Uttar Pradesh

StateCommission

A/2001/2355

Hakimuddin - Complainant(s)

Versus

Union Bank Of India - Opp.Party(s)

Manoj Mohan

13 May 2019

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2001/2355
( Date of Filing : 28 Sep 2001 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Hakimuddin
Jaunpur
...........Appellant(s)
Versus
1. Union Bank Of India
Jaunpur
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Udai Shanker Awasthi PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Gobardhan Yadav MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 13 May 2019
Final Order / Judgement

सुरक्षित

 

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

अपील संख्‍या-2355/2001

(जिला उपभोक्‍ता फोरम, जौनपुर द्वारा परिवाद संख्‍या-258/1992 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 13.08.2001 के विरूद्ध)

 

हकीमुद्दीन पुत्र हफीज अब्‍दुल गफ्फार, निवासी-ग्राम जमदहा, तहसील-शाहगंज, जिला जौनपुर।

                             अपीलकर्ता/परिवादी

बनाम्     

1. यूनियन बैंक आफ इण्डिया, खेता सराय ब्रांच, जौनपुर, द्वारा ब्रांच मैनेजर।

2. मैनेजर, एग्रो आटो सर्विस, कचहरी रोड, जोगियापुर, जौनपुर।

                                प्रत्‍यर्थीगण/विपक्षीगण

समक्ष:-

1. माननीय श्री उदय शंकर अवस्‍थी, पीठासीन सदस्‍य।

2. माननीय श्री गोवर्द्धन यादव, सदस्‍य।

अपीलकर्ता की ओर से      : श्री मनोज मोहन, विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी संख्‍या-1 की ओर से  : श्री राजेश चड्ढा, विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी संख्‍या-2 की ओर से  : कोई नहीं।

 

दिनांक 12.06.2019

मा0 श्री उदय शंकर अवस्‍थी, पीठासीन सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

प्रस्‍तुत अपील, जिला मंच, जौनपुर द्वारा परिवाद संख्‍या-258/1992 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 13.08.2001 के विरूद्ध योजित की गयी है।

संक्षेप में तथ्‍य इस प्रकार हैं कि अपीलकर्ता/परिवादी के कथनानुसार परिवादी अपने कृषि कार्य हेतु एक ट्रैक्‍टर खरीदने को इच्‍छुक था, उसने इस प्रयोजन हेतु ऋण लेकर प्रत्‍यर्थी संख्‍या-1/विपक्षी संख्‍या-1, यूनियन बैंक आफ इण्डिया में आवेदन किया। परिवादी द्वारा रू0 15,000/- नगद प्रत्‍यर्थी संख्‍या-2/विपक्षी संख्‍या-2 को दिनांक 16.10.1986 को भुगतान किया गया। परिवादी एवं विपक्षी संख्‍या-2 के मध्‍य ट्रैक्‍टर का मूल्‍य रू0 78,500/- तय हुआ। परिवादी ने रू0 3,500/- विपक्षी संख्‍या-2 को भुगतान किया, जिसकी कोई रसीद विपक्षी संख्‍या-2 द्वारा नहीं दी गयी। विपक्षी संख्‍या-2 द्वारा यह कहा गया कि लाइसेन्‍स एवं अन्‍य अभिलेखों के साथ रसीद दी जाएगी। विपक्षी संख्‍या-1, य‍ूनियन बैंक द्वारा रू0 60,000/- परिवादी को दिये गये ऋण का भुगतान विपक्षी संख्‍या-2 को किया गया। तदोपरान्‍त परिवादी विपक्षी संख्‍या-2 से समय-समय पर विक्रय पत्र एंव पंजीयन प्रमाण पत्र प्राप्‍त कराने की मांग करता रहा, किन्‍तु विपक्षी संख्‍या-2 द्वारा विक्रय पत्र एवं पंजीयन प्रमाण पत्र परिवादी को नहीं दिया गया, जिससे परिवादी ट्रैक्‍टर का उपयोग नहीं कर सका, जिससे उसे कम से कम रू0 99,000/- की क्षति हुई। अत: परिवाद जिला मंच के समक्ष विपक्षी संख्‍या-2 से प्रश्‍नगत ट्रैक्‍टर से संबंधित विक्रय प्रमाण पत्र एवं पंजीयन प्रमाण पत्र परिवादी को देने हेतु निर्देशित किये जाने के अनुतोष के साथ तथा रू0 99,000/- क्षतिपूर्तिके रूप में दिलाये जाने के अनुतोष के साथ योजित किया गया।

