राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
सुरक्षित
अपील संख्या-3095/2001
(जिला उपभोक्ता फोरम, द्वितीय लखनऊ द्वारा परिवाद संख्या-772/99 में पारित निर्णय दिनांक 30.11.2000 के विरूद्ध)
यूनियन बैंक आफ इंडिया, चांदगंज ब्रांच लखनऊ द्वारा चीफ मैनेजर।
.....अपीलार्थी/विपक्षी
बनाम
सुरेन्द्र कुमार सोब्ती पुत्र स्व0 दीनानाथ सोब्ती सी/ओ श्री केशव दत्त
निवासी 563/10 चित्रगुप्त नगर, आलमबाग लखनऊ-5 व दो अन्य।
......प्रत्यर्थीगण/परिवादी
समक्ष:-
1. मा0 श्री राजेन्द्र सिंह, सदस्य।
2. मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री राजेश चडढा, विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थीगण की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक 10.05.2022
मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या 772/99 एस.के. सोब्ती बनाम यू.टी.आई. न्यू दिल्ली में पारित निर्णय व आदेश दिनांक 30.11.2000 के विरूद्ध यह अपील स्टेट बैंक आफ इंडिया ने इन आधारों पर प्रस्तुत की गई है कि अपीलार्थी बैंक को अनावश्यक पक्षकार बनाया गया है। जिला उपभोक्ता मंच ने अनावश्यक रूप से बैंक के संबंध में टिप्पणी अपने निर्णय में अंकित की है।
2. केवल अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता को सुना। प्रश्नगत निर्णय/आदेश व पत्रावली का अवलोकन किया गया। प्रत्यर्थीगण की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।
3. परिवाद पत्र के अवलोकन से ज्ञात होता है कि विपक्षी संख्या 1 यूनिट ट्रस्ट आफ इंडिया तथा विपक्षी संख्या 2 एम.एन. दस्तूर कंपनी को पक्षकार बनाया गया है। जिला उपभोक्ता मंच द्वारा जो निर्णय पारित किया गया है
-2-
वह विपक्षीगण के विरूद्ध है, यानी अपीलार्थी बैंक के विरूद्ध पारित नहीं किया गया है। बैंक आफ इंडिया के संबंध में केवल यह उल्लेख किया गया है कि बैंक से इस आशय की पुष्टि कर ली जा चुकी है कि अंकन रू. 17037/- की धनराशि बैंक में जमा नहीं हुई है। इस तथ्य की पुष्टि बैंक से करने का निर्देश देने पर बैंक के विरूद्ध किसी भी प्रकार का आदेश पारित नहीं है, बैंक से कोई भी व्यक्ति/खाताधारक इस आशय की सूचना प्राप्त कर सकता है कि उसके खाते में कोई धनराशि जमा हुई या नहीं, अत: बैंक द्वारा यह अपील अनावश्यक रूप से प्रस्तुत की है, बैंक को अपील प्रस्तुत करने का यथार्थ में कोई अवसर नहीं था। अपीलार्थी बैंक परिवाद में पक्षकार भी नहीं है, बैंक को किसी प्रकार का आदेश जारी नहीं किया गया है, अत: अपील खारिज होने योग्य है।
आदेश
अपील खारिज की जाती है।
उभय पक्ष अपना-अपना अपीलीय व्यय भार स्वयं वहन करेंगे।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस आदेश को आयोग की
वेबसाइड पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(राजेन्द्र सिंह) (सुशील कुमार) सदस्य सदस्य
निर्णय आज खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित, दिनांकित होकर उद्घोषित
किया गया।
(राजेन्द्र सिंह) (सुशील कुमार) सदस्य सदस्य
राकेश, पी0ए0-2, कोर्ट-2