राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
सुरक्षित
अपील संख्या-709/2012
(जिला उपभोक्ता फोरम, वाराणसी द्वारा पारित निर्णय दिनांक 22.08.08 व 07.01.12 के विरूद्ध)
यूनियन बैंक आफ इंडिया, रथ यात्रा क्रासिंग ब्रांच महाराज बाग,
वाराणसी, द्वारा ब्रांच मैनेजर। .........अपीलार्थी/विपक्षी
बनाम्
1. श्रीमती तारा देवी पत्नी श्री बलराम सिंह सी/ओ राघवेन्द्र प्रसाद सिंह
यूनियन बैंक आफ इंडिया, पड़ाव ब्रांच वाराणसी।
2. एम.सी.एस. लि0 हारमनी प्लाट नं0. 6, सेक्टर 1, खान्डा कालोनी
न्यू पानेवल(वेस्ट) मुम्बई 410206 .........प्रत्यर्थी/परिवादिनी
समक्ष:-
1. मा0 श्री राज कमल गुप्ता, पीठासीन सदस्य।
2. मा0 श्री महेश चन्द, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री राजेश चडढा, विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित :कोई नहीं।
दिनांक 24.11.2017
मा0 श्री राज कमल गुप्ता, पीठासीन सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
यह अपील जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम वाराणसी द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दि. 22.08.2008 व 07.01.12 के विरूद्ध प्रस्तुत की गई है। जिला मंच ने अपने आदेश दि. 22.08.08 में निम्न आदेश पारित किया है:-
'' परिवाद स्वीकार किया जाता है। विपक्षी नं0 4 को आदेशित किया जाता है कि वह शेयर का मूल्य मु; 32000/- तथा इस पर परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से भुगतान की तिथि तक 12 प्रतिशत वार्षिक ब्याज एवं वाद व्यय के रूप में मु0 3000/- इस आदेश दो माह के भीतर परिवादिनी को अदा करें, अन्यथा अवधि बीत जाने पर समस्त धनराशि पर 12 प्रतिशत वार्षिक ब्याज भुगतान की तिथि तक देय होगा।''
जिला मंच ने अपने आदेश दि. 07.01.12 के अंतर्गत अपीलार्थी/विपक्षी संख्या 4 द्वारा लिपिकीय त्रुटि को सही करने का प्रार्थना पत्र दिया था उसको निरस्त किया है।
संक्षेप में तथ्य इस प्रकार हैं कि परिवादिनी ने विपक्षी संख्या 5 यूनियन बैंक आफ इंडिया वाराणसी से रू. 32000/- में 200 इक्विटी शेयर्स क्रय किया। उसने इन शेयर्स को डिमैट करने हेतु विपक्षी संख्या 4 के यहां जमा किया। विपक्षी संख्या 3 एमसीएस लि0
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शेयर्स के डिमैट एवं ट्रांसफर का कार्य करते हैं। शेयर्स को जमा किए जाने के 9 माह बाद विपक्षी संख्या 2 ने एक पत्र विपक्षी संख्या 3 के यहां भेजा। बाद में विपक्षी संख्या 2 के कार्यालय में ये शेयर वापस आ गये क्योंकि विपक्षी संख्या 3 का कार्यालय बदल गया था। यह शेयर न तो डिमैट हुए और न ही वापस प्राप्त हुए। विपक्षी संख्या 2 ने इन शेयर्स के अंतरण पर धारक की अनुमति के बिना रोक लगा दी। परिवादिनी के अनुसार जमा किए गए शेयर्स न तो वापस प्राप्त हुए और न ही डिमैट हुए।
जिला मंच के समक्ष विपक्षीगण 1, 2, 4 व 5 ने अपना प्रतिवाद पत्र प्रस्तुत किया। विपक्षी संख्या 3 तामीला के उपरांत भी जिला मंच के समक्ष उपस्थित नहीं आया, अत: उसके विरूद्ध एकपक्षीय कार्यवाही की गई। विपक्षीगण 1 व 4 ने अपने लिखित कथन में इस तथ्य को स्वीकार किया कि परिवादिनी को 200 इक्विटी शेयर्स फोलियो संख्या 00327575 द्वारा आवंटित किए गए इन शेयर्स को विपक्षी संख्या 4 के यहां डिमैट हेतु जमा कराया गया था। चूंकि विपक्षी संख्या 4 मैनेजर डिपाजिटरी सर्विस इस निमित्त भिन्न एजेन्सी थे, अत: यह शेयर विपक्षी संख्या 2 के यहां वापस आ गए जिन्होंने दि. 