राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
सुरक्षित
अपील संख्या-2096/2007
(जिला उपभोक्ता फोरम, वाराणसी द्वारा परिवाद संख्या 265/2006 में पारित निर्णय दिनांक 02.06.07 के विरूद्ध)
ब्रांच मैनेजर, यूनियन बैंक आफ इंडिया, ब्रांच रथयात्रा क्रासिंग,
जिला वाराणसी। .........अपीलार्थी/विपक्षी
बनाम्
ओम प्रकाश पुत्र स्व0 राम नाथ निवासी ग्राम भीटी, जिला
वाराणसी। .........प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष:-
1. मा0 श्री राज कमल गुप्ता, पीठासीन सदस्य।
2. मा0 श्री महेश चन्द, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री राजेश चडढा, विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित :श्री अजय वाही, विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक 05.12.2018
मा0 श्री राज कमल गुप्ता, पीठासीन सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
यह अपील जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम वाराणसी द्वारा परिवाद संख्या 265/2006 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दि. 02.06.2007 के विरूद्ध प्रस्तुत की गई है। जिला मंच ने निम्न आदेश पारित किया है:-
'' परिवाद स्वीकार किया जाता है। विपक्षी नं0 1 लगायत 3 को यह आदेशित किया जाता है कि वह परिवादी के मु0 55500/- दि. 22.04.06 से 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर से दो माह के अंदर भुगतान करें तथा मानसिक एवं शारीरिक क्षतिपूर्ति के रूप में मु0 3000/- व मु0 500/- वाद व्यय के रूप में उसी अवधि में परिवादी पाने का अधिकारी होगा। यदि दो माह के भीतर समस्त धनराशि अदा नहीं की गयी तो परिवादी समस्त धनराशि पर 12 प्रतिशत वार्षिक ब्याज पाने का अधिकारी होगा।‘’
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संक्षेप में तथ्य इस प्रकार हैं कि परिवादी का विपक्षी यूनियन बैंक आफ इंडिया शाखा रथयात्रा क्रासिंग वाराणसी में एक बचत खाता संख्या 17378 है। वर्ष 2000 में परिवादी की जांघ की हड्डी टूट गई और चूंकि परिवादी को बैंक आने जाने में असुविधा थी, इसको ध्यान में रखते हुए परिवादी ने अपनी पत्नी श्रीमती गीता रानी को सह खातेदार बनाया। उनके एकाउन्ट में चेक सुविधा उपलब्ध थी। दि. 17.03.06 को उसने 20 पन्ने की चेक बुक संख्या 0204201 से 0204220 प्राप्त की। परिवादी ने दि. 15.04.2006 को रू. 7000/- खाते से प्राप्त किए, जिसके बाद बैलेन्स रू. 58385.75 पैसे था। परिवादी ने दि. 22.04.06 को बैंक जाकर अपने खाते को देखा तो उसे ज्ञात हुआ कि उसके खाते से रू. 55500/- की धनराशि विपक्षी संख्या 2 बैंक व उसके कर्मचारियों ने कूटरचना करके धोखाधड़ी से निकाल लिया या निकाल लेने में किसी को मदद की। विपक्षी संख्या 2 के कर्मचारियों ने मौखिक रूप से बताया कि दि. 18.04.06 से 20.04.06 को कथित चेक से रूपये निकला गया है। उसके द्वारा कर्मचारियों को बतलाया गया जिस चेक से रूपये निकाला बताया जा रहा है वह धनराशि उन्हें कभी प्राप्त नहीं हुई। परिवादी का यह भी कथन है कि जिस कथित चेक से रूपये निकाला गया है उस चेक के बारे में कोई भी जानकारी नहीं है। परिवादी के अनुसार दि. 17 मार्च 2006 के बाद से कभी भी कोई चेक नहीं लिया गया और न चेक बुक प्राप्ति के रजिस्टर पर उसने हस्ताक्षर किये और न चेकबुक प्राप्ति रजिस्टर पर परिवादी के हस्ताक्षर हैं।
जिला मंच के समक्ष एकपक्षीय कार्यवाही सम्पादित हुई।
पीठ ने उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्ताओं की बहस सुनी एवं पत्रावली पर उपलब्ध अभिलेखों एवं साक्ष्यों का भलीभांति परिशीलन किया गया।
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अपीलार्थी ने अपने अपील आधार में यह अभिकथन किया है कि जिला मंच का निर्णय क्षेत्राधिकार से बाहर व मनमाना है। जिला मंच का निर्णय एकतरफा व तथ्यों के विपरीत है।
यह तथ्य निर्विवाद है कि परिवादी का एक बचत बैंक खाता संख्या 17378 अपीलार्थी/विपक्षी संख्या 2 की बैंक शाखा में है, जिसमें परिवादी की सेलरी क्रेडिट होती थी। परिवादी का यह कथन है कि अपीलार्थी बैंक ने उसे 20 पन्नों की एक चेकबुक 204201 से 204220 तक दि. 17.03.06 को निर्गत की थी। दि. 22.04.06 को परिवादी को यह ज्ञात हुआ कि उसके एकाउन्ट से रू. 55500/- की धनराशि फर्जी रूप से निकाल ली गई है, जिसमें दि. 18.04.06 को रू. 15000/- ,19.04.06 को रू. 40000/- की धनराशि निकाल ली गई है तथा दि. 20.04.06 को रू. 500/- की धनराशि निकाली गई। परिवादी का यह कथन है कि जो चेकबुक उसे इश्यू की गई थी उसके अतिरिक्त नई चेकबुक निर्गत होकर उसमें से उक्त धनराशि की चेक काटी गई थी, जिसमें उसके फर्जी हस्ताक्षर हैं। यह सभी धनराशि नई चेकबुक से निकाली गई।
जिला मंच के निर्णय से यह स्पष्ट है कि जिला मंच के समक्ष कार्यवाही एकतरफा चली।
चूंकि यह प्रकरण बैंक से धनराशि निकाले जाने के संबंध में है, अत: इस प्रकरण में बैंक को सुना जाना आवश्यक है, जिससे सही तथ्यों का पता लग सके।
केस के तथ्यों एवं परिस्थितियों के अनुसार Audi alteram partem के सिद्धांत के अनुसार न्याय हित में अपीलार्थी को सुना जाना आवश्यक है। अत: प्रकरण जिला मंच को प्रतिप्रेषित किए जाने योग्य है। तदनुसार प्रस्तुत अपील स्वीकार किए जाने योग्य है।
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आदेश
प्रस्तुत अपील स्वीकार की जाती है तथा जिला मंच का निर्णय/आदेश दि. 02.06.2007 निरस्त किया जाता है। प्रकरण जिला मंच को इस निर्देश के साथ प्रतिप्रेषित किया जाता है कि उभय पक्षों को साक्ष्य प्रस्तुत करने का अवसर प्रदान करते हुए गुणदोष के आधार पर परिवाद का प्राथमिकता से निस्तारण करना सुनिश्चित करें।
निर्णय की प्रतिलिपि पक्षकारों को नियमानुसार उपलब्ध कराई जाए।
(राज कमल गुप्ता) (महेश चन्द)
पीठासीन सदस्य सदस्य
राकेश, पी0ए0-2
कोर्ट-3