Uttar Pradesh

StateCommission

A/2010/162

Union Bank Of India - Complainant(s)

Versus

Shamshir Ali - Opp.Party(s)

Rajesh Chadha

10 Aug 2021

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2010/162
( Date of Filing : 28 Jan 2010 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Union Bank Of India
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Shamshir Ali
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Rajendra Singh PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 10 Aug 2021
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

सुरक्षित

अपील संख्‍या-162/2010

(जिला उपभोक्‍ता फोरम, संत रविदास नगर भदोही द्वारा परिवाद संख्‍या-48/2008 में पारित निर्णय दिनांक 16.09.09 के विरूद्ध)

1.ब्रांच मैनेजर यूनियन बैंक आफ इंडिया, ब्रांच कलापुर क्रासिंग सुधवे

जिला संत रविदास नगर, यू0पी0।

2.मैनेजर, यूनियलन बैंक आफ इंडिया, हेड आफिस भदोही जिला संत

रविदास नगर, भदोही।                 ...........अपीलार्थीगण@विपक्षीगण

बनाम

समसीर अली पुत्र रमजान अली निवासी बनकट खास, पोस्‍ट बिछिया

तहसील ग्‍यानपुर जिला भदोही।                 .......प्रत्‍यर्थी/परिवादी

समक्ष:-

1. मा0 श्री राजेन्‍द्र सिंह, सदस्‍य।

2. मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्‍य।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित  : श्री राजेश चडढा, विद्वान

                            अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित    : श्री अनिल कुमार मिश्रा, विद्वान

                             अधिवक्‍ता।

दिनांक 13.09.2021

मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

1.   परिवाद संख्‍या 48/08 मैसर्स समसीर अली बनाम शाखा प्रबंधक यूनियन बैंक व एक अन्‍य में पारित निर्णय/आदेश दि. 16.09.09 के विरूद्ध यह अपील प्रस्‍तुत की गई है। परिवाद स्‍वीकार करते हुए विपक्षी को आदेशित किया गया है कि परिवादी को अंकन रू. 65000/- का भुगतान किया जाए और इस राशि पर 9 प्रतिशत का ब्‍याज दिनांक 05.11.08 से अदा किया जाए।

2.   परिवाद के तथ्‍य संक्षेप में इस प्रकार हैं कि परिवादी ने विपक्षी संख्‍या 1 के बैंक में दिनांक 23.09.05 को 1000 व 500 यू.एस. डालर का एक ड्राफ्ट अपने खाता संख्‍या 7071 में मूल रूप से जमा करके उसकी रसीद

-2-

विपक्षी संख्‍या 1 के बैंक से प्राप्‍त किया, परन्‍तु काफी दिनों इंतजार के बावजूद उक्‍त सभी रकम की कीमत भारतीय मुदा में लगभग रू. 65000/- होता है, का भुगतान नहीं किया गया और हीलाहवाली किया जाता रहा। उक्‍त ड्राफ्ट का भुगतान न होने पर वादी ने विपक्षीगण एवं संबंधित अधिकारियों को मौखिक व लिखित रूप से सूचित किया तब विपक्षी संख्‍या 1 द्वारा वादी को यह आश्‍वासन दिया गया कि संबंधित ड्राफ्ट हेड आफिस विपक्षी संख्‍या 2 को भेज दिया गया और विपक्षी संख्‍या 2 के पास जाने पर ड्राफ्ट व भुगतान के बारे में सही उत्‍तर नहीं दिया गया।