प्रत्‍यर्थी संख्‍या-1/विपक्षी संख्‍या-1 द्वारा प्रतिवाद पत्र जिला मंच के समक्ष प्रस्‍तुत किया गया। विपक्षी संख्‍या-1 के कथनानुसार परिवादी को रू0 60,000/- ऋण के रूप में दिया जाना स्‍वीकार किया है तथा यह भी अभिकथित किया गया है कि यह धनराशि प्रत्‍यर्थी संख्‍या-2/विपक्षी संख्‍या-2 को डिमाण्‍ड ड्राफ्ट के द्वारा दिनांक 28.10.1986 को ट्रैक्‍टर की डिलीवरी दिये जाने के उपरान्‍त दी गयी।

 प्रत्‍यर्थी संख्‍या-2/विपक्षी संख्‍या-2 द्वारा प्रतिवाद पत्र जिला मंच के समक्ष प्रस्‍तुत किया गया। विपक्षी संख्‍या-2 ने परिवाद गलत तथ्‍यों के आधार पर योजित होना बताया। विपक्षी संख्‍या-2 के कथनानुसार प्रश्‍नगत ट्रैक्‍टर का मूल्‍य परिवादी से रू0 80,375/- तय हुआ था और उसी अनुसार एस्‍टीमेट प्रस्‍तुत किया गया था। विपक्षी संख्‍या-2 ने रू0 15,000/- दिनांक 16.10.1986 को प्राप्‍त करना स्‍वीकार किया तथा विपक्षी संख्‍या-2 का यह भी कथन है कि परिवादी द्वारा रू0 3,500/- का भुगतान उसे नहीं किया गया। दिनांक 27.10.1986 को प्रत्‍यर्थी संख्‍या-2/विपक्षी संख्‍या-2 ने प्रत्‍यर्थी संख्‍या-1/विपक्षी संख्‍या-1, यूनियन बैंक के मैनेजर को एक पत्र प्रश्‍नगत ट्रैक्‍टर तथा उससे संबंधित समान अपीलकर्ता/परिवादी को प्राप्‍त कराये जाने के संबंध में प्रेषित किया। इस पत्र के साथ प्रश्‍नगत ट्रैक्‍टर की बिक्री से संबंधित रसीद दिनांकित 27.10.1986 मु0 80,375/- भी संलग्‍न की गयी। विपक्षी संख्‍या-2 ने विपक्षी संख्‍या-1 से भुगतान महिन्‍द्रा एण्‍ड महिन्‍द्रा लिमिटेड, बाम्‍बे को डिमाण्‍ड ड्राफ्ट द्वारा किये जाने का अनुरोध किया। विपक्षी संख्‍या-2 के कथनानुसार प्रश्‍नगत ट्रैक्‍टर की डिलीवरी दिनांकि‍त 27.10.1986 को अपीलकर्ता/परिवादी को देते समय ही उसका विक्रय पत्र भी प्राप्‍त कराया गया था। अत: परिवादी का यह यह कथन कि विक्रय पत्र के अभाव में उसे क्षति हुई है, स्‍वी‍कार किये जाने योग्‍य नहीं है।

जिला मंच के समक्ष विपक्षी संख्‍या-2 के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा यह कहा गया कि मूल सेल लेटर अपीलकर्ता/परिवादी को दे दिया गया है। मूल सेल लेटर की कार्बन प्रति विपक्षी संख्‍या-2 के मैनेजिंग पार्टनर, श्री श्‍याम बहादुर सिंह के शपथपत्र के साथ संलग्‍न की गयी है तथा यह कहा गया है कि सेल लेटर की डुप्‍लीकेट प्रति फर्म द्वारा सत्‍यापित करा कर दी जाएगी, जिससे अपीलकता/परिवादी को रजिस्‍ट्रेशन कराने में कोई दिक्‍कत नहीं होगी। विपक्षी संख्‍या-2 के इस कथन पर अपीलकर्ता/परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता ने अपनी सहमति प्रकट की।

प्रश्‍नगत निर्णय द्वारा जिला मंच ने परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार करते हुए विपक्षी संख्‍या-/प्रत्‍यर्थी संख्‍या-2 को आदेशित किया कि वे सेल लेटर की कार्बन प्रति फर्म से सत्‍यापित करा कर निर्णय होने की तिथि से एक सप्‍ताह के अन्‍दर परिवादी को दे दें। क्षति के सन्‍दर्भ में जिला मंच के समक्ष साक्ष्‍य प्रस्‍तुत न किये जाने के कारण कोई क्षति नहीं दिलायी गयी।

