राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
सुरक्षित
अपील संख्या-660/2014
(जिला उपभोक्ता फोरम, महोबा द्वारा परिवाद संख्या 05/2011 में पारित निर्णय दिनांक 08.08.2013 के विरूद्ध)
टाटा मोटर्स लि0, रजिस्टर्ड आफिस बाम्बे हाउस, 24 होमी मोडी स्ट्रीट
मुम्बई 400001, ब्रांच आफिस एट देवा रोड, चिनहट लखनऊ द्वारा
मैनेजर। .......अपीलार्थी/विपक्षी
बनाम्
1.वीरेन्द्र कुमार द्विवेदी, पुत्र श्री भागीरथ द्विवेदी, मुहान छजमनपुरा
जिला महोबा। ......प्रत्यर्थी/परिवादी
2.मैनेजर, के.एम. क्रास प्रा0लि0 नियर दीपाली होटेल, छतरपुर रोड सागर
ब्रांच आफिस एट एन.एच -75, झांसी रोड छतरपुर।
3.जे.एम.के. मोटर्स, चरखारी बाईपास रोड, नियर नई गल्ला मंडी, महोबा।
......प्रोफार्मा रेस्पोन्डेन्ट्स
समक्ष:-
1. मा0 श्री उदय शंकर अवस्थी, पीठासीन सदस्य।
2. मा0 श्री गोवर्धन यादव, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री राजेश चडढा, विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित :कोई नहीं।
दिनांक 20.09.2019
मा0 श्री उदय शंकर अवस्थी, पीठासीन सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
यह अपील जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम महोबा द्वारा परिवाद संख्या 05/2011 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दि. 08.08.2013 के विरूद्ध योजित की गई है।
संक्षेप में तथ्य इस प्रकार है कि प्रत्यर्थी/परिवादी के कथनानुसार परिवादी ने अपने व्यक्तिगत प्रयोग हेतु परिवाद के विपक्षी संख्या 1 के.एम. क्रास प्रा0लि0 झांसी रोड छतरपुर मध्यप्रदेश की शाखा प्रत्यर्थी संख्या 2 से दि. 02.01.10 को टाटा इंडिगो प्रश्नगत गाड़ी क्रय की। इस वाहन की एक वर्ष की वारंटी प्रदान की गई थी। परिवादी के कथनानुसार परिवादी/ प्रत्यर्थी संख्या 2 के यहां से गाड़ी लेकर आया तो कुछ दिनों के उपरांत गाड़ी
-2-
में चलते-चलते इंजन की आवाज बदल जाती थी तथा स्क्रीन पर चेक-द-इंजन लिखकर आ जाता था। कुछ समय बाद पुन: गाड़ी के इंजन की आवाज सामान्य हो जाती थी, जिसकी शिकायत परिवादी द्वारा प्रत्यर्थी संख्या 2 से की गई तो प्रत्यर्थी संख्या 2 द्वारा कहा गया कि अभी गाड़ी पूरी रवां नहीं हुई है, कुछ दिन चलाईए सब ठीक हो जाएगा। करीब 4 महीने बाद गाड़ी का पेन्ट चटक कर पपड़ी के रूप में उखड़ने लगा, जिससे गाड़ी में जगह-जगह स्पाट आ गये थे एवं गाड़ी का ए.सी. ठण्डा नहीं करने लगा तब परिवादी अपनी गाड़ी की सर्विस करवाने के लिए प्रत्यर्थी संख्या 2 के यहां गया तो कहा गया कि आपकी शिकायत प्रत्यर्थी संख्या 3 के यहां भेज दी जाएगी। परिवादी के कथनानुसार परिवादी की गाड़ी में दाहिनी ओर बोनट और मडगार्ड(बोनट बंद करने पर) जगह ज्यादा रहती है और साइड में हेडलाइट और बाडी के बीच में भी जगह रहती है। परिवादी ने इस बात की भी शिकायत प्रत्यर्थी संख्या 2 से की तो प्रत्यर्थी संख्या 2 द्वारा