Uttar Pradesh

StateCommission

R/2009/102

U P P C L - Complainant(s)

Versus

Union Bank Of India - Opp.Party(s)

Kamlesh Kumar

11 Oct 2017

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. R/2009/102
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. U P P C L
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Union Bank Of India
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Sanjay Kumar PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Mahesh Chand MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 11 Oct 2017
Final Order / Judgement

सुरक्षित

 

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

पुनरीक्षण संख्‍या-102/2009

(जिला उपभोक्‍ता फोरम, आजमगढ़ द्वारा परिवाद संख्‍या-91/2009 में पारित आदेश दिनांक 22.06.2009 के विरूद्ध)

 

1. यू0पी0 पावर कारपोरेशन लि0 (पूर्वांचलन विद्युत वितरण निगम लि0) विद्युत वितरण खण्‍ड IInd, रैदोपुर, पोस्‍ट सदर, जिला आजमगढ़, यू0पी0, द्वारा एग्‍जीक्‍यूटिव इंजीनियर।

2. यू0पी0 पावर कारपोरेशन लि0, हेड आफिस, शक्ति भवन लखनऊ द्वारा मैनेजिंग डायरेक्‍टर।

                                      अपीलार्थीगण/विपक्षीगण

बनाम्      

यूनियन बैंक आफ इण्डिया, रजिस्‍टर्ड हेड आफिस 239, विधान भवन मार्ग, नरिमन प्‍वाइंट, मुम्‍बई 400021 एण्‍ड ब्रांच आफिस नसीरपुर, पोस्‍ट बिन्‍दवल, तहसील सगरई, जिला आजमगढ़, द्वारा ब्रांच मैनेजर।

                                    प्रत्‍यर्थी/परिवादी

समक्ष:-

1. माननीय श्री संजय कुमार, पीठासीन सदस्‍य।

2. माननीय श्री महेश चन्‍द, सदस्‍य।

पुनरीक्षणकर्ता की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित          : कोई नहीं।

 

दिनांक 09.11.2017

 

मा0 श्री संजय कुमार, पीठासीन सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

यह पुनरीक्षण, परिवाद संख्‍या-91/2009, यूनियन बैंक आफ इण्डिया बनाम उ0प्र0 पावर कारपोरेशन लि0 व अन्‍य में जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम, आजमगढ़ द्वारा पारित आदेश दिनांक 22.06.2009 से क्षुब्‍ध होकर विपक्षीगण/पुनरीक्षणकर्तागण की ओर से याजित की गयी है, जिसके अन्‍तर्गत जिला फोरम द्वारा निम्‍नवत् आदेश पारित किया गया है :-

'' परिवादी द्वारा व्‍यादेश हेतु प्रस्‍तुत प्रार्थना पत्र स्‍वीकार किया जाता है तथा विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि वे इस आदेश की तिथि से 10 दिन के अन्‍दर परिवादी के संस्‍थान का विद्युत कनेक्‍शन संख्‍या 1522/006330 को पुन: जोड़कर चालू कर दें तथा परिवादी बैंक में लगे मीटर के अनुसार बिल बनाकर परिवादी को प्रेषित करें तथा परिवादी दौरान मुकदमा उक्‍त मीटर के अनुसार प्रेषित बिलों का नियमित भुगतान करता रहे।

परिवादी द्वारा लगातार तीन प्राप्‍त बिलों का भुगतान करने में चूक करने पर, विपक्षीगण को पुन: परिवादी का विद्युत विच्‍छेद करने का अधिकार होगा।

यह आदेश इस परिवाद में पारित होने वाले अन्तिम आदेश (निर्णय) के अधीन होगा। ''

पुनरीक्षणकर्तागण एवं प्रत्‍यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है। यह पुनरीक्षण वर्ष 2009 से विचाराधीन है, अत: पीठ द्वारा समीचीन पाया गया कि प्रस्‍तुत पुनरीक्षण का निस्‍तारण गुणदोष के आधार पर कर दिया जाये। तदनुसर पीठ द्वारा प्रश्‍नगत आदेश तथा उपलब्‍ध अभिलेखों का गम्‍भीरता से परिशीलन किया गया।

