राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
(मौखिक)
अपील संख्या-1000/2017
(जिला उपभोक्ता फोरम, जौनपुर द्वारा परिवाद संख्या 37/2014 में पारित आदेश दिनांक 04.05.2017 के विरूद्ध)
Union Bank of India, a Nationalized Bank Constituted under the Banking Companies (Acquisition and Transfer of Undertaking Act, 1970) having its registered office at 239-Vidhan Bhawan Marg, Nariman Point Mumbai-400021 and branches elsewhere including the one known as Union Bank of India, Chambaltara Branch, District-Jaunpur through its Principal Officer and constituted Attorney Shri Devi Prasad Mandal, Branch Manager. ....................अपीलार्थी/विपक्षी सं02
बनाम
1. Hori Lal, adult, son of Babu Lal, resident of Village-Pyareypur, Post-Sadar, Pargana-Haveli, Tehsil-Sadar, District-Jaunpur.
2. The New India Insurance Company Ltd., Branch Office, Civil Lines, District-Jaunpur through its Manager.
...................प्रत्यर्थीगण/परिवादी एवं विपक्षी सं01
एवं
अपील संख्या-1139/2017
(जिला उपभोक्ता फोरम, जौनपुर द्वारा परिवाद संख्या 37/2014 में पारित आदेश दिनांक 04.05.2017 के विरूद्ध)
The New India Assurance Company Limited, through the Manager, Legal HUB, 94, M.G. Marg, Hazratganj, Lucknow. ....................अपीलार्थी/विपक्षी सं01
बनाम
1. Hori Lal, son of Babu Lal, resident of Village Pyarey Pur, Post-Sadar, District-Jaunpur.
2. Union Bank of India, Branch-Chambaltara, Jaunpur, through it’s Branch Manager.
...................प्रत्यर्थीगण/परिवादी एवं विपक्षी सं02
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समक्ष:-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष।
परिवादी की ओर से उपस्थित : श्री आर0के0 मिश्रा,
विद्वान अधिवक्ता।
विपक्षी सं01 बीमा कम्पनी की ओर से उपस्थित : श्री वी0पी0 पाण्डेय,
विद्वान अधिवक्ता।
विपक्षी सं02 बैंक की ओर से उपस्थित : श्री पंकज कुमार सिन्हा,
विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक: 20.09.2018
मा0 न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
परिवाद संख्या-37/2014 होरीलाल बनाम दि न्यू इण्डिया इन्श्योरेन्स कम्पनी लि0 व एक अन्य जिला फोरम, जौनपुर ने निर्णय और आदेश दिनांकित 04.05.2017 के द्वारा निर्णीत किया है और निम्न आदेश पारित किया है:-
''परिवाद उपरोक्तानुसार स्वीकृत किया जाता है। विपक्षीगण प्रश्नगत धनराशि को परिवादी होरीलाल को अदा करने के लिए संयुक्त एवं पृथक रूप से जिम्मेदार होगें। क्षतिपूर्ति की सम्पूर्ण धनराशि परिवाद योजित होने की तिथि से भुगतान की वास्तविक तिथि तक मय 9 प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्याज की दर से विपक्षी सं0.2 द्वारा परिवादी होरी लाल को आदेश/निर्णय की तिथि से एक माह के अन्दर अदा किया जावेगा। परिवादी होरीलाल को प्रथमत: भुगतान की गयी सम्पूर्ण धनराशि को, विपक्षी सं01 दि न्यू इण्डिया एश्योरेन्स कम्पनी लि0 सिविल लाईन्स जौनपुर के विरूद्ध वसूली का अधिकार विपक्षी सं02 यूनियन बैंक आफ इण्डिया शाखा चम्बलतारा जौनपुर को प्राप्त होगा।''
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जिला फोरम के निर्णय से क्षुब्ध होकर परिवाद के विपक्षी संख्या-2 यूनियन बैंक आफ इण्डिया ने उपरोक्त अपील संख्या-1000/2017 यूनियन बैंक आफ इण्डिया बनाम होरी लाल व एक अन्य और विपक्षी संख्या-1 दि न्यू इण्डिया एश्योरेंस कं0लि0 ने उपरोक्त अपील संख्या-1139/2017 दि न्यू इण्डिया एश्योरेंस कं0लि0 बनाम होरी लाल व एक अन्य धारा-15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत राज्य आयोग के समक्ष प्रस्तुत किया है।
दोनों अपील एक ही निर्णय के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी हैं। अत: दोनों अपीलों का निस्तारण एक साथ संयुक्त निर्णय के द्वारा किया जा रहा है।
दोनों अपील में परिवादी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री आर0के0 मिश्रा, विपक्षी संख्या-1 बीमा कम्पनी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री वी0पी0 पाण्डेय और विपक्षी संख्या-2 बैंक की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री पंकज कुमार सिन्हा उपस्थित आए हैं।
