Uttar Pradesh

StateCommission

A/917/2019

Uttar Madhya Railway - Complainant(s)

Versus

Manoj Kumar Gupta - Opp.Party(s)

Prem Prakash Srivastava

02 Dec 2021

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/917/2019
( Date of Filing : 29 Jul 2019 )
(Arisen out of Order Dated 27/05/2019 in Case No. C/93/2018 of District Etawah)
 
1. Uttar Madhya Railway
D.R.M. Allababad
...........Appellant(s)
Versus
1. Manoj Kumar Gupta
S/O Late Radheyshyam Gupta Advocate Niwasi 76 New Colony Chaugurji Etawah U.P.
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 
PRESENT:
 
Dated : 02 Dec 2021
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

(सुरक्षित)                                                                                  

अपील संख्‍या:-917/2019

(जिला उपभोक्‍ता आयोग, इटावा द्धारा परिवाद सं0-93/2018 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 27.5.2019 के विरूद्ध)

1- उत्‍तर मध्‍य रेलवे द्वारा डी0आर0एम0 इलाहाबाद।

2- उत्‍तर मध्‍य रेलवे द्वारा वरिष्‍ठ मण्‍डल वाणिज्‍य प्रबन्‍धक, नवाब यूसुफ रोड, मण्‍डल कार्यालय, इलाहाबाद।

3- उत्‍तर मध्‍य रेलवे द्वारा स्‍टेशन अधीक्षक, इटावा

........... अपीलार्थी/विपक्षीगण

बनाम         

1- मनोज कुमार गुप्‍ता पुत्र स्‍व0 राधेश्‍याम गुप्‍ता, एडवोकेट

2- श्रीमती अनिल गुप्‍ता पत्‍नी मनोज कुमार गुप्‍ता

निवासीगण 76 न्‍यू कालोनी चौगुर्जी, इटावा।

       …….. प्रत्‍यर्थी/परिवादीगण

समक्ष :-

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष         

अपीलार्थीगण के अधिवक्‍ता  :- श्री पी0पी0 श्रीवास्‍तव

प्रत्‍यर्थीगण के अधिवक्‍ता     :- श्री मनोज कुमार गुप्‍ता, स्‍वयं

दिनांक :-10.12.2021

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय

प्रस्‍तुत अपील, अपीलार्थीगण/उत्‍तर मध्‍य रेलवे द्वारा इस आयोग के सम्‍मुख धारा-15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अन्‍तर्गत जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, इटावा द्वारा परिवाद सं0-93/2018 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 27.5.2019 के विरूद्ध योजित की गई है।

संक्षेप में प्रस्‍तुत अपील के तथ्‍य इस प्रकार है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादीगण द्वारा दिनांक 30.12.2017 की यात्रा हेतु कालका से इटावा तक ट्रेन नं0-12312 कालका मेल से ए0सी0 तृतीय श्रेणी का आरक्षण, ई-टिकट के माध्‍यम से कराया था तथा परिवादी सं0-1 श्री मनोज कुमार गुप्‍ता को कोच

-2-

सं0-बी-3 में 25 नम्‍बर सीट आरक्षित हुई और परिवादिनी सं0-2 श्रीमती अनिल गुप्‍ता की सीट कनफर्म न होकर वेटिंग लिस्‍ट में 04 नम्‍बर पर रही, जिसके कारण परिवादीगण ए0सी0 कोच में साथ-साथ यात्रा नहीं कर सके। चूंकि यात्रा करना बहुत जरूरी था इसलिए बडी कठिनाई से कालका से इटावा तक के लिए जनरल कोच में यात्रा करनी पड़ी, जिससे परिवादी बुरी तरह से बीमार पड़ गया। नियमानुसार ई-टिकट में वेटिंग लिस्‍ट कनफर्म न होने पर टिकट का पैसा बुकिंग कराने वाले के खाते में वापस आ जाता है, परन्‍तु परिवादी के खाते में पैसा वापस नहीं आया। तब उसने इटावा आकर इस प्रकरण में रेलवे काउण्‍टर पर पता किया, तो यह जानकारी प्राप्‍त हुई कि टिकट कनफर्म न होने के कारण उन्‍हें तरह-तरह की परेशानी हुई, अत्एव परिवादीगण द्वारा यह परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध रू0 950.00 की वापसी तथा मानसिक, शारीरिक कष्‍ट एवं वाद व्‍यय हेतु जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख प्रस्‍तुत किया गया।

विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्‍तागण को सुनने के उपरांत तथा उपलब्‍ध समस्‍त प्रपत्रों को दृष्टिगत रखते हुए निर्णय/आदेश में निम्‍न निष्‍कर्ष पारित किया:-

