Uttar Pradesh

StateCommission

A/2008/894

D R M Railway - Complainant(s)

Versus

Smt Parul Bhargva - Opp.Party(s)

P P Srivastav

22 Mar 2022

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2008/894
( Date of Filing : 08 May 2008 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District )
 
1. D R M Railway
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Smt Parul Bhargva
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Rajendra Singh PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 22 Mar 2022
Final Order / Judgement

                                                (सुरक्षित)                                             

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

                                                                                  अपील संख्‍या- 894/2008

 

(जिला उपभोक्‍ता आयोग, इलाहाबाद द्वारा परिवाद संख्‍या- 190/2003 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 23-02-2008 के विरूद्ध)

  

1- डी०आर०एम० उत्‍तर मध्‍य रेलवे नवाब यूसफ रोड, इलाहाबाद

2- स्‍टेशन सुप्रीटेंडेंट/स्‍टेशन मास्‍टर मेरठ रेलवे स्‍टेशन मेरठ।

                                                             अपीलार्थी/विपक्षीगण

                              बनाम  

श्रीमती पारूल भार्गव पत्‍नी श्री अरविन्‍द भार्गव निवासी- 31-ए कचेहरी रोड, इलाहाबाद।

                                                          प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी

मक्ष:-  

 माननीय श्री राजेन्‍द्र सिंह, सदस्‍य

 माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य

 

अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित : विद्वान अधिवक्‍ता श्री पी०पी० श्रीवास्‍तव

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित :     कोई उपस्थित नहीं।

 

दिनांक. -30-03-2022

माननीय सदस्‍य श्री राजेन्‍द्र सिंह, द्वारा उदघोषित

                                                                                            निर्णय

      प्रस्‍तुत अपील, परिवाद संख्‍या- 190 सन् 2003 श्रीमती पारूल भार्गव  बनाम डी०आर०एम० उत्‍तर मध्‍य रेलवे व एक अन्‍य में जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, इलाहाबाद द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनांक        23-02-2008 के विरूद्ध धारा-15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अन्‍तर्गत राज्‍य आयोग के समक्ष प्रस्‍तुत की गयी है।

     संक्षेप में अपीलार्थीगण का कथन है कि विद्वान जिला आयोग, इलाहाबाद द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 23-02-2008 विधि विरूद्ध और पक्षपातपूर्ण, एवं तथ्‍यों को देखे बगैर मनमाने तौर पर पारित किया

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गया है। विद्वान जिला आयोग ने इस बिन्‍दु पर विचार नहीं किया कि किराया वापस करने का अधिकार माननीय फोरम को प्राप्‍त नहीं है क्‍योंकि प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी ने अपनी यात्रा शुरू से अंत तक पूरी की है। विद्वान जिला आयोग ने प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी द्वारा लगाए गये आरोप कि दिनांक 15-03-2003 को संगम एक्‍सप्रेस से इलाहाबाद से मेरठ जाते समय कोच में अनाधिकृत यात्री थे को टी०टी०ई श्री एम०के० डाबरानी के शपथ-पत्र कि उक्‍त कोच में दिनांक 15-03-2003 को जनरल टिकट को डिफरेंस चार्ज लेकर बनाया गया तथा उसके बावजूद भी उक्‍त्‍ कोच की पांच बर्थें खाली थीं को सही माना। किन्‍तु बिना किसी साक्ष्‍य को देखे दिनांक 12-04-2003 को नौचन्‍दी एक्‍सप्रेस के कोच कण्‍डक्‍टर श्री हरि बाबू के सशपथ बयान कि उन्‍होंने प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी व उनके साथी को रैली समर्थकों से विशेष प्रार्थना कर बर्थ खाली कराकर परिवादिनी व उनके साथी को बर्थ प्राप्‍त करायी, को नजरअंदाज करते हुए निर्णय पारित किया है। विद्वान जिला आयोग को वाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार प्राप्‍त नहीं है। प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी ने कोई भी शिकायत रेलवे प्रशासन से नहीं की है। रैली की भीड़ आने पर नियंत्रण रेलवे के अधिकार क्षेत्र से बाहर है और जिस राज्‍य से ट्रेन गुजरती है वहॉ कानून व्‍यवस्‍था की देखरेख संबंधित राज्‍य के पुलिस प्रशासन द्वारा की जाती है। अत: इन परिस्थितियों में माननीय राज्‍य आयोग से निवेदन है कि विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश को अपास्‍त करते हुए प्रस्‍तुत अपील स्‍वीकार की जाए।   

