Uttar Pradesh

StateCommission

A/2012/269

Mohd Ateeq Ahmad - Complainant(s)

Versus

Manager Air India - Opp.Party(s)

Issar Husain

29 Nov 2018

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2012/269
( Date of Filing : 10 Feb 2012 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Mohd Ateeq Ahmad
-
...........Appellant(s)
Versus
1. Manager Air India
-
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Raj Kamal Gupta PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Mahesh Chand MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 29 Nov 2018
Final Order / Judgement

सुरक्षित

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ।

अपील संख्‍या :269/2012

(जिला उपभोक्‍ता फोरम, प्रथम, लखनऊ द्वारा परिवाद संख्‍या-175/2007 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 10-01-2012 के विरूद्ध)

Mohd Atiq Ahmad S/o Sri Naseer Ahmad R/o House No. 418/704, New Kalyanpuri, Gorhi Peer Khan, Lucknow.

                                                   ...अपीलार्थी/विपक्षी

बनाम्

  1. Manager, Air India, Chintals House, 16, Station Road, Lucknow 226001.
  2. Chairman/Managing Director, Air India Ltd., Registered Office Hanslay Building, 5th Floor, 15 Barakhambha Road, New Delhi, 110001.

                                                 ........प्रत्‍यर्थी/विपक्षीण

अपीलार्थी  की ओर से उपस्थित-          श्री इसार हुसैन।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित-            कोई नहीं।

समक्ष  :-

  1. मा0 श्री राज कमल गुप्‍ता,              पीठासीन सदस्‍य।
  2. मा0 श्री महेश चन्‍द,                    सदस्‍य

दिनांक :  27-12-2018

मा0 श्री महेश चन्‍द, सदस्‍य द्वारा उद्घोषित निर्णय

परिवाद संख्‍या-175/2007 मो0 अतीक अहमद बनाम् प्रबंधक एअर इण्डिया चिन्‍टल्‍स हाउस व एक अन्‍य में जिला उपभोक्‍ता फोरम, प्रथम, लखनऊ द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय एवं आदेश दिनां‍क 10-01-2012 के विरूद्ध यह अपील उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम की धारा-15 के अन्‍तर्गत इस आयोग के समक्ष प्रस्‍तुत की गई है।

 

2

इस प्रकरण में विवाद के संक्षिप्‍त सुसंगत तथ्‍य इस प्रकार है कि परिवादी सऊदी अरब में दर्जी का काम करता है और उसने दिनांक 29-01-2005 को विपक्षी से सउदी अरब में एयर इण्डिया के एजेन्‍ट के माध्‍यम से लखनऊ से जेद्दा जाने के लिए एयर रिटर्न टिकट  खरीदा। परिवादी फरवरी, 2005 में भारत आया। उसे दिनांक 30-07-2005 को वापस सऊदी अरब जाकर अपनी ड्यूटी ज्‍वाइन करनी थी। परिवादी द्वारा दिनांक 29-07-2005 के लिए अपनी फ्लाइट कन्‍फर्म करायी गयी। उसे फ्लाइट संख्‍या–AI, 891 से अमौसी एयरपोर्ट लखनऊ से जेद्दा जाना था इसलिए वह दिनांक 29-07-2005 को सुबह 7.45 बजे अमौसी एयरपोर्ट पहुँचा तो उसे पता चला कि एयरपोर्ट पर उसकी फ्लाइट नहीं आयी है और पता करने पर उसे ज्ञात हुआ कि मौसम खराब होने के कारण संबंधित फ्लाइट मुम्‍बई से लखनऊ नहीं आयी है। परिवादी का कथन है कि यह फ्लाइट मुम्‍बई से होकर नहीं आनी थी इसलिए मुम्‍बई में मौसम खराब होने का फ्लाइट से कोई सबंध नहीं था। परिवादी द्वारा टिकट का समय बढ़ाने के लिए कहा गया किन्‍तु सउदी अरब की एम्‍बेसी ने बीजा का समय बढ़ाने से इंकार कर दिया। परिवादी द्वारा विपक्षी को एक नोटिस भेजा गया जिसका कोई उत्‍तर विपक्षी द्वारा नहीं दिया गया। यह विपक्षी के स्‍तर पर सेवा में कमी है। इसलिए परिवादी ने परिवाद संख्‍या-175/07 जिला फोरम प्रथम, लखनऊ के समक्ष योजित करते हुए निवेदन किया है कि विपक्षीगण द्वारा फ्लाइट कैन्सिल करने से परिवादी को हुई हानि की क्षतिपूर्ति हेतु रू0 6,00,000/- दिलाया जाए तथा मानसिक कष्‍ट हेतु रू0 1,00,000/- व वाद व्‍यय दिलाया जाए।

विपक्षीगण की ओर से प्रतिवाद पत्र दाखिल किया गया जिसमें उसने परिवाद पत्र के अभिकथनों से इंकार करते हुए कथन किया है कि विपक्षीगण की संबंधित फ्लाइट दिनांक 29-07-2005 को मुम्‍बई एअरपोर्ट पर पानी भर जाने के कारण मुम्‍बई से लखनऊ नहीं आई अत: लखनऊ से दिनांक 29-07-2005 को फ्लाइट जाना सम्‍भव नहीं था, अत: मौसम खराब होने के कारण फ्लाइट निरस्‍त की गयी थी। इसके साथ ही कथन किया गया कि यदि फ्लाइट निरस्‍त होती है या देरी हो जाती है तो उसकी लिए विपक्षीगण जिम्‍मेदार नहीं है। मात्र टिकट की वापसी के लिए धारा/आर्टिकल-12 के अन्‍तर्गत विपक्षीगण जिम्‍मेदार है।  इसलिए उनकी ओर