प्रस्‍तुत पुनरीक्षण के आधार एवं पत्रावली का परिशीलन किया गया। पुनरीक्षणकर्तागण द्वारा लिखित बहस दाखिल की गयी है तथा प्रत्‍यर्थी/परिवादी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री राजेन्‍द्र नाथ का वकालतनामा पत्रावली पर उपलब्‍ध है, किन्‍तु उनकी ओर से प्रस्‍तुत पुनरीक्षण के विरूद्ध कोई भी आपत्‍ति‍ योजित नहीं है। पुनरीक्षणकर्तागण ने प्रस्‍तुत पुनरीक्षण एवं लिखित बहस में यह आधार लिया गया है कि परिवादी/प्रत्‍यर्थी द्वारा लगातार विद्युत का उपभोग किया जा रहा था, परन्‍तु उनकी ओर से विद्युत बिलों का भुगतान नहीं किया जा रहा था। परिवादी/प्रत्‍यर्थी के आवेदन पर विपक्षीगण/पुनरीक्षणकर्तागण द्वारा एक किलोवाट का विद्युत संयोजन उसके कार्यालय में उपलब्‍ध कराया गया था तथा परिवादी/प्रत्‍यर्थी के आवेदन पर उक्‍त भार में एक किलोवाट की वृद्धि की गयी थी, जिसके आधार पर बिल निर्गत किये जा रहे थे। दिनांक 06.11.2004 को पुनरीक्षणकर्तागण/विपक्षीगण द्वारा चेकिंग की गयी तो परिवादी/प्रत्‍यर्थी द्वारा संयोजित भार से अधिक लगभग 06 किलोवाट विद्युत भार का उपयोग करते पाया गया, जिस पर नियमानुसार रू0 1,02,200/- टैरिफ परिवर्तन के अन्‍तर्गत प्राविजिनल आंकलन विभाग द्वारा किया गया तथा उक्‍त अपराध के विरूद्ध प्रथम सूचना रिपोर्ट अंकित कराने हेतु सूचना थाने पर दी गयी, तब परिवादी/प्रत्‍यर्थी ने रू0 30,000/- बतौर शमन शुल्‍क अदा किया, जिससे उसके विरूद्ध एफआईआर दर्ज नहीं करायी गयी।

जिला फोरम ने पुनरीक्षणकर्तागण द्वारा जारी विद्युत बकाया बिल व अन्‍य व्‍यय को तत्‍काल प्रभाव से स्‍थगित करते हुए रिकवरी को स्‍थगित कर दिया। परिवादी/प्रत्‍यर्थी विद्युत बिलों का भुगतान नहीं कर रहे हैं, जिला फोरम ने अन्‍तरिम अनुतोष हेतु परिवादी/प्रत्‍यर्थी द्वारा दिये गये प्रार्थना पत्र पर उपरोक्‍त आदेश दिनांक 22.06.2009 पारित किया है।

प्रत्‍यर्थी/परिवादी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री राजेन्‍द्र नाथ का वकालतनामा पत्रावली पर उपलब्‍ध है, किन्‍तु उनकी ओर से कोई भी आपत्‍ति‍ व लिखित बहस योजित नहीं है।