इस निर्णय से क्षुब्‍ध होकर यह अपील योजित की गयी है।

हमने अपीलकर्ता के विद्वान अधिवक्‍ता श्री मनोज मोहन तथा प्रत्‍यर्थी संख्‍या-1 के विद्वान अधिवक्‍ता श्री राजेश चड्ढा के तर्क सुने। प्रत्‍यर्थी संख्‍या-2 की ओर से तर्क प्रस्‍तुत करने हेतु कोई उपस्थित नहीं हुआ, जबकि प्रत्‍यर्थी संख्‍या-2 की ओर से लिखित आपत्‍ति‍ पत्रावली पर उपलब्‍ध है।

अपीलकर्ता के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा यह तर्क प्रस्‍तुत किया गया कि प्रश्‍नगत ट्रैक्‍टर के संबंध में 60,000/- रूपये का स्‍वीकृत ऋण का भुगतान परिवादी द्वारा प्रत्‍यर्थी संख्‍या-2/विपक्षी संख्‍या-2 को बैंक ड्राफ्ट से किया गया। अपीलकर्ता/परिवादी एवं प्रत्‍यर्थी संख्‍या-2/विपक्षी संख्‍या-2 के मध्‍य प्रश्‍नगत ट्रैक्‍टर का मूल्‍य 78,500/- रूपये तय हुआ था। इस मूल्‍य में से 15,000/- रूपये नगद दिनांक 16.10.1986 को विपक्षी संख्‍या-2 को भुगतान किया गया। इस प्रकार कुल 75,000/- रूपये का भुगतान प्राप्‍त करने के उपरान्‍त विपक्षी संख्‍या-2 ने प्रश्‍नगत ट्रैक्‍टर की डिलीवरी परिवादी को बिल तथा अन्‍य कागजातों सहित दिनांक 16.10.1986 को कर दी। परिवादी द्वारा बकाया 3,500/- रूपये का भुगतान विपक्षी संख्‍या-2 को किया जाना था। अत: विपक्षी संख्‍या-2 ने जानबूझकर प्रश्‍नगत ट्रैक्‍टर के साथ विक्रय पत्र नहीं दिया। परिवादी द्वारा 3,500/- रूपये का भुगतान किये जाने के बावजूद विपक्षी संख्‍या-2 ने परिवादी को विक्रय पत्र प्राप्‍त नहीं कराया। इसी कारण विवश होकर परिवाद जिला मंच में योजित किया गया। परिवादी के कथनानुसार प्रश्‍नगत ट्रैक्‍टर का मूल्‍य 78,500/- रूपये तय हुआ था, जबकि विपक्षी संख्‍या-2 के कथनानुसार यह मूल्‍य 80,375/- रूपये तय हुआ। विपक्षी संख्‍या-2 परिवादी से 1,875/- रूपये अवैध रूप से वसूलना चाहता था, इसलिए विक्रय पत्र परिवादी को विपक्षी संख्‍या-2 द्वारा देने से इंकार किया गया। अपीलकर्ता की ओर से यह तर्क भी प्रस्‍तुत किया गया कि जिला मंच के समक्ष विपक्षी संख्‍या-2 ने अपने प्रतिवाद पत्र में परिवादी द्वारा 15,000/- रूपये नगद भुगतान किये जाने के तथ्‍य को अस्‍वीकार नहीं किया है। मात्र यह अभिकथन परिवादी द्वारा कथित तिथि पर किया जाना अस्‍वीकार