     हमने अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री पी०पी० श्रीवास्‍तव को सुना  और पत्रावली का सम्‍यक रूप से परिशीलन किया। प्रत्‍यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ है। प्रत्‍यर्थी पर दिनांक 19-11-2018 को नोटिस का तामीला पर्याप्‍त माना जा चुका है।

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     हमने पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त साक्ष्‍यों एवं विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश का अवलोकन किया।

      वर्तमान मामले में अपीलार्थी ने यह माना है कि वापसी में रैली के कारण प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी को बैठने की जगह नहीं दी गयी और बाद में उसके लिए बर्थ प्रदान करायी गयी। हमने प्रश्‍नगत निर्णय का अवलोकन किया। विद्वान जिला आयोग ने समस्‍त तथ्‍यों पर विस्‍तृत विचार करते हुए यह पाया कि रैली ब०स०पा० की थी। टिकट निरीक्षक हापुड़ में उतर गये और उन्‍होंने कहा कुछ नहीं हो सकता है। यह स्‍पष्‍ट है कि जब कोई रैली किसी राजनीतिक दल की अचानक रेलवे के हर कोच में अनाधिकृत रूप से प्रवेश करती है और आरक्षित कोच में अपना कब्‍जा जमा लेते हैं जिससे आरक्षण प्राप्‍त व्‍यक्ति को खड़े होकर यात्रा करनी पड़ती है। प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी की ओर से यह भी कहा गया है कि वह संगम एक्‍सप्रेस में दिनांक 15-03-2003 को द्धितीय श्रेणी में इलाहाबाद से मेरठ जा रही थी और उनके साथ उनका पुत्र और पुत्री भी यात्रा कर रहे थे तभी अचानक रैली की भीड़ उनके कोच में चढ़ गयी जिससे उनको अत्‍यधिक परेशानी हुयी तथा शारीरिक और मानसिक कष्‍ट भी उठाना पड़ा। यह आम तथ्‍य है कि दैनिक यात्री भी आरक्षित कोचों में चढ़ जाते हैं और उन्‍हें कण्‍डक्‍टर कभी कुछ नहीं कहते हैं क्‍योंकि उनको एक स्‍टेशन से दूसरे स्‍टेशन तक जाना होता है जिनके सामने वह विवश होते हैं। परिवादिनी की कोई रंजिश रेलवे विभाग से नहीं है कि वह गलत तथ्‍यों को सामने रखे और परिवाद झूठे आधार पर दायर करने के लिए कोर्ट के समक्ष आए। सन् 2003 में रेलवे की हालत अत्‍यन्‍त दयनीय थी और प्रत्‍येक कोच में चाहे वह आरक्षित ही हो दैनिक यात्री चढ़कर यात्रा करते थे जिसके कारण आरक्षित कोच वाले व्‍यक्तियों को कष्‍ट उठाना पड़ता था। आरक्षित कोच में प्रवेश न देने का अधिकार कण्‍डक्‍टर

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का होता है और यह कहना कि यह कार्य पुलिस प्रशासन का होता है लागू नहीं होता है। रेलवे के पास उनकी अपनी पुलिस व्‍यवस्‍था होती है और उसकी सहायती ली जा सकती है। ऐसा कोई मेमो प्रस्‍तुत नहीं किया गया है कि उन्‍होंने अवैध यात्रियों को कोच से बाहर निकालने के लिए पुलिस प्रशासन की मदद ली हो।

       समस्‍त तथ्‍यों पर विचार करने के उपरान्‍त हम इस निष्‍कर्ष पर पहॅुचते हैं कि वर्तमान मामले में विद्वान जिला आयोग द्वारा दिया गया निर्णय एवं आदेश दिनांक 23-02-2008  विधि सम्‍मत एवं उचित है और उसमें किसी हस्‍तक्षेप की आवश्‍यकता नहीं प्रतीत होती है। तदनुसार वर्तमान अपील निरस्‍त किये जाने योग्‍य है।  

  आदेश

  प्रस्‍तुत अपील निरस्‍त की जाती है और विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 23-02-2008 की पुष्टि की जाती है।

  उभय-पक्ष अपना-अपना वाद व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

     आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस आदेश को आयोग की वेबसाइड पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

 

(सुशील कुमार)                              (राजेन्‍द्र सिंह)

  सदस्‍य                                     सदस्‍य

        निर्णय आज दिनांक- 30-03-2022 को खुले न्‍यायालय में हस्‍ताक्षरित/दिनां‍कित होकर उद्घोषित किया गया।

 

(सुशील कुमार)                                                (राजेन्‍द्र सिंह)             

      सदस्‍य                                         सदस्‍य

 

कृष्‍णा–आशु0 कोर्ट-2

 
 
[HON'BLE MR. Rajendra Singh]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
JUDICIAL MEMBER
 

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