सुरक्षित
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
अपील संख्या-1426/2012
(जिला मंच, कोर्ट नं0-1 गाजियाबाद द्वारा परिवाद संख्या-122/2007 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 28.05.2012 के विरूद्ध)
1. M/S Uttam Toyata, A-11, Merut Industrial Area, Merut Road Ghaziabad.
2. Toyota Kirloskar Motor Pvt. Ltd., Plot No-1, Vivadi Industrial Area, Ramnagar Talak, Banglore (Village).
अपीलार्थीगण/विपक्षी संख्या-1 व 2
बनाम
1. Vivek Kohli S/O Shri C.R. Kohli, through, Stag International 23, Victoria Park, Sports Colony, Merut.
2. ICICI Lombard General Insurance Company Ltd., Zenith House Keshav Rao Khadia Marg, Opposite Appo. Race Course, Mahalaxmi Mumbai-400034.
प्रत्यर्थीगण/परिवादी/विपक्षी संख्या-3
समक्ष:-
1. माननीय श्री उदय शंकर अवस्थी, पीठासीन सदस्य।
2. माननीय श्री गोवर्द्धन यादव, सदस्य।
अपीलार्थीगण की ओर से : श्री प्रतुल श्रीवास्तव, विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थीगण की ओर से : कोई नहीं।
दिनांक : 31.01.2020
मा0 श्री उदय शंकर अवस्थी, पीठासीन सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील, जिला मंच, कोर्ट नं0-1 गाजियाबाद द्वारा परिवाद संख्या-122/2007 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 28.05.2012 के विरूद्ध योजित की गयी है।
संक्षेप में तथ्य इस प्रकार हैं कि प्रत्यर्थी सं0-1/परिवादी के कथनानुसार परिवादी ने अपीलकर्ता संख्या-1, उत्तम टोयटा इण्डस्ट्रियल एरिया मेरठ रोड गाजियाबाद से दिनांक 19.04.2006 को एक इनोवा कार 10,04,450/- रूपये में क्रय की थी। यह गाड़ी अपीलकर्ता संख्या-2, टोयटा किर्लोस्कर मोटर प्रा0लि0 द्वारा निर्मित थी। गाड़ी विक्रय किये जाते समय डीलर द्वारा यह बताया गया कि इस गाड़ी का सबसे बड़ा आकर्षण इसमें सेफ्टी एयर बैक का लगा होना है, जिसकी यह खूबी है कि आकस्मिक दुर्घटना के समय एयर बैग स्वत: खुल जाता है, जिससे वाहन चालक को हानि नहीं होती है। दिनांक 27.10.2006 को प्रश्नगत कार सामने से आती हुई एम्बेसडर कार से टकरा गयी, किंतु इस कार में लगे हुए सेफ्टी एयर बैग नहीं खुले, जिसके कारण वाहन चालक को काफी चोटें आईं, उसका इलाज में काफी खर्च हुआ। दुर्घटना के बाद वाहन अपीलकर्ता संख्या-1, मैसर्स उत्तम टोयटा इण्डस्ट्रियल एरिया मेरठ रोड गाजियाबाद की वर्कशाप में दिया गया। गाड़ी का बीमा वाहन खरीदते समय डीलर के माध्यम से प्रत्यर्थी संख्या-2, आईसीआईसीआई लोम्बार्ड जनरल इं0कं0लि0 द्वारा किया गया था, जो दुर्घटना के समय प्रभावी था। अपीलकर्ता संख्या-1 ने डेढ़ माह तक गाड़ी मरम्मत के नाम पर अपने पास रखी। दिनांक 18.01.2007 को अपीलकर्ता संख्या-1 के कार्यालय से परिवादी को फोन आया कि गाड़ी तैयार है, इसकी मरम्मत पर 3,76,040/- रूपये का खर्च आया है, जिसमें प्रत्यर्थी संख्या-2, बीमा कम्पनी का 2,77,226/- रूपये है शेष धनराशि 98,814/- रूपये देकर गाड़ी की डिलीवरी लेने को कहा गया। परिवादी ने पूछा जब गाड़ी की चेसिस तक पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गयी थी एवं गाड़ी सड़क पर चलने की स्थिति में नहीं थी तब उससे किस प्रकार धनराशि मांगी जा रही है। परिवादी ने प्रश्नगत वाहन का पूरा मूल्य दिलाये जाने हेतु परिवाद अपीलकर्तागण एवं प्रत्यर्थी संख्या-2, बीमा कम्पनी के विरूद्ध योजित किया।
अपीलकर्तागण द्वारा प्रतिवाद पत्र जिला मंच के समक्ष प्रस्तुत किया गया। अपीलकर्तागण के कथनानुसार परिवादी को ओनर्स मैनुअल सेफ्टी बुक प्रदान की गयी थी, जिसमें यह वर्णित है कि दुर्घटना सामने से होने पर एयर बैग काम करता है। यदि सामने से पड़ने वाला दबाव 30 किलोमीटर प्रति घण्टा की रफ्तार से कम होगा तो एयर बैग काम नहीं करेगा। स्वंय परिवादी द्वारा गाड़ी मरम्मत की कीमत अदा करके गाड़ी नहीं ले जायी गयी। प्रत्यर्थी संख्या-2, बीमा कम्पनी द्वारा प्रतिवाद पत्र में यह अभिकथित किया गया कि गाड़ी की मरम्मत के संबंध में बीमा कम्पनी ने अपना अंश 02,84,613/- रूपये अपीलकर्ता संख्या-1 को भेज दिया, उसका दायित्व नहीं है।