05.05.2006 को विपक्षी संख्या 3 एमसीएस लि0 मुम्बई के यहां भेजा, जहां से कार्यालय का पता बदल जाने के कारण वापस आ गए, इन्हें पुन: भेजा गया और पत्राचार करने पर विपक्षी संख्या 3 ने सूचित किया कि उन्हें यह शेयर्स नहीं प्राप्त हुए हैं। विपक्षी संख्या 3 से पत्राचार किए जाने पर विपक्षी संख्या 3 के यहां से न तो शेयर्स प्राप्त हुए और न ही वे डिमैट हुए। विपक्षी संख्या 1, 2 व 4 का कथन है कि उन लोगों द्वारा सेवा में कोई त्रुटि नहीं की गई है
पीठ ने अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता की बहस सुनी एवं पत्रावली पर उपलब्ध अभिलेखों एवं साक्ष्यों का भलीभांति परिशीलन किया गया। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।
जिला मंच का आदेश दि. 22.08.2008 का है और अपील दि. 11.04.12 को प्रस्तुत की गई है। आयोग की पूर्व पीठ द्वारा दि. 17.04.12 को अपने आदेश के अंतर्गत अपील प्रस्तुत करने में हुए विलम्ब को क्षमा किया जा चुका है।
अपीलार्थी ने अपील आधार में यह अभिकथन किया है कि जिला मंच का निर्णय त्रुटिपूर्ण, मनमाना व तथ्यों पर आधारित नहीं है। परिवादिनी अपने आवंटित शेयर के संबंध में निर्गत लाभांश प्राप्त कर रहा है, अत: जिला मंच का यह आदेश विधिनुकूल नहीं है कि
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रू. 32000/- की धनराशि परिवादिनी को वापस की जाए। अपीलार्थी द्वारा सेवा में कोई कमी नहीं की गई है, क्योंकि शेयर के डीमैटिरियलाइजेश का कार्य बैंक के रजिस्ट्रार एम.सी.एस. लि0 द्वारा किया जाता है।
इस प्रकरण में मुख्य विवाद का बिन्दु यह है कि परिवादी ने जो अपने 200 शेयर्स डीमैट के लिए विपक्षी संख्या 4 के माध्यम से भेजे थे, वे शेयर्स डीमैट नहीं हुए। पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्यों से यह स्पष्ट है कि परिवादी द्वारा यूनियन बैंक आफ इंडिया के शेयर्स को क्रय करने के लिए रू. 32000/- की धनराशि जमा की थी। परिवादी को 200 शेयर्स 3200/- मूल्य के आवंटित हुए और रू. 28800/- उसको दि. 19.09.2000 के रिफंड वाउचर के माध्यम से वापस हो गए। परिवादिनी ने दि. 19.09.2006 को इन 200 शेयर्स को डीमैट कराने के लिए यूनियन बैंक आफ इंडिया रथयात्रा वाराणसी के माध्यम से भेजा। यूनियन बैंक आफ इंडिया ने इन शेयर्स को अपने शेयर्स ट्रांसफर एजेन्ट एम.सी.एस. लि0 को भेजा, परन्तु यह शेयर परिवादी के एकाउन्ट में डीमैट होकर नहीं आए। इस संबंध में यूनियन बैंक आफ इंडिया की वाराणसी ब्रांच ने दि. 28.10.2006 व 05.10.2006 को पत्र लिखे। यूनियन बैंक आफ इंडिया ने दि. 30.10.2006 को भी एम.सी.एस लि0 को डीमैटिरियलाइजेशन के संबंध में पत्र लिखा। एम.सी.एस. लि0(शेयर ट्रांसफर एजेन्ट) ने अपने पत्र दि. 16.01.2007 द्वारा यूनियन बैंक को यह अवगत कराया कि उनके अभिलेखों के अनुसार शेयर्स सर्टिफिकेट डिमैट हेतु प्राप्त नहीं हुए हैं। मै0 एम.सी.एस. लि. (विपक्षी संख्या 3) यूनियन बैंक आफ इंडिया ने अपने पत्र दि. 16.01.2007 के प्रस्तर-5 में निम्न प्रकार सुझाव दिया:-
(5) '' THE ABOVESAID DRN HAS BEEN REJECTED DUE TO THE TECHNICAL REASON / STOP TRANSFER/DOCUMENT NOT RECEIVED WITHIN 21 DAYS, SINCE THE MATTER HAS NOW BEEN CLEARED. WE WOULD REQUEST YOU TO CREATE A FRESH DRN REQUEST FOR YOUR ABOVE CLIENT TO ENABLE US TO CONFIRM DEMAT IN NSDL/CDSL SYSTEM.''