कहा गया कि आपकी गाड़ी में निर्माण संबंधी त्रुटि है, वह समस्त शिकायतें प्रत्यर्थी संख्या 3 के पास भेज रहा है। परिवादी को निर्माण संबंधी त्रुटि के कारण प्रश्नगत गाड़ी के स्थान पर नई गाड़ी प्रदान की जाएगी जब तक गाड़ी प्रदान नहीं की जाती है तब तक आप इस गाड़ी का प्रयोग करे, आपका क्लेम प्रत्यर्थी संख्या 3 के पास भेज दिया गया है, जैसे ही निस्तारण होगा परिवादी को सूचना दे दी जाएगी। परिवादी निरंतर प्रत्यर्थी संख्या 2 के पास अपनी गाड़ी लेकर जाता रहा और उसकी निर्माण संबंधी त्रुटि की शिकायत करता रहा, हर बार प्रत्यर्थी संख्या 2 परिवादी से यही कह देते रहे कि परिवादी का क्लेम विचाराधीन है जैसे ही निस्तारण होगा सूचित किया जाएगा। परिवादी ने दि. 03.05.10 को कस्टमर केयर में ई-मेल भेजकर
-3-
प्रश्नगत वाहन की निर्माण संबंधी त्रुटि से अवगत कराया, किंतु परिवाद के विपक्षीगण द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गई, अत: परिवाद जिला मंच के समक्ष इस अनुतोष के साथ योजित किया गया कि प्रश्गनत वाहन के स्थान पर नई गाड़ी प्रदान की जाए अथवा गाड़ी की कीमत रू. 437123/- तथा इस धनराशि पर भुगतान की तिथि तक ब्याज परिवादी को प्रदान किया जाए। रू. 55000/- मानसिक प्रताड़ना के संदर्भ में तथा रू. 5000/- वाद व्यय के रूप में दिलाए जाने हेतु भी अनुतोष चाहा गया।
अपीलकर्ता(परिवाद के विपक्षी संख्या 3) द्वारा प्रतिवाद पत्र जिला मंच के समक्ष प्रस्तुत किया गया। अपीलकर्ता के कथनानुसार परिवादी ने प्रश्नगत वाहन में निर्माण संबंधी त्रुटि अभिकथित किया है। इस तथ्य को सिद्ध करने का भार परिवादी पर है, किंतु परिवादी द्वारा इस तथ्य को सिद्ध करने हेतु कोई विशेषज्ञ साक्ष्य प्रस्तुत नहीं की गई, जबकि परिवादी से यह अपेक्षित था कि वह अपेक्षित प्रयोगशाला जिसकी सूची भारत सरकार के खाद्य एवं सिविल सप्लाई विभाग ने प्रसारित की है के विशेषज्ञ के प्रतिवेदन को प्रस्तुत करता। अपीलकर्ता का यह भी कथन है कि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 13(1)(ग) के अंतर्गत परिवादी से कार्यवाही किया जाना अपेक्षित था, किंतु परिवादी द्वारा ऐसी कोई कार्यवाही नहीं की गई। अपीलकर्ता का यह भी कथन है कि परिवादी ने डीजल वाहन क्रय किया है। स्वाभाविक रूप से डीजल इंजन में कुछ अधिक आवाज आती है। इसके अतिरिक्त इंजन में तेज आवाज परिवादी द्वारा नान स्टैण्डर्न्ड लुब्रीकेन्ट एवं तेल प्रयोग से भी आती है। अपीलकर्ता का यह भी कथन है कि परिवादी ने वाहन खरीदने की तिथि से दि. 18.02.11 तक अर्थात एक साल एक महीने के अंदर वाहन को 40322 किलोमीटर चलाया अर्थात
-4-
100 किलोमीटर प्रतिदिन से भी अधिक चलाया। इंजन में निर्माण संबंधी कोई त्रुटि होने की स्थिति में यह स्वाभाविक नहीं था। अपीलकर्ता के कथनानुसार परिवादी के वाहन के इंजन में कोई ऐसी आवाज नहीं आ रही थी जो तकनीकी खराबी प्रदर्शित करती हो। अपीलकर्ता की ओर से यह भी तर्क प्रस्तुत किया गया कि प्रश्गनत परिवाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार जिला मंच महोबा को प्राप्त नहीं था।
