राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
सुरक्षित
अपील सं0-५८१/२००७
(जिला फोरम/आयोग (द्वितीय), बरेली द्वारा परिवाद सं0-१८६/२००५ में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक १४-०१-२००७ के विरूद्ध)
१. बरेली विकास प्राधिकरण द्वारा सैक्रेटरी, प्रियदर्शिनी नगर, थाना-प्रेम नगर, बरेली।
२. सैक्रेटरी, बरेली विकास प्राधिकरण, बरेली।
३. वाइस चेयरमेन, बरेली विकास प्राधिकरण, प्रियदर्शिनी नगर, थाना-प्रेम नगर, बरेली।
४. ज्वाइंट सैक्रेटरी, बरेली विकास प्राधिकरण, प्रियदर्शिनी नगर, थाना-प्रेम नगर, बरेली।
...........अपीलार्थीगण/विपक्षीगण।
बनाम
विनोद कुमार पुत्र श्री आर0पी0 सागर, निवासी मोहल्ला मिर्धान कस्बा व थाना फरीदपुर, जिला बरेली।
...........प्रत्यर्थी/परिवादी।
समक्ष:-
१- मा0 श्री राजेन्द्र सिंह, सदस्य।
२- मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य।
अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित : श्री वी0पी0 श्रीवास्तव विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक :- ३०-११-२०२१.
मा0 श्री राजेन्द्र सिंह, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
यह अपील, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम १९८६ के अन्तर्गत जिला फोरम/आयोग (द्वितीय), बरेली द्वारा परिवाद सं0-१८६/२००५ में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक १४-०१-२००७ के विरूद्ध योजित की गयी है।
संक्षेप में अपीलार्थी का कथन है कि प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक १४-०१-२००७ विधि विरूद्ध, मनमाना, अतार्किक और बिना मस्तिष्क का प्रयोग किए दियागया है। परिवादी द्वारा गलत और भटकाने वाला परिवाद प्रस्तुत किया गया। परिवादी ने यह कोशिश की कि कब्जा पत्र दिनांकित २१-१०-२००४ के प्राप्त होने के एक सप्ताह के अन्दर देना था लेकिन उसने कोई साक्ष्य नहीं दिया। विद्वान जिला फोरम ने यह नहीं देखा कि परिवादी ने मासिक किश्तों
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का समय से भुगतान नहीं किया है। विद्वान जिला फोरम ने यह नहीं देखा कि अपीलार्थी ने कोई निश्चित समय में कब्जा देने का कोई वादा नहीं किया था और कब्जा न मिलने के आधार पर दावा प्रस्तुत करना गलत था। विद्वान जिला फोरम इन तथ्यों को देख नहीं पाया और अपीलार्थी के विरूद्ध प्रश्नगत निर्णय पारित किया, जो साक्ष्यों के विपरीत है, अत: निवेदन है कि वर्तमान अपील स्वीकार करते हुए प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश अपास्त किया जाए।
हमने अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्ता श्री वी0पी0 श्रीवास्तव को सुना तथा प्रश्नगत निर्णय, अभिकथनों तथा पत्रावली पर उपलब्ध अभिलेखों का सम्यक रूप से परिशीलन किया। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ।
हमने प्रश्नगत निर्णय का अवलोकन किया। परिवादी ने बरेली विकास प्राधिकरण की करगैना आवासीय योजना सम्बंधी भवन आवंटन व विक्रय हेतु सूचना के अंतर्गत दिनांक ०६.९.२००४ को प्रार्थना पत्र देकर आवेदन किया और पंजीकरण शुल्क दि0 २९.०७.२००४ को रसीद सं0 ६४९९ द्वारा ७६००/- रूपये एवं दि0 ०८.०९.२००४ को रसीद सं0 ६८८३ द्वारा १००० रूपये कुल ८६००/- रूपये जमा किए, जिसकी रसीदें विपक्षीगण द्वारा वादी को जारी की गई। वादी को उक्त सम्बंध में विपक्षी नं0 ४ द्वारा दिनांक १५.०९.२००४ को पत्रांक सं0 ३८४६/का0ब0वि0प्रा0/२००४ द्वारा सूचित किया कि करगैना आवासीय योजना में ब्लाक सं0 ७१ भवन सं0 ०१ का आवंटन करने के संदर्भ में निम्नलिखित शर्तों के एवं प्रतिबंधों के अधीन प्रदान की जाती है:-
