(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील सं0- 155/2011
Director, Shivdan singh Institute of Technology & Management, Mathura road, Aligarh.
………..Appellant
Versus
Yukti agarwal, D/o Sri Vijay kumar agarwal, R/o Pili Kothi Mohalla-Ghudiabagh, Tehsil Kol, District-Aligarh (U.P.)
…………Respondent
समक्ष:-
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
माननीय श्री विकास सक्सेना, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से : श्री बृजेन्द्र चौधरी, विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से : कोई नहीं।
दिनांक:- 14.02.2022
माननीय श्री विकास सक्सेना, सदस्य द्वारा उद्घोषित
निर्णय
1. परिवाद सं0- 245/2008 युक्ति अग्रवाल बनाम डायरेक्टर, शिवदान सिंह इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एण्ड मैनेजमेंट व एक अन्य में जिला उपभोक्ता आयोग, अलीगढ़ द्वारा पारित निर्णय व आदेश दि0 29.07.2009 के विरुद्ध यह अपील धारा 15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अंतर्गत राज्य आयोग के समक्ष इस आधार पर प्रस्तुत गई है कि विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने क्षेत्राधिकार से बाहर जाकर प्रश्नगत निर्णय व आदेश पारित किया है, क्योंकि पक्षकारों के मध्य विद्यालय में फीस जमा करने को लेकर विवाद है। यह परिवाद उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत विचारणीय नहीं है।
2. अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री बृजेन्द्र चौधरी को सुना गया। प्रत्यर्थी पर नोटिस की तामीली पर्याप्त मानी गई है, फिर भी प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ है। प्रश्नगत निर्णय व आदेश तथा पत्रावली पर उपलब्ध अभिलेखों का सम्यक परिशीलन किया गया
3. परिवाद पत्र में उल्लेख है कि प्रत्यर्थी/परिवादिनी ने वर्ष 2004-05 में एम0बी0ए0 में एडमीशन ली थी। प्रत्यर्थी/परिवादिनी द्वारा अंकन् 2,000/-रू0 एव 6,000/-रू0 कुल 8,000/-रू0 कौशनमनी/जमानत धनराशि के रूप में जमा की गई थी। प्रत्यर्थी/परिवादिनी इस राशि के प्राप्त करने के लिए अधिकृत है, परन्तु अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा यह राशि वापस प्राप्त नहीं करायी गई, इसलिए यह परिवाद प्रस्तुत किया गया है।
4. विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने परिवाद स्वीकार करते हुए अपीलार्थी/विपक्षी को आदेशित किया है कि प्रत्यर्थी/परिवादिनी द्वारा जमा की गई राशि 09 प्रतिशत अथवा 01 माह बाद 12 प्रतिशत ब्याज सहित वापस लौटायी जाए।
5. अपीलार्थी/विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता का यह तर्क है कि विद्यालय में फीस जमा करने से सम्बन्धित विवाद जिसमें जमानत राशि भी शामिल है उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत संधारणीय नहीं है। उनके द्वारा अपने तर्क के समर्थन में मा0 राष्ट्रीय आयोग द्वारा पारित निर्णय मनु सोलंकी व अन्य बनाम विनायक यूनिवर्सिटी प्रकाशित I(2020) C.P.J. पेज 210 की प्रति प्रस्तुत की गई है, जिसके आधार पर परिवाद संधारणीय नहीं है। विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने क्षेत्राधिकारविहीन निर्णय व आदेश पारित किया है जो अपास्त होने योग्य है तथा अपील स्वीकार किए जाने योग्य है।
आदेश
6. अपील स्वीकार की जाती है। प्रश्नगत निर्णय व आदेश अपास्त किया जाता है तथा प्रत्यर्थी/परिवादिनी का परिवाद खारिज किया जाता है।
उभयपक्ष अपना-अपना व्यय स्वयं वहन करेंगे।
अपील में धारा 15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत अपीलार्थी द्वारा जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित इस निर्णय व आदेश के अनुसार अपीलार्थी को वापस की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(विकास सक्सेना) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
शेर सिंह, आशु0
कोर्ट नं0- 2