Uttar Pradesh

StateCommission

A/827/2017

Chairman Inian Railway - Complainant(s)

Versus

Harihar Prasad Yadav - Opp.Party(s)

P.P. Srivastava

31 Oct 2022

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/827/2017
( Date of Filing : 08 May 2017 )
(Arisen out of Order Dated 31/03/2017 in Case No. C23/2014 of District Kanshiram Nagar)
 
1. Chairman Inian Railway
New Delhi
...........Appellant(s)
Versus
1. Harihar Prasad Yadav
Jaunpur
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Vikas Saxena JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 31 Oct 2022
Final Order / Judgement

(मौखिक)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

अपील संख्‍या-827/2017

1.    चेयरमैन रेलवे बोर्ड, हेड आफिस बड़ौदा हाउस, नई दिल्ली।

2.    जी.एम. नार्थ ईस्‍ट रेलवे, हेड आफिस गोरखपुर।

3.    स्‍टेशन मास्‍टर नार्थ ईस्‍ट रेलवे, कासगंज।

                             अपीलार्थीगण/विपक्षीगण

बनाम्  

1.    हरिहर प्रसाद यादव पुत्र स्‍व0 गंगाराम यादव।

2.    श्रीमती सुदामा देवी पत्‍नी हरिहर प्रसाद यादव।

3.    कु0 रंजना पुत्री श्री हरिहर प्रसाद यादव।

समस्‍त निवासीगण ग्राम गनेशपुर, थाना मडि़याहू, जिला जौनपुर।

                      प्रत्‍यर्थीगण/परिवादीगण

समक्ष:-                                                              

1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य

2. माननीय श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य।

अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित      : श्री पी.पी. श्रीवास्‍तव।

प्रत्‍यर्थीगण की ओर से उपस्थित        : श्री एस.के. श्रीवास्‍तव।

दिनांक:  31.10.2022 

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

1.                    परिवाद संख्‍या-23/2014, हरिहर प्रसाद यादव आदि बनाम भारतीय रेलवे आदि में विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग, कासगंज द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 31.03.2017 के विरूद्ध यह अपील प्रस्‍तुत की गई है। इस निर्णय एवं आदेश द्वारा विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग ने परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार करते हुए विपक्षीगण को ओदशित किया है कि यात्रा के दौरान परिवादीगण/यात्री का सामान चोरी होने पर अंकन 2,15,000/- रूयये का भुगतान करें तथा मानसिक प्रताड़ना एवं परिवाद व्‍यय की मद में अंकन 10 हजार रूपये भी अदा करें।

2.          परिवाद के तथ्‍यों के अनुसार परिवादीगण दिनांक 22.05.2013 को ट्रेन संख्‍या-05033  गोरखपुर  बांदा एक्‍सप्रेस से कासगंज से बोरीवली महाराष्‍ट्र की  यात्रा  कर रहे थे। यात्रा का कंफर्म टिकट था। भरतपुर से ट्रेन चलने के बाद

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परिवादी का हैण्‍ड बैग, जिसमें जेवरात तथा नगद धनराशि, सेल फोन आदि सामान रखे हुए थे, चोरी कर लिए गए। कुल 2,70,500/- रूपये का सामान चोरी हुआ, इस चोरी की रिपोर्ट भरतपुर स्‍टेशन पर दर्ज कराई गई। इस चोरी के लिए रेलवे को उत्‍तरदायी मानते हुए क्षतिपूर्ति के लिए परिवाद प्रस्‍तुत किया गया।

3.          विपक्षीगण का कथन है कि जांच में एक मोबाइल फोन अभियुक्‍त दरब सिंह पुत्र बनवारी से बरामद किया गया है, लेकिन अन्‍य कोई सामान बरामद नहीं हुआ है, इसलिए पुलिस द्वारा अंतिम रिपोर्ट प्रस्‍तुत कर दी गई। यात्री द्वारा स्‍वंय अपने सामान की सुरक्षा नहीं की गई, इसलिए रेलवे जिम्‍मेदार नहीं है।

4.          दोनों पक्षकारों की साक्ष्‍य पर विचार करने के पश्‍चात विद्वान जिला आयोग ने रेलवे को उत्‍तरदायी मानते हुए उपरोक्‍त वर्णित निर्णय/आदेश पारित किया है।

