Uttar Pradesh

StateCommission

A/2006/2933

Union Bank of India - Complainant(s)

Versus

Shambhu Nath Yati - Opp.Party(s)

Rajesh Chadha

01 Dec 2021

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2006/2933
( Date of Filing : 16 Nov 2006 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Union Bank of India
A
...........Appellant(s)
Versus
1. Shambhu Nath Yati
A
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Vikas Saxena JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 01 Dec 2021
Final Order / Judgement

        (मौखिक)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

अपील संख्‍या-2933/2006

(जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम, गाजीपुर द्वारा परिवाद संख्‍या-82/2003 में पारित निणय/आदेश दिनांक 05.10.2006 के विरूद्ध)

                                    

यूनियन बैंक आफ इण्डिया, जलालाबाद ब्रांच, जिला गाजीपुर, द्वारा अथराइज्‍ड सिग्‍नेचरी/मैनेजर।

अपीलार्थी/विपक्षी सं0-1

बनाम

शम्‍भू नाथ यती पुत्र श्री दमन यती, निवासी ग्राम अमारी गेट, दुल्‍लहपुर, जिला गाजीपुर तथा एक अन्‍य।

                                     प्रत्‍यर्थीगण/परिवादी/विपक्षी सं0-2

समक्ष:-                           

1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य।

2. माननीय श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित        : श्री राजेश चड्ढा, विद्वान

                                                          अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी सं0-1 की ओर से उपस्थित    : श्री आलोक रंजन, विद्वान                

                                                            अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी सं0-2 की ओर से उपस्थित    : कोई नहीं।

दिनांक: 01.12.2021  

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य  द्वारा उद्घोषित                                                 

निर्णय

1.         परिवाद संख्‍या-82/2003, शम्‍भूनाथ यती बनाम श्री आर0के0 बजौरिया शाखा प्रबन्‍धक, यूनियन बैंक आफ इण्डिया तथा एक अन्‍य में विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग, गाजीपुर द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश दिनांक 05.10.2006 के विरूद्ध यह अपील योजित की गई है। इस निर्णय/आदेश द्वारा विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग ने परिवाद स्‍वीकार करते हुए विपक्षी संख्‍या-1 को आदेशित किया है कि वह अंकन 8,000/- रूपये का भुगतान एक माह के अन्‍दर परिवादी को करें तथा उक्‍त

 

-2-

धनराशि पर दिनांक 30.10.2001 से भुगतान की तिथि तक 12 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से ब्‍याज देय होगा।

2.         परिवाद पत्र के तथ्‍य संक्षेप में इस प्रकार हैं कि परिवादी ने यूनियन बैंक आफ इण्डिया, शाखा जलालाबाद, जिला गाजीपुर में अपने बचत खाते में दिनांक 27.09.2001 को ड्राफ्ट संख्‍या-1133598 स्‍टेट बैंक आफ इण्डिया धनराशि अंकन 8,000/- रूपये जमा किया था। कुछ दिन बाद खाता जॉंच करने के उपरांत परिवादी को पता चला कि उपरोक्‍त धनराशि उसके खाते में जमा नहीं हुई, उसने विपक्षी संख्‍या-1 के शाखा प्रबन्‍धक से सम्‍पर्क किया, उन्‍होंने कुछ दिन बाद आने के लिए कहा, लेकिन धनराशि खाते में जमा नहीं की गई, इस कारण परिवाद योजित किया गया।

3.         विपक्षी संख्‍या-1 का कथन है कि परिवादी ने दिनांक 27.09.2001 को एक ड्राफ्ट अंकन 8,000/- रूपये का विपक्षी संख्‍या-1 की शाखा में जमा किया था, जो ट्रांजिट के लिए उसी दिन मधुर कोरियर जिला मऊ के द्वारा भेजा गया। उनका कथन है कि कोरियर की गलती से उक्‍त ड्राफ्ट कहीं गुम हो गया, जो आज तक प्राप्‍त नहीं हुआ है। इस संबंध में विपक्षी संख्‍या-1 ने यूनियन बैंक आफ इण्डिया मुख्‍य शाखा गाजीपुर तथा स्‍टेट बैंक आफ इण्डिया गाजीपुर से पत्र व्‍यवहार किया, किंतु ड्राफ्ट का कोई पता नहीं चला। विपक्षी संख्‍या-1 का यह भी कथन है कि उसने परिवादी से आग्रह किया कि ड्राफ्ट भेजने वाले व्‍यक्ति व संबंधित बैंक का पूर्ण विवरण उपलब्‍ध करा दें ताकि संबंधित बैंक से सम्‍पर्क कर स्थिति स्‍पष्‍ट की जा सके और डुप्लिकेट ड्राफ्ट मंगाया जा सके और पेमेण्‍ट प्राप्‍त होने पर उसके खाते में जमा किया जा सके, किंतु ड्राफ्ट जारी करने वाले बैंक का विवरण और ड्राफ्ट देने वाले व्‍यक्ति का पता नहीं चल पाया।

