Uttar Pradesh

StateCommission

A/2014/10

Union Bank Of India - Complainant(s)

Versus

Rohit Dwivedi - Opp.Party(s)

Rajesh Chadha

12 May 2023

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2014/10
( Date of Filing : 03 Jan 2014 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Union Bank Of India
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Rohit Dwivedi
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Rajendra Singh PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 12 May 2023
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

सुरक्षित

अपील संख्‍या-10/2014

(जिला उपभोक्‍ता फोरम, पीलीभीत द्वारा परिवाद संख्‍या-22/2013 में पारित निर्णय दिनांक 24.10.2013 के विरूद्ध)

यूनियन बैंक आफ इंडिया पीलीभीत ब्रांच छतरी चौराहा बाई पास

रोड, पीलीभीत-262001 द्वारा ब्रांच मैनेजर व एक अन्‍य।

                                 ........अपीलार्थीगण/विपक्षीगण

बनाम

रोहित द्विवेदी पुत्र श्री चंद्रमंगल द्विवेदी सी/ओ जिला सहकारी

बैंक लि0, 369 नियर छतरी चौराहा, पीलीभीत।

                                      .......प्रत्‍यर्थी/परिवादी

समक्ष:-

1. मा0 श्री राजेन्‍द्र सिंह, सदस्‍य।

2. मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्‍य।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित  : श्री राजेश चडढा, अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित    : कोई नहीं।

दिनांक 23.06.2023

मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

1.   परिवाद संख्‍या 22/2013 रोहित द्विवेदी बनाम शाखा प्रबंधक यूनियन बैंक आफ इंडिया व एक अन्‍य में पारित निर्णय व आदेश दिनांक 24.10.2013 के विरूद्ध यह अपील प्रस्‍तुत की गई है। जिला उपभोक्‍ता मंच ने ऋण पर देय ब्‍याज की धनराशि रू. 34200/- सब्सिडी के रूप में अदा करने के लिए भी विपक्षीगण को उत्‍तरदायी ठहराया है। रू. 3000/- सेवा में कमी के कारण तथा रू. 2000/- परिवाद व्‍यय के रूप में अदा करने का आदेश भी पारित किया गया है।

2.   परिवाद के तथ्‍य संक्षेप में इस प्रकार हैं कि परिवादी चंद्रमंगल द्विवेदी ने अपने पुत्र रोहित द्विवेदी की बीटेक की उच्‍च शिक्षा हेतु

-2-

जून 2010 में रू. 84450/-, जुलाई 2011 में रू. 84450/- एवं जुलाई 2012 में रू. 81100/- का ऋण विपक्षी संख्‍या 1 से प्राप्‍त किया था। फार्म संख्‍या 16 पर 2009-10 की आय का विवरण दिया गया था। ऋण पर अनुदान देय है, परन्‍तु बैंक द्वारा अनुदान की राशि का भुगतान नहीं किया गया। तीनों वर्ष की अनुदान राशि का लेखा रू. 34200/- होता है, इसलिए उपभोक्‍ता परिवाद प्रस्‍तुत किया गया।

3.   विपक्षी बैंक का कथन है कि परिवादी ने अनुदान प्राप्‍त करने हेतु आवश्‍यक औपचारिकताएं समय पर पूर्ण नहीं की। तहसीलदार द्वारा जारी आय प्रमाणपत्र बैंक शाखा में प्राप्‍त नहीं कराए, जिस कारण सब्सिडी का लाभ नहीं दिया गया। बैंक द्वारा जो सब्सिडी दी जाती है, उस राशि का क्‍लेम भारत सरकार से किया जाता है। भारत सरकार ही यथार्थ में सब्सिडी की राशि ऋण प्राप्‍तकर्ता के खाते में क्रेडिट करती है, बैंक की तरफ से कोई सब्सिडी नहीं दी जाती है।

4.   दोनों पक्षकारों के साक्ष्‍य पर विचार करने के पश्‍चात जिला उपभोक्‍ता मंच द्वारा यह निष्‍कर्ष दिया गया कि शिक्षा ऋण पर सब्सिडी दी जानी चाहिए थी, तदनुसार सब्सिडी की राशि अदा करने का आदेश पारित किया गया।

5.   इस निर्णय व आदेश को इन आधारों पर चुनौती दी गई है कि जिला उपभोक्‍ता मंच ने तथ्‍य एवं विधिक स्थिति के विपरीत निर्णय पारित किया है। परिवादी ने जो ऋण प्राप्‍त किया था, उस पर ब्‍याज वसूला गया है। बैंक द्वारा किसी प्रकार की सब्सिडी अदा नहीं की जानी थी, सब्सिडी की राशि प्राप्‍त करने के लिए उपभोक्‍ता परिवाद संधारणीय नहीं है।   