प्रत्यर्थी संख्या 3 की ओर भी प्रतिवाद पत्र जिला मंच के समक्ष प्रस्तुत किया गया। प्रत्यर्थी संख्या 3 ने अपने प्रतिवाद पत्र में यह भी अभिकथित किया है कि प्रत्यर्थी संख्या 3 द्वारा प्रश्नगत वाहन में किसी खराबी की कोई सूचना प्रत्यर्थी संख्या 2 को नहीं दी गई। प्रत्यर्थी संख्या 3 का यह भी कथन है कि परिवादी द्वारा प्रत्यर्थी संख्या 2 द्वारा प्रश्नगत वाहन में कथित किसी त्रुटि की जानकारी प्रत्यर्थी संख्या 3 को नहीं दी गई।
जिला मंच ने प्रश्नगत वाहन में निर्माण संबंधी त्रुटि मानते हुए अपीलकर्ता एवं प्रत्यर्थी संख्या 2 व 3 के विरूद्ध परिवाद स्वीकार करते हुए अपीलकर्ता एवं प्रत्यर्थी संख्या 2 व 3 को आदेशित किया कि निर्णय की तिथि से एक माह के अंदर प्रश्नगत वाहन के स्थान पर नई गाड़ी प्रदान करें तथा उसका बीमा भी कराएं अथवा नई गाड़ी प्रदान न करने की स्थिति में परिवादी को रू. 437123/- तथा इस धनराशि पर दि. 02.01.10 से भुगतान की तिथि तक 8 प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर से ब्याज प्रदान करें। इसके अलावा परिवादी अपीलकर्ता परिवाद के विपक्षी संख्या 2 व 3 से मानसिक कष्ट के एवज में रू. 25000/- एवं वाद व्यय के रूप में रू. 2500/- प्राप्त करने का अधिकारी होगा। परिवाद के विक्षी संख्या 4(प्रत्यर्थी संख्या 3) के विरूद्ध परिवाद निरस्त किया गया।
-5-
इस निर्णय से क्षुब्ध होकर यह अपील योजित की गई है।
हमने अपीलकर्ता के विद्वान अधिवक्ता के तर्क सुने तथा प्रत्यर्थी संख्या 1 की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ। प्रत्यर्थी संख्या 2 व 3 प्रस्तुत अपील में औपचारिक पक्षकार हैं।
अपीलकर्ता के विद्वान अधिवक्ता द्वारा यह तर्क प्रस्तुत किया गया कि जिला मंच महोबा को प्रश्नगत परिवाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार प्राप्त नहीं था, अत: क्षेत्राधिकार के अभाव में पारित प्रश्नगत निर्णय अपास्त किए जाने योग्य है। अपीलकर्ता की ओर से यह तर्क प्रस्तुत किया गया कि प्रस्तुत प्रकरण में प्रश्नगत वाहन में निर्माण संबंधी दोष को अभिकथित किया गया है, किंतु इस तथ्य को प्रमाणित करने हेतु कोई विशेषज्ञ आख्या प्रत्यर्थी परिवादी द्वारा जिला मंच के समक्ष प्रस्तुत नहीं की गई है। अपीलकर्ता का यह भी कथन है कि परिवाद योजित किए जाने से पूर्व प्रश्नगत वाहन एक लाख से अधिक किलोमीटर तक चल चुका था। इंजन में कोई निर्माण संबंधी त्रुटि होने की स्थिति में ऐसा संभव नहीं मान जा सकता। अपीलकर्ता की ओर से यह तर्क भी प्रस्तुत किया गया कि प्रश्नगत वाहन के संदर्भ में समय-समय पर सर्विसिंग की सुविधा परिवादी को प्राप्त कराई गई है। अपीलकर्ता अथवा उसके डीलर द्वारा सेवा में कोई त्रुटि किया जाना प्रमाणित नहीं है।