 

 

 

-3-

4.         विपक्षी संख्‍या-2 का कथन है कि परिवादी ने उसके विरूद्ध कोई आरोप नहीं लगाया है, इसलिए परिवादी विपक्षी संख्‍या-2 से कोई अनुतोष पाने का अधिकारी नहीं है।

5.         सभी पक्षकारों की साक्ष्‍य पर विचार करने के पश्‍चात विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा उपरोक्‍त वर्णित निर्णय/आदेश पारित किया गया।

6.         इस निर्णय/आदेश को इन आधारों पर चुनौती दी गई है कि विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा तथ्‍यों एवं विधि के विपरीत जाकर निर्णय पारित किया गया है। स्‍वंय परिवादी ने इस आशय का प्रमाण पत्र लेने का कोई प्रयास नहीं किया कि उसे संबंधित बैंक से भुगतान प्राप्‍त हुआ या नहीं।

7.         अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री राजेश चड्ढा तथा प्रत्‍यर्थी संख्‍या-1 के विद्वान अधिवक्‍ता श्री आलोक रंजन उपस्थित आए। प्रत्‍यर्थी संख्‍या-2 की ओर से कोई उपस्थित नहीं है। उपस्थित विद्वान अधिवक्‍तागण की बहस सुनी गई तथा प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।

8.         दोनों पक्षकारों के विद्वान अधिवक्‍तागण को यह स्थिति स्‍वीकार है कि अंकन 8,000/- रूपये का ड्राफ्ट परिवादी द्वारा बनवाया गया और अपीलार्थी बैंक में प्रस्‍तुत किया गया। अपीलार्थी बैंक द्वारा भुगतान के लिए ड्राफ्ट निर्माता बैंक को प्रेषित किया गया, परन्‍तु ड्राफ्ट ट्रांजिट में कहीं खो गया। इस स्थिति में ट्रांजिट में उल्लिखित राशि उस बैंक के पास मौजूद होनी चाहिए, जिस बैंक द्वारा ड्राफ्ट बनाया गया। यदि परिवादी बैंक से इस आशय का प्रमाण पत्र लेकर प्रस्‍तुत करता है कि इस राशि का भुगतान नहीं किया गया है तब उस बैंक द्वारा पुन: अंकन 8,000/- रूपये

 

 

-4-

का ड्राफ्ट बनाया जा सकता है, जिस बैंक द्वारा पूर्व में यह बैंक ड्राफ्ट बनाया गया था। अत: इन निर्देशों के साथ अपील निस्‍तारित होने योग्‍य है।

आदेश

 

9.         प्रस्‍तुत अपील इस प्रकार निस्‍तारित की जाती है कि परिवादी सर्वप्रथम बैंक से इस आशय का प्रमाण पत्र प्राप्‍त करे कि अंकन 8,000/- रूपये का भुगतान नहीं हुआ है। इस प्रमाण पत्र के प्राप्‍त होने के पश्‍चात संबंधित बैंक जिसके द्वारा बैंक ड्राफ्ट बनाया गया था पुन: एक ड्राफ्ट तैयार करें और परिवादी को सुपुर्द करें। चूंकि ड्राफ्ट ट्रांजिट में खो जाने के तथ्‍य को अपीलार्थी द्वारा स्‍वीकार किया गया है। अत: ड्राफ्ट के खो जाने का दायित्‍व अपीलार्थी पर है। ब्‍याज के संबंध में जो आदेश पारित किया गया है वह अत्‍यधिक उच्‍च श्रेणी का है, जो अनुचित है। अत: ब्‍याज की दर 12 प्रतिशत के स्‍थान पर 07 प्रतिशत प्रतिवर्ष किया जाना उचित है। यद्यपि इस राशि का भुगतान हो चुका है तब ब्‍याज देय नहीं होगा।

पक्षकार अपना-अपना अपीलीय व्‍यय स्‍वंय वहन करेंगे।

           आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।

 

 

  (सुशील कुमार)                           (विकास सक्‍ेसना)

    सदस्‍य                                    सदस्‍य

 

 

 

                                              

लक्ष्‍मन, आशु0,

    कोर्ट-2

 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. Vikas Saxena]
JUDICIAL MEMBER
 

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