सुरक्षित
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ
(जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, रामपुर द्वारा परिवाद संख्या 39 सन 2005में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 24.05.2007 के विरूद्ध)
अपील संख्या 1364 सन 2007
Union Bank of India, a nationalized Bank constituted under the banking Companies (Acquisition and Transfer of Undertakings) Act, 1970 having its registered office at 239] Vidhan Bhawan Marg, Nariman Point, Mumbai – 400021 and on of its Branches Known as Rampur Branch Bara Bazar Rampur – Through Sri Rajeev Kumar Agarwal, constituted Attorney and Assistant Manager, Rampur Branch, Union Bank of India, Rampur (UP)
.......अपीलार्थी/प्रत्यर्थी
-बनाम-
Jameel Ahamad son of late Sri Taki Ahamad Khan, resident of jail Road, Tanki No 5, Rampur (UP)
. .........प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष:-
मा0 श्री विजय वर्मा, पीठासीन सदस्य।
मा0 श्री गोवर्धन यादव, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता - कोई नहीं ।
प्रत्यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता - श्री ए0के0 पाण्डेय ।
दिनांक:-19-07-18
श्री गोवर्धन यादव, सदस्य द्वारा उद्घोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील, जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, रामपुर द्वारा परिवाद संख्या 39 सन 2005 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 24.05.2007 के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी है ।
संक्षेप में, प्रकरण के आवश्यक तथ्य इस प्रकार हैं कि परिवादी का बचत खाता संख्या 108054 विपक्षी की बैंक में संचालित है। परिवादी को उसके पुत्र ने आईसीआईसीआई बैंक का 5000.00 रू0 का एक चेक संख्या 393301 बम्बई से भेजा जिसे परिवादी ने अपने उक्त बचत खाते में दिनांक 30.01.2004 को जमा किया । चेक की धनराशि खाते में जमा होने के संबंध में परिवादी लगातार बैंक से सम्पर्क करता रहा परन्तु विपक्षी बैंक द्वारा परिवादी को उपरोक्त चेक के संबंध में कोई संतोषजनक उत्तर नहीं दिया। मजबूर होकर उसने दिनांक 15.05.2004 को बैंक को एक नोटिस दी जिस पर विपक्षी ने परिवादी को सूचित किया कि प्रश्नगत चेक गुम हो गया है, जब मिलेगा तब भुगतान किया जाएगा। परिवादी का कहना है कि उसे धन की तीब्र आवश्यकता है लेकिन बैंक द्वारा भुगतान न करने से उसे आर्थिक हानि एवं मानसिक क्लेष हो रहा है। अत: परिवादी ने चेक की धनराशि मय ब्याज एवं क्षतिपूर्ति हेतु जिला मंच में परिवाद योजित किया।
विपक्षी बैंक की ओर से जिला मंच के समक्ष अपना प्रतिवाद पत्र प्रस्तुत करके उल्लिखित किया गया कि संबंधित चेक की धनराशि संग्रह करने हेतु प्रश्नगत चेक जिला मुरादाबाद स्थित यूनियन बैंक आफ इण्डिया की शाखा में कूरियर द्वारा भेजा गया था जो संबंधित बैंक में नहीं पहुंचा और मार्ग में ही गुम हो गया। यह बात परिवादी को बता दी गयी थी । उक्त चेक की धनराशि का भुगतान किसी को नहीं हुआ है और चेक की समयावधित भी समाप्त हो चुकी है, अत: भविष्य में भी चेक की धनराशि के भुगतान होने की कोई सम्भावना नहीं है। विपक्षी का कहना है कि उसने इस तथ्य से परिवादी को अवगत कराते हुए अपने पुत्र से दूसरा चेक लेने के लिए कहा था लेकिन परिवादी ने जानबूझ कर ऐसा नहीं किया और परिवाद दाखिल कर दिया ।