पत्रावली के अवलोकन से यह विदित होता है कि यद्यपि यह तथ्य निर्विवाद है कि प्रश्नगत वाहन परिवादी ने प्रत्यर्थी संख्या 2 के.एम क्रास प्रा0लि0 झांसी रोड छतरपुर मध्य प्रदेश से क्रय किया, किंतु प्रश्नगत वाहन
की सर्विसिंग प्रत्यर्थी संख्या 3 के यहां भी कराई गई। ऐसी परिस्थिति में यह माना जा सकता कि आंशिक वाद कारण जनपद महोबा में भी उत्पन्न
-6-
हुआ, अत: अपीलकर्ता के विद्वान अधिवक्ता का तर्क स्वीकार किए जाने योग्य नहीं है कि प्रश्नगत परिवाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार जिला मंच महोबा को प्राप्त नहीं था।
उल्लेखनीय है कि प्रस्तुत प्रकरण में प्रत्यर्थी परिवादी ने प्रश्नगत वाहन के इंजन में निर्माण संबंधी त्रुटि अभिकथित किया है। स्वाभाविक रूप से इस तथ्य को सिद्ध करने का भार प्रत्यर्थी/परिवादी का था, किंतु प्रत्यर्थी परिवादी द्वारा इस संदर्भ में कोई विश्वसनीय साक्ष्य प्रस्तुत नहीं की गई। परिवादी से यह अपेक्षित था कि प्रश्नगत वाहन में निर्माण संबंधी त्रुटि प्रमाणित करने हेतु कोई विशेषज्ञ आख्या प्रस्तुत की जाती है। प्रत्यर्थी परिवादी की ओर से लिखित बहस इस आशय की प्रस्तुत की गई कि विपक्षीगण द्वारा प्रश्नगत वाहन में निर्माण संबंधी त्रुटि स्वीकार की गई है, किंतु परिवादी का यह कथन स्वीकार किए जाने योग्य नहीं है कि अपीलकर्ता तथा प्रत्यर्थी संख्या 3 द्वारा प्रस्तुत किए गए प्रतिवाद पत्र में अपीलकर्ता तथा प्रत्यर्थी संख्या 3 द्वारा स्पष्ट रूप से यह अभिकथित किया गया है कि प्रश्नगत वाहन में निर्माण संबंध कोई त्रुटि नहीं थी। अपील मेमों के साथ अपीलकर्ता ने प्रश्नगत वाहन की सर्विस हिस्ट्री भी दाखिल की है, जिसके अवलोकन से यह विदित होता है कि प्रश्नगत वाहन दि. 31.12.2009 को क्रय किया गया तथा इसकी अंतिम सर्विसिंग दि. 02.12.13 को हुई। इस अवधि के मध्य यह वाहन 115129 किलोमीटर चल चुका था। प्रश्नगत वाहन के इंजन में निर्माण संबंधी त्रुटि होने की स्थिति में यह संभव नहीं माना जा सकता।
उपरोक्त तथ्यों के आलोक में हमारे विचार से जिला मंच ने पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य का परिशीलन न करते हुए प्रश्गनत निर्णय पारित किया
-7-
है। प्रश्नगत वाहन में निर्माण संबंधी त्रुटि परिवादी द्वारा साबित नहीं की गई है, अत: प्रश्नगत निर्णय अपास्त किए जाने योग्य है। तदनुसार अपील स्वीकार किए जाने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील स्वीकार की जाती है। जिला मंच द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय निरस्त किया जाता है तथा परिवाद भी निरस्त किया जाता है।
उभय पक्ष अपना-अपना अपीलीय वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
निर्णय की प्रतिलिपि पक्षकारों को नियमानुसार उपलब्ध कराई जाए।
(उदय शंकर अवस्थी) (गोवर्धन यादव) पीठासीन सदस्य सदस्य
राकेश, पी0ए0-2
कोर्ट-2