-3-

6.   केवल अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता को सुना गया तथा प्रश्‍नगत निर्णय व आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया गया। प्रत्‍यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।

7.   प्रस्‍तुत अपील के विनिश्‍चय के लिए एकमात्र विनिश्‍चयात्‍मक बिन्‍दु यह उत्‍पन्‍न होता है कि क्‍या परिवादी अपने पुत्र की शिक्षा के लिए, लिए गए त्रण पर विपक्षी बैंक से सब्सिडी प्राप्‍त करने के लिए अधिकृत है। परिवाद पत्र में उल्‍लेख किया गया है कि उनके द्वारा वर्ष 2009-10 की आय का विवरण फार्म संख्‍या 16 पर दे दिया था, इसलिए छूट प्राप्‍त करने के लिए अधिकृत था, जबकि बैंक का कहना है कि तहसीलदार द्वारा जारी आय प्रमाणपत्र प्रस्‍तुत किया जाना चाहिए था, जिस पर केन्‍द्र सरकार से छूट प्राप्‍त की जाती है और छूट की राशि ऋण खाते में ही सरकार द्वारा जमा कराई जाती है, बैंक अपनी ओर से किसी प्रकार की छूट प्रदान नहीं करता। परिवादी ने बैंक की इस आपत्ति का कोई खंडन नहीं किया कि ऋण राशि में छूट प्राप्‍त करने के लिए तहसीलदार द्वारा प्रदत्‍त आय प्रमाणपत्र की आवश्‍यकता नहीं थी। फार्म संख्‍या 16 में दिया गया विवरण आय का अंतिम विवरण नहीं कहा जा सकता, क्‍योंकि फार्म संख्‍या 16 में वेतन से जो आय प्राप्‍त होती है उसके खिलाफ होती है, जबकि किसी व्‍यक्ति के वेतन के अलावा आय के अन्‍य स्रोत जैसे मकान का किराया, कृषि भूमि से आमदनी आदि हो सकते हैं। फार्म संख्‍या 16 आय का प्रमाणपत्र नहीं कहा जा सकता। यदि आय का रिटर्न भरा गया होता और इस रिटर्न की प्रति उपलब्‍ध कराई जा सकती तब इस दस्‍तावेज को आय का स्रोत माना जा सकता था, परन्‍तु प्रस्‍तुत केस में

-4-

तहसीलदार द्वारा जारी प्रमाणपत्र पर ही बैंक द्वारा अग्रिम कार्यवाही प्रारंभ की जा सकती, परन्‍तु परिवादी द्वारा तहसीलदार कार्यालय से जारी आय प्रमाणपत्र प्रस्‍तुत नहीं किया गया। एनेक्‍सर संख्‍या 1 से इस तथ्‍य की पुष्टि होती है। उत्‍तर प्रदेश में तहसीलदार द्वारा जारी प्रमाणपत्र ही विचार में लिया जा सकता है, इसलिए स्‍वयं परिवादी के स्‍तर पर त्रुटि कारित की गई है। विपक्षी बैंक द्वारा सेवा में कोई कमी नहीं की गई, इसलिए उपभोक्‍ता परिवाद संधारणीय नहीं था। तदनुसार अपील स्‍वीकार होने योग्‍य है।

आदेश

8.   अपील स्‍वीकार की जाती है। जिला उपभोक्‍ता मंच द्वारा पारित निर्णय व आदेश अपास्‍त किया जाता है। परिवाद खारिज किया जाता है।

     प्रस्‍तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गयी हो तो उक्‍त जमा धनराशि अर्जित ब्‍याज सहित अपीलार्थी को यथाशीघ्र विधि के अनुसार वापस की जाए।

     आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस आदेश को आयोग की वेबसाइड पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

 

         

       (सुशील कुमार)                      (राजेन्‍द्र सिंह)                                                                                                                                                   सदस्‍य                           सदस्‍य

निर्णय आज खुले न्‍यायालय में हस्‍ताक्षरित, दिनांकित होकर उद्घोषित किया गया।

 

 

        (सुशील कुमार)                      (राजेन्‍द्र सिंह)                                                                                                                                                   सदस्‍य                            सदस्‍य         

राकेश, पी0ए0-2

कोर्ट-2

 

 
 
[HON'BLE MR. Rajendra Singh]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
JUDICIAL MEMBER
 

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