जिला मंच ने दुर्घटना में अपीलकर्तागण द्वारा दिये गये आश्वासन के अनुसार एयर बैग का न खुलना सेवा में त्रुटि माना तथा बीमा कम्पनी का भुगतान का दायित्व पूर्ण होना मानते हुए परिवाद अपीलकर्तागण के विरूद्ध स्वीकार करते हुए अपीलकर्तागण को निर्देशित किया कि अपीलकर्तागण परिवादी को मानसिक एवं शारीरिक कष्ट की प्रतिपूर्ति के रूप में एक लाख रूपये का भुगतान आदेश की तिथि से दो माह के अन्दर करें। अन्यथा इस धनराशि पर परिवाद दाखिल करने की तिथि से सम्पूर्ण भुगतान के बीच 06 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से ब्याज भी देय होगा तथा 2,000/- रूपये परिवाद व्यय के रूप में परिवादी को दिये जाने हेतु आदेशित किया।
इस निर्णय एवं आदेश से क्षुब्ध होकर यह अपील योजित की गयी है।
हमने अपीलकर्तागण के विद्वान अधिवक्ता श्री प्रतुल श्रीवास्तव के तर्क सुने। प्रत्यर्थी संख्या-1 पर नोटिस की तामीला आदेश दिनांक 11.01.2018 द्वारा पर्याप्त मानी गयी। प्रत्यर्थी संख्या-2 एक औपचारिक पक्षकार है। प्रत्यर्थीगण की ओर से तर्क प्रस्तुत करने हेतु कोई उपस्थित नहीं हुआ।
अपीलकर्तागण के विद्वान अधिवक्ता द्वारा यह तर्क प्रस्तुत किया गया कि जिला मंच ने सम्पूर्ण तथ्यों एवं परिस्थितियों का उचित परिशीलन न करते हुए प्रश्नगत निर्णय पारित किया है। परिवादी की मुख्य शिकायत कथित दुर्घटना के समय सेफ्टी एयर बैग का न खुलना बताया गया, किंतु प्रश्नगत वाहन के संदर्भ में परिवादी को उपलब्ध करायी गयी ओनर्स मैनुअल सेफ्टी बुक में यह स्पष्ट रूप से वर्णित किया गया है कि एसआरएस (Supplementary Restraint System Air Bag) किन परिस्थितियों में कार्य करता है। अपीलकर्तागण के कथनानुसार ओनर्स मैनुअल सेफ्टी बुक में यह स्पष्ट रूप से वर्णित है कि वाहन में न्यूनतम 30 किलोमीटर की रफ्तार से सामने से टक्कर होने की स्थिति में ही एयर बैग क्रियाशील होंगे, किंतु प्रश्नगत वाहन के संदर्भ में कथित दुर्घटना में टक्कर सामने से न होकर साइड से हुई, जिसके कारण एयर बैग नहीं खुले। अत: कथित दुर्घटना में एयर बैग का न खुलना वाहन में त्रुटि नहीं माना जा सकता। इस संदर्भ में अपीलकर्तागण के विद्वान अधिवक्ता ने अपील मेमों के साथ ओनर्स मैनुअल सेफ्टी बुक के एसआरएस सिस्टम की कार्य पद्धती से संबंधित विवरण की फोटोप्रति, जो अपील मेमों के साथ दाखिल की गयी कि ओर हमार ध्यान आकृष्ट किया गया तथा प्रश्नगत क्षतिग्रस्त वाहन की फोटों की फोटोप्रति भी दाखिल की गयी, जिसके अवलोकन से यह विदित होता है कि मुख्य रूप सामने की टक्कर में ही एयर बैग क्रियाशील होंगे। अपील मेमों के साथ क्षतिग्रस्त वाहन के फोटोग्राफ के अवलोकन से भी यह विदित होता है कि प्रश्नगत वाहन में सामने से न होकर साइड से हुई। परिवाद के अभिकथनों मे परिवादी का भी यह कथन नहीं है कि दुर्घटना प्रश्नगत वाहन में सामने से हुई। जिला मंच के समक्ष परिवादी द्वारा ऐसी कोई विशेषज्ञ आख्या भी प्रस्तुत नहीं की गयी है, जिसमें यह मत व्यक्त किया गया हो कि प्रश्नगत वाहन का एसआरएस सिस्टम त्रुटिपूर्ण था। ऐसी परिस्थिति में कथित दुर्घटना में एयर बैग के न खुलने के आधार पर वाहन त्रुटिपूर्ण नहीं माना जा सकता। जिला मंच ने मामले के तथ्यों एवं परिस्थितियों का उचित परिशीलन न करते हुए प्रश्नगत निर्णय पारित किया है। अत: मामलें के तथ्यों एवं परिस्थितियों के आलोक में हमारे विचार से प्रत्यर्थी संख्या-1/परिवादी अपीलकर्तागण के विरूद्ध कोई अनुतोष प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है। अपील तदनुसार स्वीकार किये जाने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील स्वीकार की जाती है। प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 28.05.2012 अपास्त किया जाता है।
उभय पक्ष अपना-अपना अपीलीय व्यय स्वंय वहन करेंगे।
उभय पक्ष को इस निर्णय एवं आदेश की सत्यप्रतिलिपि नियमानुसार उपलब्ध करा दी जाये।
(उदय शंकर अवस्थी) (गोवर्द्धन यादव)
पीठासीन सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0, कोर्ट-2