(सुरक्षित)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील सं0- 492/2016
(जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, भदोही द्वारा परिवाद सं0- 66/2013 में पारित निर्णय व आदेश दि0 21.01.2016 के विरूद्ध)
Union bank of India Kalapur crossing, Post Sudhwai, District Bhadohi-221308, Through its Branch Manager
……….Appellant
Versus
- Ram raj mishra, s/o Satyanarain misra, R/o Pilkhuna, Post Rohi, Thana Unj, Tehsil Gyanpur, Santravidas nagar, Bhadohi.
- Thanaadyaksh, Unj, Tehsil Gyanpur, Ravidas nagar, Bhadhohi.
……Respondents
समक्ष:-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री राजेश चड्ढा,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थीगण की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक:- 01.08.2019
माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष द्वारा उद्घोषित
निर्णय
परिवाद सं0- 66/2013 रामराज मिश्र बनाम यूनियन बैंक ऑफ इंडिया व एक अन्य में जिला फोरम, भदोही द्वारा पारित निर्णय व आदेश दि0 21.01.2016 के विरूद्ध यह अपील धारा 15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत राज्य आयोग के समक्ष प्रस्तुत की गई है।
आक्षेपित निर्णय और आदेश के द्वारा जिला फोरम ने परिवाद स्वीकार करते हुए निम्न आदेश पारित किया है:-
‘’विपक्षी संख्या- 1 को आदेशित किया जाता है कि 2 माह के अन्दर परिवादी को 38,739/-रू0 पर दिनांक 13.05.2013 से 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ 2 माह में अदा करे मानसिक, शारीरिक क्षति के रूप में 3000/-रू0 और वाद व्यय के रूप में 1000/-रू0 भी 2 माह के अन्दर अदा करे ऐसा न करने पर सम्पूर्ण धनराशि पर 12 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्याज देय होगा।‘’
जिला फोरम के निर्णय और आदेश से क्षुब्ध होकर परिवाद के विपक्षी सं0- 1 यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने यह अपील प्रस्तुत की है।
अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री राजेश चड्ढा उपस्थित आये। प्रत्यर्थीगण की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ। अत: अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता के तर्क को सुनकर निर्णय सुरक्षित रखा गया। उसके बाद दि0 03.07.2019 को प्रत्यर्थी सं0- 1 के विद्वान अधिवक्ता श्री एस0एस0 मिश्रा उपस्थित आये और लिखित तर्क प्रस्तुत किया। लिखित तर्क पत्रावली पर ग्रहण किया गया।
मैंने अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता के तर्क को सुना है और आक्षेपित निर्णय व आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है।
मैंने प्रत्यर्थी/परिवादी की ओर से प्रस्तुत लिखित तर्क का भी अवलोकन किया है।
अपीलार्थी/विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय और आदेश तथ्य एवं साक्ष्य के विरुद्ध है।
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि अपीलार्थी/विपक्षी बैंक पर नोटिस का तामीला नहीं किया गया है। अत: वह जिला फोरम के समक्ष उपस्थित होकर अपना लिखित कथन प्रस्तुत नहीं कर सका है। प्रत्यर्थी/परिवादी के ए0टी0एम0 से रुपया ई-कामर्स ट्रांजेक्शन से निकाला गया है। ए0टी0एम0 कार्ड प्रत्यर्थी/परिवादी के पास रहता है और कार्ड व पिन नम्बर की जानकारी प्रत्यर्थी/परिवादी से ही किसी अन्य व्यक्ति को हो सकती है और उसके द्वारा ए0टी0एम0 का दुरुपयोग किया जा सकता है। अत: प्रश्नगत संव्यवहार के लिए अपीलार्थी/विपक्षी बैंक को दोषी नहीं ठहराया जा सकता है।
प्रत्यर्थी/परिवादी की ओर से प्रस्तुत लिखित तर्क में जिला फोरम के निर्णय और आदेश का समर्थन किया गया है।
मैंने अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता के तर्क एवं प्रत्यर्थी/परिवादी की ओर से प्रस्तुत लिखित तर्क पर विचार किया है।
अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्त सुसंगत तथ्य इस प्रकार हैं कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने अपीलार्थी/विपक्षी एवं प्रत्यर्थी सं0- 2 के विरुद्ध परिवाद जिला फोरम के समक्ष इस कथन के साथ प्रस्तुत किया है कि वह अवकाश प्राप्त पेंशनधारक है। उसका खाता सं0- 488102010001908 है जिसमें दि0 25.03.2013 तक 66,491/-रू0 जमा था, परन्तु उसकी अज्ञानता में अपीलार्थी/विपक्षी बैंक के ए0टी0एम0 से दि0 28.03.2013 को 3:00 बजे 3,260/-रू0 और 3:20 बजे 16,074/-रू0 दि0 29.03.2013 को 8:55 बजे 17,261/-रू0 और 9:40 बजे 6150/-रू0 तथा 8:20 बजे 999/-रू0 एवं दि0 30.03.2013 को 12,194/-रू0 निकाल लिया गया है। प्रत्यर्थी/परिवादी जब दि0 30.03.2013 को बैंक से 10,000/-रू0 निकालने गया तो उसे उपरोक्त धनराशि निकाले जाने की जानकारी हुई। इस बीच उसके खाते में 17,261/-रू0 वापस कर दिया गया था।
परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्यर्थी/परिवादी ने थानाध्यक्ष ऊंज के यहां घटना की बाबत लिखित रूप से सूचना दिया, जिस पर उन्होंने जांच करने का आश्वासन दिया, परन्तु कोई कार्यवाही नहीं की गई। परिवाद पत्र के अनुसार दि0 04.04.2013 को प्रत्यर्थी/परिवादी ने शाखा प्रबंधक कलापुर क्रासिंग यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के यहां भी प्रार्थना पत्र दिया और बैंक से लिखित रूप में अपने खाते से उपरोक्त निकासी के सम्बन्ध में जानकारी मांगा तब बैंक ने खाते का विवरण दिया, परन्तु उसके प्रश्नों का जवाब नहीं दिया। उसके बाद दि0 07.05.2013 को प्रत्यर्थी/परिवादी ने अपीलार्थी/विपक्षी के शाखा प्रबंधक को पत्र दिया उसका भी बैंक ने कोई जवाब नहीं दिया। परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्यर्थी/परिवादी का कथन है कि उसकी अज्ञानता में बैंक प्रबंधक या बैंक के किसी कर्मचारी द्वारा धोखाधड़ी कर उसके खाते से दि0 28.03.2013 से दि0 30.03.2013 की तिथि में कुल 56,000/-रू0 निकाला गया है जिसमें 17,261/-रू0 उसके खाते में दि0 02.04.2013 को वापस किया गया है। परिवाद पत्र के अनुसार बैंक द्वारा प्रत्यर्थी/परिवादी को यह नहीं बताया जा रहा है कि दि0 02.04.2013 को 17,261/-रू0 किसके द्वारा जमा किया गया है। अत: बैंक की सेवा से क्षुब्ध होकर प्रत्यर्थी/परिवादी ने जिला फोरम के समक्ष परिवाद प्रस्तुत किया है और अपने खाते से निकाली गई धनराशि ब्याज सहित विपक्षीगण से दिलाये जाने का अनुरोध किया है। साथ ही क्षतिपूर्ति व वाद व्यय भी मांगा है।
जिला फोरम के समक्ष अपीलार्थी/विपक्षी बैंक उपस्थित नहीं हुआ है और लिखित कथन प्रस्तुत नहीं किया है। जिला फोरम ने अपने निर्णय व आदेश में अपीलार्थी/विपक्षी बैंक पर नोटिस तामीला के सम्बन्ध में कोई उल्लेख नहीं किया है। परन्तु जिला फोरम ने एकपक्षीय रूप से निर्णय और आदेश अपीलार्थी/विपक्षी बैंक के विरुद्ध पारित किया है। अत: उचित प्रतीत होता है कि अपीलार्थी/विपक्षी बैंक को अपना लिखित कथन जिला फोरम के समक्ष प्रस्तुत करने का अवसर दिया जाए और जिला फोरम द्वारा उभय पक्ष को साक्ष्य और सुनवाई का अवसर देकर परिवाद में विधि के अनुसार पुन: निर्णय और आदेश पारित किया जाए।
अपीलार्थी/विपक्षी बैंक जिला फोरम के समक्ष उपस्थित नहीं हुआ है। उसके उपस्थित न होने से परिवाद के निस्तारण में जो विलम्ब हो रहा है उसकी क्षतिपूर्ति हेतु अपीलार्थी/विपक्षी बैंक से प्रत्यर्थी/परिवादी को 5,000/-रू0 हर्जा दिलाया जाना उचित है।
उपरोक्त निष्कर्ष के आधार पर अपील स्वीकार की जाती है और जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश अपीलार्थी/विपक्षी बैंक द्वारा प्रत्यर्थी/परिवादी को 5,000/-रू0 हर्जा अदा करने पर अपास्त किया जाता है तथा पत्रावली जिला फोरम को इस निर्देश के साथ प्रत्यावर्तित की जाती है कि जिला फोरम अपीलार्थी/विपक्षी बैंक को अपना लिखित कथन प्रस्तुत करने का अवसर देकर उभय पक्ष को साक्ष्य और सुनवाई का अवसर प्रदान करे और उसके बाद विधि के अनुसार यथाशीघ्र परिवाद में निर्णय और आदेश पारित करे।
उभय पक्ष जिला फोरम के समक्ष दि0 25.09.2019 को उपस्थित हों।
जिला फोरम अपीलार्थी/विपक्षी बैंक को लिखित कथन प्रस्तुत करने हेतु इस निर्णय में हाजिरी हेतु निश्चित तिथि से 30 दिन का समय देगा और उसके बाद लिखित कथन हेतु और कोई समय दिये बिना उपरोक्त प्रकार से उभय पक्ष को साक्ष्य और सुनवाई का अवसर देकर विधि के अनुसार निर्णय और आदेश पारित करेगा।
अपील में उभय पक्ष अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
अपील में धारा 15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत जमा धनराशि 25,000/-रू0 व उस पर अर्जित ब्याज से हर्जे की उपरोक्त धनराशि 5,000/-रू0 प्रत्यर्थी/परिवादी को अदा की जायेगी और अवशेष धनराशि अपीलार्थी/विपक्षी बैंक को वापस कर दी जायेगी।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान)
अध्यक्ष
शेर सिंह आशु0,
कोर्ट नं0-1