राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
मौखिक
अपील सं0-३०८२/२००१
(जिला मंच, आजमगढ़ द्वारा परिवाद सं0-३०४/१९९२ में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक २५-०७-२००१ के विरूद्ध)
१. यूनियन बैंक आफ इण्डिया, ब्रान्च आफिस परशुरामपुर, जिला आजमगढ़ द्वारा ब्रान्च मैनेजर।
२. यूनियन बैंक आफ इण्डिया, रजिस्टर्ड आफिस २३९, विधान सभा मार्ग, नरीमन प्वाइंट, मुम्बई द्वारा मैनेजिंग डायरेक्टर/चेयरमेन।
............ अपीलार्थीगण/विपक्षीगण।
बनाम
राम नेति सिंह पुत्र राम नारायण सिंह निवासी ग्राम मोलरपुर, थाना खानपुर भगतपट्टी, जिला आजमगढ़, यू0पी0। ............. प्रत्यर्थी/परिवादी।
समक्ष:-
१- मा0 श्री उदय शंकर अवस्थी, पीठासीन सदस्य।
२- मा0 श्री गोवर्द्धन यादव, सदस्य।
अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित : श्री राजेश चड्ढा विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक :- २४-०४-२०१९.
मा0 श्री उदय शंकर अवस्थी, पीठसीन सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
यह अपील, जिला मंच, आजमगढ़ द्वारा परिवाद सं0-३०४/१९९२ में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक २५-०७-२००१ के विरूद्ध योजित की गयी है।
प्रश्नगत निर्णय द्वारा विद्वान जिला मंच ने यह आदेश पारित किया है – ‘’ याचिका इस आशय से निरस्त की जाती है कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के अनुसार ब्याज दर यदि याची के खाते में इस निर्णय से अधिक लगा हो तो उसका समायोजन कर उससे बसूली किया जाय। यदि याचिका का भुगतान ज्यादा हो गया हो तो उसे याची को वापस किया जाय। ‘’
इस निर्णय से क्षुब्ध होकर यह अपील योजित की गई।
-२-
हमने अपीलार्थीगण/विपक्षीगण की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री राजेश चड्ढा के तर्क सुने तथा अभिलेखों का अवलोकन किया। प्रत्यर्थी/परिवादी की ओर से तर्क प्रस्तुत करने हेतु कोई उपस्थित नहीं हुआ। प्रत्यर्थी पर नोटिस की तामील आदेश दिनांक १५-१०-२०१८ पर्याप्त मानी जा चुकी है।
परिवाद के अभिकथनों के अनुसार निर्विवाद रूप से परिवादी द्वारा अपीलार्थी बैंक से ऋण लिया गया है। परिवादी ने बैंक द्वारा लिए जा रहे दण्ड ब्याज की दर को अधिक होना बताया है तथा यह अनुतोष चाहा है कि अपीलार्थी बैंक को निर्देशित किया जाय कि अपीलार्थी बैंक परिवादी को ८०,०००/- रू० १५ प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित परिवादी को हुए नुकसान एवं मानसिक प्रताड़ना के सन्दर्भ में अदा करे तथा वाद व्यय अदा किया जाय।
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा सूचित किया गया कि प्रश्नगत निर्णय के विरूद्ध परिवादी द्वारा कोई अपील योजित नहीं की गई है। यद्यपि प्रश्नगत निर्णय द्वारा परिवाद निरस्त किया गया है किन्तु निर्णय में दिया गया निर्देश अस्पष्ट है तथा यह मत व्यक्त किया गया है कि यदि परिवादी से बसूला जा रहा ब्याज अधिक है तो अधिक बसूली गई धनराशि परिवादी के खाते में समायोजित की जाय। अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा यह तर्क भी प्रस्तुत किया गया कि यद्यपि प्रश्नगत निर्णय में मा0 उच्चतम न्यायालय के एक कथित निर्णय का उल्लेख किया गया है किन्तु इस कथित निर्णय का सम्पूर्ण विवरण निर्णय में दर्शित नहीं है। उनके द्वारा सूचित किया गया कि निर्णय में दर्शित पक्षकारों के विवरण के अनुसार उन्होंने मा0 उच्चतम न्यायालय का कथित निर्णय तलाशने का प्रयास किया किन्तु ऐसा कोई निर्णय उनकी जानकारी में उपलब्ध नहीं हो सका। उनके द्वारा यह तर्क भी प्रस्तुत किया गया कि प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा लिए गये प्रश्नगत ऋण के सन्दर्भ में ब्याज की गणना आर0बी0आई0 द्वारा निर्धारित मानकों के अनुरूप ही की गई है। प्रश्नगत निर्णय में ऐसा कोई मत व्यक्त नहीं किया गया है और नही ऐसी कोई साक्ष्य का वर्णन किया गया है
-३-
जिससे यह निष्कर्ष निकाला जा सके कि परिवादी के ऋण खाते के सन्दर्भ में अपीलार्थी बैंक द्वारा लिया जा रहा ब्याज आर0बी0आई0 द्वारा निर्धारित ब्याज दरों से अधिक है।
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता के इस तर्क में बल प्रतीत होता है। प्रश्नगत निर्णय अस्पष्ट है तथा इस निर्णय में यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि किस प्रकार परिवादी के ऋण खाते के सन्दर्भ में अपीलार्थी बैंक द्वारा लिया जा रहा ब्याज आर0बी0आई0 द्वारा निर्धारित ब्याज दर अथवा पक्षकारों मध्य निष्पादित किसी इकरारनामे के अनुरूप नहीं है। ऐसी परिस्थिति में प्रश्नगत निर्णय अपास्त करते हुए अपील स्वीकार किए जाने योग्य है।
आदेश
अपील स्वीकार की जाती है। जिला मंच, आजमगढ़ द्वारा परिवाद सं0-३०४/१९९२ में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक २५-०७-२००१ अपास्त करते हुए परिवाद निरस्त किया जाता है।
उभय पक्ष इस अपील का अपना-अपना व्यय-भार स्वयं वहन करेंगे।
उभय पक्ष को इस आदेश की सत्य प्रतिलिपि नियमानुसार उपलब्ध करायी जाय।
(उदय शंकर अवस्थी)
पीठासीन सदस्य
(गोवर्द्धन यादव)
सदस्य
प्रमोद कुमार,
वैय0सहा0ग्रेड-१,
कोर्ट-२.