Uttar Pradesh

StateCommission

A/2011/2618

Union Bank Of India - Complainant(s)

Versus

Sagar Impex - Opp.Party(s)

R Chaddha

14 Jan 2022

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2011/2618
( Date of Filing : 28 Dec 2011 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Union Bank Of India
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Sagar Impex
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 14 Jan 2022
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

(मौखिक)                                                                                  

अपील संख्‍या:-2618/2011

  1. Union Bank of India, Overseas Branch, 8/12/66-B,Near Ekat Dwar, Civil Lines, Moradabad, Through its Chief Manager.
  2. Union Bank of India, Regional Office, Agra, Through its Regional Manager

                                              ........... Appellants

Versus        

Sagar Impex, Proprietor Sh. Pankaj Jain, Gate No.9 Avas Vikas, Civil Lines, Moradabad.

…….. Respondent

समक्ष :-

मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्‍य

मा0 श्रीमती सुधा उपाध्‍याय, सदस्‍य                   

अपीलार्थीगण के अधिवक्‍ता      : श्री राजेश चडढा

प्रत्‍यर्थी के अधिवक्‍ता          : श्री संजय कुमार श्रीवास्‍तव

दिनांक :- 30-6-2023

मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

1-    परिवाद सं0-58/2008 मैसर्स सागर इम्‍पैक्‍स बनाम मुख्‍य शाखा प्रबन्‍धक, यूनियन बैंक ऑफ इण्डिया व एक अन्‍य में जिला उपभोक्‍ता आयोग, दि्वतीय मुरादाबाद द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 26.9.2011 के विरूद्ध यह अपील प्रस्‍तुत की गई है। जिला उपभोक्‍ता आयोग ने परिवाद स्‍वीकार करते हुए विपक्षीगण को निर्देशित किया है कि परिवादी के खाते में भारतीय मुद्रा में अंकन 5,85,942.00 रू0 की धनराशि जमा करें, इस धनराशि पर परिवाद प्रस्‍तुत करने की तिथि से 07 प्रतिशत ब्‍याज अदा करने के लिए भी आदेशित किया गया है।

2-    परिवाद के तथ्‍यों के अनुसार प्रत्‍यर्थी/परिवादी मैसर्स सागर इम्‍पैक्‍स के नाम से एक्‍सपोर्ट का कार्य करता है, उसने अपीलार्थी/विपक्षी सं0-1 की यूनियन बैंक ऑफ इण्डिया की ओवरसीज ब्रांच में चालू खाता सं0-28425 खोल रखा है। प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने दिनांक 04.10.2007 को

-2-

बिल सं0-2007 के सी0एस0 388262, यू0एस0डी0 18869.45 व बिल सं0 2007 सी0एस0 38826 यू0एस0डी0 149100 को कुल डालर 20,360.45 जिसकी भारतीय मुद्रा में अंकन 8,24,598.22 रू0 आती है, इस शर्त के साथ दिया था कि बिल का जब तक पूर्ण भुगतान न हो जाये, तब तक विदेशी बैंक/ओवरसीज बैंक/प्राईवेट बैंक Minnerata 222 South 9th Street, Suite 3800 Minnepolis MN 55402 USA  को डाक वापसी तब तक न दी जाए एवं जब तक की प्रत्‍यर्थी/परिवादी को पूर्ण भुगतान बिलों का बैंक को न हो जाए। जिससे कि यह जिम्‍मेदारी अपीलार्थी/विपक्षी सं0-1 व 2 की है, परन्‍तु अपीलार्थी/विपक्षी सं0-1 व 2 ने ऐसा न करके बिना भुगतान/आंशिक भुगतान एक ही बिल्‍टी के कागजात प्राईवेट बैंक/ओवरसीज बैंक को दे दिया जो प्रत्‍यर्थी/परिवादी के साथ एक प्रकार से विश्‍वासघात था। अपीलार्थी/विपक्षी सं0-1 व 2 ने फर्म जुलिया नाइट अमेरिका एल0एल0सी0 को प्रत्‍यर्थी/परिवादी का माल छुड़ाने कागजात पूर्ण भुगतान न होने पर उक्‍त फर्म को दे दिये, जिससे यह आभाष होता है कि अपीलार्थी/विपक्षी सं0-1 व 2 उक्‍त फर्म से हमसाज होकर रकम हड़पने की साजिश में लिप्‍त हैं। प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने अपीलार्थी/विपक्षी सं0-1 व 2 को बार-बार व्‍यक्तिगत रूप से तथा पत्रों के माध्‍यम से अपने बिलों की रकम रू0 7,53,867.40 पैसे  अपने खाते में डालने की सूचना की, परन्‍तु भुगतान प्राप्‍त नहीं हुआ, काफी दबाव बनाने पर अपीलार्थी/विपक्षी सं0-1 व 2 ने अंकन 1746.44 यू0एस0डी0 भारतीय मुद्रा अंकन 68,984.00 रू0 प्रत्‍यर्थी/परिवादी के चालू खाते में ट्रांसफर किये और बाद में शेष देने के वायदे के साथ टाल दिया और बार-बार पत्राचार पर आगे टालते रहे एवं कानूनी नोटिस देने के बावजूद भी शेष धनराशि के संबंध में कोई जवाब नहीं दिया अत: विवश होकर परिवाद जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख प्रस्‍तुत किया गया।