आधार पुनरीक्षण एवं सम्‍पूर्ण पत्रावली का परिशीलन किया गया, जिससे यह तथ्‍य विदित होता है कि परिवादी/प्रत्‍यर्थी ने विद्युत कनेक्‍शन लिया था। परिवादी/प्रत्‍यर्थी के आवेदन पर विद्युत भार एवं किलोवाट में वृद्धि की गयी थी, जिसके आधार पर बिल निर्गत किया जा रहा था। दिनांक 06.11.2004 को पुनरीक्षणकर्ता द्वारा चेकिंग की गयी तो चेकिंग के दौरान परिवादी/प्रत्‍यर्थी 06 किलोवाट का विद्युत भार उपभोग करते पाये गये, जिस पर टैरिफ के अनुसार प्राविजनल आंकलन विभाग द्वारा करते हुए बिल भेजा गया। परिवादी/प्रत्‍यर्थी द्वारा रू0 30,000/- शमन शुल्‍क जमा किया गया, तत्‍पश्‍चात उसके विरूद्ध एफआईआर दर्ज नहीं करायी गयी। चेकिंग रिपोर्ट दिनांक 16.11.2004 को की गयी, इसलिए यह मामला विद्युत चोरी से सम्‍बन्धित है। मा0 सर्वोच्‍च न्‍यायालय द्वारा उ0प्र0 पावर कारपोरेशन लि0 एवं अन्‍य बनाम अनीस अहमद III 2013 CPJ 1 (SC) में निम्‍न विधि व्‍यवस्‍था प्रतिपादित की गयी है :-

 " 47. In view of the observation made above, we hold that: (i) In case of inconsistency between the Electricity Act, 2003 and the Consumer Protection Act, 1986, the provisions of Consumer Protection Act will prevail, but ipso facto it will not vest the Consumer Forum with the power to redress any dispute with regard to the matters which do not come within the meaning of “service” as defined under Section 2(1)(o) or “complaint”as defined under Section 2(1)(c) of the Consumer Protection Act, 1986.

(ii) A “complaint” against the assessment made by assessing officer under Section 126 or against the offences committed under Sections 135 to 140 of the Electricity Act, 2003 is not maintainable before a Consumer Forum.

(iii) The Electricity Act, 2003 and the Consumer Protection Act, 1986 runs parallel for giving redressal to any person, who falls within the meaning of “consumer” under Section 2(1)(d) of the Consumer Protection Act, 1986 or the Central Government or the State Government or association of consumers but it is limited to the dispute relating to “unfair trade practice” or a “restrictive trade practice adopted by the service provider”; or “if the consumer suffers from deficiency in service”; or “hazardous service”; or “the service provider has charged a price in excess of the price fixed by or under any law”. "

 

उपरोक्‍त विधि व्‍यवस्‍था के आलोक में विचार करने के उपरांत हम इस निष्‍कर्ष पर पहुँचते हैं कि प्रश्‍नगत प्रकरण में असेसमेण्‍ट आफिसर द्वारा चेकिंग के दौरान 06 किलोवाट का विद्युत भार उपभोग किया जा रहा था, जिसके आधार पर असेसमेण्‍ट किया गया है तथा परिवादी/प्रत्‍यर्थी द्वारा रू0 30,000/- शमन शुल्‍क अदा किया गया है। प्रश्‍नगत प्रकरण असेसमेण्‍ट से सम्‍बन्धित है, जो उपभोक्‍ता फोरम के क्षेत्राधिकार की परिधि में नहीं आता है। अत: प्रस्‍तुत पुनरीक्षण स्‍वीकार किये जाने योग्‍य है।

आदेश

 

पुनरीक्षण स्‍वीकार की जाती है। जिला फोरम, आजमगढ़ द्वारा परिवाद संख्‍या-91/2009, यूनियन बैंक आफ इण्डिया बनाम उ0प्र0 पावर कारपोरेशन लि0 व अन्‍य में पारित आदेश दिनांक 22.06.2009 अपास्‍त किया जाता है।

पक्षकारान अपना-अपना अपीलीय व्‍यय स्‍वंय वहन करेंगे।

पक्षकारान को इस निर्णय/आदेश की प्रमाणित प्रतिलिपि नियमानुसार उपलब्‍ध करा दी जाये।

 

  (संजय कुमार)                        (महेश चन्‍द)

           पीठासीन सदस्‍य                             सदस्‍य

 

 

लक्ष्‍मन, आशु0, कोर्ट-4

 
 
[HON'BLE MR. Sanjay Kumar]
PRESIDING MEMBER
 
[HON'BLE MR. Mahesh Chand]
MEMBER

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