( मौखिक )
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ।
अपील संख्या : 1282/2023
एच0डी0एफ0सी0 बैंक लिमिटेड, द्वारा ब्रांच मैनेजर, एच0डी0एफ0सी0 हाऊस।
बनाम्
श्रीमती गायत्री पाण्डेय पत्नी श्री शीतला प्रसाद निवासिनी 750 कर्नलगंज, जिला इलाहाबाद।
समक्ष :-
1-मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष।
उपस्थिति :
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित- श्री बृजेन्द्र चौधरी।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित- कोई नहीं।
दिनांक : 03-08-2023
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित निर्णय
परिवाद संख्या-416/2016 श्रीमती गायत्री पाण्डेय बनाम शाखा प्रबन्धक, एच0डी0एफ0सी0 बैंक में जिला उपभोक्ता आयोग, प्रयागराज द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनांक 24-05-2023 के विरूद्ध यह अपील उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत इस न्यायालय के सम्मुख प्रस्तुत की गयी है।
विद्धान जिला आयोग द्वारा निर्णय एवं आदेश के द्वारा परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए निम्न आदेश पारित किया गया है :-
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‘’परिवादिनी का परिवाद आंशिक रूप से एकपक्षीय आज्ञप्त किया जाता है। विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि परिवादिनी को फिक्स डिपाजिट की परिपक्वता धनराशि 5,47,411/-रू0 मय 08 प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्याज सहित (परिपक्वता तिथि 31-01-2013 से अंतिम भुगतान की तिथि तक) का भुगतान करना सुनिश्चित करें। परिवादिनी, विपक्षी से मानसिक क्षतिपूर्ति के रूप में मु0 5,000/-रू0 व वाद व्यय के रूप में मु0 2,000/-रू0 भी प्राप्त करने के अधिकारिणी है।‘’
अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी की ओर से विद्धान अधिवक्ता श्री बृजेन्द्र चौधरी उपस्थित। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।
अपीलार्थी बैंक के विद्धान अधिवक्ता श्री बृजेन्द्र चौधरी द्वारा मेरे सम्मुख जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश की ओर मेरा ध्यान आकर्षित किया गया तथा कहा गया कि जिला आयोग के समक्ष योजित परिवाद के संबंध में अपीलार्थी बैंक को किसी प्रकार की कोई सूचना न तो प्राप्त करायी गयी और न ही सूचना प्राप्त किये जाने के संबंध में कोई तथ्य जिला आयोग द्वारा उल्लिखित किया गया इस कारण वह अपना पक्ष जिला आयोग के सम्मुख प्रस्तुत नहीं कर सके।
मेरे द्वारा जिला आयोग के निर्णय एवं आदेश का सम्यक परिशीलन एवं परीक्षण किया गया तथा यह पाया गया कि जिला आयोग द्वारा अपीलार्थी बैंक को समुचित सुनवाई का अवसर प्रदान नहीं किया गया है और न ही परिवाद में विपक्षी को नोटिस प्राप्त होने या प्रेषित किये जाने का ही तथ्य उल्लिखित पाया गया।
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अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता को सुनने तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों एवं जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश का सम्यक परिशीलन करने के पश्चात मैं इस मत हूँ कि चूंकि जिला आयोग द्वारा बिना विपक्षी को साक्ष्य एवं सुनवाई का अवसर प्रदान किये परिवाद को एकपक्षीय रूप से स्वीकार किया है जिससे अपीलार्थी जिला आयोग के समक्ष अपना पक्ष प्रस्तुत नहीं कर सका। अत: न्यायहित में अपीलार्थी को अपना पक्ष प्रस्तुत करने हेतु एक अवसर प्रदान किया जाना न्यायोचित प्रतीत होता है। तदनुसार अपील स्वीकार की जाती है, विद्धान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश अपास्त किया जाता है तथा पत्रावली जिला आयोग को इस निर्देश के साथ प्रत्यावर्तित की जाती है कि जिला आयोग परिवाद को अपने मूल नम्बर पर प्रतिस्थापित करते हुए उभयपक्ष को साक्ष्य और सुनवाई का समुचित अवसर प्रदान करते हुए परिवाद का निस्तारण गुणदोष के आधार पर 06 माह की अवधि में किया जाना सुनिश्चित करें।
उभयपक्ष जिला आयोग के सम्मुख दिनांक 05-09-2023 को उपस्थित हों। जिला आयोग द्वारा किसी भी पक्ष को स्थगन प्रदान नहीं किया जाएगा।
चूंकि प्रत्यर्थी की ओर से अपील की सुनवाई के समय कोई उपस्थित नहीं है अत: प्रत्यर्थी को नियत तिथि की सूचना नियमानुसार प्रेषित की जाए।
अपील योजित करते समय अपीलार्थी द्वारा अपील में जमा धनराशि (यदि कोई हो) तो नियमानुसार अर्जित ब्याज सहित अपीलार्थी को विधि अनुसार निस्तारण हेतु यथाशीघ्र प्रेषित की जावे।
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आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार)
अध्यक्ष
प्रदीप मिश्रा, आशु0 कोर्ट नं0-1