Uttar Pradesh

StateCommission

A/2003/808

Union Bank Of India - Complainant(s)

Versus

Smt. Sheela Devi - Opp.Party(s)

Subhash Goswami And Rajesh Chadha

07 Mar 2022

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2003/808
( Date of Filing : 28 Mar 2003 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Union Bank Of India
Jhansi
...........Appellant(s)
Versus
1. Smt. Sheela Devi
Jhansi
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Rajendra Singh PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 07 Mar 2022
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

सुरक्षित

अपील संख्‍या-808/2003

(जिला उपभोक्‍ता फोरम, झांसी द्वारा परिवाद संख्‍या-65/2000 में पारित निर्णय दिनांक 24.10.2002 के विरूद्ध)

यूनियन बैंक आफ इंडिया, मेन ब्रांच सिविल लाइन्‍स झांसी द्वारा ड्यूली

अथराइज्‍ड आफीसर।                             .....अपीलार्थी/विपक्षी

बनाम

 

श्रीमती शीला देवी पत्‍नी श्री द्वारिका प्रसाद सेठ व एक अन्‍य।

                                        ......प्रत्‍यर्थीगण/परिवादीगण

समक्ष:-

1. मा0 श्री राजेन्‍द्र सिंह, सदस्‍य।

2. मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्‍य।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित  : श्री राजेश चडढा, विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित  : श्री एच0के0 श्रीवास्‍तव, विद्वान अधिवक्‍ता।

दिनांक 29.03.2022

मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

1.   परिवाद संख्‍या 65/2000 श्रीमती शीला देवी व एक अन्‍य बनाम यूनियन बैंक आफ इंडिया में पारित निर्णय व आदेश दिनांक 24.10.2002 के विरूद्ध यह अपील प्रस्‍तुत की गई है। परिवाद स्‍वीकार करते हुए बैंक को आदेशित किया गया है कि परिवादी द्वारा जमा राशि रू. 24000/- तथा इस राशि पर दि. 14.03.95 से भुगतान की तिथि तक 12 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज के साथ परिवादिनी को लौटाया जाए।

2.   परिवाद के तथ्‍य इस प्रकार हैं कि परिवादीगण ने दि. 14.3.95 को रू. 24000/- की धनराशि सावधि जमा योजना के अंतर्गत विपक्षी बैंक में दो वर्ष की अवधि के लिए निवेश की थी। परिपक्‍वता अवधि पर पुन: 2 वर्ष के लिए नवीनीकरण कराने का अनुरोध किया, परन्‍तु नवीनीकरण नहीं किया गया तथा रसीद प्राप्‍त नहीं कराई गई। कई बार पत्र भेजे गए, परन्‍तु उत्‍तर नहीं दिया गया। दि. 14.12.99 को विधिक नोटिस भेजा गया। जवाब यह

-2-

दिया गया कि परिपक्‍वता धनराशि अंकन रू. 39588/- मेसर्स अरूण एजेन्‍सी के खाते में दि. 25.09.99 को समायोजित कर लिए गए हैं, जबकि परिवादीगण द्वारा मेसर्स अरूण एजेन्‍सी के ऋण में समायोजित करने की कोई सहमति नहीं दी थी न ही रसीद को कभी बतौर सिक्‍योरिटी बंधक रखा था। परिवादीगण कभी भी अरूण एजेन्‍सी के जामिनदार नहीं रहे, अत: इस राशि को प्राप्‍त करने के लिए परिवाद प्रस्‍तुत किया गया।

3.   विपक्षी बैंक एफ.डी.आर. बनाने के तथ्‍य को स्‍वीकार कर लिया है, परन्‍तु उल्‍लेख किया गया कि अरूण कुमार गुप्‍ता परिवादिनी संख्‍या 1 का पुत्र है। उसने अरूण एजेन्‍सी के लिए दि. 15.11.01 को एक लाख रूपये कैश क्रेडिट के लिए प्राप्‍त की थी। इस राशि का भुगतान नहीं किया गया। परिवादिनी संख्‍या 1 के पति श्री द्वारिका प्रसाद सेठ ने गारंटी दी थी और उन्‍होंने ही प्रश्‍नगत डी.आर.सी को ऋण के सिक्‍योरिटी के रूप में रखा था। इस राशि को समायोजन करने का बैंक को पूरा अधिकार था। डी.आर.सी की परिपक्‍वता धनराशि रू. 39588/- अरूण एजेन्‍सी के ऋण खाते में समायोजन कर लिए गए हैं। अरूण एजेन्‍सी पर रू. 138099.37 पैसे बकाया है। बैंक द्वारा सेवा में कोई कमी नहीं की गई है।  

