Uttar Pradesh

StateCommission

A/2001/2254

Amrita Devi - Complainant(s)

Versus

Union Bank of India - Opp.Party(s)

V P Sharma

06 Dec 2021

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2001/2254
( Date of Filing : 09 Sep 2001 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Amrita Devi
A
...........Appellant(s)
Versus
1. Union Bank of India
A
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Vikas Saxena JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 06 Dec 2021
Final Order / Judgement

(मौखिक)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

अपील सं0- 2254/2001

अमृता देवी पत्‍नी केदार नाथ साकिन मौजा बलईपुर वैरगिया, परगना बयालसी तहसील केराकत, जिला- जौनपुर।  

                                         ........अपीलार्थी

                           बनाम

1. यूनियन बैंक आफ इंडिया शाखा देवकली, केराकत जौनपुर, जरिये शाखा प्रबंधक।

2. यूनाइटेड एश्‍योरेंस कम्‍पनी लि0 शाखा रूहट्टा, जिला जौनपुर।

                                           .....प्रत्‍यर्थीगण

समक्ष:-

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य।

माननीय श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य।

 

अपीलार्थी की ओर से    : श्री  वी0पी0 शर्मा के सहयोगी अधिवक्‍ता

                      श्री सत्‍येन्‍द्र सिंह।

प्रत्‍यर्थीगण की ओर से : कोई नहीं।

                       

दिनांक:- 06.12.2021

माननीय श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य द्वारा उद्घोषित

निर्णय

1.        परिवाद सं0- 271/1995 अमृता देवी बनाम यूनियन बैंक आफ इंडिया व अन्‍य में जिला उपभोक्‍ता आयोग, जौनपुर द्वारा पारित निर्णय व आदेश दि0 02.08.2001 से व्‍यथित होकर यह अपील परिवाद के परिवादिनी की ओर से प्रस्‍तुत गई है। कर्ज माफ किये जाने के सम्‍बन्‍ध में प्रस्‍तुत परिवाद इस आधार पर खारिज कर दिया गया कि यह परिवाद समयावधि से बाधित है।

2.        वाद के तथ्‍य संक्षेप में इस प्रकार है कि अपीलार्थी/परिवादिनी ने प्रत्‍यर्थी सं0- 1/विपक्षी सं0- 1 से भैंस क्रय करने हेतु मु0 4500/-रू0 का ऋण सन् 1991 में लिया और ग्रामसेवक अधिकारी तथा बैंक के अधिकारियों के समक्ष भैंस क्रय किया और उपर्युक्‍त भैंस का बीमा प्रत्‍यर्थी सं0- 2/विपक्षी सं0- 2 द्वारा किया गया था। अपीलार्थी/परिवादिनी की भैंस क्रय करने के छ: मास बाद मर गई जिसकी सूचना अपीलार्थी/परिवादिनी ने यूनियन बैंक आफ इंडिया को और उसके अधिकारियों के समक्ष भैंस का पोस्‍टमार्टम कराया तथा कान में लगा छल्‍ला भी प्रत्‍यर्थी सं0- 1/विपक्षी सं0- 1 ने ले लिया और पूछने पर बताया कि पोस्‍टमार्टम रिपोर्ट तथा छल्‍ला बीमा कम्‍पनी के पास भेजा जायेगा और कर्ज का पैसा नहीं देना पड़ेगा। कुछ माह बाद अपीलार्थी/परिवादिनी, प्रत्‍यर्थीगण/विपक्षीगण से सम्‍पर्क स्‍थापित करके क्‍लेम के निस्‍तारण के सम्‍बन्‍ध में जानकारी करना चाही, परन्‍तु कोई संतोषजनक उत्‍तर न मिलने पर परिवाद प्रस्‍तुत किया गया है।