जिला मंच ने उभय पक्ष के साक्ष्य एवं अभिवचनों के आधार पर निम्न आदेश पारित किया :-
'' With Cost Rs. 1500-00 complaint is partly allowed with direction that within one month from today o.p. shall pay damages of Rs. 3000.00 and 8 % per annum interest on cheque amount of Rs. 5000.00 from 06-02-2004 till payment, failing which amount of damages and rate of interest both shall swell to its double. ''
उक्त आदेश से क्षुब्ध होकर प्रस्तुत अपील बैंक द्वारा प्रस्तुत की गयी है।
अपील के आधारों में कहा गया है कि जिला मंच ने प्रश्नगत निर्णय विधिपूर्व नहीं है। जिला मंच द्वारा सेविंग बैंक रूल्स पर ध्यान नहीं दिया है। संबंधित चेक की धनराशि संग्रह करने हेतु चेक यूनियन बैंक आफ इण्डिया की शाखा में कूरियर द्वारा भेजा गया था जो मार्ग में गुम हो गया। चेक की धनराशि का भुगतान किसी को नहीं हुआ है और चेक की समयावधित समाप्त हो चुकी थी और भविष्य में भी भुगतान होने की कोई सम्भावना नहीं है। परिवादी अपने पुत्र से दूसरा चेक प्राप्त कर सकता था लेकिन उसने अनुचित क्षतिपूर्ति प्राप्त करने हेतु जिला मंच में परिवाद दाखिल किया।जिला मंच ने सम्पूर्ण तथ्यों को संज्ञान में लिए बिना प्रश्नगत निर्णय पारित किया गया है जो अपास्त किए जाने योग्य है।
हमने उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्ता गण के तर्क विस्तारपूर्वक सुने एवं पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्यों का सम्यक अवलोकन किया।
पत्रावली के अवलोकन से विदित होता है कि परिवादी का बचत खाता विपक्षी की बैंक में संचालित है। परिवादी को उसके पुत्र ने 5000.00 रू0 का एक चेक बम्बई से उसे भेजा था जिसे परिवादी ने अपने बचत खाते में दिनांक 30.01.2004 को जमा किया । उक्त चेक ट्रांजेक्शन के दौरान गुम हो गया है। चेक की धनराशि का भुगतान किसी को नहीं हुआ है और चेक की समयावधित भी समाप्त हो चुकी और चेक की धनराशि चेक जारीकर्ता के खाते में सुरक्षित है। परिवादी को यह बात बैंक द्वारा बता दी गयी थी और परिवादी को अपने पुत्र से दूसरा चेक लेने के लिए भी कहा गया था परन्तु परिवादी ने ऐसा नहीं किया और परिवाद योजित कर दिया।
अभिलेखों के अवलोकन से यह स्पष्ट है कि बैंक की लापरवाही के कारण चेक गुम हुआ है। बैंक द्वारा परिवादी को चेक गुम होने के बावत काफी समय बाद नोटिस देने पर बताया गया गया जिसके कारण परिवादी को अनावश्यक रूप से हैरान व परेशान होना पड़ा है। इस संबंध में जिला मंच ने विस्तृत एवं विवेच्य निर्णय पारित करते हुए क्षतिपूर्ति एवं चेक की धनराशि अदा करने हेतु अपीलार्थी/विपक्षी को निर्देशित किया है, जो अनुचित है। हमारे विचार से चेक में अंकित प्रश्नगत धनराशि का भुगतान किसी को नहीं हुआ है और धनराशि चेक जारी करने वाले के पास ही सुरक्षित है, अत: परिवादी विपक्षी से मात्र मानसिक क्लेश एवं क्षतिपूर्ति की धनराशि ही पाने का अधिकारी है।
तद्नुसार प्रस्तुत अपील आंशिक रूप से स्वीकार किए जाने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, रामपुर द्वारा परिवाद संख्या 39 सन 2005 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 24.05.2007 में आरोपित 3000.00 रू0 क्षतिपूर्ति की धनराशि अदा करने का आदेश अपास्त करते हुए शेष आदेश की पुष्टि की जाती है।
उभय पक्ष इस अपील का अपना-अपना व्यय स्वयं वहन करेंगे।
(विजय वर्मा ) (गोवर्धन यादव)
पीठासीन सदस्य सदस्य
सुबोल
वै0सहा0.
कोर्ट नं0-3