 

 

3

से सेवा में किसी प्रकार की कोई कमी नहीं की गयी है। अत: परिवाद निरस्‍त किया जाए।

विद्धान जिला फोरम द्वारा उभयपक्षों को विस्‍तारपूर्वक सुनकर तथा उनके द्धारा प्रस्‍तुत किये गये साक्ष्‍यों का परिशीलन करने के बाद निम्‍नलिखित आदेश पारित किया गया है :-

‘परिवादी का परिवाद पत्र आंशिक रूप से स्‍वीकार किया जाता है। विपक्षीगण को आदेश दिया जाता है कि वह आदेश प्राप्ति के 30 दिन के अंदर परिवादी को एअर टिकट का मूल्‍य 2100 रियाल की जो भी भारतीय करेन्‍सी में धनराशि बनती हो वह मय 06 प्रतिशत ब्‍याज सहित फ्लाइट के दिनांक 29-07-2005 से ता अदायगी भुगतान करें साथ ही परिवादी को हुए मानसिक क्‍लेश व शारीरिक कष्‍ट की तरह रू0 5000/- एवं वाद व्‍यय की तरह रू0 2000/- भी दें।‘’

उपरोक्‍त आक्षेपित आदेश से क्षुब्‍ध होकर यह अपील योजित की गयी है।

अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी की ओर से विद्धान अधिवक्‍ता श्री इसार हुसैन उपस्थित हुए। प्रत्‍यर्थीगण की ओर से कोई उपस्थित नहीं आया।

पीठ द्वारा अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्‍ता के तर्कों को सुना गया तथा आक्षेपित निर्णय और आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया गया।

पत्रावली के अवलोकन से यह तथ्‍य निर्विवादित रूप से स्‍पष्‍ट है कि अपीलार्थी/परिवादी ने दिनांक 29-07-2005 को लखनऊ से जेद्दा (सऊदी अरब) जाने के लिए एयर इण्डिया की फ्लाइट संख्‍या-AI-891 का टिकट क्रय किया था जो कि कन्‍फर्म टिकट था। किन्‍तु मुम्‍बई में मौसम खराब होने के कारण कदाचित उक्‍त  फ्लाइट निरस्‍त हो गयी। अपीलार्थी का यह तर्क स्‍वीकार करने योग्‍य नहीं है कि यह फ्लाइट मुम्‍बई होकर नहीं जानी थी अत: मुम्‍बई का मौसम खराब होने का फ्लाइट निरस्‍त होने से कोई सरोकार नहीं है। प्रत्‍यर्थी/विपक्षी के इस तर्क में बल है कि जो फ्लाइट लखनऊ से जेद्दा जानी थी वह मुम्‍बई से लखनऊ आनी थी। वह फ्लाइट लखनऊ से दिल्‍ली होकर जेद्दा जाती। दिनांक 29-07-2005 को मुम्‍बई में मौसम खराब होने के कारण एयर पोर्ट में पानी भर गया तथा उक्‍त फ्लाइट

 

 

4

मुम्‍बई से नहीं उड़ सकी तथा लखनऊ नहीं पहुँची। अत: लखनऊ से जेद्दा की फ्लाइट निरस्‍त हो गयी। यह एक प्राकृतिक आपदा थी जो प्रत्‍यर्थी/विपक्षी के नियंत्रण के बाहर थी। अत: ऐसी स्थिति में प्रत्‍यर्थी/परिवादी के स्‍तर पर सेवा में कोई कमी नहीं की गयी। प्रत्‍यर्थी ने प्रश्‍नगत आदेश विधि सम्‍मत तथा न्‍यायोचित बताया है।

अपीलार्थी/परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में जिस क्षति का उल्‍लेख किया है उसका कोई पुष्‍ट प्रमाण प्रस्‍तुत नहीं किया है अत: उक्‍त वांछित क्षति की प्रतिपूर्ति का कोई प्रश्‍न ही नहीं उठता। विद्धान जिला फोरम ने विस्‍तृत विचारोपरान्‍त प्रश्‍नगत आदेश पारित किया है। यह पीठ प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश से पूर्णत: सहमत है। अपीलार्थी की अपील में कोई बल नहीं है और अपील खारिज होने योग्‍य है।

 

आदेश

अपील निरस्‍त की जाती है प्रश्‍नगत आदेश की पुष्टि की जाती है।

अपीलीय स्‍तर पर उभयपक्ष अपना-अपना वाद व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे। 

इस निर्णय एवं आदेश की प्रति उभयपक्षों को नियमानुसार उपलब्‍ध करायी जाए।

 

(राज कमल गुप्‍ता)                                   (महेश चन्‍द)

 पीठासीन सदस्‍य                                       सदस्‍य

कोर्ट नं0-3 प्रदीप मिश्रा, आशु0

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. Raj Kamal Gupta]
PRESIDING MEMBER
 
[HON'BLE MR. Mahesh Chand]
MEMBER

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