राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
(मौखिक)
अपील संख्या-1283/2022
(जिला उपभोक्ता आयोग, बाराबंकी द्वारा परिवाद संख्या 170/2002 में पारित आदेश दिनांक 13.10.2022 के विरूद्ध)
1. दि न्यू इंडिया एश्योरेंस कम्पनी लि0 94 महात्मा गॉंधी मार्ग, हजरतगंज लखनऊ।
2. महा प्रबन्धक दि न्यू इण्डिया एश्योरेंस लिमिटेड पंजीकृत न्यू इण्डिया एश्योरेंस बिल्डिंग 87 महात्मा गॉंधी मार्ग फोर्ट मुम्बई 400001
3. न्यू इण्डिया एश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड राशीद इन्क्लेव मार्केट के सामने मीना मार्केट जिला बाराबंकी।
.................अपीलार्थीगण/विपक्षी सं01, 2 व 4
बनाम
1. विशम्भर पाण्डेय बालिग पुत्र श्री संभल पाण्डे सुगर मिल कालोनी (मझंपुरवा) तहसील नवाबगंज, जिला बाराबंकी।
2. बीमा लोकपाल कार्यालय बीमा लोक पाल उत्तर प्रदेश एवं उत्तरांचल चिन्ट्स हाउस प्रथम तल, 16 स्टेशन रोड लखनऊ।
3. इन्डसइन्ड बैंक लिमिटेड सेकेन्ड फ्लोर सरन चैम्बर-II, 5 पार्क रोड, हजरतगंज लखनऊ द्वारा प्रबन्धक।
..............प्रत्यर्थीगण/परिवादी एवं विपक्षी सं03 व 5
समक्ष:-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष।
अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित : श्री जफर अजीज,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी/परिवादी की ओर से उपस्थित : श्री विनीत कुमार,
विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक: 27.07.2023
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील अपीलार्थीगण द्वारा इस न्यायालय के सम्मुख जिला उपभोक्ता आयोग, बाराबंकी द्वारा परिवाद संख्या-170/2002
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विशम्भर पाण्डेय बनाम दि न्यू इंडिया एश्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड व चार अन्य में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 13.10.2022 के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी है।
मेरे द्वारा अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्ता श्री जफर अजीज एवं प्रत्यर्थी/परिवादी की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्ता श्री विनीत कुमार को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों का अवलोकन किया गया।
संक्षेप में वाद के तथ्य इस प्रकार हैं कि परिवादी द्वारा अपने वाहन महेन्द्रा मार्शल मैक्सिकैब का बीमा विपक्षी बीमा कम्पनी से दिनांक 07.03.2001 को मु0 9,416/-रू0 प्रीमियम अदा कर करवाया था। प्रश्नगत वाहन दिनांक 02.01.2002 को सड़क पर एक बच्चे के अचानक आ जाने के कारण उसे बचाने हेतु असन्तुलित होकर क्षतिग्रस्त हो गया, जिसकी सूचना सम्बन्धित थाना में दी गयी। परिवादी द्वारा विपक्षी संख्या-1 के कार्यालय में माह जनवरी में क्लेम फार्म समस्त वांछित प्रपत्रों के साथ जमा किया गया। सर्वेयर द्वारा दुर्घटनाग्रस्त वाहन का सर्वे किया गया तथा दुर्घटनाग्रस्त वाहन को बाबर आटोमोबाइल्स वर्कशाप बिलदारी लेन लालबाग, लखनऊ में जमा करने का निर्देश दिया। सर्वेयर के निर्देशानुसार प्रश्नगत वाहन दिनांक 10.01.2002 को टोचिंग करके बताये गये स्थान पर भेजा गया तथा मार्च 2002 में परिवादी विपक्षी संख्या-1 के यहॉं गया तो विपक्षी संख्या-1 द्वारा कहा गया कि विधिवत कार्यवाही होने में समय लगेगा। यदि परिवादी चाहे तो अभिलेखों पर सहमति के साथ 2,80,000/-रू0 भुगतान प्राप्त कर सकता है, परन्तु बाद में विपक्षी द्वारा परिवादी द्वारा दिये गये सहमति पत्र को अस्वीकार कर दिया गया। दिनांक 30.05.2002 को विपक्षी संख्या-1 द्वारा परिवादी को एक पत्र दुराग्रह की भावना से प्रेषित किया गया। दिनांक 05.08.2002 को डिवीजनल मैनेजर
