राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
सुरक्षित
अपील सं0-२४४५/२०१५
(जिला मंच, हाथरस द्वारा परिवाद सं0-१२०/२००६ में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक २९-१०-२०१५ के विरूद्ध)
हरीशचन्द्र अग्रवाल पुत्र श्री कालीचरन अग्रवाल निवासी ४/१९९९, आवास विकास कालोनी, आगरा रोड, हाथरस।
................. अपीलार्थी/परिवादी।
बनाम्
यूनियन बैंक आफ इण्डिया, यूनियन भवन २३९, विधान भवन मार्ग, नरीमन प्वाइण्ट, मुम्बई द्वारा शाखा प्रबन्धक यूनियन बैंक आफ इण्डिया, प्रथम तल, सुभाष मार्केट बागला मार्ग, हाथरस, उ0प्र0।
.................. प्रत्यर्थी/विपक्षी।
समक्ष:-
१. मा0 श्री उदय शंकर अवस्थी, पीठासीन सदस्य।
२. मा0 श्री गोवर्द्धन यादव, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित :- श्री ओ0पी0 दुवेल विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित :- श्री राजेश चड्ढा विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक : ११-१०-२०१८.
मा0 श्री उदय शंकर अवस्थी, पीठासीन सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील, जिला मंच, हाथरस द्वारा परिवाद सं0-१२०/२००६ में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक २९-१०-२०१५ के विरूद्ध योजित की गयी है।
संक्षेप में तथ्य इस प्रकार हैं कि अपीलार्थी/परिवादी के कथनानुसार परिवादी ने मूल परिवाद के विपक्षीगण के यहॉं कम्प्यूटर के लिए ३६,५००/- रू० ऋण प्राप्त करने हेतु आवेदन किया तथा इस सन्दर्भ में सभी औपचारिकताऐं पूर्ण करके अपने दस्तावेज प्रस्तुत किए तथा उन दस्तावेजों के साथ परिवादी ने अपने इण्डियन बैंक, हाथरस के १० चेक भी प्रस्तुत किए। परिवादी ने विपक्षीगण के कहने पर १०,३००/- रू० की धनराशि भी विपक्षीगण के यहॉं दिनांक ११-०५-२००६ को बचत खाता सं0-२३४२ में जमा की तथा विपक्षीगण द्वारा कहा गया कि यह धनराशि जमा करने
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के बाद ही परिवाद के आवेदन पर कोई विचार किया जायेगा तथा विपक्षीगण की मांग पर मै0 बालाजी कम्प्यूटर प्वाइण्ट से कम्प्यूटर के लिए कुटेशन भी बनवाकर दाखिल किया। परिवादी द्वारा उक्त धनराशि जमा करने के बाद मूल परिवाद के विपक्षी सं0-२ शाखा प्रबन्धक यूनियन बैंक आफ इण्डिया, प्रथम तल, सुभाष मार्केट बागला मार्ग, हाथरस से कई बार सम्पर्क किया गया किन्तु ऋण के सन्दर्भ में कोई सन्तोषजनक उत्तर नहीं मिला और निरन्तर टालमटोल की जाती रही। विपक्षीगण के कहने पर परिवादी ने मै0 बालाजी कम्प्यूटर प्वाइण्ट से सम्पर्क किया तो उसके द्वारा अवैध धनराशि की मांग की गई। अन्तत: व्यथित होकर परिवादी ने विपक्षी सं0-२ से अनुरोध किया कि उसका ऋण हेतु प्रस्तुत आवेदन पत्र निरस्त कर दिया जाय तथा उसके द्वारा जमा की गई चेक तथा अन्य कागजात उसे वापस करा दिए जायें तब विपक्षीगण का यह उत्तर सुनकर कि परिवादी के आवेदन पर ऋण का भुगतान किया जा चुका है, परिवादी को अत्यन्त क्षोभ एवं मानसिक सन्ताप हुआ क्योंकि परिवादी को कोई कम्प्यूटर ऋण कभी प्राप्त नहीं हुआ। अत: विपक्षीगण द्वारा सेवा में