"स्‍टष्‍ट है कि परिवादीगण ने एक टिकट, ई-टिकट के माध्‍यम से विपक्षीगण से कालका से इटावा तक के लिए बुक कराया था, दिनांक 30.12.2017 की यात्रा के लिए ए0सी0 तृतीय श्रेणी में किन्‍तु दुर्भाग्‍य से पैसेंजर नं0-1 का टिकट तो कनफर्म हो गया और पैसेंजर नं0-2 का टिकट कनफर्म नहीं हुआ और जिसके कारण कथित रूप से उसे जनरल कोच में यात्रा करनी पडी और उसकी बुकी की गयी धनराशि रू0 950.00 भी उसके खाते में वापस नहीं हुई और न ही पूछे जाने पर इटावा रेलवे काउण्‍टर से

-3-

उसे रूपये वापस किए गये और इस प्रकार स्‍पष्‍ट है कि विपक्षीगण के सद्भावपूर्ण उपभोक्‍ता, परिवादीगण हैं और उन्‍होंने दिनांक 30.12.2017 को कालका मेल से कालका से इटावा तक की यात्रा की है, किन्‍तु परिवादी सं0-1 कनफर्म ए0सी0 कोच में और परिवादी सं0- जनरल कोच में कथित रूप से यात्रा की है। परिवादी सं0-2 परिवादी सं0-1 की पत्‍नी है। यह भी स्‍पष्‍ट है कि उक्‍त परिवादी के खाते में अभी तक रू0 950.00 वापस नहीं आये हैं और यह भी स्‍पष्‍ट है कि परिवादी सं0-2 ने जनरल कोच में उसी दिन यात्रा की है, पैसा वापस नहीं हुआ और टिकट कनफर्म न होने के चलते पति पत्‍नी अगल-अलग यात्रा करना तथा कथित रूप से इटावा में टी0टी0ई0 के द्वारा दुर्व्‍यवहार किया जाना स्‍पष्‍टत: रेलवे के द्वारा सेवा में कमी है और इस बात का कोई खण्‍डन प्रति शपथपत्र के साथ विपक्षीगण की ओर से नहीं किया गया है। यह भी स्‍पष्‍ट है कि रेलवे के मामले में माल और दुर्घटना से सम्‍बन्धित क्षतिपूर्ति के दावे देखने के लिए रेलवे एक्‍सीडेंट क्‍लेम ट्व्‍यूनल है लेकिन कई बार माननीय राष्‍ट्रीय आयोग ने स्‍पष्‍ट किया है कि यात्री की सुविधा और सेवा में कमी से सम्‍बन्धित मामले देखने का क्षेत्राधिकार उपभोक्‍ता फोरम को प्राप्‍त है और यह परिवाद धारा-13 रेलवे एक्‍सीडेंट क्‍लेम ट्व्‍यूनल से बाधित नहीं है। इटावा रेलवे स्‍टेशन और उत्‍तर मध्‍य रेलवे का एक अंश है जिसमें घटना घटित हुई है और इस फोरम के स्‍थानीय क्षेत्राधिकार के अन्‍तर्गत है और इसलिए इस परिवाद को देखने और सुनने का स्‍थानीय क्षेत्राधिकार इस फोरम को प्राप्‍त है और इस सम्‍बन्‍ध में विपक्षीगण के द्वारा उठायी गयी आपत्ति न तो मानने योग्‍य है न ही उसके समर्थन में विश्‍वसनीय एवं मानने योग्‍य अभिसाक्ष्‍य प्रस्‍तुत किए है। परिवादी ने अपने परिवाद अभिकथन और दावे के समर्थन में विश्‍वसनीय एवं मानने

-4-

योग्‍य अभिसाक्ष्‍य प्रस्‍तुत किए है और प्रकारान्‍तर से दाखिल नोटिफिकेशन की छाया प्रतिलिपि भी उसके दावे का आंशिक समर्थन करती है और इसलिए परिवादी का यह परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार किए जाने योग्‍य है और परिवादी द्वारा ई-टिकट से खदीदे जाने में दी गयी धनराशि वापस होने योग्‍य है और कारित असुविधा और सेवा के लिए उचित क्षतिपूर्ति भी प्राप्‍त करने के अधिकारी है, किन्‍तु परिवादीगण के द्वारा इस सम्‍बन्‍ध में अतिरंजित और बढा चढा कर क्षतिपूर्ति की मॉग की है।

उपरोक्‍त विवेचन विश्‍लेषण के आधार पर यह फोरम इस निष्‍कर्ष पर पहुंचती है कि परिवादीगण का यह परिवाद यथा विरचित आंशिक रूप से स्‍वीकार किए जाने योग्‍य है और परिवादीगण मॉगे गये अनुतोष को आंशिक रूप से विपक्षीगण से प्राप्‍त करने के अधिकारी है और उसके विरूद्ध रेलवे विभाग के द्वारा उठायी गयी आपत्ति मानने योग्‍य नहीं है।"   

