राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
सुरक्षित
अपील सं0-१३/२०१५
(जिला मंच, बस्ती द्वारा परिवाद सं0-०८/२०१४ में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक २९-११-२०१४ के विरूद्ध)
यूनियन बैंक आफ इण्डिया, स्टेशन रोड, गांधीनगर, थाना कोतवाली, बस्ती द्वारा ब्रान्च मैनेजर। ................. अपीलार्थी/विपक्षी।
बनाम्
उमाशंकर पटवा पुत्र स्व0 भगौती प्रसाद पटवा(क्लासिक कन्स्ट्रक्शन) पटवा धर्मकांटा कटरा एन0एच0-२८, कटरा बाई पास पोस्ट गांधी नगर, थाना कोतवाली जिला बस्ती।
.................. प्रत्यर्थी/परिवादी।
समक्ष:-
१. मा0 श्री उदय शंकर अवस्थी, पीठासीन सदस्य।
२. मा0 श्री गोवर्द्धन यादव, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित :- श्री राजेश चड्ढा विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित :- कोई नहीं।
दिनांक : १८-१२-२०१९.
मा0 श्री उदय शंकर अवस्थी, पीठासीन सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील, जिला मंच, बस्ती द्वारा परिवाद सं0-०८/२०१४ में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक २९-११-२०१४ के विरूद्ध योजित की गयी है।
संक्षेप में तथ्य इस प्रकार हैं कि प्रत्यर्थी/परिवादी के कथनानुसार परिवादी ने अपीलार्थी बैंक में कुल ३,९०,०००/- रू० एफ0डी0आर0 के रूप में ०१ वर्ष के लिए ८.२५ प्रतिशत वार्षिक ब्याज के लिए क्रमश: दिनांक २४-०१-२००८ एवं ०४-०२-२००८ को निवेशित किए। यह एफ0डी0आर0 दिनांक २४-०१-२००९ एवं ०४-०२-२००९ को परिपक्व होनी थीं। परिवादी का यह भी कथन है कि दिनांक २१-११-२०१३ को इन एफ0डी0आर0 के नवीनीकरण हेतु कहा गया किन्तु उसे इन एफ0डी0आर0 पर ०५ प्रतिशत ब्याज प्रदान करने हेतु ही सूचित किया गया। अत: परिवादी ने अपीलार्थी बैंक को दिनांक २५-११-२०१३ को नोटिस भेजी तथा बैंक से एफ0डी0आर0 पर ८.२५ प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज
-२-
दिलाए जाने की मांग की। बैंक द्वारा कोई कार्यवाही न किए जाने पर परिवाद जिला मंच के समक्ष प्रस्तुत किया गया।
अपीलार्थी बैंक द्वारा प्रतिवाद पत्र जिला मंच के समक्ष प्रस्तुत किया गया। अपीलार्थी बैंक के कथनानुसार प्रश्नगत एफ0डी0आर0 परिपक्वता अवधि समाप्त हो जाने के उपरान्त एफ0डी0आर0 के आगे निवेशित किए जाने हेतु परिवादी द्वारा कोई निर्देश निर्गत न किए जाने के कारण बैंक द्वारा जारी किए गये तत्कालीन सर्कुलर के अनुसार ब्याज का भुगतान परिवादी को किया गया।
जिला मंच ने यह मत व्यक्त करते हुए कि ब्याज दर में कमी की सूचना परिवादी को बैंक द्वारा दी जानी चाहिए थी किन्तु ऐसी कोई सूचना न दे कर बैंक द्वारा सेवा में कमी की गई। तद्नुसार परिवादी का परिवाद स्वीकार करते हुए अपीलार्थी को निर्देशित किया कि निर्णय की तिथि से साठ दिन के अन्दर परिवादी को जो जमा की गई धनराशि मय ब्याज के भुगतान किया गया है उस धनराशि पर ८.२५ प्रतिशत की दर से धनराशि जमा करने की तिथि से भुगतान की तिथि तक मात्र शेष ब्याज के भुगतान की कार्यवाही सुनिश्चित करे।
इस निर्णय से क्षुब्ध होकर यह अपील योजित की गयी।
हमने अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री राजेश चड्ढा के तर्क सुने तथा अभिलेखों का अवलोकन किया। प्रत्यर्थी की ओर से तर्क प्रस्तुत करने हेतु कोई उपस्थित नहीं हुआ।
अपीलार्थी की ओर से तर्क प्रस्तुत किया गया कि प्रस्तुत प्रकरण में परिवादी द्वारा ०१ वर्ष के लिए धनराशि निवेशित की गई थी। परिपक्वता अवधि बीत जाने के उपरान्त निवेशित धनराशि के आगे निवेशित किए जाने के सन्दर्भ में परिवादी द्वारा कोई निर्देश निर्गत नहीं किया गया। अपीलार्थी के कथनानुसार भारतीय रिजर्व बैंक ने इन्ट्रेस्ट रेट्स आन डिपोजिट एण्ड प्रोसीजर के सम्बन्ध में श्री एच0एन0 सिनार मुख्य कार्यकारी अधिकारी इण्डियन बैंक्स एसोसिएशन की अध्यक्षता में एक कार्य समूह गठित किया। इस कार्य समूह की संस्तुतियों पर विचार करने के उपरान्त भारतीय रिजर्व बैंक ने