किया है। परिवादी ने 15,000/- रूपये का भुगतान दिनांक 16.10.1986 को किया जाना बताया है, जबि‍क विपक्षी संख्‍या-2 द्वारा यह स्‍पष्‍ट नहीं किया गया है कि 15,000/- रूपये का यह भुगतान किस तिथि पर उसे किया गया। विपक्षी संख्‍या-2 के कथनानुसार प्रश्‍नगत ट्रैक्‍टर विक्रय पत्र एवं समस्‍त अन्‍य अभिलेखों सहित दिनांक 27.10.1986 को परिवादी को दिये गये। विपक्षी संख्‍या-2 ने 3,500/- रूपये का भुगतान परिवादी द्वारा किये जाने के तथ्‍य को अस्‍वीकार किया है। ऐसी परिस्थिति में दिनांक 27.10.1986 को प्रश्‍नगत ट्रैक्‍टर की डिलीवरी दिया जाना स्‍वाभाविक नहीं माना जा सकता। अपीलकर्ता की ओर से यह तर्क भी प्रस्‍तुत किया गया कि प्रश्‍नगत प्रकरण में जिला मंच के समक्ष परिवाद की सुनवाई के मध्‍य विपक्षी संख्‍या-2 द्वारा एक प्रार्थना पत्र इस आशय का प्रस्‍तुत किया गया कि परिवादी को विक्रय पत्र दिया गया, किन्‍तु धोखे से विक्रय पत्र पर परिवादी द्वारा हस्‍ताक्षर नहीं किया गया तथा यह भी कहा गया कि विपक्षी संख्‍या-2 डुप्‍लीकेट विक्रय पत्र देने के लिए तैयार हैं। विपक्षी संख्‍या-2 का यह अभिकथन असत्‍य है। ऐसा कोई अभिकथन प्रतिवाद पत्र के अभिकथनों में अंकित नहीं किया गया। मूल विक्रय पत्र कभी भी अपीलकर्ता को प्राप्‍त नहीं कराया गया। यदि अपीलकर्ता को मूल विक्रय पत्र बिना उसके हस्‍ताक्षर के प्राप्‍त कराया गया होता तब अपीलकर्ता आसानी से मूल विक्रय पत्र पर अपने हस्‍ताक्षर करके प्रश्‍नगत ट्रैक्‍टर का पंजीयन करा सकता था। यदि मूल विक्रय पत्र अपीलकर्ता को प्राप्‍त कराया गया होता तो अकारण अपीलकर्ता/परिवादी को परिवाद जिला मंच के समक्ष योजित किये जाने का कोई औचित्‍य नहीं था। अपीलकर्ता की ओर से यह तर्क भी प्रस्‍तुत किया गया कि जिला मंच ने प्रश्‍नगत निर्णय द्वारा विक्रय पत्र की सत्‍यापित कार्बन प्रति प्राप्‍त कराने हेतु निर्देशित किया, किन्‍तु कोई क्षतिपूर्ति दिलाये जाने हेतु आदेशित नहीं किया है, जबकि पत्रावली पर उपलब्‍ध साक्ष्‍य से यह स्‍पष्‍ट था कि विपक्षी संख्‍या-2 द्वारा प्रश्‍नगत ट्रैक्‍टर की डिलीवरी दिये जाते समय विक्रय पत्र प्रदान नहीं किया गया। अत: जिला मंच द्वारा क्षतिपूर्ति न दिलाया जाना न्‍यायोचित नहीं माना जा सकता।