मैंने उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्तागण के तर्क को सुना है और आक्षेपित निर्णय एवं आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है।
दोनों अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्त सुसंगत तथ्य इस प्रकार हैं कि परिवादी होरीलाल ने परिवाद जिला फोरम के समक्ष इस कथन के साथ प्रस्तुत किया है कि वह एक गरीब बेरोजगार व्यक्ति है। उसने भैंस खरीदने हेतु विपक्षी संख्या-2 यूनियन बैंक आफ इण्डिया से 35,570/-रू0 का ऋण लिया और 50,000/-रू0 में भैंस क्रय किया। ऋण की अदायगी की अवधि तक भैंस का हाईपोथिकेसन बैंक के पक्ष
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में था, इसलिए विपक्षी संख्या-2 बैंक द्वारा ही भैंस का बीमा विपक्षी संख्या-1 दि न्यू इण्डिया इंश्योरेंस कम्पनी लि0 से कराया गया था और भैंस को चिन्हित करने हेतु टैग संख्या-एन0आई0ए0/ए0सी0डी0/35585 भैंस के कान में लगाया गया था। बीमा कवर नोट विपक्षी संख्या-2 बैंक की अभिरक्षा में ही था।
परिवाद पत्र के अनुसार बीमा अवधि में ही भैंस दिनांक 23.01.2011 को बीमारी के कारण मर गयी। भैंस की मृत्यु की सूचना दूसरे दिन ही विपक्षी संख्या-2 बैंक को दी गयी और विपक्षी संख्या-2 बैंक के निर्देशानुसार भैंस का पोस्टमार्टम कराया गया। उसके बाद विपक्षी संख्या-2 द्वारा भैंस की मृत्यु की सूचना क्लेम के सम्बन्ध में विपक्षी संख्या-1 बीमा कम्पनी को दिनांक 09.05.2011 को दी गयी। तब विपक्षी संख्या-1 बीमा कम्पनी ने दिनांक 27.07.2011 को सम्बन्धित प्रपत्र विपक्षी संख्या-2 को प्रेषित किया। तब विपक्षी संख्या-2 ने परिवादी से दावा प्रपत्र व संबंधित प्रपत्र शव विच्छेदन रिपोर्ट के साथ प्राप्त कर विपक्षी संख्या-1 बीमा कम्पनी को भेजा।
परिवाद पत्र के अनुसार अगस्त 2011 से परिवादी को विपक्षीगण द्वारा यह आश्वासन दिया गया कि जल्द ही बीमा क्लेम मिल जाएगा और क्लेम धनराशि को ऋण में समायोजित कर लिया जाएगा, परन्तु विपक्षीगण की लापरवाही और सेवा में कमी के कारण परिवादी के बीमा क्लेम का निस्तारण नहीं किया गया और न बीमित धनराशि को ऋण में समायोजित किया गया। इस बीच विपक्षी
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संख्या-2 बैंक ने दिनांक 02.09.2013 को परिवादी को नोटिस भेजा, जिसके अनुसार परिवादी के जिम्मा ऋण की अवशेष धनराशि 33134.44/-रू0 बतायी गयी। तब परिवादी ने विपक्षी संख्या-2 बैंक से सम्पर्क किया तो उसे बताया गया कि अभी तक क्लेम का निस्तारण नहीं किया गया है। अत: विवश होकर उसने परिवाद जिला फोरम के समक्ष प्रस्तुत किया है।
परिवाद पत्र में संशोधन के द्वारा परिवादी ने कहा है कि उसने परिवाद लम्बन की अवधि में भैंस के लिए विपक्षी संख्या-2 बैंक से ली गयी ऋण की धनराशि अदा कर दिया है। अब उसके जिम्मा और कोई धनराशि अवशेष नहीं है।
जिला फोरम के समक्ष विपक्षी संख्या-1 बीमा कम्पनी ने लिखित कथन प्रस्तुत कर कहा है कि परिवादी के क्लेम से सम्बन्धित भैंस का चमड़ा सहित टैग उसे प्राप्त नहीं कराया गया। इस सन्दर्भ में उसने पत्र प्रेषित किया फिर भी विपक्षी संख्या-2 द्वारा भैंस के कान का छल्ला/टैग ही उपलब्ध कराया गया। चमड़ा उपलब्ध नहीं कराया गया और न इस सन्दर्भ में कोई सूचना दी गयी। अत: इससे यह स्पष्ट है कि प्रश्नगत भैंस बीमा कम्पनी से बीमाकृत नहीं थी। अत: बीमा कम्पनी ने परिवादी का दावा नो क्लेम कर दिया है और ऐसा कर उसने सेवा में कोई त्रुटि नहीं की है।
जिला फोरम के समक्ष विपक्षी संख्या-2 बैंक ने लिखित कथन प्रस्तुत कर कहा है कि विपक्षी बैंक की ओर से सेवा में कोई कमी नहीं की गयी है।
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जिला फोरम ने उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्ध साक्षों पर विचार करने के उपरान्त आक्षेपित निर्णय पारित करते हुए उपरोक्त प्रकार से आदेश पारित किया है।
अपीलार्थी/विपक्षी संख्या-1 बीमा कम्पनी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने भैंस के कान का छल्ला चमड़ा सहित प्रस्तुत नहीं किया है। अत: अपीलार्थी/विपक्षी संख्या-1 बीमा कम्पनी ने उचित आधार पर प्रत्यर्थी/परिवादी का दावा बीमा अस्वीकार किया है। जिला फोरम ने परिवाद स्वीकार कर गलती की है।