5.          अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री पी.पी. श्रीवास्‍तव तथा प्रत्‍यर्थीगण के विद्वान अधिवक्‍ता श्री एस.के. श्रीवास्‍तव को सुना गया तथा प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।

6.          इस निर्णय एवं आदेश को इन आधारों पर चुनौती दी गई है कि विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग ने क्षेत्राधिकार विहीन निर्णय पारित किया है, क्‍योंकि प्रथम सूचना की रिपोर्ट भरतपुर में दर्ज कराई गई, जबकि परिवाद कासगंज में प्रस्‍तुत किया गया, इसी अवसर पर यह उल्‍लेख करना समीचीन होगा कि विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग, कासगंज को भी इस आधार पर क्षेत्राधिकार प्राप्‍त है कि परिवादीगण ने कासगंज से यात्रा प्रारम्‍भ की है साथ ही उनके सामान की चोरी भरतपुर या किसी अन्‍य स्‍थान पर हुई हो, इसका कोई विपरीत प्रभाव नहीं है। अत: कासगंज स्थित विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग को इस वाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार प्राप्‍त है।

7.          अपील में एक अन्‍य आधार यह लिया गया है कि स्‍वंय परिवादी तथा उसकी पत्‍नी को अपने सामान की सुरक्षा करनी चाहिए थी, यह आधार भी निराधार है।  किसी भी वैध यात्री के सामान की सुरक्षा का उत्‍तरदायित्‍व रेलवे पर

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है। यदि यात्रा के दौरान किसी यात्री का सामान चोरी होता है तब इसके लिए रेलवे उत्‍तरदायी है।

8.          एक अन्‍य आधार यह लिया गया है कि सुरक्षा की जिम्‍मेदारी जी.आर.पी. की होती है, जो एक स्‍वतंत्र शाखा है, इसलिए जी.आर.वी. द्वारा यदि सुरक्षा नहीं बरती गई तब उसके लिए रेलवे उत्‍तरदायी नहीं है, यह आधार भी विधि से समर्थित नहीं है। यात्री द्वारा रेलवे को किराया अदा करने के पश्‍चात यात्रा की गई है। यात्री के सामान की सुरक्षा रेलवे किस माध्‍यम से करती है, इसका कोई प्रभाव यात्री के सामान की सुरक्षा पर नहीं है। रेलवे अपने यात्री के सामान की सुरक्षा किसी भी एजेन्‍सी से करा सकती है, परन्‍तु सामान खोने पर उत्‍तरदायीत्‍व केवल रेलवे का है न कि किसी अन्‍य एजेन्‍सी का।

9.          एक अन्‍य आधार यह लिया गया है कि तथ्‍यों को बढ़ा-चढ़ाकर प्रस्‍तुत किया गया है। सामान बुक नहीं किया गया है। यात्रा में सामान बुक तब किया जाता है जब सामान की मात्रा उस मात्रा से अधिक हो जिसे अपने साथ ले चलने के लिए कोई यात्री अधिकृत न हो। प्रस्‍तुत केस में सामान की मात्रा उस श्रेणी की नहीं थी, जिसे बुक कराया जाए। अत: यह आधार भी संधारणीय नहीं है। तदनुसार प्रस्‍तुत अपील निरस्‍त होने योग्‍य है।

 आदेश

10.           प्रस्‍तुत अपील निरस्‍त की जाती है।

            उभय पक्ष इस अपील का व्‍यय स्‍वंय अपना-अपना वहन करेंगे।

            अपीलार्थीगण द्वारा अपील प्रस्‍तुत करते समय अपील में जमा धनराशि मय अर्जित ब्‍याज सहित विधि अनुसार एक माह के अन्‍दर संबंधित विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग को निस्‍तारण हेतु भेजी जाए।

            आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।

 

(विकास सक्‍सेना)                        (सुशील कुमार)

  सदस्‍य                                 सदस्‍य

 

लक्ष्‍मन, आशु0,  कोर्ट-2

 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. Vikas Saxena]
JUDICIAL MEMBER
 

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