Uttar Pradesh

StateCommission

A/2003/15

Noida Development Authority - Complainant(s)

Versus

Zafar Mohd. Zaidi - Opp.Party(s)

Rajnish Kumar, Ashok Shukla

04 Nov 2020

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2003/15
( Date of Filing : 03 Jan 2003 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Noida Development Authority
Gautam Budh Nagar
...........Appellant(s)
Versus
1. Zafar Mohd. Zaidi
Gautam Budh Nagar
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Vikas Saxena JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 04 Nov 2020
Final Order / Judgement

(मौखिक)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ।

अपील संख्‍या:15/2003  

(जिला उपभोक्‍ता आयोग, गौतमबुद्ध नगर द्वारा परिवाद संख्‍या-173/2001 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 04.12.2002 के विरूद्ध)

Noida Development Authority Sector 6 Noida, district Gautam budh Nagar Through its Chairman.

                                                  .....Appellant

Versus

Zafar Mohd. Zaidi, R/O D-68 Sector 49, Noida district Gautam Budh Nagar.

                                                           ………….Respondent

    1. मा0 श्री सुशील कुमार,                 सदस्‍य।
    2. मा0 श्री विकास सक्‍सेना,                   सदस्‍य।

उपस्थिति :

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित-       श्री अशोक शुक्‍ला         

   प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित-        कोई नहीं।

दिनांक : 26-03-2021

मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्‍य द्वारा उदघोषित निर्णय

  1.  जिला उपभोक्‍ता मंच, गौतम बुद्ध नगर  के समक्ष प्रस्‍तुत किये गये परिवाद संख्‍या-173/2001, जफर मोहम्‍मद जैदी बनाम नोएडा विकास प्राधिकरण में पारित निर्णय व आदेश दिनां‍क 04.12.2002 के विरूद्ध यह अपील प्रस्‍तुत की गयी है। परिवाद स्‍वीकार करते विपक्षी प्राधिकरण को अंकन 10,000/- रूपये बतौर क्षतिपूर्ति अदा करने का आदेश दिया गया है।
  2. परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी को सेक्‍टर-49 में डी-68 आवासीय भूखण्‍ड दिनांक 21.03.1992 को आवंटित हुआ था। भवन निर्माण हेतु वाटर कनेक्‍शन के लिए परिवादी ने दिनांक 19.04.1995 को अंकन 8,195 रू0 की धनराशि जमा की थी तथा 1.07.1995 को वाटर कनेक्‍शन उसको दिया गया तथा जल आपूर्ति दिनांक 20.01.1996 से प्रारंभ की गयी। चूंकि परिवादी को भवन निर्माण शीघ्र कराना था। अत: जल आपूर्ति न मिलने के कारण उसको टैंकर से पानी मंगाकर भवन निर्माण करना पड़ा, जिसमें उसके अंकन 69,000/- रूपये खर्च हुए। परिवादी का यह भी कथन है कि रोड़ कटिंग तथा सिक्‍योरिटी के रूप में क्रमश: अंकन 2,081 रूपये तथा 1,800/- रूपये की धनराशि भी निरर्थक रूप से जमा कराई गयी। परिवादी ने अंकन 1,69,000/- रूपये क्षतिपूर्ति के रूप में तथा अंकन 2,081 रूपये तथा 1,800/- रूपये की धनराशि के रिफण्‍ड एवं वाद व्‍यय दिलाये जाने की प्रार्थना की है।
  3. लिखित कथन में उल्‍लेख है कि The water Supply has been regular since its connection. Whenever a complaint in connection with the supply of water was made by the respondent, it was immediately attendended and removed by the appellant. The house fo the respondent is the first house of sector 49 which was constructed so there would have been some problems and it is near the village Baraola and the wandering animals of village Baraola used to damage the pipeline which was beyond control of the appellant but it was immediately repaired and the water supply to the house of respondent was never stopped and it has always been regular.
  4. जिला उपभोक्‍ता मंच द्वारा यह निष्‍कर्ष दिया गया है कि स्‍वयं प्राधिकरण ने स्‍वीकार किया है कि जल आपूर्ति में असुविधा हुई है। इस साक्ष्‍य पर विचार करने के पश्‍चात उपरोक्‍त वर्णित आदेश पारित किया जाये।
  5. इस निर्णय एवं आदेश का इन आधारों पर चुनौती दी गयी है कि परिवादी का सेक्‍टर 49 में प्रथम मकान बन रहा था इसलिए ग्राम बरौला के आवास के पशु पाइप लाइन को क्षति पहुंचा देते थे। सूचना पर तुरंत मरम्‍मत करायी जाती थी इसलिए अपीलार्थी द्वारा सेवा में कोई कमी नहीं की गयी। जिला उपभोक्‍ता मंच ने विधि विरूद्ध आदेश पारित किया है।
  6. केवल अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्‍ता का सुना गया। प्रत्‍यर्थी की ओर से  कोई उपस्थित नहीं है।
  7. परिवादी का कथन है कि विपक्षी द्वारा नियमित रूप से पानी की आपूर्ति नहीं की गयी। पाइप लाइन टूटी रहती थी, जिस कारण उसे 69,000/- रूपये का पानी क्रय करना पड़ा।
  8. प्राधिकरण ने लिखित कथन में स्‍वीकार किया है कि व्‍यवहारिक समस्‍या के कारण पानी की आपूर्ति प्राधिकरण के नियंत्रण के बाहर थी। अत: इस स्थिति को स्‍वीकार करने के पश्‍चात प्राधिकरण यह नहीं कह सकता कि उनके द्वारा सेवा में कमी नहीं की गयी है।
  9. जिला उपभोक्‍ता मंच ने मात्र 10,000/- रूपये की क्षतिपूर्ति का आदेश दिया है, यह निर्णय एवं आदेश अपीलार्थी की ओर से प्रस्‍तुत लिखित कथन में वर्णित तथ्‍यों पर आधारित है इसलिए कोई हस्‍तक्षेप अपेक्षित नहीं है।
  10.  

अपील खारिज की जाती है।

           अपील में उभयपक्ष अपना वाद व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगें।

 

(विकास सक्‍सेना)                                   (सुशील कुमार)

    सदस्‍य                                           सदस्‍य

संदीप सिंह, आशु0 कोर्ट नं0-2      
 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. Vikas Saxena]
JUDICIAL MEMBER
 

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