उपरोक्‍त निष्‍कर्ष को दृष्टिगत रखते हुए जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा परिवाद पत्र में विपक्षीगण अर्थात उत्‍तर मध्‍य रेलवे द्वारा डी0आर0एम0 इलाहाबाद, उत्‍तर मध्‍य रेलवे द्वारा वरिष्‍ठ मण्‍डल वाण्ज्यि प्रबंधक, नवाब यूसुफ रोड़, मण्‍डल कार्यालय, इलाहाबाद एवं उत्‍तर मध्‍य रेलवे द्वारा स्‍टेशन अधीक्षक, इटावा के विरूद्ध संयुक्‍त रूप से विचरित किया तदोपरांत आंशिक रूप से परिवाद को स्‍वीकार करते हुए विपक्षीगण को निर्देशित किया कि वे दो माह की अवधि में परिवादी को उल्लिखित ई-टिकट वाले खाते में रू0 950.00 रिफण्‍ड/वापस करें तथा परिवादी के उपरोक्‍त खाते में विपक्षीगण रेलवे द्वारा कारित की गई असुविधा एवं सेवा कमी के लिए एक मुश्‍त रू0 5,000.00 वापस करें, यदि विपक्षीगण द्वारा ऊपर उल्लिखित आदेश का अनुपालन समयावधि में सुनिश्चित नहीं किया जावेगा, तब उस

-5-

स्थिति में दिनांक 10.4.2018 जो कि वाद योजन की तिथि है, से भुगतान की तिथि तक 10 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज भी अदा करने हेतु आदेशित किया।

मेरे द्वारा अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्‍ता श्री पी0पी0 श्रीवास्‍तव को सुना। प्रत्‍यर्थी श्री मनोज कुमार गुप्‍ता, स्‍वयं उपस्थित है। दौरान बहस अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा कथन किया गया कि अपीलार्थीगण द्वारा सेवा में किसी प्रकार की कोई कमी नहीं की गई, बल्कि प्रत्‍यर्थी/परिवादीगण द्वारा बुक की गई ई-टिकट बुकिंग के विरूद्ध उपलब्‍ध एक बर्थ ए0सी0 थ्री टियर में उपलब्‍ध करायी गई तथा यह कि यदि प्रत्‍यर्थी/परिवादीगण द्वारा जिस स्‍थल से ई-टिकट प्राप्‍त किया गया था, उस स्‍थल पर नियमानुसार दी गई समयावधि में दूसरा ई-टिकट वापस करते तब उन्‍हें टिकट प्राप्‍त करने हेतु दी गई धनराशि वापस प्राप्‍त हो सकती थी।

प्रत्‍यर्थी श्री मनोज कुमार गुप्‍ता द्वारा कथन किया गया कि दिनांक 30.12.2017 को रात्रि लगभग 11.30 बजे कालिका मेल से, कालिका स्‍टेशन से इटावा स्‍टेशन तक यात्रा हेतु ई-टिकट खरीदे गये। चूंकि अपीलार्थी/विपक्षीगण द्वारा दोनों ई‍-टिकटों पर आरक्षण सुनिश्चित नहीं किया गया, अत्एव एक यात्री/परिवादी को घोर ठण्‍ड की रात्रि में सामान्‍य दर्जे की बोगी में रातभर यात्रा करनी पडी तथा यह कि वह अपने गन्‍तव्‍य पर लगभग 14 घण्‍टे की अवधि में पहुंचा, इस बीच न सिर्फ उसे शारीरिक, मानसिक वरन अस्‍वस्‍थता से ग्रसित होना पडा, जिस हेतु जो अनुतोष जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा प्रदान किया गया है, वह भी बहुत कम है।

मेरे द्वारा उभय पक्षों को सुना गया। पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त तथ्‍यों एवं प्रपत्रों का सुसंगत अवलोकन किया गया। विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश का परिशीलन किया गया तथा

-6-

जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा के निष्‍कर्ष एवं आदेश का परिशीलन करने के उपरांत यह पाया गया कि उपरोक्‍त निर्णय/आदेश में किसी प्रकार की कोई विसंगति नहीं है, न ही ऐसी विसंगति अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा इंगित की जा सकी है। अत्एव अपील निरस्‍त की जाती है तथा अपीलार्थीगण को आदेशित किया जाता है कि विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा परिवाद सं0-93/2018 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 27.5.2019 का अनुपालन 60 दिन की अवधि में सुनिश्चित किया जावे, अन्‍यथा की स्थिति में अपीलार्थीगण को हर्जाना रू0 2,000.00 और परिवादी को देय होगा।

धारा-15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनिमय, 1986 के अन्‍तर्गत अपील में जमा धनराशि अर्जित ब्‍याज सहित सम्‍बन्धित जिला उपभोक्‍ता आयोग को निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जाये।

आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

  

 

                                    (न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)                   

                                        अध्‍यक्ष                                                                                                                     

 

हरीश आशु.,

कोर्ट नं0-1

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 

Consumer Court Lawyer

Best Law Firm for all your Consumer Court related cases.

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!
5.0 (615)

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!

Experties

Consumer Court | Cheque Bounce | Civil Cases | Criminal Cases | Matrimonial Disputes

Phone Number

7982270319

Dedicated team of best lawyers for all your legal queries. Our lawyers can help you for you Consumer Court related cases at very affordable fee.