(सुरक्षित)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-406/2011
(जिला उपभोक्ता आयोग, संत रविदास नगर भदोही द्वारा परिवाद संख्या-110/2009 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 07.10.2010 के विरूद्ध)
1. ब्रांच मैनेजर, यूनियन बैंक आफ इंडिया, ब्रांच जंगीगंज, जिला संत रविदास नगर, भदोही, यू.पी.।
2. चीफ मैनेजर, जोनल आफिस, यूनियन बैंक आफ इंडिया, सिविल लाइन इलाहाबाद, यू.पी.।
अपीलार्थीगण/विपक्षीगण
बनाम
श्याम सुंदर पाण्डेय, निवासी दानापट्टी, तालुका कोध ज्ञानपुर संत रविदास नगर, भदोही।
प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्री विकास सक्सेना, सदस्य।
अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित : श्री राजेश चड्ढा,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : श्री बी.के. उपाध्याय,
विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक: 28.03.2023
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उद्घोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-110/2009, श्याम सुंदर पाण्डेय बनाम शाखा प्रबंधक महोदय, यूनियन बैंक आफ इंडिया तथा एक अन्य में विद्वान जिला आयोग, संत रविदास नगर, भदोही द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 07.10.2010 के विरूद्ध यह अपील प्रस्तुत की गई है। इस निर्णय एवं आदेश द्वारा विद्वान जिला आयोग ने परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए अंकन 8,172/-रू0 09 प्रतिशत ब्याज के साथ अदा करने का आदेश पारित किया है।
2. इस निर्णय एवं आदेश के विरूद्ध अपील इन आधारों पर प्रस्तुत की गई है कि परिवादी द्वारा अंकन 10 हजार रूपये का ऋण दिनांक 22.12.2006 को प्राप्त किया गया था। यह ऋण योजना के अंतर्गत आता था। इसके पश्चात दिनांक 07.05.2007 को अंकन 09 हजार रूपये का ऋण प्राप्त किया गया। यह ऋण योजना के अंतर्गत कवर नहीं था, इसलिए ऋण माफी योजना के अंतर्गत इस ऋण को माफ नहीं किया जा सकता था, क्योंकि यह ऋण योजना अवधि यानी दिनांक 31.03.2007 के पश्चात दिनांक 07.05.2007 को प्राप्त किया गया था।
3. अपीलार्थीगण एवं प्रत्यर्थी के विद्वान अधिवक्ता को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
4. परिवादी का यह कथन है कि विपक्षी बैंक द्वारा ऋण माफी योजना का लाभ प्रदान नहीं किया गया और अंकन 8,172/-रू0 डरा-धमका कर जमा करा लिए गए, जबकि परिवादी द्वारा अंकन 20 हजार रूपये का ऋण प्राप्त किया गया था, जो स्व:रोजगार योजना के अंतर्गत लिया गया था, इसलिए भारत सरकार द्वारा इस ऋण को माफ किया गया था। पत्रावली के अवलोकन से ज्ञात होता है कि ऋण माफी योजना वर्ष 2008 में लागू की गई थी, परन्तु बैंक द्वारा इस योजना का लाभ समय से प्रदान नहीं किया गया और परिवादी से अंकन 8,172/-रू0 जमा कराए गए। विद्वान जिला आयोग का यह निष्कर्ष है कि यदि योजना का लाभ समय से प्रदान किया जाता तब परिवादी से उपरोक्त धन जमा कराने की आवश्यकता नहीं होती, इसलिए अंकन 8,172/-रू0 वापस लौटाने के आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई औचित्य नहीं है। प्रस्तुत अपील तदनुसार निरस्त होने योग्य है।
आदेश
5. प्रस्तुत अपील निरस्त की जाती है।
उभय पक्ष अपना-अपना व्यय स्वंय वहन करेंगे।
अपीलार्थी द्वारा अपील प्रस्तुत करते समय अपील में जमा धनराशि मय अर्जित ब्याज सहित विधि अनुसार संबंधित जिला आयोग को निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(विकास सक्सेना) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0,
कोर्ट-3