अपीलार्थी/विपक्षी संख्या-1 बीमा कम्पनी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि भैंस का बीमित मूल्य 13000/-रू0 है। जिला फोरम ने बीमित मूल्य 50,000/-रू0 मानकर गलती की है। जिला फोरम का निर्णय त्रुटिपूर्ण है और निरस्त होने योग्य है।
अपीलार्थी/विपक्षी संख्या-2 बैंक के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि बैंक ने प्रत्यर्थी/परिवादी का बीमा दावा बीमा कम्पनी को प्रेषित किया है। बैंक की सेवा में कोई कमी नहीं है। जिला फोरम ने अपीलार्थी/विपक्षी संख्या-2 बैंक के विरूद्ध जो आक्षेपित आदेश पारित किया है, वह पूर्णतया विधि विरूद्ध है और निरस्त होने योग्य है।
दोनों अपील में प्रत्यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि जिला फोरम का निर्णय उचित है।
मैंने उभय पक्ष के तर्क पर विचार किया है।
प्रत्यर्थी/परिवादी ने भैंस के कान का छल्ला व पोस्टमार्टम रिपोर्ट प्रस्तुत किया है। अत: बीमा कम्पनी ने प्रत्यर्थी/परिवादी का बीमा दावा
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छल्ला चमड़ा सहित प्रस्तुत न करने के आधार पर जो निरस्त किया है, वह उचित नहीं है। भैंस का बीमित मूल्य 13,000/-रू0 है। भैंस का बीमित मूल्य जिला फोरम ने 50,000/-रू0 गलत तौर पर स्वीकार किया है। अत: जिला फोरम के निर्णय को संशोधित करते हुए अपीलार्थी/विपक्षी संख्या-1 बीमा कम्पनी को भैंस का बीमित मूल्य 13,000/-रू0 परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से अदायगी की तिथि तक 09 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज के साथ प्रत्यर्थी/परिवादी को अदा करने हेतु आदेशित किया जाना उचित है।
प्रत्यर्थी/परिवादी को ब्याज बीमित धनराशि पर दिया जा रहा है। अत: जिला फोरम ने जो 5000/-रू0 अतिरिक्त क्षतिपूर्ति प्रदान की है, उसे अपास्त किया जाना उचित है।
जिला फोरम ने जो 2500/-रू0 वाद व्यय प्रत्यर्थी/परिवादी को दिया है, वह उचित है।
बैंक की सेवा में कोई कमी साबित नहीं है। अत: बैंक की अपील स्वीकार कर उसके विरूद्ध जिला फोरम द्वारा पारित आदेश अपास्त करते हुए परिवाद निरस्त किए जाने योग्य है।
उपरोक्त निष्कर्ष के आधार पर अपीलार्थी/विपक्षी संख्या-1 बीमा कम्पनी की अपील आंशिक रूप से उपरोक्त प्रकार से स्वीकार किए जाने योग्य है।
आदेश
अपीलार्थी/विपक्षी संख्या-1 बीमा कम्पनी की उपरोक्त अपील संख्या-1139/2017 आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए जिला फोरम का
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निर्णय संशोधित किया जाता है और अपीलार्थी/विपक्षी संख्या-1 बीमा कम्पनी को आदेशित किया जाता है कि वह भैंस की बीमित धनराशि 13,000/-रू0 परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से अदायगी की तिथि तक 09 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज के साथ प्रत्यर्थी/परिवादी को अदा करे। साथ ही जिला फोरम द्वारा आदेशित वाद व्यय की धनराशि 2500/-रू0 भी उसे अदा करे।
जिला फोरम ने जो प्रत्यर्थी/परिवादी को 5000/-रू0 अतिरिक्त क्षतिपूर्ति प्रदान किया है, उसे अपास्त किया जाता है।
अपील संख्या-1139/2017 में अपीलार्थी/विपक्षी संख्या-1 बीमा कम्पनी द्वारा धारा-15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत जमा धनराशि 25,000/-रू0 अर्जित ब्याज सहित इस निर्णय के अनुसार निस्तारण हेतु जिला फोरम को प्रेषित की जाए।
अपीलार्थी/विपक्षी संख्या-2 बैंक की उपरोक्त अपील संख्या-1000/2017 स्वीकार की जाती है और जिला फोरम का निर्णय उसके विरूद्ध अपास्त करते हुए परिवाद उसके विरूद्ध निरस्त किया जाता है।
अपील संख्या-1000/2017 में अपीलार्थी/विपक्षी संख्या-2 बैंक द्वारा धारा-15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत जमा धनराशि 25,000/-रू0 अर्जित ब्याज सहित अपीलार्थी/विपक्षी संख्या-2 बैंक को वापस की जाए।
दोनों अपील में उभय पक्ष अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
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इस निर्णय की एक प्रति अपील संख्या-1139/2017 में भी रखी जाए।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान)
अध्यक्ष
जितेन्द्र आशु0
कोर्ट नं0-1