सुरक्षित
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
अपील संख्या-713/2010
(जिला उपभोक्ता फोरम, देवरिया द्वारा परिवाद संख्या-352/2003 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 25.03.2010 के विरूद्ध)
1. जनरल मैनेजर, एन.ई. रेलवे, गोरखपुर।
2. चीफ क्लेम आफिसर, एन.ई. रेलवे, गोरखपुर।
3. स्टेशन मास्टर, बरहज बाजार, एन.ई. रेलवे, बरहज स्टेशन, देवरिया।
अपीलकर्तागण/विपक्षीगण
बनाम्
महेश प्रसाद सोनकर पुत्र श्री मुन्नी लाल सोनकर, निवासी गौरा, जयनगर, बरहज, जिला देवरिया।
प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष:-
1. माननीय श्री उदय शंकर अवस्थी, पीठासीन सदस्य।
2. माननीय श्री गोवर्द्धन यादव, सदस्य।
अपीलकर्तागण की ओर से : श्री एम0एच0 खान, विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से : श्री टी0एच0 नकवी, विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक 08.01.2019
मा0 श्री उदय शंकर अवस्थी, पीठासीन सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील, विद्वान जिला मंच, देवरिया द्वारा परिवाद संख्या-352/2003 में पारित निर्णय एंव आदेश दिनांक 25.03.2010 के विरूद्ध योजित की गयी है।
संक्षेप में तथ्य इस प्रकार हैं कि प्रत्यर्थी/परिवादी के कथनानुसार प्रत्यर्थी/परिवादी के नाम से दो बैग असाम से दिनांक 25.02.2002 को देवरिया रेलवे स्टेशन के लिए भेजे गये, उनकी बुकिंग उक्त तिथि को करायी गयी थी, किन्तु देवरिया रेलवे स्टेशन पर परिवादी को मात्र एक बैग दिया गया था। परिवादी ने रसीद के साथ मुख्य दावा अधिकारी विपक्षी को दावा प्रेषित किया। परिवादी के दावे का निस्तारण नहीं किया गया तथा तमाम पत्राचार के पश्चात दिनांक 28.02.2003 के पत्र द्वारा परिवादी को सूचित किया गया कि उनके बीजक का सही अता-पता नहीं होने के कारण दावा अस्वीकार किया जाता है। परिवादी के कथनानुसार एक ही रसीद से दोनों बैग परिवादी को भेजे गये, किन्तु एक बैग न देकर सेवा में त्रुटि की गयी है। परिवादी के कथनानुसार विवादित बैग में 70 किलोग्राम सामान था, जिसकी कीमत रू0 18,462/- थी। अत: रू0 18,462/- तथा क्षतिपूर्ति की अदायगी हेतु परिवाद जिला मंच के समक्ष प्रस्तुत किया गया।
विपक्षी द्वारा प्रतिवाद पत्र जिला मंच के समक्ष प्रस्तुत किया गया। विपक्षी के कथनानुसार समस्त जांच के उपरांत परिवादी से उसका मूल बीजक सत्यापन हेतु मांगा गया था, जिसे उसने भेज दिया था, किन्तु उक्त बीजक का पता सही न होनेके कारण उसका सत्यापन नहीं हो सका तथा परिवादी का दावा अस्वीकार कर दिया गया। विपक्षी का यह भी कथन है कि प्रश्नगत विवाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार जिला मंच को प्राप्त नहीं है। प्रस्तुत परिवाद माल के अपरिदान के सन्दर्भ में दाखिल किया गया है, जो रेलवे दावा अधिकरण की धारा-13 के अन्तर्गत आने वाले विषयों में आता है, इसलिए यह परिवाद रेलवे दावा अधिकरण में दाखिल होना चाहिये था। रेलवे ट्रिब्यूनल एक्ट की धारा-13 के अनुसार केवल रेलवे क्लेम ट्रिब्यूनल को ही ऐसे केसों की सुनवाई का क्षेत्राधिकार प्राप्त है तथा धारा-15 के अन्तर्ग अन्य न्यायालय तथा न्यायाधिकरण का क्षेत्राधिकार बाधित है।
जिला मंच ने प्रश्नगत निर्णय द्वारा अपीलकर्तागण को निर्देशित किया है कि परिवादी को परिवाद दाखिल करने की तिथि 02.07.2003 से भुगतान की वास्तविक तिथि तक प्रश्नगत मूल्यांकित धनराशि 18,462/- रू0 पर 8 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित अदा करें, और 1500/- रू0 वाद व्यय भी अदा करें।
इस निर्णय एवं आदेश से क्षुब्ध होकर यह अपील योजित की गयी है।