इस संबंध में विपक्षी यूनियन बैंक आफ इंडिया ने विपक्षी संख्या 3 से मार्ग निर्देशन मांगा जैसाकि लिखित कथन के प्रस्तर-5 में अंकित किया गया है, परन्तु विपक्षी संख्या 3 ने कोई जवाब नहीं दिया है।
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यह तथ्य निर्विवाद है कि परिवादिनी को 200 शेयर्स यूनियन बैंक आफ इंडिया के रू. 3200/- मूल्य के आवंटित हुए और उनके द्वारा जमा कराई गई रू. 32000/- की धनराशि में से रू. 28800/- भी रिफंड वाउचर के माध्यम से वापस किया जा चुकी है, केवल प्रश्न यह है कि 200 शेयर्स डीमैट नहीं हुए है, और इसके लिए कौन जिम्मेदार है। इस संबंध में जिम्मेदारी मुख्य रूप से यूनियन बैंक आफ इंडिया तथा उसके द्वारा नियुक्त शेयर ट्रांसफर एजेन्ट एम.सी.एस. लि. विपक्षी संख्या 3 की है। पत्रावली पर उपलब्ध परिवादी के बैंक एकाउन्ट से यह स्पष्ट है कि उक्त आवंटित शेयरों का लाभांश परिवादी को प्राप्त हो रहा है जो यह सिद्ध करता है कि शेयर वास्तविक रूप में उसी के नाम हैं परन्तु इतना अवश्य है कि शेयर डीमैट न होने से परिवादी इन शेयरों की खरीद फरोख्त नहीं कर पा रहा है, इसके लिए यूनियन बैंक आफ इंडिया एवं शेयर ट्रांसफर एजेन्ट एम.सी.एस. लि0 दोनों ही जिम्मेदार हैं, क्योंकि शेयर ट्रांसफर एजेन्ट कंपनी द्वारा ही नियुक्त किए जाते हैं। अपीलार्थी को इस संबंध में पूर्व में ही अपनी कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर, कंपनी सेक्रेटरी व वरिष्ठ अधिकारियों को लिखना चाहिए था। कंपनी और कंपनी के ट्रांसफर एजेन्ट की लापरवाही के कारण परिवादिनी के शेयर ट्रांसफर नहीं हो पा रहे हैं। विपक्षी संख्या 3 को शेयर डीमैट के संबंध में अपीलार्थी एवं परिवादिनी को अवगत कराना चाहिए था कि उसे क्या-क्या औपचारिकतायें पूर्ण करनी है। जिससे यथाशीघ्र शेयर डीमैट हो सके। अत: इस प्रकरण में यह स्पष्ट है कि कंपनी यूनियन बैंक आफ इंडिया एवं शेयर ट्रांसफर एजेन्ट एम.सी.एस. लि0 द्वारा लापरवाही बरती गई तथा शेयर डीमैट हेतु प्रभावी कार्यवाही नहीं की गई, परन्तु जिला मंच ने 12 प्रतिशत ब्याज सहित शेयर का मूल्य रू. 32000/- के भुगतान का आदेश, जो प्रश्नगत आदेश पारित किया है उसका कोई औचित्य नहीं था, क्योंकि परिवादिनी को 200 शेयर रू. 3200/- मूल्य के आवंटित हो चुके हैं और रू. 28800/- की धनराशि रिफंड वाउचर दि. 19.09.2002 के माध्यम से वापस किए जा चुके हैं, अत: जिला मंच का आक्षेपित आदेश निरस्त किए जाने योग्य है, परन्तु शेयर डीमैट किए जाने की पूर्ण जिम्मेदारी विपक्षी यूनियन बैंक आफ इंडिया व विपक्षी संख्या 3 एम.सी.एस. लि0 की है जिन्होंने निश्चित रूप से सेवा में कमी की है। तदनुसार अपील आंशिक रूप से स्वीकार किए जाने योग्य है।
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आदेश
प्रस्तुत अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। जिला मंच का आदेश दि. 22.08.2008 निरस्त किया जाता है। विपक्षी संख्या 1, 2 4 व 5 तथा विपक्षी संख्या 3 को संयुक्त रूप से एवं प्रृथक-प्रृथक निर्देशित किया जाता है कि वे परिवादिनी के 200 शेयर्स इस आदेश की तिथि से 3 माह के अंदर औपचारिकताएं पूर्ण कराकर डीमैट कर दें तथा विपक्षी संख्या 1, 2, 4 व 5 संयुक्त रूप से तथा विपक्षी संख्या 3 एम.सी.एस. लि0 प्रृथक से रू. 5000/- - 5000/- की धनराशि परिवादिनी को मानसिक क्षतिपूर्ति के रूप में अदा करें।
पक्षकारान अपना-अपना अपीलीय व्यय स्वयं वहन करेंगे।
निर्णय की प्रतिलिपि पक्षकारों को नियमानुसार उपलब्ध कराई जाए।
(राज कमल गुप्ता) (महेश चन्द)
पीठासीन सदस्य सदस्य
राकेश, आशुलिपिक
कोर्ट-5