Uttar Pradesh

StateCommission

A/520/2019

Pramod Kumar Yadav - Complainant(s)

Versus

Union Bank Of India - Opp.Party(s)

Paras Nath Tewari

20 May 2022

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/520/2019
( Date of Filing : 22 Apr 2019 )
(Arisen out of Order Dated 09/04/2019 in Case No. M/07/2019 of District Azamgarh)
 
1. Pramod Kumar Yadav
S/O Sri Subedar Yadav Gram Dullahpar Post Maharajpur Thana Kandharapur Distt. Azamgarh 276135
...........Appellant(s)
Versus
1. Union Bank Of India
To Shakha Prabandhak U.B.I. Anwarganj Geram and Post Mahrajpur Distt. Azamgarh U.P. 276135
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 
PRESENT:
 
Dated : 20 May 2022
Final Order / Judgement

(मौखिक)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ।

 

अपील संख्‍या :520/2019

 

प्रमोद कुमार यादव उम्र लगभग 39 वर्ष पुत्र श्री सूबेदार यादव ग्राम दुल्‍लहपार पोस्‍ट महराजपुर, थाना कन्‍धरापुर जिला आजमगढ, उ0प्र0-276135

                             अपीलार्थी/परिवादी    

बनाम्

1-यूनियन बैंक आफ इण्डिया द्वारा शाखा प्रबन्‍धक, यू0बी0 आई0 अनवरगंज,

  ग्राम व पोस्‍ट-महराजगंज, जिला आजमगढ़, उ0प्र0-276135

2- धर्मेन्‍द्र कुमार स्‍पेशिफाइड पर्सन वास्‍तु SUD Life स्‍पेशिफाइड पर्सन कोड

   80002027 स्‍पेशिफाइड लाइसेंस नम्‍बर- SP0117062115  द्वारा शाखा    

   प्रबन्‍धक शाखा यू.बी.आई. अनवरगंज ग्राम व पोस्‍ट महराजपुर, जिला   

   आजमगढ़ उ0प्र0-276135

3- SUD Life स्‍थानीय कार्यालय दुर्गा टाकिज के बगल में (पंजाबनेशनल बैंक

   के ऊपरी मंजिल में)ठंडी सड़क शहर व जिला आजमगढ़, उ0प्र0 द्वारा

   सक्षम अधिकारी।

प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण

समक्ष  :-

  1. मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार,         अध्‍यक्ष।
  2. मा0  श्री सुशील कुमार,                     सदस्‍य।

उपस्थिति :

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित-    श्री पारस नाथ तिवारी।

प्रत्‍यर्थी  की ओर से उपस्थित-      कोई नहीं।

 

दिनांक : 05-09-2022

 

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित निर्णय

 

     प्रकीर्ण वाद संख्‍या-07/2019 प्रमोद कुमार यादव बनाम यूनियन बैंक आफ इण्डिया व दो अन्‍य में जिला उपभोक्‍ता आयोग, आजमगढ़  द्वारा पारित

 

-2-

निर्णय और आदेश दिनां‍क 09-04-2019 के विरूद्ध यह अपील धारा-15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम-1986 के अन्‍तर्गत इस न्‍यायालय के सम्‍मुख  प्रस्‍तुत की गयी है।

     आक्षेपित निर्णय और आदेश के द्वारा विद्धान जिला आयोग ने परिवाद/प्रकीर्ण वाद खारिज कर दिया है।

     विद्धान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश से क्षुब्‍ध होकर अपीलार्थी/परिवादी की ओर से यह अपील प्रस्‍तुत की गयी है।

     संक्षेप में वाद के तथ्‍य इस प्रकार हैं कि परिवादी के अनुसार उसका विपक्षी यूनियन बैंक में खाता है, उस खाते में उसके पिता जी के खाते से ट्रांसफर किये गये रूपयों को बेहतर निवेश में लगाने हेतु याची तत्‍काल शाखा प्रबन्‍धक विपक्षी संख्‍या-1 से मिला तो उन्‍होंने कहा कि दिनांक 21-09-2017 को कुछ कागजात पर हस्‍ताक्षर कर दीजिए और परिवादी ने अपना हस्‍ताक्षर कर दिया और 61,100/-रू0 की रकम बेहतर निवेश हेतु काटने के संदर्भ में बताया। परिवादी आश्‍वस्‍त होकर चला आया तो बाद में दिनांक 25-09-2017 को पालिसी संख्‍या का बाण्‍ड मिलने पर शिकायतकर्ता अपने परिचित श्री विजय शंकर यादव विपक्षी संख्‍या-1 से मिला और वह विपक्षी संख्‍या-02 से भी मिला जो कि संख्‍या-03 के लिए एजेन्‍ट का कार्य करते हैं और उन्‍होंने पुन: कुछ कागजातों पर हस्‍ताक्षर करवाकर कहा कि आपको आपत्ति हैं तो उस बीमा कम्‍पनी को लिख ले रहे हैं और आपका पैसा पुन: ब्‍याज सहित आपके खाते में चला जायेगा। परिवादी ने विपक्षी संख्‍या-1 से कई बार सम्‍पर्क किया और उसे बार-बार आश्‍वासन दिया जाता रहा किन्‍तु  कोई कार्यवाही नहीं की गयी अत: विवश होकर परिवादी ने परिवाद जिला आयोग के समक्ष

 

 

 

-3-

योजित किया है और कथन किया है कि विपक्षीगण को आदेशित किया जाए कि वे अपनी भूमिका का निर्वहन करते हुए परिवादी की धनराशि 61,100/-रू0 उसके खाते में दिनांक 21-09-2017 से अंतिम भुगतान की तिथि तक 18 प्रतिशत ब्‍याज के साथ वापस करें साथ ही मानसिक व शारीरिक कष्‍ट के मद में उसे 50,000/- दिलाया जावे।

