Uttar Pradesh

StateCommission

A/2012/890

Union Bank Of India - Complainant(s)

Versus

Arpita Rai - Opp.Party(s)

R Chaddha

07 Mar 2022

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2012/890
( Date of Filing : 03 May 2012 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Union Bank Of India
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Arpita Rai
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Vikas Saxena JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 07 Mar 2022
Final Order / Judgement

मौखिक

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

अपील संख्‍या-890/2012

यूनियन बैंक आफ इण्डिया, 2/9, विजय खण्‍ड, गोमती नगर, लखनऊ द्वारा ब्रांच मैनेजर।

                             अपीलार्थी/विपक्षी सं0-2

बनाम्   

अर्पिता राय पत्‍नी स्‍व0 श्री सुधीर राय, ग्राम व पोस्‍ट काझा खुर्द, तहसील मुहम्‍मदाबाद मोहना, जिला मऊ तथा दो अन्‍य।

                         प्रत्‍यर्थीगण/परिवादिनी/विपक्षी सं0-1 व 3

 

समक्ष:-                                                   

1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य

2. माननीय श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य।

अपीलार्थी की ओर से          : श्री राजेश चड्ढा, विद्वान अधिवक्‍ता।  

प्रत्‍यर्थीगण की ओर से         : कोई नहीं।

दिनांक:  07.03.2022 

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

1.                 परिवाद संख्‍या-141/2011, अर्पिता राय बनाम काशी गोमती संयुक्‍त ग्रामीण बैंक तथा दो अन्‍य में विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग, मऊ द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश दिनांक 01.03.2012 को इन आधारों पर चुनौती दी गई है कि विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग ने अपीलार्थी के विरूद्ध अवैध निर्णय पारित किया है, क्‍योंकि परिवादिनी को देय छूट की राशि विपक्षी संख्‍या-3 द्वारा बैंक में जमा नहीं कराई गई, इसलिए बैंक के स्‍तर से कोई छूट प्रदान नहीं की जा सकती।

2.         अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री राजेश चड्ढा उपस्थित आए। प्रत्‍यर्थीगण की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ। प्रत्‍यर्थीगण         पर नोटिस की तामीला पर्याप्‍त मानी जा चुकी है। अत: केवल अपीलार्थी के

 

-2-

विद्वान अधिवक्‍ता को सुना गया तथा प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।

3.         परिवादिनी का यह दावा है कि उनके पति द्वारा बैंक से अंकन 3,00,000/- रूपये का ऋण प्राप्‍त किया गया, जिसमें से 25 प्रतिशत राशि यानि अंकन 75,000/- रूपये विपक्षी संख्‍या-3 के माध्‍यम से मिलना था, परन्‍तु अंकन 75,000/- रूपये अनुदान की राशि बैंक द्वारा कभी भी प्राप्‍त नहीं कराई गई, इसलिए ऋण ग्राह्ता सुधीर कुमार राय की मृत्‍यु के पश्‍चात उनकी विधवा द्वारा इस अनुतोष के लिए परिवाद प्रस्‍तुत किया गया कि अंकन 75,000/- रूपये विपक्षी संख्‍या-2, बैंक से ब्‍याज सहित दिलवाए जाएं।

4.         अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का यह तर्क है कि यह राशि विपक्षी संख्‍या-3 द्वारा बैंक में जमा करने के पश्‍चात ही बैंक द्वारा छूट  समायोजित की जा सकती है। बैंक अपने स्‍तर से किसी प्रकार की अनुदान राशि जारी नहीं करता, इसलिए बैंक के विरूद्ध अनुदान राशि जारी करने का आदेश देना विधि विरूद्ध है। विद्वान अधिवक्‍ता का यह तर्क विधि से समर्थित है कि जब तक अनुदान राशि उस संस्‍था द्वारा जिसने अनुदान देने का निश्‍चय किया है, बैंक में जमा नहीं कराई जाती तब तक बैंक अपने स्‍तर से अनुदान राशि को समायोजित नहीं कर सकती। यथार्थ में परिवादिनी के लिए आवश्‍यक था कि उनके पति को देय अनुदान राशि की प्राप्ति के संबंध में उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अन्‍तर्गत परिवाद प्रस्‍तुत करने के बजाय सिविल कोर्ट में दावा प्रस्‍तुत करना चाहिए था। उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अन्‍तर्गत किसी प्रकार की अनुदान राशि को समायोजित करने का कोई आदेश नहीं दिया जा सकता, क्‍योंकि कोई व्‍यक्ति अनुदान प्राप्‍त करने के लिए अधिकृत है या नही, यह तथ्‍य विस्‍तृत साक्ष्‍य ग्रहण करने के पश्‍चात ही साबित हो सकता है और समरी कार्यवाही

-3-

अपनाते हुए इस प्रकरण में निष्‍कर्ष देना संभव नहीं है कि कोई व्‍यक्ति अनुदान राशि प्राप्‍त करने के लिए अधिकृत है या नहीं। अत: विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश अपास्‍त होने और अपील स्‍वीकार होने योग्‍य है।

आदेश

5.             प्रस्‍तुत अपील स्‍वीकार की जाती है। विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 01.03.2012 अपास्‍त किया जाता है तथा परिवाद निरस्‍त किया जाता है।

             उभय पक्ष अपना-अपना व्‍यय स्‍वंय वहन करेंगे।

     आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।

 

(सुशील कुमार)                       (विकास सक्‍सेना)

सदस्‍य                                सदस्‍य

 

 

लक्ष्‍मन, आशु0,

      कोर्ट-3 

 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. Vikas Saxena]
JUDICIAL MEMBER
 

Consumer Court Lawyer

Best Law Firm for all your Consumer Court related cases.

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!
5.0 (615)

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!

Experties

Consumer Court | Cheque Bounce | Civil Cases | Criminal Cases | Matrimonial Disputes

Phone Number

7982270319

Dedicated team of best lawyers for all your legal queries. Our lawyers can help you for you Consumer Court related cases at very affordable fee.