3.   विपक्षीगण द्वारा जवाबदेही दाखिल किया गया, जिसमें उन्‍होंने परिवादी की बातों से इंकार किया है और उल्‍लेख किया गया कि 1000 एवं 500 डालर पोस्‍ट आफिस ईराक द्वारा जारी हुआ था, को भुगतान हेतु संग्रह करने हेतु विपक्षी बैंक की शाखा कलापुर क्रासिंग जिला संत रवि दास नगर भदोही में प्रस्‍तुत किया तथा जिसे शाखा कलापुर क्रासिंग द्वारा विपक्षी बैंक शाखा भदोही के माध्‍यम से भुगतान संग्रह कराने हेतु कोरियर से प्रेषित किया गया, लेकिन उक्‍त कोरियर डाक भदोही शाखा को प्राप्‍त नहीं हुआ, जिसकी सूचना पत्र द्वारा दी गई थी। विपक्षी बैंक की शाख भदोही ने अपने कलापुर क्रासिंग से उक्‍त दोनों ओ.वी.सी. प्राप्‍त न होने के बावजूद ग्राहक सेवा के अंतर्गत परिवादी से संबंधित श्री निमाज अहमद द्वारा प्रस्‍तुत पत्र दिनांकित 09.08.07 के जरिये प्राप्‍त ओ.वी.सी. के अंतर्गत परिवादी द्वारा जमा किया गया कस्‍टमर रसीदों की छायाप्रतियों को उनके भुगतान संग्रह हेतु दिनांक 31.08.07 को जरिये पत्र युनाइटेड स्‍टेट्स पार्टल सर्विस ईराक को इस आशय के साथ की उक्‍त दोनों मूल मनी आर्डर क्रमश: 500 व 1000 डालर रास्‍ते में कहीं खो गया है, जिसके संबंध में जारी ग्राहक रसीदों

-3-

को प्रेषित करते हुए विपक्षी बैंक ने अनुरोध किया कि उक्‍त दोनों से संबंधित डुप्‍लीकेट मनी आर्डर जारी करें। लेकिन कोई सूचना विपक्षी बैंक को प्राप्‍त नहीं हुई। विपक्षी बैंक ने भुगतान संग्रह कराने में कोई लापरवाही नहीं किया है न ही परिवादी को सेवा प्रदान करने में कोई कमी किया है।

4.   दोनों पक्षकारों के साक्ष्‍य पर विचार करने के पश्‍चात जिला उपभोक्‍ता  मंच द्वारा यह निष्‍कर्ष दिया गया कि परिवादी द्वारा क्रमश: 500 एवं 1000 डालर दिनांक 23.09.05 को विपक्षी संख्‍या 1 के यहां जमा किया, जिसकी रसीद परिवादी को दे दी गई, परन्‍तु इस राशि का कभी भी भुगतान नहीं हुआ, इसलिए उपरोक्‍त वर्णित आदेश पारित किया गया।

5.   इस निर्णय व आदेश को इन आधारों पर चुनौती दी गई है कि जिला उपभोक्‍ता मंच द्वारा पारित निर्णय विधिसम्‍मत नहीं है, क्‍योंकि जिस राशि के भुगतान का आदेश दिया गया है, वह राशि कभी भी बैंक द्वारा प्राप्‍त नहीं की जा सकी। मूल डालर ट्रांजिक्‍ट में खो गए थे, इसकी सूचना जारी करने वाले बैंक को दी जा चुकी थी, पुन: प्रेषित किए जाने का भी अनुरोध भी किया गया था।

6.   दोनों पक्षकारों के विद्वान अधिवक्‍ताओं को सुना। प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश व पत्रावली का अवलोकन किया गया।

7.   पत्रावली के अवलोकन से ज्ञात होता है कि परिवादी द्वारा अधिरोपित यह तथ्‍य बैंक को स्‍वीकार है कि परिवादी द्वारा उनके बैंक में 1000 एवं 500 डालर जिनका तत्‍समय मूल्‍य अंकन रू. 65000/- था कलेक्‍शन हेतु बैंक में जमा किया, परन्‍तु संग्रह कराने हेत कोरियर से प्रेषित होने के पश्‍चात कोरियर डाक भदोही शाखा को प्राप्‍त नहीं हुए। भदोही शाखा द्वारा इस आशय की सूचना दे दी गई। मूल मनी आर्डर क्रमश: 500 एवं 1000

-4-

डालर के गुम होने की सूचना युनाइटेड स्‍टेट्स पोस्‍टल सर्विस, इराक को लिखा गया। इनडेमिनिटी लेटर बनवाया गया जो दिनांक 07.03.08 को बैंक आफ न्‍यूयार्क को प्रषित किया गया, परन्‍तु मूल मनी आर्डर बैंक को पुन: प्राप्‍त नहीं कराया गया। इन सभी त‍थ्‍यों का विश्‍लेषण करने के पश्‍चात निम्‍न प्रकार से उत्‍पन्‍न होती है:-