3.        प्रत्‍यर्थी सं0- 2/विपक्षी सं0- 2 की ओर से जिला उपभोक्‍ता आयोग के समक्ष जवाबदावा प्रस्‍तुत किया गया है जिसमें अभिकथन किया गया है कि अपीलार्थी/परिवादिनी को परिवाद प्रस्‍तुत करने का अधिकार नहीं है। अपीलार्थी/परिवादिनी द्वारा भैंस के मरने की सूचना पत्र दि0 01.06.1991 के माध्‍यम से दि0 14.06.1991 को प्रत्‍यर्थी सं0- 2/विपक्षी सं0- 2 को प्राप्‍त हुई। बीमा पालिसी के अनुसार प्रत्‍यर्थी/विपक्षी को पशु के मृत्‍यु की सूचना 24 घण्‍टे के अन्‍दर प्राप्‍त हो जाना चाहिए था जिससे मौके पर पशु का निरीक्षण किया जा सके, किन्‍तु अपीलार्थी/परिवादिनी ने ऐसा न करके बीमा की शर्तों का उल्‍लंघन किया है। बैंक द्वारा जो कागजात प्रत्‍यर्थी/विपक्षी को भेजे गए उसमें टैग टूटा हुआ था, जिसके सम्‍बन्‍ध में अपीलार्थी/परिवादिनी से दि0 10.02.1992 को स्‍पष्‍टीकरण मांगा गया था, किन्‍तु उसने कम्‍पनी को कोई स्‍पष्‍टीकरण नहीं प्रस्‍तुत किया। कान का छल्‍ला टूटा प्राप्‍त होने की वजह से क्‍लेम का भुगतान नहीं किया जा सका। इसलिए दि0 31.03.1992 को क्‍लेम अस्‍वीकार करके अपीलार्थी/परिवादिनी एवं बैंक को सूचित कर दिया गया। परिवाद कालबाधित है और निरस्‍त होने योग्‍य है।

4.        विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा दोनों पक्षकारों के साक्ष्‍य पर विचार करने के उपरांत यह निष्‍कर्ष दिया गया कि अपीलार्थी/परिवादिनी की भैंस की मृत्‍यु दि0 22.05.1991 को हुई और परिवाद दि0 10.11.1995 को प्रस्‍तुत किया गया है जो समयावधि से बाधित है।

5.        प्रश्‍नगत निर्णय व आदेश के विरुद्ध अपील इन आधारों पर प्रस्‍तुत की गई है कि विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय व आदेश विधि विरुद्ध है।

6.        परिवाद पत्र में स्‍पष्‍ट उल्‍लेख है कि भैंस का बीमा 4500/-रू0 के लिए कराया गया था। भैंस की मृत्‍यु की तिथि परिवाद पत्र में अंकित नहीं है, केवल यह लि‍खा है कि बीमा कराने के छ: माह बाद भैंस की मृत्‍यु हो गई। अत: स्‍पष्‍ट है कि बीमा वर्ष 1991 में कराया गया और छ: माह पश्‍चात यानि वर्ष 1991 के अन्तिम माह में या वर्ष 1992 के प्रारम्भिक माह में अपीलार्थी/परिवादिनी की भैंस की मृत्‍यु हो गई है, जब कि परिवाद दि0 10.11.1995 को प्रस्‍तुत किया गया है जो उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम की धारा 24 के अंतर्गत समयावधि से बाधित है। अत: विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय व आदेश विधिसम्‍मत है, इसमें किसी हस्‍तक्षेप की आवश्‍यकता नहीं प्रतीत होती है। तदनुसार अपील निरस्‍त होने योग्‍य है।           

 

                            आदेश

7.        अपील निरस्‍त की जाती है। विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय व आदेश की पुष्टि की जाती है तथा परिवाद खारिज किया जाता है।

          उभयपक्ष अपना-अपना व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।  

          आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

                                     

    (विकास सक्‍सेना)                           (सुशील कुमार)

       सदस्‍य                                    सदस्‍य

 

शेर सिंह, आशु0

कोर्ट नं0- 2

 

 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. Vikas Saxena]
JUDICIAL MEMBER
 

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