- भवन का मूल्य ५८,०००/- रूपये है तथा भूमि के कुल मूल्य का १२ प्रतिशत फ्री होल्ड चार्जेज अतिरिक्त के रूप में देय होगा।
- आपके द्वारा पंजीकरण के रूप में ८६००/- रूपये जमा किए गये हैं तथा आवंटन धनराशि ८६००/- रूपये पत्र की दिनांक से १५ दिन के अंदर और जमा करनी होगी।
- पंजीकरण एवं आवंटन की धनराशि के रूप में रूपये १७२००/- रूपये जमा करने के उपरान्त शेष धनराशि ६८,६००/- रूपये पर १२ प्रतिशत की दर से १८० माह की समीकृत किश्तों के रूप में प्रतिमाह रूपये ८२४/- रूपये देय होगा।
- प्रथम किश्त की देय तिथि ०१.१०.२००४ से मानी जायेगी।
- विलम्ब से किश्तों की धनराशि का भुगतान करने की दशा में किश्त की राशि पर १८ प्रतिशत की दर से अतिरिक्त दण्डक ब्याज भी देय होगा।
- निर्धारित अवधि के अंदर आवंटन की धनराशि जमा न करने की दशा में यह समझा जायेगा कि आप भवन लेने के इच्छुक नहीं है और आपका आवंटन निरस्त माना जायेगा। आवंटन पत्र प्राप्त होने के उपरान्त नियमानुसार ५००/- रूपये धनराशि का स्टाम्प पेपर क्रय कर कार्यालय में एक सप्ताह के अंदर जमा करें ताकि एग्रीमेंट पंजीकृत कराया जा सके। इसके उपरान्त ही भवन का कब्जा दिया जायेगा।
- किसी भी शर्त का उल्लंघन करने पर भवन स्वत: निरस्त समझा जायेगा अत: उपरोक्त कार्यवाही को शीघ्र पूरा करके भवन का कब्जा प्राप्त करें।
परिवादी द्वारा आवण्टन सम्बंधी स्वीकृति पत्र की शर्त सं0का पालन करते हुए दिनांक १६.०९.२००४ को ही आवण्टन धनराशि ८६००/- रूपये रसीद सं0 ६९४९ द्वारा विपक्षी के कार्यालय मे जमा कर दिए। इसके अलावा आवण्टन स्वीकृति पत्र की शर्त सं0 ६ का पालन करते हुए ५००/- रूपये का जनरल स्टाम्प पेपर कार्यालय विपक्षी के एग्रीमेंट पंजीकृत कराने हेतु दिनांक १६.०९.२००४ को जमा कर दिया। दिनांक १२.१०.२००४ को विपक्षी सं0 4 द्वारा वादी के साथ अनुबंध पत्र पर हस्ताक्षर करके कार्यालय उपनिबंधक प्रथम, बरेली के यहां पंजीकरण करने हेतु प्रस्तुत किया गया और उक्त अनुबंध पत्र की रजिस्ट्री दि0 १२.१०.२००४ को पुस्तक सं0 प्रथम खण्ड ९७६ के पृष्ठ १८५ से १९४ क्रम सं0 ८३८९ पर हुई, उक्त अनुबंध पत्र के अनुसार दिनांक ११.१०.२००४ को उ0प्र0नगर योजना एवं विकास अधिनियम १९७३ के अंतर्गत गठित विकास प्राधिकरण बरेली जिसमें उसके प्राधिकारी एवं मनोनीत प्रतिनिधि सम्मिलित हैं, प्रथम पक्ष कहलायेंगे तथा वादी इस विलेख में क्रेता कहलायेगा जिसमें उसके उत्तराधिकारी, प्रबंधक व निष्पादनकर्ता सम्मिलित हैं, द्वितीय पक्ष कहलायेंगे चूंकि प्रथम पक्ष बरेली विकास प्राधिकरण ने अपनी भूमि विकास एवं आवासीय योजना के अंतर्गत क्षेत्र करगैना आवासीय योजना बरेली में स्थित भूमि का क्रय करके तथा उसका विकास करके विभिन्न ई.डब्लू.एस. भवन निर्माणकिए हैं अत: दिनांक ०८.०९.२००४ को लाटरी ड्रॉ में आवंटित भवन सं0 ई.डब्लू.एस. ७१/१ जिसका क्षेत्रफल ३२ वर्गमीटर है, जिसके साथ लगी भूमि तथा संरचना निम्न प्रकार सीमा सीमा के