(a)  परिवादी द्वारा मूल मनी आर्डर अंकन 500 एवं 1000 डालर विपक्षी संख्‍या 1 के कार्यालय में जमा किए गए।

(b)  विपक्षी संख्‍या 1 द्वारा संग्रह के लिए संबंधित बैंक को प्रेषित किए गए, परन्‍तु कोरियर द्वारा प्रेषित किए जाने के बावजूद यह डाक कहीं गुम हो गई, इसलिए भुगतान नहीं किया जा सका।

(c)  मूल मनी आर्डर का भुगतान न होने के कारण यथार्थ में मनी आर्डर की धनराशि मनी आर्डर प्राप्‍त करने वाले व्‍यक्ति के खाते में आज भी मौजूद है, क्‍योंकि इस राशि को कभी भी आहरित नहीं किया गया। जिस व्‍यक्ति द्वारा मनी आर्डर भेजे गए हैं वह व्‍यक्ति इस धनराशि को कभी भी

खाते से निकाल सकता है या दूसरा मनी आर्डर प्रेषित कर परिवादी को प्रेषित कर सकता है।

(d)  बैंक के स्‍तर से केवल मूल धनादेश कोरियर डाक से भेजने के बावजूद गुम हो जाने का दायित्‍व निर्धारित किया जा सकता है। यह दायित्‍व संपूर्ण धनराशि की अदायगी के लिए नहीं हो सकता है, क्‍योंकि मनी आर्डर में वर्णित धन आज भी उस बैंक के पास मौजूद है, जिसके द्वारा मनी आर्डर की राशि प्राप्‍त कर मनी आर्डर इन्‍स्‍ट्रूमेन्‍ट आज भी मौजूद है।

(e)  परिवादी मूल मनी आर्डर बैंक में जमा करने के पश्‍चात उनके खो जाने के कारण मानसिक एवं शारीरिक प्रताड़ना के मद में अंकन रू. 5000/-

-5-

प्राप्‍त करने के लिए अधिकृत है न कि मनी आर्डर में वर्णित समस्‍त धनराशि, क्‍योंकि जैसाकि ऊपर उल्‍लेख किया गया है यह धनराशि बैंक को कभी भी प्राप्‍त नहीं हो सकी।

8.   उपरोक्‍त विवेचना का निष्‍कर्ष है कि जिला उपभोक्‍ता मंच का निर्णय विधि विरूद्ध है कि परिवादी को मूल धनादेश की समस्‍त राशि जिसका मूल्‍य भारतीय मुद्रा में अंकन रू. 65000/- होता है अदा की जाए। परिवादी केवल मूल मनी आर्डर खो जाने के कारण क्षतिपूर्ति प्राप्‍त करने के लिए अधिकृत है। इस राशि का उल्‍लेख ऊपर किया जा चुका है। तदनुसार अपील स्‍वीकार होने योग्‍य है।  

आदेश

9.   अपील इस प्रकार स्‍वीकार की जाती है कि जिला उपभोक्‍ता मंच द्वारा पारित निर्णय व आदेश अंकन रू. 65000/- की अदायगी के संबंध में अपास्‍त किया जाता है। परिवादी मात्र रू. 5000/- बतौर क्षतिपूर्ति प्राप्‍त  करने के लिए अधिकृत है। इस राशि का भुगतान आज से एक माह के अंदर

परिवादी को किया जाए। इसके पश्‍चात 12 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से साधारण ब्‍याज देय होगा।  

     उभय पक्ष अपना-अपना अपीलीय व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

          आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस आदेश को आयोग की

 वेबसाइड पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

         

       (राजेन्‍द्र सिंह)                      (सुशील कुमार)                                                                                                                                                 सदस्‍य                             सदस्‍य         

 

 

 

-6-

निर्णय आज खुले न्‍यायालय में हस्‍ताक्षरित, दिनांकित होकर उद्घोषित किया गया।

 

        (राजेन्‍द्र सिंह)                      (सुशील कुमार)                                                                                                                                                  सदस्‍य                             सदस्‍य         

राकेश, पी0ए0-2

कोर्ट-3

 

 

 
 
[HON'BLE MR. Rajendra Singh]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
JUDICIAL MEMBER
 

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