सुरक्षित
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
अपील संख्या-1736/2011
(जिला उपभोक्ता फोरम, जौनपुर द्वारा परिवाद संख्या-95/2010 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 17.08.2011 के विरूद्ध)
1. महाप्रबन्धक, उत्तर रेलवे, मुख्यालय बड़ौदा हाउस, नई दिल्ली।
2. मुख्य यांत्रिक अभियंता कार्मिक/सेटेलमेंट, डीजल रेल इंजन कारखाना, वाराणसी।
अपीलार्थीगण/विपक्षीगण
बनाम्
कु0 रईस फात्मा पुत्रा स्व0 महमूद, मोहल्ला बलूआघाट, परगना हवेली, तहसील सदर, जिला जौनपुर।
प्रत्यर्थी/परिवादिनी
समक्ष:-
1. माननीय श्री संजय कुमार, पीठासीन सदस्य।
2. माननीय श्री महेश चन्द, सदस्य।
अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित : श्री पी0पी0 श्रीवास्तव, विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : श्री राजेश कुमार तिवारी, विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक 23.02.2018
मा0 श्री संजय कुमार, पीठासीन सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
यह अपील, परिवाद संख्या-95/2010, कुं0 रईस फात्मा बनाम महाप्रबन्धक उत्तर रेलवे व अन्य में जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, जौनपुर द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 17.08.2011 से क्षुब्ध होकर विपक्षीगण/अपीलार्थीगण की ओर से योजित की गयी है, जिसके अन्तर्गत जिला फोरम द्वारा निम्नवत् आदेश पारित किया गया है :-
'' परिवादिनी कुमारी रईस फात्मा का परिवाद संख्या 95/10 विपक्षीगण के विरूद्ध इस तरह से स्वीकार किया जाता है कि विपक्षीगण उसे नियमानुसार देय पारिवारिक पेंशन का भुगतान निर्णय की तिथि से करें। पक्षगण अपना-अपना वाद व्यय स्वंय वहन करेंगे और परिवादिनी द्वारा यदि कोई प्रपत्र उद्धत करने की आवश्यकता है तो उसे परिवादिनी द्वारा उपस्थित होने पर निष्पादित करा सकती है। ''
प्रस्तुत प्रकरण के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार हैं कि परिवादिनी के पिता, महमूद डीएलडब्ल्यू में कर्मचारी थे। परिवादिनी के पिता दिनांक 31.05.1987 को सेवानिवृत्त हो गये। उनके देहांत के पश्चात परिवादिनी की मां पारिवारिक पेंशन पाती रहीं हैं। परिवादिनी की मां की मृत्यु के पश्चात परिवादिनी पारिवारिक पेंशन पाने की अधिकारिणी है, जिसके लिए प्रश्नगत परिवाद जिला फोरम के समक्ष योजित किया गया।
विपक्षीगण द्वारा परिवाद पत्र का विरोध करते हुए प्रतिवाद पत्र दाखिल किया गया और मुख्यत: यह कहा गया कि प्रश्नगत प्रकरण जिला फोरम के क्षेत्राधिकार के अन्तर्गत नहीं आता है, अत: परिवाद निरस्त किये जाने योग्य है।
जिला फोरम द्वारा उभय पक्ष को विस्तार से सुनने एवं पत्रावली का परिशीलन करने के उपरांत उपरोक्त आक्षेपित निर्णय एवं आदेश दिनांक 17.08.2011 पारित किया गया।
उपरोक्त आक्षेपित निर्णय एवं आदेश से क्षुब्ध होकर यह अपील, विपक्षीगण/अपीलार्थीगण की ओर से योजित की गयी है।
अपील सुनवाई हेतु पीठ के समक्ष प्रस्तुत हुई। अपीलार्थीगण की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री पी0पी0 श्रीवास्तव तथा प्रत्यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री राजेश कुमार तिवारी उपस्थित हुए। विद्वान अधिवक्तागण को विस्तार से सुना गया एवं प्रश्नगत निर्णय/आदेश तथा उपलब्ध अभिलेखों का ध्यानपूवर्क परिशीलन किया गया।
अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्ता द्वारा मुख्य रूप से यह तर्क प्रस्तुत किया गया कि यह मामला किसी वैध सेवा और सेवा सम्बन्धी मामले की श्रेणी में नहीं आता है, इसलिए जिला फोरम को परिवाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार प्राप्त नहीं है। यह मामला प्रशासनिक अधिकरण अधिनियम 1985 की धारा 3 Q के अन्तर्गत सर्विस सम्बन्धी मामला है, जिसकी सुनवाई करने का क्षेत्राधिकार केन्द्रीय प्रशासनिक अधिकरण को प्राप्त है। श्री महमूद की सेवानिवृत्ति के समय दी गयी उद्घोषणा के अनुसार पारिवारिक पेंशन हेतु कोई अन्य उत्तराधिकारी उपलब्ध न होने के कारण पारिवारिन पेंशन बन्द कर दी गयी। स्व0 महमूद ने अपनी सेवानिवृत्ति के समय की गयी पारिवारिक उद्घोषणा में अपनी पत्नी रजिया एवं चार पुत्रियों को दर्शाया था। परिवादिनी और अपीलार्थीगण के बीच सेवा प्रदाता एवं उपभोक्ता का सम्बन्ध स्थापित नहीं है। परिवादिनी मृतक कर्मचारी की पुत्री है, जिसने पारिवारिक पेंशन के लिए परिवाद दाखिल किया है।
प्रत्यर्थी के विद्वान अधिवक्ता ने तर्क प्रस्तुत किया कि परिवादिनी/प्रत्यर्थी मृतक कर्मचारी स्व0 महमूद की पुत्री है तथा उसे पारिवारिक पेंशन प्राप्त करने की अधिकारिणी है। जिला फोरम का निर्णय एवं आदेश सही एवं उचित है।
आधार अपील एवं सम्पूर्ण पत्रावली का परिशीलन किया गया, जिससे यह विदित होता है कि परिवादिनी स्व0 महमूद की पुत्री है। परिवादिनी के पिता डीएलडब्ल्यू में कर्मचारी थे। परिवादिनी अविवाहित है, विकलांग एवं निराश्रित है। आय का कोई अन्य साधन नहीं है। परिवादिनी के पिता दिनांक 31.05.1987 को सेवानिवृत्त हो गये, उन्हें विभाग द्वारा पेंशन दी जाती रही, उनकी मृत्यु के उपरांत परिवादिनी की मां को पारिवारिक पेंशन मिलती रही। मां की मृत्यु के पश्चात रेलवे विभाग ने परिवादिनी को पेंशन देने से यह कहते इंकार कर दिया कि महमूद की मृत्यु के समय परिवादिनी उनकी पुत्रीयों में नामित नहीं थीं, इसलिए वह पारिवारिक पेंशन पाने की अधिकारिणी नहीं हैं। अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्ता ने तर्क प्रस्तुत करते हुए कहा कि विद्वान जिला फोरम द्वारा यह अवधारित करके त्रुटि की गई है कि यह मामला वैध सेवा और सेवा संबंधी मामले की श्रेणी में नहीं आता है, इसलिए इस मामलें की सुनवाई का क्षेत्राधिकार जिला फोरम को है। अपीलार्थीगण के अनुसार प्रस्तुत प्रकरण की सुनवाई का अधिकार केन्द्रीय प्रशासनिक अधिकरण को प्राप्त है। यह तर्क स्वीकार करने योग्य है, क्योंकि प्रश्नगत मामला पेंशन विवाद से सम्बन्धित है। परिवादिनी और अपीलार्थीगण के बीच उपभोक्ता एवं सेवाप्रदाता का कोई सम्बन्ध स्थापित नहीं है। अपीलार्थीगण की अपील में बल है। अपील स्वीकार किये जाने योग्य है। प्रश्नगत आदेश अपास्त किये जाने योग्य है।
आदेश
अपील स्वीकार की जाती है। जिला फोरम, जौनपुर द्वारा परिवाद संख्या-95/2010, कुं0 रईस फात्मा बनाम महाप्रबन्धक उत्तर रेलवे व अन्य में निर्णय/आदेश दिनांक 17.08.2011 अपास्त किया जाता है तथा परिवाद भी निरस्त किया जाता है।
पक्षकारान अपना-अपना अपीलीय व्यय स्वंय वहन करेंगे।
पक्षकारान को इस निर्णय/आदेश की प्रमाणित प्रतिलिपि नियमानुसार उपलब्ध करा दी जाये।
(संजय कुमार) (महेश चन्द)
पीठासीन सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0, कोर्ट-4