राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उत्तर प्रदेश, लखनऊ।
मौखिक
विविध वाद सं0-३६५/२०२२
कान्ती बाजपेयी व अन्य
...........परिवादीगण।
बनाम
यूनियन बैंक आफ इण्डिया व अन्य
…….. आवेदक/विपक्षी सं0-१,२ व ३.
समक्ष :-
१. माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष।
२. माननीय श्री विकास सक्सेना, सदस्य।
परिवादीगण की ओर से उपस्थित :- श्री प्रमेन्द्र वर्मा विद्वान अधिवक्ता।
आवेदक की ओर से उपस्थित :- कोई नहीं।
दिनांक :- १५-११-२०२२.
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत विविध प्रार्थना पत्र परिवाद सं0-२२४/२०१९ के विपक्षी सं0-१, २ व ३ बैंक के द्वारा प्रस्तुत किया गया है।
आवेदक विपक्षी सं0-१, २ व ३ बैंक के विद्वान अधिवक्ता श्री राजेश चड्ढा अनुपस्थित हैं तथा परिवादीगण के विद्वान अधिवक्ता श्री प्रमेन्द्र वर्मा उपस्थित हैं।
हमने परिवादीगण के विद्वान अधिवक्ता श्री प्रमेन्द्र वर्मा को सुना तथा उपरोक्त परिवाद सं0-२२४/२०१९ की पत्रावली एवं प्रस्तुत विविध प्रार्थना पत्र का सम्यक रूप से परिशीलन व परीक्षण किया।
परिवादीगण के विद्वान अधिवक्ता द्वारा कथन किया गया कि परिवादी सं0-२ उमाकान्त बाजपेयी की मृत्यु दिनांक २७-०९-२०२२ को हो चुकी है। परिवाद सं0-२२४/२०१९, जिसकी मूल पत्रावली उक्त विविध वाद के साथ प्रस्तुत हुई है, के परिवादीगण के अधिवक्ता द्वारा एक प्रार्थना पत्र मृतक परिवादी सं0-२ उमाकान्त बाजपेयी के विधिक वारिसान अतुल कुमार बाजपेयी एवं अमित बाजपेयी को परिवादी
-२-
सं0-२ व ३ के रूप में प्रतिस्थापित किए जाने हेतु मय शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
उक्त प्रतिस्थापन प्रार्थना पत्र के विरोध में विरोध पत्र दिनांकित ०१-११-२०२२ विपक्षी सं0-१, २ व ३ बैंक के विद्वान अधिवक्ता श्री राजेश चड्ढा द्वारा प्रस्तुत किया गया है, जो विविध वाद सं0-३६५/२०२२ के रूप में दर्ज हुआ। परिवाद की मूल पत्रावली के परिशीलन से स्पष्ट पाया गया कि दिनांक १२-१०-२०२२ को प्रस्तुत परिवाद में इस न्यायालय द्वारा उभय पक्ष के अधिवक्तागण को सुनने के उपरान्त निर्णय सुरक्षित रखा गया है।
मामले के तथ्यों एवं परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए स्पष्ट पाया जाता है कि उपरोक्त विविध प्रार्थना पत्र/विरोध पत्र दिनांकित ०१-११-२०२२ में कोई बल नहीं है। तदनुसार प्रस्तुत विविध प्रार्थना पत्र/विरोध पत्र दिनांकित ०१-११-२०२२ निरस्त किया जाता है।
परिवादीगण की ओर से प्रस्तुत प्रतिस्थापन प्रार्थना पत्र स्वीकार किया जाता है। तदनुसार अधिवक्ता परिवादीगण को आदेशित किया जाता है कि परिवाद में मृतक परिवादी उमाकान्त बाजपेयी के विधिक वारिसान का प्रतिस्थापन आज ही सुनिश्चित किया जावे। तदोपरान्त ही अपेक्षित निर्णय इस न्यायालय द्वारा उदघोषित किया जा सकेगा।
इस निर्णय एवं उपरोक्त विविध प्रार्थना पत्र/विरोध पत्र दिनांकित ०१-११-२०२२ की एक प्रमाणित प्रतिलिपि मूल परिवाद सं0-२२४/२०१९ की पत्रावली पर रखी जावे।
पत्रावली दाखिल दफ्तर की जावे।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार) (विकास सक्सेना)
अध्यक्ष सदस्य
प्रमोद कुमार,
वैयक्तिक सहायक ग्रेड-१,
कोर्ट नं0-१.