कमी किया जाना अभिकथित करते हुए परिवाद जिला मंच के समक्ष इस अनुतोष के साथ योजित किया गया कि विपक्षीगण को निर्देशित किया जाय कि यूनियन बैंक आफ इण्डिया, बैंक शाखा, हाथरस में परिवादी द्वारा जमा किए गये समस्त दस्तावेज व इण्डियन बैंक के बचत खाता सं0-५ से जारी १० चेक व परिवादी द्वारा जमा की गई १०,३००/- रू० की धनराशि मय ब्याज परिवादी को वापस करें। मानसिक क्षतिपूर्ति हेतु ५०,०००/- रू० परिवादी को विपक्षीगण से दिलाए जायें।
प्रत्यर्थी/विपक्षी के कथनानुसार परिवादी द्वारा कम्प्यूटर खरीदने के वास्ते ऋण हेतु आवेदन प्रस्तुत किया गया था तथा ऋण के वास्ते ही परिवादी ने बचत खाता बैंक में खोला था। परिवादी को २७,०००/- रू० का ऋण बैंक द्वारा स्वीकृत किया गया तथा परिवादी ने स्वीकृत ऋण २७,०००/- रू० एवं अपने बचत खाते से मार्जिन मनी ९५००/- रू० के साथ कुल ३६,५००/- रू० कम्प्यूटर कम्पनी मै0 बालाजी कम्प्यूटर प्वाइण्ट को दिए जाने को बैंक से कहा। परिवादी के कहे अनुसार
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उक्त धनराशि मै0 बालाजी कम्प्यूटर प्वाइण्ट के खाते में ट्रान्सफर कर दी गई। परिवादी ने ऋण के वास्ते बैंक में अनुबन्ध पत्र एवं प्रतिभूति निष्पादित किए। परिवादी ने ऋण अदा करने की नीयत से गलत तरीके से ऋण प्राप्त करने के लगभग दो माह उपरान्त दिनांक २२-०७-२००६ को गलत तथ्यों के साथ ऋण आवेदन निरस्त करने का पत्र दिया, जबकि परिवादी दिनांक ३०-०५-२००६ को ही ऋण व मार्जिन मनी मिलाकर कम्प्यूटर की कीमत मै0 बालाजी कम्प्यूटर प्वाइण्ट को भुगतान करा चुका था। परिवादी द्वारा प्रत्यर्थी बैंक द्वारा दिए गये ऋण की कोई किश्त जमा नहीं की गई तथा कम्प्यूटर कम्पनी से प्राप्त कम्प्यूटर का उपयोग कर रहा है और समय-समय पर कम्प्यूटर कम्पनी से उसकी सर्विसें भी ले रहा है। परिवादी ने जानबूझकर मै0 बालाजी कम्प्यूटर प्वाइण्ट, सर्कुलर रोड, हाथरस को तथ्य छिपाने की नीयत से पक्षकार नहीं बनाया।
जिला मंच ने अपीलार्थी/परिवादी को ऋण का भुगतान मानते हुए तथा कम्प्यूटर के मूल्य की अदायगी मै0 बालाजी कम्प्यूटर प्वाइण्ट को किया जाना मानते हुए अपीलार्थी/परिवादी का परिवाद प्रश्नगत निर्णय द्वारा निरस्त कर दिया।
इस निर्णय से क्षुब्ध होकर यह अपील योजित की गयी है।
हमने अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री ओ0पी0 दुवेल एवं प्रत्यर्थी/विपक्षी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री राजेश चड्ढा के तर्क सुने तथा अभिलेखों का अवलोकन किया।
अपीलार्थी की ओर से तर्क प्रस्तुत किया गया कि परिवादी द्वारा प्रस्तुत किया गया कुटेशन उस समय बाजार में प्रचलित कम्प्यूटर के मूल्य की सूची मात्र था। परिवादी द्वारा ऐसा कोई निर्देश बैंक को नहीं दिया गया था कि वह ऋण की धनराशि को कुटेशन देने वाली फर्म के खाते में ट्रान्सफर करे। ऋण प्राप्तकर्ता ऋण प्राप्तकर्ता द्वारा सामान प्राप्ति की रसीद तथा उस वस्तु से सन्तुष्टि का पत्र देने पर ही सामान आपूर्तिकर्ता फर्म के नाम का बैंक ड्राफ्ट या पे आर्डर बनाकर भेजा जाना था किन्तु बैंक ने नियमों की अवहेलना करके तथा सामान बिक्रेता से सॉंठ-गॉंठ करके तथा अनुचित लाभ प्राप्त करके बिना परिवादी की राय के परिवादी के