-3-

3-    अपीलार्थी/विपक्षीगण का कथन है कि ट्रांसफर के करेंट खाता सं0-28425 में एक्‍सपोर्ट क्रेडिट लिमिट सुविधा उपलब्‍ध नहीं है। इस तथ्‍य को स्‍वीकार किया गया है कि दिनांक 04.10.2007 को ट्रांसफर ने 02 बिल के कलैक्‍शन हेतु दिया थे। इन बिलों के साथ निर्देश दिया था कि

बैंक ओवरसीज Minnerata 222 South 9th Street, Suite 3800 Minnepolis MN 55402 USA को भेजा जाए। अपीलार्थी/विपक्षी सं0-1 ने प्रत्‍यर्थी/परिवादी के पत्र दिनांक 04.10.2007 के आधार पर बिलों को कलैक्‍शन हेतु ओवरसीज बैंक को प्रेषित कर दिया, लेकिन इन बिलों का भुगतान प्राप्‍त नहीं हुआ। विदेशी ग्राहक द्वारा कोई धनराशि सीधे प्रत्‍यर्थी/परिवादी को प्राप्‍त नहीं करायी गई भुगतान आने पर ही प्रत्‍यर्थी/परिवादी के खाते में जमा की जा सकती है। उत्‍तरदायी प्रतिवादीगण का स्‍टेटस कलैक्‍शन एजेंट से अधिक का नहीं है। यदि भुगतान प्राप्‍त होता तब प्रत्‍यर्थी/परिवादी के खाते में क्रेडिट कर दिया जाता। प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा बैकिंग रिजर्व बैंक आफ इण्डिया कानपुर में शिकायत करने पर भी यही उत्‍तर दिया गया था अत: परिवाद खारिज होने योग्‍य है।

4-    दोनों पक्षों के साक्ष्‍य पर विचार करने के पश्‍चात जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा यह निष्‍कर्ष दिया गया कि विपक्षीगण द्वारा विवादित बिल कलैक्‍शन के लिए ओवरसीज बैंक को भेजा था, परन्‍तु ओवरसीज बैंक ने भुगतान प्राप्‍त किये बिना ही क्रेता के पक्ष में माल अदा कर दिया गया। इस निष्‍कर्ष के बाद यह अंकित किया गया कि ओवरसीज बैंक की लापरवाही के बावजूद विपक्षी सं0-1 व 2 भी उत्‍तरदायी हैं तद्नुसार उपरोक्‍त वर्णित निर्णय/आदेश पारित किया गया।

5-    इस निर्णय/आदेश के विरूद्ध अपील इन आधारों पर प्रस्‍तुत की गई कि जिला उपभोक्‍ता आयोग ने मात्र सम्‍भावना एवं कल्‍पनाओं पर

-4-

आधारित अवैध निर्णय पारित किया है। यू0एस0ए0 स्थित बैंक को पक्षकार नहीं बनाया गया है। अपीलार्थी बैंक द्वारा प्रत्‍यर्थी/परिवादी के निर्देशों का अनुपालन करते हुए दस्‍तावेज अमेरिका स्थित क्रेता के बैंक को उपलब्‍ध करा दिये गये तथा उनको निर्देशित कर दिया गया था कि धन प्राप्‍त होने पर क्रेता को माल प्राप्‍त कराया जाए, इसलिए अपीलार्थी बैंक द्वारा सेवा में कोई कमी नहीं की गई है।

6-    दोनों पक्षों के विद्वान अधिवक्‍तागण को सुना तथा प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।