अंतर्गत है। पूरब-ई.डब्लू.एस., पश्चिम-ई.डब्लू.एस., उत्तर-ई.डब्लू.एस., दक्षिण रोड का स्वामित्व एकमात्र प्राधिकरण में निहित है जैसा आवंटी उक्त वर्णित को किराया क्रय पद्धति के अंतर्गत आगे दी गई शर्तों के अंतर्गत लेने के लिए सहमत हुए हैं।
उक्त भूखण्ड का मूल्य ८५१००/- रूपये के प्रीमियम जिसमें से १७२००/- रूपये की राशि वादी द्वारा विपक्षी को अदा कर दी गई तथा शेष राशि ६८६००/- रूपये जिसका भुगतान वादी को १२ प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से ब्याज के साथ मासिक किश्तों में अदा करेगा तथा जिसकी मासिक किश्त ८२४/- रूपये होगी तथा प्रथम किश्त दिनांक १.१०.२००४ को देय होगी। विपक्षी नं १ के पत्रांक ४३१८ दिनांक १९.१०.२००४ द्वारा उक्त योजना में स्थित उक्त भवन का निबंधन/किराया क्रय पद्धति अनुबंध वादी द्वारा दिनांक १२.१०.२००४ को कराये जाने पर उक्त भवन का कब्जा मौके पर एक सप्ताह के अंदर कराये जाने हेतु संबंधी पत्र वादी को दिनांक २१.१०.२००४ को मिला, परंतु विपक्षी द्वारा वादी के कई बार मौखिक कहने के बावजूद भी नहीं दिया। जिससे वादी को आर्थिक हानि के साथ-साथ गम्भीर मानसिक पीड़ा हो रही है और उसे १०००/- रूपये मकान का प्रतिमाह किराया देना पड़ रहा है जिसका भुगतान का उत्तरदायित्व विपक्षीगण का है। परिवादी द्वारा अपने अधिवक्ता के द्वारा दिनांक १६.०५.२००६ को विपक्षी को उक्त भवन का कब्जा दिलाये जाने हेतु नोटिस दिया गया लेकिन विपक्षीगण को नोटिस प्राप्त होने के बावजूद भी विपक्षीगण द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गयी। अत: परिवादी द्वारा विपक्षीगण के विरूद्ध उपरोक्त अनुतोष दिलाये जाने हेतु यह परिवाद योजित किया गया है।
विद्वान जिला फोरम के समक्ष विपक्षी ने उपस्थित हो कर कहा कि परिवादी को कब्जा दिनांक १३-०७-२००५ को मिल चुका है। विद्वान जिला फोरम ने माना कि चूँकि कब्जा हो चुका है, अत: कब्जा दिलाया जाने वाला अनुतोष निष्फल हो चुका है और तत्पश्चात् परिवादी द्वारा किराए के रूप में अदा की गई धनराशि और मानसिक पीड़ा के सम्बन्ध में विचार करते हुए यह पाया कि वह किराए के मद में ४,०००/- रू० और वाद व्यय के रूप में १,०००/- रू० पाने का अधिकारी है। इन परिस्थितियों में हम इस निष्कर्ष पर पहुँचते है कि प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश
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उचित है और उसमें किसी प्रकार के हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है। वर्तमान अपील निरस्त किए जाने योग्य है।
आदेश
अपील निरस्त की जाती है। जिला फोरम/आयोग (द्वितीय), बरेली द्वारा परिवाद सं0-१८६/२००५ में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक १४-०१-२००७ की पुष्टि की जाती है।
अपील व्यय उभय पक्ष पर।
उभय पक्ष को इस निर्णय की प्रमाणित प्रति नियमानुसार उपलब्ध करायी जाय।
वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(राजेन्द्र सिंह) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
निर्णय आज खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित, दिनांकित होकर उद्घोषित किया गया।
(राजेन्द्र सिंह) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
प्रमोद कुमार,
वैय0सहा0ग्रेड-१,
कोर्ट नं.-२.