राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
(मौखिक)
अपील संख्या-1058/2022
भोजराज सिंह पुत्र स्वर्गीय श्री आर0सी0 लाल
बनाम
एच0डी0एफ0सी0 बैंक लिमिटेड व एक अन्य
समक्ष:-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री भोजराज सिंह,
स्वयं।
प्रत्यर्थीगण की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक: 27.07.2023
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील अपीलार्थी द्वारा इस न्यायालय के सम्मुख जिला उपभोक्ता आयोग (द्वितीय), लखनऊ द्वारा परिवाद संख्या-262/2022 भोजराज सिंह बनाम एच0डी0एफ0सी0 बैंक व अन्य में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 25.08.2022 के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी है।
अपीलार्थी श्री भोजराज सिंह स्वयं उपस्थित हैं, जिनके द्वारा यह तथ्य उल्लिखित किया गया कि उनके द्वारा विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग (द्वितीय), लखनऊ के सम्मुख योजित परिवाद संख्या-262/2022 को विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा अपेक्षित बैंक स्टेटमेन्ट आफ एकाउण्ट अपीलार्थी/परिवादी द्वारा प्रस्तुत न किये जाने के कारण, जो कि प्रत्यर्थी/विपक्षी बैंक द्वारा प्राप्त नहीं कराया गया था, उपरोक्त परिवाद अंगीकरण के स्तर पर ही सरसरी तौर पर निरस्त किया गया।
अपीलार्थी श्री भोजराज सिंह द्वारा कथन किया गया कि अथक प्रयास के पश्चात् उन्हें प्रत्यर्थी/विपक्षी बैंक द्वारा बैंक स्टेटमेन्ट आफ एकाउण्ट की प्रति प्राप्त करायी गयी है, जिसको वे विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग के समक्ष प्रस्तुत कर अपना पक्ष
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प्रस्तुत करने की अनुमति चाहते हैं।
मेरे विचार से अपीलार्थी के उक्त कथन में किसी प्रकार की कोई दुर्भावना प्रकट नहीं होती है तथा तथ्यों को दृष्टिगत रखते हुए अपीलार्थी को अपना पक्ष व साक्ष्य प्रस्तुत किये जाने हेतु एक अवसर प्रदान किया जाना न्यायोचित प्रतीत होता है।
तदनुसार प्रस्तुत अपील स्वीकार की जाती है। जिला उपभोक्ता आयोग (द्वितीय), लखनऊ द्वारा परिवाद संख्या-262/2022 भोजराज सिंह बनाम एच0डी0एफ0सी0 बैंक व अन्य में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 25.08.2022 अपास्त किया जाता है तथा यह प्रकरण जिला उपभोक्ता आयोग (द्वितीय), लखनऊ को इस निर्देश के साथ प्रतिप्रेषित किया जाता है कि जिला उपभोक्ता आयोग (द्वितीय), लखनऊ उपरोक्त परिवाद अपने पुराने नम्बर पर पुनर्स्थापित करे तथा उभय पक्ष को साक्ष्य एवं सुनवाई का समुचित अवसर प्रदान करते हुए बिना परिवाद स्थगित करते हुए परिवाद का गुणदोष के आधार पर निस्तारण यथासंभव एक वर्ष की अवधि में करना सुनिश्चित करे।
यहॉं यह स्पष्ट किया जाता है कि इस न्यायालय द्वारा गुणदोष के आधार पर किसी प्रकार का कोई विचार नहीं किया गया है।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार)
अध्यक्ष
जितेन्द्र आशु0
कोर्ट नं0-1