7-    प्रत्‍यर्थी/परिवादी का मुख्‍य कथन यह है कि अपीलार्थी/विपक्षीगण द्वारा धन प्राप्‍त किये बिना ही माल क्रेता को सौंप दिया गया, इसलिए अपीलार्थी/विपक्षीगण सेवा में कमी के लिए उत्‍तरदायी है और वे माल की कीमत अदा करने के लिए बाध्‍य हैं, जबकि‍ अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का यह तर्क है कि अपीलार्थी बैंक द्वारा प्रत्‍यर्थी/परिवादी के निर्देशों के अनुसार क्रेता के बैंक को दस्‍तावेज सुपुर्द कर दिये गये, इसलिए क्रेता का बैंक ही विक्रीत मूल्‍य वसूलने के पश्‍चात क्रेता को माल अदा करने के लिए उत्‍तरदायी है।

8-    दस्‍तावेज सं0-25 पर उपलब्‍ध दस्‍तावेज अपीलार्थीगण के उत्‍तरदायित्‍व को सुनिश्चित करने वाला दस्‍तावेज है। यह पत्र सागर इम्‍पैक्‍स द्वारा प्रबन्‍धक, यूनियन बैंक आफ इण्डिया को लिखा गया है जिसमें निम्‍न उल्‍लेख अंकित है:-

“You are requested to kindly acknowledge the receipt and dispatch these documents to the buyers Bank with the instructions “RELEASE THE DOCUMENTS AGAINST THE PAYMENT” at the below mentioned address at the earliest.”

9-    अपीलार्थी बैंक द्वारा इस पत्र के अनुसार क्रेता के बैंक को दस्‍तावेज उपलब्‍ध करा दिये गये तथा यह निर्देश दे दिया गया कि

 

-5-

विक्रीत मूल्‍य प्राप्‍त करने के पश्‍चात माल के दस्‍तावेज क्रेता को प्राप्‍त करा दिये जाए इसलिए अपीलार्थी बैंक का उत्‍तरदायित्‍व समाप्‍त हो गया।

10- प्रस्‍तुत केस के तथ्‍यों के अवलोकन से जाहिर होता है कि यर्थात में अपीलार्थी बैंक कलैक्‍शन एजेण्‍ट मात्र है। प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा अपना माल विदेशी क्रेता को प्रेषित किया गया है। अपीलार्थी बैंक ने माल से सम्‍बन्धित दस्‍तावेज विपक्षी क्रेता के बैंक को उपलब्‍ध करा दिये गये है, इसलिए यह संव्‍यवहार विशुद्ध रूप से व्‍यापारिक प्रकृति का संव्‍यवहार है यदि एक व्‍यापारी द्वारा दूसरे व्‍यापारी को माल प्रेषित करने के बावजदू विक्रय माल प्राप्‍त नहीं हुआ है, तब दीवानी न्‍यायालय के समक्ष विक्रीत माल के मूल्‍य की वसूली का वाद प्रस्‍तुत किया जा सकता है, फिर यह भी कि चूंकि अपीलार्थी बैंक‍ केवल कलैक्‍शन एजेण्‍ट है, यदि प्रत्‍यर्थी/परिवादी के क्रेता बैंक द्वारा विक्रीत मूल्‍य अपीलार्थी बैंक को प्राप्‍त कराया गया होता तब अपीलार्थी बैंक द्वारा प्रत्‍यर्थी/परिवादी के खाते में जमा कर दिया जाता, परन्‍तु चूंकि क्रेता के बैंक द्वारा विक्रीत मूल्‍य अपीलार्थी बैंक को प्राप्‍त नहीं कराया गया, इसलिए अपीलार्थी बैंक विक्रीत माल की धनराशि प्रत्‍यर्थी/परिवादी को अदा करने के लिए उत्‍तरदायी नहीं है। जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा तथ्‍य एवं विधि के विपरीत क्षेत्राधिकार विहीन निर्णय/आदेश पारित किया गया है, जो अपास्‍त होने योग्‍य है।

आदेश

11- अपील स्‍वीकार की जाती है तथा जिला उपभोक्‍ता आयोग, दि्वतीय मुरादाबाद द्वारा परिवाद सं0-58/2008 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 26.9.2011 अपास्‍त किया जाता है।

12- अपील में उभय पक्ष अपना-अपना वाद व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

 

-6-

13- प्रस्‍तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गयी हो तो उक्‍त जमा धनराशि को मय अर्जित ब्‍याज सहित अपीलार्थी को यथाशीघ्र विधि के अनुसार वापस की जाए।

आशुलिपिक/वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

              (सुधा उपाध्‍याय)                     (सुशील कुमार)              

            सदस्‍य                                           सदस्‍य                                                                           

हरीश आशु.,

कोर्ट नं0-3

 

 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY]
MEMBER
 

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