     विद्धान जिला आयोग द्वारा प्रस्‍तुत परिवाद को ग्राहता के बिन्‍दु पर सुना गया। परिवादी ने कागज संख्‍या-7/1 पत्रावली के साथ संलग्‍न किया है, जिसमें बीमा का फ्री लुक आऊट प्रीमियम 30 दिन लिखा है, कागज संख्‍या-7/2 परिवादी द्वारा दाखिल किया गया है, कागज संख्‍या-7/3 सिड्यूल, कागज संख्‍या-7/4 सिड्यूल कागज संख्‍या-7/5 परिवादी के खाता संख्‍या की फोटोप्रति प्रस्‍तुत की गयी है। परिवादी द्वारा कोई भी इंश्‍योंरेंस पालिसी पत्रावली पर प्रस्‍तुत नहीं की गयी है परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में यह भी कहा है कि बैंक मैनेजर ने उसकी सहमति से बीमा करवाया था और बाद में कहा कि दस्‍तखत कर दीजिए और आपका पैसा वापस हो जायेगा जब कि परिवादी का यह कर्तव्‍य था कि वह फ्री लुक पीरियड के अंदर बीमा कम्‍पनी के पास जाता और उनसे अपना पैसा मंगाता। यहॉं इस बात का भी उल्‍लेख कर देना आवश्‍यक है कि खाता परिवादी के नाम से है तो उसे निकालने का अधिकार परिवादी को ही है दूसरा कोई व्‍यक्ति धनराशि नहीं निकाल सकता है। जो बीमा हुआ है उसे भी परिवादी स्‍वीकार करता है तथा परिवादी ने अपना हस्‍ताक्षर भी बनाया है इस संदर्भ में यदि हम ‘’ओरियण्‍टल इश्‍योरेंस कम्‍पनी लिमिटेड बनाम सोनी चेरिन II 1999 C.P.J. 13 सुप्रीम कोर्ट’’ द्वारा दिये गये न्‍याय निर्णय का अवलोकन करें तो उसमें माननीय उच्‍चतम

 

 

-4-

न्‍यायालय ने यह अवधारित किया है कि कोई पक्ष पालिसी में लिखी गयी बातों से इंकार नहीं कर सकता है। इस सन्‍दर्भ में यदि एक अन्‍य न्‍याय निर्णय ‘’एल.आई.सी. बनाम कन्‍ज्‍यूमर वेलफेयर सोसाइटी आफ इण्डिया (1) 2019 C.P.J. 285 (एन.सी) का अवलोकन करें तो इस न्‍याय निर्णय में माननीय राष्‍ट्रीय आयोग ने यह अभिधारित किया है कि अगर पक्षकारों के मध्‍य लिखित संविदा हुई है तो कोई भी पक्ष संविदा से इंकार नहीं कर सकता है। इस संदर्भ में यदि हम एक अन्‍य न्‍याय निर्णय ’’यूनाइटेड इण्डिया इं0 कं0 लि0 बनाम मेसर्स हरिचन्‍द राय चन्‍दन लाल जे.टी.2004 (8) एस.सी.8’’ का अवलाकन करें तो इस न्‍याय निर्णय में माननीय उच्‍चतम न्‍यायालय ने यह अभिधारित किया है कि कोई भी पक्ष संविदा में लिखी गयी बातों से इंकार नहीं कर सकता है। इस संदर्भ में एक अन्‍य न्‍याय निर्णय ‘’ग्राजिम इण्‍डस्ट्रियन लिमिटेड एवं अग्रवाल बनाम स्‍टील सी.ए. नम्‍बर-5994, 7477/04 एण्‍ड 1733/05 एस.सी.’’ का अवलोकन करें तो इस न्‍याय निर्णय में भी माननीय उच्‍चतम न्‍यायालय ने यह अभिधारित किया है कि यदि कोई व्‍यक्ति किसी डॉक्‍यूमेन्‍ट पर हस्‍ताक्षर करता है तो यह प्रिजम्‍प्‍शन किया जायेगा कि हस्‍ताक्षर उसी ने किया है जब तक कि वह यह सिद्ध न कर दे कि वह हस्‍ताक्षर छल या कपट करके उससे करवाये गये हैं। अत: उपरोक्‍त विवेचन के उपरान्‍त प्रस्‍तुत परिवाद/प्रकीर्ण वाद जिला आयोग द्वारा खारिज किया गया है।

     अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्‍ता श्री पारस नाथ तिवारी उपस्थित।

 

 

-5-

     हमने अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्‍ता के तर्क को सुना तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध प्रपत्रों का सम्‍यक अवलोकन किया।

          अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्‍ता का तर्क है कि विद्धान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय साक्ष्‍य एवं विधि के विरूद्ध है। अत: अपील स्‍वीकार की जावे।

          पत्रावली के परिशीलनोंपरान्‍त हम इस मत के हैं कि विद्धान जिला आयोग द्वारा समस्‍त तथ्‍यों पर गंभीरतापूर्वक विचार करते हुए विधि अनुसार निर्णय पारित किया गया है जिसमें हस्‍तक्षेप हेतु उचित आधार नहीं है। तदनुसार प्रस्‍तुत  अपील निरस्‍त किये जाने योग्‍य है।

  •  

अपील निरस्‍त की जाती है।

     अपील में उभयपक्ष अपना-अपना वाद व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।  

 

आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

 

 

(न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)                       (सुशील कुमार)

       अध्‍यक्ष                                   सदस्‍य

 

प्रदीप मिश्रा, आशु0 कोर्ट नं0-1

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 

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