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द्वारा एक पत्र प्रेषित किया कि परिवादी उमाशंकर का उक्त दुर्घटना की तिथि पर प्रश्नगत वाहन चलाने का साक्ष्य प्रस्तुत करे, जिसके संबंध में परिवादी द्वारा प्रार्थना पत्र दिनांकित 07.08.2002 के साथ शपथ पत्र उमाशंकर तथा घटना के समय मौजूद व्यक्ति का शपथ पत्र तथा उमाशंकर का ड्राइविंग लाइसेंस सहायक अभियोजन अधिकारी से सत्यापित कराकर दिया। फिर भी परिवादी के क्लेम का भुगतान नहीं किया गया। तदोपरान्त परिवादी द्वारा विपक्षी संख्या-1 से दिनांक 26.08.2002 को सम्पर्क करने पर परिवादी को बताया गया कि उसके वाहन में 13 सवारियॉं बैठी थीं, इसलिए परिवादी के क्लेम को क्यों न नो क्लेम कर दिया जाये, जबकि परिवादी के वाहन में कुल 09 सवारियॉं बैठी थी। परिवादी द्वारा ड्राइवर व मनोज कुमार का एक शपथ पत्र दिनांक 27.08.2002 को दिया गया। परिवादी द्वारा दिनांक 09.09.2002 को विपक्षी संख्या-1 को पत्र प्रेषित किया गया, जिस पर पत्र दिनांक 19.09.2002 द्वारा सूचित किया गया कि क्लेम का निस्तारण शीघ्र किया जायेगा। दिनांक 03.10.2002 को विपक्षी संख्या-1 का प्रेषित पत्र परिवादी को प्राप्त हुआ, जिसमें परिवादी के क्लेम को निरस्त करने की धमकी दी गयी, परन्तु क्लेम से इंकार नहीं किया गया। परिवादी द्वारा दिनांक 03.10.2002 को बीमा लोकपाल लखनऊ को शिकायती पत्र प्रेषित किया गया। तदोपरान्त लोकपाल द्वारा दिनांक 28.10.2002 को एक पत्र प्राप्त हुआ, जिसमें कहा गया कि बीमा क्लेम के संबंध में बीमा कम्पनी द्वारा लिया गया निर्णय सही है। अत: क्षुब्ध होकर परिवादी द्वारा विपक्षीगण के विरूद्ध परिवाद जिला उपभोक्ता आयोग के सम्मुख प्रस्तुत करते हुए वांछित अनुतोष की मांग की गयी।
विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग के सम्मुख विपक्षी संख्या-1 से 04 की ओर से वादोत्तर प्रस्तुत किया गया तथा मुख्य रूप से कथन किया गया कि जांच कराने के उपरान्त यह तथ्य प्रकाश में
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आया कि कथित दुर्घटना के समय परिवादी के प्रश्नगत वाहन में ड्राईवर समेत 13 व्यक्ति यात्रा कर रहे थे, जबकि ड्राईवर समेत 10 व्यक्ति होने चाहिए थे। इस कारण दावा निरस्त किया गया। विपक्षी संख्या-4 आवश्यक पक्षकार नहीं है। कथित दुर्घटना के समय प्रश्नगत वाहन चालक मूलचन्द द्वारा चलाया जा रहा था, जिसके पास दुर्घटना के समय वैध एवं प्रभावी चालक अनुज्ञप्ति नहीं था। परिवादी का दावा नो क्लेम होने पर परिवादी द्वारा अपील विपक्षी संख्या-3 के यहॉं दिनांक 03.10.2002 को दाखिल की गयी, जिसका निस्तारण दिनांक 28.10.2002 को करते हुए विपक्षी संख्या-3 द्वारा विपक्षी संख्या-1 द्वारा पारित निर्णय को सही ठहराया गया। विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा कभी भी परिवादी को क्लेम के रूप में 2,80,000/-रू0 दिलाने का आश्वासन नहीं दिया गया। परिवादी द्वारा बीमा पालिसी की शर्तों का उल्लंघन किया गया है। परिवाद निरस्त होने योग्य है।
विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्ध साक्ष्यों/प्रपत्रों पर विचार करने के उपरान्त अपने निर्णय में निम्न तथ्य उल्लिखित किया गया है:-