प्रत्‍यर्थी संख्‍या-2 की ओर से श्री श्‍याम बहादुर सिंह, मैनेजर का शपथपत्र भी प्रस्‍तुत किया गया है। प्रत्‍यर्थी संख्‍या-2 के कथनानुसार जिला मंच द्वारा प्रश्‍नगत निर्णय मामलें की सम्‍पूर्ण परिस्थितियों के आलोक में तथा दाखिल की गयी साक्ष्‍य का उचित परिशीलन करते हुए पारित किया गया है। प्रत्‍यर्थी संख्‍या-2 की ओर से यह तर्क भी प्रस्‍तुत किया गया कि दिनांक 27.10.1986 को प्रश्‍नगत ट्रैक्‍टर की डिलीवरी के समय विक्रय पत्र भी परिवादी को प्राप्‍त कराया गया था। विक्रय पत्र की मांग परिवादी ने विपक्षी संख्‍या-2 से नहीं की और न ही इस प्रयोजन हेतु विपक्षी संख्‍या-2 से सम्‍पर्क किया। विपक्षी संख्‍या-2 की छवि घूमिल किये जाने के उद्देश्‍य से परिवाद योजित किया गया है।

पक्षकारों के अभिकथनों के अवलोकन से यह स्‍पष्‍ट है कि प्रत्‍यर्थी संख्‍या-2 ने प्रश्‍नगत ट्रैक्‍टर का मूल्‍य 80,375/- रूपये बताया है, जबकि अपीलकर्ता ने मूल्‍य 78,500/- रूपये बताया है। 60,000/- रूपये निर्विवाद रूप से अपीलकर्ता को दिये गये ऋण के अन्‍तर्गत प्रत्‍यर्थी संख्‍या-2 को भुगतान किया गया, 15,000/- रूपये का भुगतान भी प्रत्‍यर्थी संख्‍या-2 ने अस्‍वीकार नहीं किया है। अपीलकर्ता ने अवशेष 3,500/- रूपये का भुगतान भी प्रत्‍यर्थी संख्‍या-2 को किया जाना अभिकथित किया है। इस प्रकार अपीलकर्ता के कथनानुसार 78,500/- रूपये का पूर्ण भुगतान प्राप्‍त करने के बावजूद 1,875/- रूपये का अधिक भुगतान प्राप्‍त करने के उद्देश्‍य से विक्रय पत्र अपीलकर्ता/परिवादी को जारी नहीं किया गया। प्रत्‍यर्थी संख्‍या-2 द्वारा प्रस्‍तुत किये गये अभिकथनों से यह स्‍पष्‍ट है कि प्रत्‍यर्थी संख्‍या-2 ने मात्र 75,000/- रूपये का भुगतान प्राप्‍त किया जाना ही स्‍वीकार किया है, जबकि प्रश्‍नगत ट्रैक्‍टर का मूल्‍य 80,375/- रूपये बताया गया। यह नितान्‍त अस्‍वाभाविक है कि बकाया 5,375/- रूपये प्राप्‍त न किये जाने के बावजूद प्रत्‍यर्थी संख्‍या-2 द्वारा प्रश्‍नगत ट्रैक्‍टर की डिलीवरी अपीलकर्ता को प्राप्‍त करायी गयी होगी। यदि वास्‍तव में प्रश्‍नगत ट्रैक्‍टर के मूल्‍य का पूर्ण भुगतान न करके मात्र 75,000/- रूपये ही भुगतान किया गया होता तो शेष धनराशि की वसूली हेतु अपीलकर्ता के विरूद्ध प्रत्‍यर्थी संख्‍या-2 द्वारा कोई कार्यवाही की गयी होती। ऐसी परिस्थिति में अपीलकर्ता का यह कथन अधिक स्‍वाभाविक प्रतीत होता है कि 78,500/- रूपये प्राप्‍त करने के बावजूद 1,875/- रूपये का अतिरिक्‍त भुगतान न किये जाने के कारण विक्रय पत्र अपीलकर्ता को प्रत्‍यर्थी संख्‍या-2 द्वारा प्राप्‍त न कराया गया हो। विक्रय पत्र अपीलकर्ता को प्राप्‍त न कराये जाने के कारण स्‍वाभाविक रूप से अपीलकर्ता को अत्‍यधिक मानसिक, शारीरिक एवं आर्थिक उत्‍पीड़न झेलना पड़ा होगा। ऐसी परिस्थिति में अपीलकर्ता को कोई क्षतिपूर्ति न दिलाया जाना न्‍यायोचित न होगा। अपीलकर्ता/परिवादी ने 99,000/- रूपये क्षतिपूर्ति के रूप में दिलाये जाने की प्रार्थना की है, किन्‍तु इस सन्‍दर्भ में कोई साक्ष्‍य अपीलकर्ता/परिवादी द्वारा प्रस्‍तुत नहीं की गयी है। अत: बिना किसी साक्ष्‍य के इतनी धनराशि क्षतिपूर्ति के रूप में दिलाया जाना न्‍यायोचित नहीं होगा।

मामलें के तथ्‍यों एवं परिस्थितियों के आलोक में हमारे विचार से अपीलकर्ता/परिवादी को 10,000/- रूपये क्षतिपूर्ति के रूप में दिलाया जाना न्‍यायसंगत होगा। अपील तदनुसार आंशिक रूप से स्‍वीकार किये जाने योग्‍य है।

आदेश

 

प्रस्‍तुत अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार की जाती है। प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश दिनांकित 13.08.2001 संशोधित करते हुए प्रत्‍यर्थी संख्‍या-2/विपक्षी संख्‍या-2 को निर्देशित किया जाता है कि वह अपीलकर्ता/परिवादी को इस निर्णय की प्रति प्राप्‍त किये जाने के एक माह के अन्‍दर 10,000/- रूपये क्षतिपूर्ति के रूप में भुगतान करें। शेष निर्णय की पुष्टि की जाती है।

उभय पक्ष अपना-अपना अपीलीय व्‍यय स्‍वंय वहन करेंगे।

उभय पक्ष को इस निर्णय एवं आदेश की सत्‍यप्रतिलिपि नियमानुसार उपलब्‍ध करा दी जाये।

                   

 

 

(उदय शंकर अवस्‍थी)                        (गोवर्द्धन यादव)

पीठासीन सदस्‍य                                सदस्‍य

 

 

 

 

लक्ष्‍मन, आशु0, कोर्ट-2                                      

 
 
[HON'BLE MR. Udai Shanker Awasthi]
PRESIDING MEMBER
 
[HON'BLE MR. Gobardhan Yadav]
MEMBER

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