राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
सुरक्षित
अपील संख्या-439/2009
(जिला उपभोक्ता फोरम, देवरिया द्वारा परिवाद संख्या 234/2004 में पारित निर्णय दिनांक 17.02.2009 के विरूद्ध)
हीरो होण्डा मोटर्स लि0 हेड आफिस 34 कम्यूनिटी सेन्टर, बसन्त
लोक, बसन्त बिहार, न्यू देलही-110057 द्वारा अधिकृत प्रतिनिधि।
.......अपीलार्थी/विपक्षी
बनाम्
योगेश चन्द्र श्रीवास्तव पुत्र श्री गोपाल जी श्रीवास्तव निवासी ग्राम
पिपरा नगवा, पोस्ट–सलेमपुर, जिला देवरिया। ......प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष:-
1. मा0 श्री उदय शंकर अवस्थी, पीठासीन सदस्य।
2. मा0 श्री गोवर्धन यादव, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री बी0के0 उपाध्याय, विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : श्री उमेश कुमार शर्मा, विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक 11.12.2019
मा0 श्री उदय शंकर अवस्थी, पीठासीन सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
यह अपील जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम देवरिया द्वारा परिवाद संख्या 234/2004 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दि. 17.02.2009 के विरूद्ध योजित की गई है।
संक्षेप में तथ्य इस प्रकार है कि प्रत्यर्थी परिवादी के कथनानुसार परिवादी ने अपीलकर्ता निर्माता कंपनी की मोटर साइकिल हीरो होन्डा स्पलेन्डर अपीलकर्ता के अधिकृत डीलर से दि. 13.12.02 को क्रय की। इस मोटर साइकिल में क्रय किए जाने की तिथि से कुछ दिन बाद से ही परेशानियां आने लगीं, जैसे किक मारने पर जल्दी स्टार्ट न होना, स्टार्ट होने के उपरांत लोड न लेना, जल्दी गरम हो जाना एवं बंद हो जाना। परिवादी द्वारा परिवाद के विपक्षी संख्या 1 से शिकायत करने पर उसके द्वारा टाल
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दिया जाता था कि आपकी मोटर साइकिल अभी नई है, इसलिए शिकायत आ रही है, 5-6 माह बाद ऐसी शिकायत नहीं आएगी, अगर आएगी तो शिकायत दूर कर दी जाएगी। क्रय की तिथि से एक माह बाद विभिन्न प्रकार की त्रुटि आने लगी। परिवादी द्वारा विपक्षी संख्या 1 से शिकायत करने पर स्पेयर पार्टस बदले गए। इसके बावूद मोटर साइकिल की त्रुटियां दूर नहीं हुई। दि. 19.11.2003 को परिवादी अपनी मोटर साइकिल दोबारा बनवाने हेतु परिवाद के विपक्षी संख्या 1 के यहां ले गए, जिसमें उसका लगभग रू. 3900/- पार्टस आदि बदलने में लगे, जिसका भुगतान परिवादी ने किया, इसके बावजूद मोटर साइकिल ठीक नहीं हुई। इंजन कुछ दूरी चलने पर गरम होने के बाद स्वयं ही बदं हो जाता है। दि. 02.01.04 को परिवादी परिवाद के विपक्षी संख्या 1 डीलर के पास गया तथा उससे अनुरोध किया कि दोषपूर्ण मोटर साइकिल की आपूर्ति के कारण यह मोटर साइकिल वापस लेकर उसी माडल की नई मोटर साइकिल परिवादी को दें अथवा मोटर साइकिल का क्रय मूल्य वापस किया जाए, किंतु कोई सुनवाई नहीं की गई। परिवादी का यह भी कथन है कि प्रश्नगत वाहन में वाहन क्रय करते समय यह कहा गया कि मोटर साइकिल का एवरेज 85 किलोमीटर होगा, किंतु एवरेज 60 किलोमीटर से अधिक कभी नहीं हुआ, अत: जिला मंच के समक्ष परिवाद अपीलकर्ता वाहन निर्माता तथा परिवाद के विपक्षी संख्या 1 अधिकृत डीलर के विरूद्ध प्रश्नगत वाहन को वापस लेकर उसके स्थान पर उसी माडल की दूसरी मोटर साइकिल प्रदान करने अथवा वाहन का क्रय मूल्य रू. 40600/- वापस करने तथा क्षतिपूर्ति की अदायगी हेतु योजित किया गया।