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खाते से धनराशि कुटेशन देने वाली फर्म के खाते में ट्रान्सफर कर दी।
प्रश्नगत निर्णय के अवलोकन से यह विदित होता है कि अपीलार्थी/परिवादी ने मै0 बालाजी कम्प्यूटर प्वाइण्ट से कम्प्यूटर खरीदने के लिए ३६,५००/- रू० का कुटेशन लिया था तथा कुटेशन के आधार पर परिवादी को २७,५००/- रू० का ऋण स्वीकार किया गया था तथा ९,५००/- रू० मार्जिन मनी के रूप में परिवादी के बचत खाते के मिलाकर कुल ३६,५००/- रू० मै0 बालाजी कम्प्यूटर प्वाइण्ट के खाते में ट्रान्सफर किए गये। परिवादी के बचत खाते से दिनांक ३०-०५-२००६ को ९,५००/- रू० की धनराशि ट्रान्सपर करने का उल्लेख है, जिसका ट्रान्सफर वाउचर पेपर सं0-२१ जिला मंच में दाखिल किया गया। इसी प्रकार २७,०००/- रू० के ऋण के वाउचर की छायाप्रति पेपर सं0-१९ जिला मंच में दाखिल की गई। प्रत्यर्थी बैंक ने उसी दिन दिनांक ३०-०५-२००६ को ही ३६,५००/- रू० की धनराशि मै0 बालाजी कम्प्यूटर प्वाइण्ट के खाते में ट्रान्सफर की। ट्रान्सफर वाउचर की फोटोप्रति कागज सं0-२० जिला मंच में दाखिल की गई। कम्प्यूटर के मूल्य की धनराशि ३६,५००/- रू० की अदायगी मै0 बालाजी कम्प्यूटर प्वाइण्ट को किए जाने के उपरान्त लगभग ०२ माह बाद परिवादी ने ऋण निरस्त किए जाने हेतु प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया। कम्प्यूटर के मूल्य की पूर्ण धनराशि मै0 बालाजी कम्प्यूटर प्वाइण्ट को भुगतान किए जाने के बाबजूद मै0 बालाजी कम्प्यूटर प्वाइण्ट द्वारा परिवादी को कम्प्यूटर की आपूर्ति न किए जाने पर परिवादी से अपेक्षित था कि वह तत्काल इस सन्दर्भ में शिकायत बैंक में प्रस्तुत कर सकता था किन्तु ०२ माह तक इस सन्दर्भ में कोई कार्यवाही न किया जाना स्वाभाविक नहीं माना जा सकता। अपील मेमो के साथ मै0 बालाजी कम्प्यूटर प्वाइण्ट द्वारा परिवादी कम्प्यूटर की बिक्री के सन्दर्भ में जारी की गई रसीद की फोटोप्रति कागज सं0-२४ के रूप में दाखिल की गई है। साथ ही वारण्टी कार्ड भी दाखिल किया गया है, जिस पर अपीलार्थी/परिवादी के हस्ताक्षर हैं।
प्रश्नगत निर्णय के अवलोकन से यह विदित होता है कि विद्वान जिला मंच ने हमारे विचार से पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य का उचित परिशीलन करते हुए
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तर्कसंगत आधार पर प्रश्नगत निर्णय पारित किया है। अपील में बल नहीं है। अपील तद्नुसार निरस्त किए जाने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील, निरस्त की जाती है। जिला मंच, हाथरस द्वारा परिवाद सं0-१२०/२००६ में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक २९-१०-२०१५ की पुष्टि की जाती है।
उभय पक्ष अपीलीय व्यय अपना-अपना स्वयं वहन करेंगे।
उभय पक्ष को इस निर्णय की प्रमाणित प्रतिलिपि नियमानुसार उपलब्ध करायी जाय।
(उदय शंकर अवस्थी)
पीठासीन सदस्य
(गोवर्द्धन यादव)
सदस्य
प्रमोद कुमार
वैय0सहा0ग्रेड-१,
कोर्ट-२.