हमने अपीलकर्तागण के विद्वान अधिवक्ता श्री एम0एच0 खान तथा प्रत्यर्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री टी0एच0 नकवी के तर्क सुने तथा पत्रावली का अवलोकन किया।
अपीलकर्तागण के विद्वान अधिवक्ता द्वारा यह तर्क प्रस्तुत किया गया कि प्रस्तुत परिवाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार जिला मंच को प्राप्त नहीं है। इस सन्दर्भ में विशिष्ट रूप से जिल मंच के समक्ष अपीलकर्तागण द्वारा आपत्ति की गयी थी, किन्तु जिला मंच द्वारा अपीलकर्तागण की आपत्ति को स्वीकार न करते हुए अपीलकर्तागण/विपक्षीगण के विरूद्ध प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश पारित किया गया। अपीलकर्तागण के कथनानुसार रेलवे क्लेम ट्रिब्यूनल एक्ट 1987 की धारा-13 के अन्तर्गत परिवहन से भेजे गये माल के खो जाने, डिलीवरी प्राप्त न कराये जाने के सन्दर्भ में विवादों का निपटारा रेलवे क्लेम ट्रिब्यूनल अधिनियम द्वारा किया जायेगा। इस अधिनियम की धारा-15 के अनुसार किसी अन्य न्यायालय अथवा अदालतों को ऐसे मामलों की सुनवाई का क्षेत्राधिकार नहीं होगा। ऐसी परिस्थिति में प्रश्नगत परिवाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार जिला मंच, देवरिया को प्राप्त नहीं था। रेलवे क्लेम ट्रिब्यूनल एक्ट एक विशेष अधिनियम है। अत: विशेष अधिनियम के प्रावधान प्रभावी होगें। अपीलकर्तागण द्वारा यह भी तर्क प्रस्तुत किया गया कि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा-3 के अन्तर्गत अतिरिक्त फोरम प्रदान किया गया है, किन्तु उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम किसी अन्य अधिनियम में उल्लिखित प्रावधानों की अनदेखी करते हुए प्रभावी नहीं होंगे। अपीलकर्तागण के विद्वान अधिवक्ता द्वारा यह तर्क भी प्रस्तुत किया गया कि मा0 राष्ट्रीय आयोग द्वारा श्रीमती कलावती बनाम यूनाइटेड वैश कोआपरेटिव थ्रिफ्ट एण्ड क्रेडिट सोसायटी लि0 2002 (1) सीपीजे 71 (एनसी) के मामलें में यह निर्णीत किया गया है कि रेवले क्लेम ट्रिब्यूनल द्वारा पोषणीय मामले में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के प्रावधान प्रभावी नहीं होंगे। अपीलकर्तागण के विद्वान अधिवक्ता द्वारा यह तर्क भी प्रस्तुत किया गया है कि प्रश्नगत निर्णय में विद्वान जिला मंच द्वारा सन्दर्भित निर्णय प्रस्तुत वाद के सन्दर्भ में उपयोगी नहीं है। इण्डियन रेलवेज बनाम डा0 आर.सी. वर्मा के मामलें में पंखा, लाइट, पानी की आपूर्ति आरक्षित कक्ष में न किये जाने से संबंधित विवाद था। सुमति देवी बनाम यूनियन आफ इण्डिया के मामलें में आरक्षित कष्ट में सुमति देवी को अनाधिकृत यात्रियों द्वारा चोटें पहुंचाने तथा उसके सामान को क्षति पहुंचाने का विवाद था।
हमने रेलवे दावा अधिकरण अधिनियम की धारा-13 एवं धारा-15 का अवलोकन किया। प्रश्नगत विवाद धारा-13 में वर्णित विवादों के अन्तर्गत आता है। अधिनियम की धारा-13 के अन्तर्गत् ऐसे विवादों की सुनवाई का क्षेत्राधिकारण विद्वान जिला मंच को प्राप्त नहीं है। ऐसी परिस्थिति में हमारे विचार से प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश क्षेत्राधिकार के अभाव में पारित होने के कारण अपास्त होने तथा अपील स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील स्वीकार की जाती है। प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 25.03.2010 अपास्त किया जाता है तथा परिवाद भी निरस्त किया जाता है।
पक्षकारान अपना-अपना अपीलीय व्यय-भार स्वंय वहन करेंगे।
पक्षकारान को इस निर्णय एवं आदेश की सत्यप्रतिलिपि नियमानुसार उपलब्ध करा दी जाये।
(उदय शंकर अवस्थी) (गोवर्द्धन यादव)
पीठासीन सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0, कोर्ट-2