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अपीलकर्ता तथा परिवाद के विपक्षी संख्या 1 द्वारा प्रतिवाद पत्र जिला मंच के समक्ष प्रस्तुत किया गया। अपीलकर्ता ने विपक्षी संख्या 1 द्वारा प्रस्तुत किए गए प्रतिवाद पत्र की प्रति अपील मेमो के साथ दाखिल नहीं की। अपीलकर्ता द्वारा जिला मंच के समक्ष प्रस्तुत प्रतिवाद पत्र की प्रति दाखिल की गई।
प्रश्नगत निर्णय के अवलोकन तथा अपीलकर्ता द्वारा जिला मंच के समक्ष प्रस्तुत प्रतिवाद पत्र के अनुसार अपीलकर्ता तथा परिवाद के विपक्षी संख्या 1 द्वारा प्रश्गनत वाहन के संदर्भ में 2 वर्ष की वारंटी दिया जाना स्वीकार किया गया, किंतु अपीलकर्ता के कथनानुसार यदि वाहन में त्रुटि स्वयं क्रेता द्वारा वाहन के लापरवाहीपूर्वक उपयोग के कारण उत्पन्न हुई तो वारंटी का लाभ क्रेता परिवादी प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है। अपीलकर्ता का यह भी कथन है कि प्रश्नगत वाहन में निर्माण संबंधी कोई त्रुटि नहीं थी न ही ऐसी कोई विशेषज्ञ आख्या परिवादी द्वारा जिला मंच के समक्ष प्रस्तत की गई।
प्रश्नगत निर्णय में जिला मंच ने प्रश्नगत वाहन में निर्माण संबंधी त्रुटि पाते हुए तथा वारंटी अवधि में किए गए भुगतान को अनुचित मानते हुए प्रश्नगत निर्णय द्वारा अपीलकर्ता को निर्देशित किया कि वह परिवादी से मोटर साइकिल एक माह में वापस लेकर उसे कुल रू. 36300/- तथा रू. 6900/- प्रतिकर का अदा करें। इस निर्णय से क्षुब्ध होकर यह अपील योजित की गई है।
हमने अपीलकर्ता के विद्वान अधिवक्ता श्री बी0के0 उपाध्याय तथा प्रत्यर्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री उमेश कुमार शर्मा के तर्क सुने तथा अभिलेखों का अवलोकन किया गया।
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अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा यह तर्क प्रस्तुत किया गया कि जिला मंच ने पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य का परिशीलन न करते हुए प्रश्नगत निर्णय पारित किया है। अपीलकर्ता की ओर से यह तर्क भी प्रस्तुत किया गया कि प्रत्यर्थी परिवादी ने प्रश्नगत वाहन में निर्माण संबंधी त्रुटि होना अभिकथित किया है, किंन्तु इस संदर्भ में कोई साक्ष्य जिला मंच के समक्ष प्रस्तुत नहीं की गई। निर्माण संबंधी त्रुटि प्रमाणित करने हेतु परिवादी के लिए आवश्यक था कि विशेषज्ञ आख्या प्रस्तुत की जाती, किंतु ऐसी कोई आख्या जिला मंच के समक्ष प्रस्तुत नहीं की गई। अपीलकर्ता की ओर से यह तर्क भी प्रस्तुत किया गया कि वारंटी के अंतर्गत संबंधित पार्ट यदि मरम्मत योग्य अथवा बदले जाने योग्य हैं तब यह वारंटी संबंधित पार्ट तक ही सीमित मानी जाएगी, संपूर्ण वाहन के संदर्भ में नहीं। ऐसी परिस्थिति में अधिक से अधिक जो विशेष पार्ट त्रुटिपूर्ण पाया जाएगा, वारंटी अवधि के मध्य वारंटी की शर्तों के आलोक में वह पार्ट बदला जा सकता है, किंतु यह त्रुटि स्वयं क्रेता के कारण उत्पन्न न हुई हो।
