 4 की सेवा में कमी के सम्‍बन्‍ध में पुन: विचार किये जाने की आवश्‍यकता है, परन्‍तु प्रकरण 1992 का है। अपील वर्ष 1997 से लम्बित है और बहुत पुरानी है। अत: सम्‍पूर्ण तथ्‍यों पर विचार करते हुए हम इस मत के हैं कि जिला फोरम द्वारा अपीलार्थी/विपक्षी बैंक के विरुद्ध पारित निर्णय और आदेश अपास्‍त कर परिवाद निरस्‍त किया जाना उचित है।

  उपरोक्‍त निष्‍कर्ष के आधार पर अपील स्‍वीकार की जाती है और जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश अपास्‍त करते हुए परिवादी द्वारा प्रस्‍तुत परिवाद निरस्‍त किया जाता है।                    

  अपील में उभयपक्ष अपना-अपना वाद व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे। 

    

 

       (न्‍यायमूर्ति अख्‍तर हुसैन खान)            (महेश चन्‍द)                                          

                           अध्‍यक्ष                         सदस्‍य                          

 

शेर सिंह आशु0,

कोर्ट नं0-1

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. Mahesh Chand]
MEMBER

Consumer Court Lawyer

Best Law Firm for all your Consumer Court related cases.

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!
5.0 (615)

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!

Experties

Consumer Court | Cheque Bounce | Civil Cases | Criminal Cases | Matrimonial Disputes

Phone Number

7982270319

Dedicated team of best lawyers for all your legal queries. Our lawyers can help you for you Consumer Court related cases at very affordable fee.