Uttar Pradesh

StateCommission

A/2004/1401

Union Bank of India - Complainant(s)

Versus

I A Khan - Opp.Party(s)

Kaushal Kishore

13 Apr 2022

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2004/1401
( Date of Filing : 21 Jul 2004 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District )
 
1. Union Bank of India
A
...........Appellant(s)
Versus
1. I A Khan
A
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Rajendra Singh PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 13 Apr 2022
Final Order / Judgement

                                                       (सुरक्षित)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

अपील संख्‍या-1401/2004

(जिला उपभोक्‍ता फोरम, चन्‍दौली द्वारा परिवाद संख्‍या-20/2002 में पारित निणय/आदेश दिनांक 15.06.2004 के विरूद्ध)

 

यूनियन बैंक आफ इण्डिया, चन्‍दौली ब्रांच, जिला चन्‍दौली।

                    अपीलार्थी/विपक्षी

बनाम

श्री इफ्तखार अहमद खान पुत्र स्‍व0 मो0 शरीफ, निवासी मौजा धरांव, तहसील सकलडीहा।

                                     प्रत्‍यर्थी/परिवादी

समक्ष:-                           

1. माननीय श्री राजेन्‍द्र सिंह, सदस्‍य।

2. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य।

अपीलार्थी की ओर से          : श्री राजेश चड्ढा, विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से      : श्री टी.एच. नकवी, विद्वान अधिवक्‍ता।

दिनांक:  26.05.2022  

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य  द्वारा उद्घोषित                                                 

निर्णय

1.         परिवाद संख्‍या-20/2002, इफ्तखार अहमद खान बनाम यूनियन बैंक आफ इण्डिया में विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग, चन्‍दौली द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश दिनांक 15.06.2004 के विरूद्ध यह अपील प्रस्‍तुत की गई है। इस निर्णय/आदेश द्वारा विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग ने परिवाद स्‍वीकार करते हुए विपक्षी को आदेशित किया गया है कि वह परिवादी को पेन्‍शन धनराशि अंकन 3,690/- रूपये तथा क्षतिपूर्ति के रूप में अंकन 2,500/- रूपये तथा वाद व्‍यय के रूप में अंकन 1,000/- रूपये 06 प्रतिशत ब्‍याज सहित अदा करें।

2.         परिवाद पत्र के तथ्‍य संक्षेप में इस प्रकार हैं कि परिवादी ने दिनांक 09.05.1995 को अंकन 3,690/- रूपये पेन्‍शन राशि का बिल ट्रेजरी आफिसर्स, वाराणसी से पास कराकर चन्‍दौली स्थित यूनियन बैंक आफ इण्डिया में जमा किया। पेन्‍शन की धनराशि विपक्षी बैंक द्वारा प्राप्‍त की जा चुकी है, परन्‍तु परिवादी के खाते में जमा नहीं की गई है।

3.         विपक्षी बैंक का कथन है कि पेन्‍शन बिल बैंक को प्राप्‍त नहीं हुआ। पेन्‍शन बिल संख्‍या-ओ.बी.सी. 240 दिनांक 16.05.1995 फर्जी है, उस पर बैंक के किसी सक्षम अधिकारी के हस्‍ताक्षर नहीं हैं।

4.         दोनों पक्षकारों की साक्ष्‍य पर विचार करने के पश्‍चात विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा यह निष्‍कर्ष दिया गया कि उपरोक्‍त वर्णित पेन्‍शन राशि जमा करने की मूल रसीद प्रस्‍तुत की गई है, जिस पर खजांची/सक्षम अधिकारी के हस्‍ताक्षर भी हैं। मूल ट्रेजरी बिल भी प्रस्‍तुत किया गया है। तदनुसार उपरोक्‍त वर्णित निर्णय/आदेश पारित किया गया।

5.         इस निर्णय/आदेश के विरूद्ध अपील इन आधारों पर प्रस्‍तुत की गई है कि विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग ने समयावधि से बाधित परिवाद पर निर्णय/आदेश पारित किया है, क्‍योंकि बिल मई 1995 में जमा करना गया है, जबकि परिवाद वर्ष 2002 में प्रस्‍तुत किया गया है। दिनांक 09.05.1995 की स्लिप पर किसी के भी हस्‍ताक्षर नहीं हैं तथा मोहर भी अंकित नहीं है। यह दस्‍तावेज एक फर्जी दस्‍तावेज है, इसलिए विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग का निर्णय/आदेश विधि विरूद्ध है।

6.         दोनों पक्षकारों के अधिवक्‍ताओं को सुना गया तथा प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।

7.         सर्वप्रथम इस बिन्‍दु पर विचार किया जाता है कि क्‍या विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग ने समयावधि से बाधित परिवाद पर निर्णय/आदेश पारित किया है। परिवाद के उल्‍लेख के अनुसार पेन्‍शन बिल ओ.बी.सी. 240 दिनांक 16.05.1995 को जमा करना करना गया है। वाद का कारण दिनांक 01.03.2002 को उस समय उत्‍पन्‍न होना कहा गया है, जब बैंक द्वारा इस राशि को परिवादी के खाते में ट्रांसफर करने से इंकार कर दिया गया। प्रत्‍यर्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का यह तर्क है कि चूंकि परिवादी इस राशि को ट्रांसफर कराने का प्रयास करता रहा, यह तर्क किसी भी दृष्टि से विधिसम्‍मत प्रतीत नहीं होता, जो बिल वर्ष 1995 में जमा किया गया, उसके संबंध में वाद कारण उस समय उत्‍पन्‍न हो चुका था। वर्ष 2002 में वाद कारण उत्‍पन्‍न होने का एक फर्जी आधार तैयार किया गया है। परिवाद पत्र में इस तथ्‍य का भी उल्‍लेख नहीं है कि परिवादी ने इस राशि को अपने खाते में जमा करने के लिए बैंक से कोई अनुरोध किया हो और बैंक द्वारा समय की मांग की गई हो या परिवादी के पत्र का उत्‍तर न दिया गया हो। अत: स्‍पष्‍ट है कि विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग ने उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम की धारा 24 ए में वर्णित समयावधि से बाहर जाकर परिवाद पर निर्णय/आदेश पारित किया है। धारा 24 ए के प्रावधान आज्ञात्‍मक हैं। अत: समयावधि से बाधित परिवाद पर पारित निर्णय/आदेश अपास्‍त होने और अपील स्‍वीकार होने योग्‍य है।

आदेश

 

8.         प्रस्‍तुत अपील स्‍वीकार की जाती है। विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 15.06.2004 अपास्‍त किया जाता है तथा समयावधि से बाधित परिवाद खारिज किया जाता है।

पक्षकार अपना-अपना अपीलीय व्‍यय स्‍वंय वहन करेंगे।

           आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।

 

  (राजेन्‍द्र सिंह)                           (सुशील कुमार)

   सदस्‍य                                 सदस्‍य

 

 

 

निर्णय/आदेश आज खुले न्‍यायालय में हस्‍ताक्षरित, दिनांकित होकर उद्घोषित किया गया।

 

                   

 

(राजेन्‍द्र सिंह)                           (सुशील कुमार)

 सदस्‍य                                  सदस्‍य

 

 

लक्ष्‍मन, आशु0,

    कोर्ट-2 

 
 
[HON'BLE MR. Rajendra Singh]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
JUDICIAL MEMBER
 

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