''पत्रावली पर उभय पक्षों द्वारा प्रस्तुत किया गया साक्ष्य से यह साबित है कि दुर्घटनाग्रस्त वाहन में परिवादी ने लखनऊ आटो एजेन्सी तथा बाबर आटो मोबाइल वर्कशाप से प्रश्नगत वाहन बनवाने हेतु कुल रू0 319418/- के बिल दाखिल किये है। परिवादी द्वारा दाखिल किये गये इस धनराशि के विरूद्ध विपक्षी के तरफ से कोई आपत्ति दाखिल नहीं की गई है जिससे अन्यथा साबित हो सके कि इसमे ज्यादा का परिवादी द्वारा खर्च दिखाया गया है इस नाते परिवादी द्वारा दाखिल की गई इन रसीदों के आधार पर उक्त धनराशि के संबंध में क्षतिपूर्ति पर विचार किया जाना उचित है। पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य से साबित है कि प्रश्नगत वाहन घटना के समय ओवरलोड होकर इस्तेमाल किया गया था इस नाते एक नजीर आहार फीडस बनाम फ्यूचल जनरल इंडिया इंश्योरेन्स कम्पनी (II) 2019 सी पी जे 210 (एन सी) पर विचार किया जाना आवश्यक है। इस नजीर के मामले में यह पाया गया कि
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मात्र ओवरलोडिग होने के नाते क्लेम खारिज नहीं किया जा सकता है। दुर्घटना से ओवरलोडिंग का कोई (NEXUS) संबंध नहीं है क्योंकि, यह साबित नहीं किया जा सका कि ओवरलोडिंग के कारण ही दुर्घटना कारित हुई इस नाते पूरा दावा निरस्त नहीं किया जा सकता। जहॉ तक ओवरलोडिंग का संबंध है दावा क्लेम पूरा निरस्त करने के बजाय बीमा कम्पनी को 75% धनराशि का भुगतान
किया जाना न्यायसंगत है। अत: इस मामले में भी ओवरलोडिंग के कारण नान स्टैण्डर्ड बेसिस पर कुल क्षतिपूर्ति की धनराशि रू0 3,19,418/- का 75% जो रू0 2,39,563/- होती है, क्षतिपूर्ति के रूप में दिलाया जाना न्यायसंगत प्रतीत होता है। विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा परिवादी के दावा क्लेम को निरस्त करके सेवा में कमी की है। अत: दावा परिवादी आंशिक रूप से स्वीकार किये जाने योग्य है।''
तदनुसार विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए निम्न आदेश पारित किया गया:-
''परिवाद संख्या: 170/2002 आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है। विपक्षी बीमा कम्पनी को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादी को दुर्घटनाग्रस्त वाहन की क्षतिपूर्ति के रूप में रू0 2,39,563/-(रूपये दो लाख उनतालिस हजार पॉंच सौ तिरसठ) परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि 21.11.2002 से अदायगी की तिथि तक छह प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्याज सहित एवं वाद व्यय के रूप में रू0 2,000/-(रूपये दो हजार) पैतालिस दिन में अदा करें।''
उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्ता द्व्य को सुनने तथा समस्त तथ्यों एवं परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए तथा जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश का परिशीलन व परीक्षण करने के उपरान्त मैं इस मत का हूँ कि विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा समस्त तथ्यों का सम्यक अवलोकन/परिशीलन व परीक्षण करने के उपरान्त विधि अनुसार निर्णय पारित किया गया,
जिसमें किसी प्रकार के हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है।
तदनुसार प्रस्तुत अपील निरस्त की जाती है।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थीगण द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गयी हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित सम्बन्धित जिला उपभोक्ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार
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निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार)
अध्यक्ष
जितेन्द्र आशु0
कोर्ट नं0-1