4.   दोनों पक्षकारों के साक्ष्‍य पर विचार करने के पश्‍चात जिला उपभोक्‍ता मंच द्वारा यह निष्‍कर्ष दिया गया कि बैंक द्वारा अवैधानिक रूप से समायोजन किया गया है, इसलिए परिवादीगण इस राशि को प्राप्‍त करने के लिए अधिकृत है।

5.   इस निर्णय व आदेश को इन आधारों पर चुनौती दी गई है कि जिला उपभोक्‍ता मंच ने अवैधानिक निर्णय पारित किया है, एक फर्जी कहानी तैयार की गई और जमा धनराशि को स्‍त्री धन बताया गया। जिला

-3-

उपभोक्‍ता मंच ने अवैध रूप से परिवादीगण के कथन को स्‍वीकार किया, जबकि बैंक अपने ऋण के बदले में धनराशि का समायोजन किया है। जिला उपभोक्‍ता मंच का यह निष्‍कर्ष भी विधिसम्‍मत नहीं है कि यह धन स्‍त्री धन है। परिवार का कर्ता परिवार की संपत्ति को गिरवी रखने के लिए अधिकृत है। प्रस्‍तुत केस में जो राशि परिवादीगण द्वारा जमा की गई है वह यथार्थ में परिवार के कर्ता की राशि थी, इसलिए जिला उपभोक्‍ता मंच ने अवैध निर्णय पारित किया है।

6.   दोनों पक्षकारों के विद्वान अधिवक्‍ताओं को सुना। प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश व पत्रावली का अवलोकन किया गया।

7.   इस बिन्‍दु पर कोई विवाद नहीं है कि परिवादिनी संख्‍या 1 के पुत्र द्वारा बैंक के लिखित कथन का कोई खंडन नहीं किया गया। इसी प्रकार इस तथ्‍य का भी कोई खंडन नहीं किया गया कि परिवादिनी संख्‍या 1 के पुत्र अरूण एजेन्‍सी पर ऋण की राशि बकाया है, जिसकी वसूली की कार्यवाही की जा रही है। बैंक के इस तर्क का भी कोई खंडन नहीं किया गया कि परिवादिनी संख्‍या 1 के पति द्वारा परिवादिनीगण द्वारा जमा राशि बतौर कर्ता अरूण एजेन्‍सी को दिए गए ऋण की सुरक्षा के लिए बतौर जमानत की गई थी।

8.   जिला उपभोक्‍ता मंच ने अपने निर्णय में यह उल्‍लेख किया है कि परिवादीगण ने मेसर्स अरूण एजेन्‍सी के ऋण की सिक्‍योरिटी के रूप में इस राशि को कभी भी बैंक में बंधक नहीं रखा और समायोजन के लिए कभी कोई अनुरोध नहीं किया, इसलिए अंकन रू. 39588/- की राशि का समायोजन गैरकानूनी है। स्‍वयं परिवाद पत्र में यह उल्‍लेख है कि दूसरी बार राशि जमा करने पर बैंक द्वारा रसीद उपलब्‍ध नहीं कराई गई। चूंकि बैंक

-4-

द्वारा इस राशि का समायोजन किया जा चुका था, इसलिए रसीद उपलब्‍ध कराने का कोई अवसर नहीं था। जमा राशि की रसीद एनेक्‍सर संख्‍या 1 के रूप में पत्रावली पर मौजूद है। इस रसीद पर टिप्‍पणी अंकित है कि अरूण एजेन्‍सी के ऋण के लिए इस जमा को बैंक के पास सुरक्षित रखा गया है, अत: बैंक द्वारा इस राशि को अवैधानिक रूप से अरूण एजेन्‍सी द्वारा लिए गए ऋण के एवज में समयोजित किया गया है। जिला उपभोक्‍ता मंच द्वारा पारित निर्णय तथ्‍य एवं विधिक स्थिति के विपरीत है। तदनुसार अपील स्‍वीकार होने योग्‍य है।

आदेश

9.   अपील स्‍वीकार की जाती है। जिला उपभोक्‍ता मंच द्वारा पारित निर्णय व आदेश अपास्‍त किया जाता है।

     उभय पक्ष अपना-अपना अपीलीय व्‍यय भार स्‍वयं वहन करेंगे।

     आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस आदेश को आयोग की

वेबसाइड पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

         

       (राजेन्‍द्र सिंह)                      (सुशील कुमार)                                                                                                                                                 सदस्‍य                             सदस्‍य

निर्णय आज खुले न्‍यायालय में हस्‍ताक्षरित, दिनांकित होकर उद्घोषित किया गया।

 

        (राजेन्‍द्र सिंह)                        (सुशील कुमार)                                                                                                                                                  सदस्‍य                             सदस्‍य         

राकेश, पी0ए0-2

कोर्ट-2

 
 
[HON'BLE MR. Rajendra Singh]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
JUDICIAL MEMBER
 

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