जहां तक प्रस्तुत मामले का प्रश्न है, परिवाद के अभिकथनों में स्वयं परिवादी ने दि. 19.12.03 को वाहन की मरम्मत का कार्य परिवाद के विपक्षी संख्या 1 से कराना बताया है तथा इस मरम्मत के कार्य में रू. 3900/- व्यय होना बताया है। परिवादी के प्रश्नगत वाहन में दि. 19.11.03 को की गई मरम्मत का कार्य स्वयं परिवादी द्वारा अभिकथित किया गया है। इस कार्य को परिवाद के विपक्षी संख्या 1 द्वारा स्वीकार किया गया है तथा रू. 3900/- परिवादी से प्राप्त किया जाना भी स्वीकार किया गया है। इसके अतिरिक्त प्रश्नगत वाहन की मरम्मत के संदर्भ में कोई विशिष्ट अभिकथन परिवादी द्वारा नहीं किया गया है न ही कोई विशेषज्ञ आख्या
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परिवादी द्वारा जिला मंच के समक्ष प्रश्नगत वाहन में निर्माण संबंधी त्रुटि होने के संदर्भ में प्रस्तुत की गई।
निश्चित रूप से वारंटी अवधि के मध्य वाहन के पार्टस बदले जाने की
धनराशि परिवादी से प्राप्त किया जाना वारंटी शर्तों का उल्लंघन होगा। अपीलकर्ता अथवा परिवाद के विपक्षी संख्या 1 द्वारा इस संदभ में कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं की गई कि दि. 19.11.03 को प्रश्नगत वाहन को त्रुटि वाहन स्वामी द्वारा वाहन के सही उपयोग के कारण उत्पन्न हुई। ऐसी परिस्थिति में हमारे विचार से वारंटी अवधि के मध्य प्रश्नगत वाहन की मरम्मत के लिए परिवादी से रू. 3900/- वसूल करके सेवा में त्रुटि की गई, किंतु मात्र इसी आधार पर वाहन में निर्माण संबंधी त्रुटि नहीं मानी जा सकती। तदनुसार जिला मंच का प्रश्नगत वाहन बदलकर दूसरा वाहन दिए जाने संबंधी आदेश अथवा वाहन का क्रय मूल्य वापस किए जाने संबंधी आदेश हमारे विचार से त्रुटिपूर्ण है। परिवादी से वांरटी अवधि के मध्य प्राप्त किए गए रू. 3900/- वापस दिलाए जाने तथा इस संदर्भ में कारित सेवा में त्रुटि हेतु मानसिक, शारीरिक उत्पीड़न के संदर्भ में रू. 2000/- एवं वाद व्यय के रूप में रू. 2000/- दिलाया जाना न्यायोचित होगा, क्योंकि प्रश्नगत वाहन की वारंटी अपीलकर्ता निर्माता कंपनी द्वारा प्रदान की गई है तथा धनराशि विपक्षी संख्या 1 द्वारा परिवादी से प्राप्त की गई, अत: उपरोक्त धनराशि के भुगतान हेतु अपीलकर्ता तथा परिवाद के विपक्षी संख्या 1 को भुगतान हेतु संयुक्त एवं पृथक-पृथक रूप से उत्तरदायी माना जाना न्यायोचित होगा। तदनुसार अपील आंशिक रूप से स्वीकार किए जाने योग्य है।
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आदेश
प्रस्तुत अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। जिला मंच द्वारा प्रश्नगत निर्णय अपास्त किया जाता है। अपीलकर्ता तथा परिवाद के विपक्षी संख्या 1 को संयुक्त एवं पृथक-पृथक रूप से निर्देशित किया जाता है कि निर्णय की प्रति प्राप्त किए जाने की तिथि से 30 दिन के अंदर परिवादी को
रू. 3900/- एवं क्षतिपूर्ति के रूप में रू. 2000/- का भुगतान करें। इस धनराशि पर परिवाद योजित किए जाने की तिथि से संपूर्ण धनराशि की अदायगी तक परिवादी, अपीलकर्ता एवं परिवाद के विपक्षी संख्या 1 से 09 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्याज प्राप्त करने का भी अधिकारी होगा। अपीलकर्ता तथा परिवाद के विपक्षी संख्या 1 को यह भी निर्देशित किया जाता है कि उपरोक्त निर्धारित अवधि के मध्य परिवादी को रू. 2000/- वाद व्यय के रूप में भी भुगतान करें।
उभय पक्ष अपना-अपना अपीलीय व्यय स्वयं वहन करेंगे।
निर्णय की प्रतिलिपि पक्षकारों को नियमानुसार उपलब्ध कराई जाए।
(उदय शंकर अवस्थी) (गोवर्धन यादव) पीठासीन सदस्य सदस्य
राकेश, पी0ए0-2
कोर्ट-2