-३-
तत्कालीन दिशा निर्देशों में कुछ परिवर्तन किया और यह निर्णय लिया कि कुछ बिन्दुओं को बैंक और उनके बोर्ड के विवेक पर छोड़ दिया जाये। ऐसे बिन्दुओं में टर्म डिपोजिट जो अतिदेय हो गये हों, उनका नवीनीकरण एवं फिक्स डिपोजिट पर देय ब्याज और उसकी गणना की विधि भी शामिल है। भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा लिये गये उपरोक्त निर्णय के परिप्रेक्ष्य में अपीलार्थी बैंक ने अपनी नीतियों को पुनरीक्षित किया जिसे अपीलार्थी बैंक के बोर्ड ने अनुमोदित भी किया। अपीलार्थी बैंक द्वारा पुनरीक्षति नीतियों के सम्बन्ध में एक इन्स्ट्रक्शन सर्कुलर नं0-६९६२ दिनांकित १४-०८-२००४ जारी किया गया, जिसके अनुसार यदि जमाकर्ता द्वारा नवीनीकरण अथवा भुगतान के बारे में कोई निर्देश नहीं दिया जाता तो जमा धनराशि को ९० दिन के लिए स्वत: नवीनीकरण कर दिया जायेगा और इस नवीनीकरण में परिपक्वता की तिथि से देय ब्याज की दर से ब्याज देय होगा और इसी तरह से नवीनीकरण अथवा भुगतान के लिए जमाकर्ता की तरफ से कोई निर्देश न प्राप्त होने पर जमा धनराशि का ९० दिनों के लिए स्वत: नवीनीकरण होता रहेगा। अपीलार्थी के कथनानुसार उपरोक्त सर्कुलर के आलोक में प्रश्नगत एफ0डी0आर0 में ब्याज की गणना की गई एवं परिवादी को भुगतान किया गया। अपील मेमो के साथ अपीलार्थी ने बैंक द्वारा जारी किए गये सर्कुलर दिनांकित १४-०८-२००४ की फोटोप्रति भी दाखिल की है जिससे इस सन्दर्भ में अपीलार्थी के कथन की पुष्टि हो रही है।
जहॉं तक जिला मंच के इस मत का प्रश्न है कि अपीलार्थी बैंक द्वारा ब्याज घटाने के सम्बन्ध में परिवादी को सूचना दी जानी आवश्यक थी, जिला मंच का यह मत त्रुटिपूर्ण है क्योंकि ब्याज में घटौती परिपक्वता अवधि के मध्य नहीं की जा रही थी जबकि मूल परिपक्वता अवधि तक ८.२५ प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज दिए जाने में कोई विवाद नहीं है। परिपक्वता अवधि बीत जाने के उपरान्त निवेशकर्ता द्वारा प्रश्नगत एफ0डी0आर0 के सम्बन्ध में आगे कोई निर्देश न दिए जाने पर बैंक के सर्कुलर के आधार पर एफ0डी0आर0 आगे निवेशित किया गया एवं सर्कुलर के अनुसार ब्याज की गणना की गई। ऐसी परिस्थिति में एफ0डी0आर0 की परिपक्वता अवधि के उपरान्त निवेशकर्ता द्वारा कोई निर्देश न दिए जाने की स्थिति में बैंक के लिए यह आवश्यक नहीं
-४-
माना जा सकता कि नवीनीकरण के सन्दर्भ में निवेशकर्ता को पूर्व सूचना प्रेषित की जाय।
उपरोक्त तथ्यों के आलोक में प्रश्नगत परिवाद के सन्दर्भ में परिपक्वता अवधि के उपरान्त बिना किसी निर्देश के बैंक के सर्कुलर के आधार पर ब्याज की गणना किया जाना त्रुटिपूर्ण नहीं माना जा सकता।
ऐसी परिस्थिति में अपीलार्थी बैंक द्वारा सेवा में त्रुटि किया जाना साबित नहीं है। प्रश्नगत निर्णय पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य का उचित परिशीलन न किए जाने के कारण अपास्त किए जाने योग्य है। अपील तद्नुसार स्वीकार किए जाने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील, स्वीकार की जाती है। जिला मंच, बस्ती द्वारा परिवाद सं0-०८/२०१४ में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक २९-११-२०१४ अपास्त करते हुए परिवाद निरस्त किया जाता है।
उभय पक्ष अपीलीय व्यय अपना-अपना स्वयं वहन करेंगे।
उभय पक्ष को इस निर्णय की प्रमाणित प्रति नियमानुसार उपलब्ध करायी जाय।
(उदय शंकर अवस्थी)
पीठासीन सदस्य
(गोवर्द्धन यादव)
सदस्य
प्रमोद कुमार
वैय0सहा0ग्रेड-१,
कोर्ट-२.