मौखिक
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ
(जिला उपभोक्ता मंच, संल्तानपुर द्वारा परिवाद संख्या 360 सन 2003 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक23.06.2008 के विरूद्ध)
अपील संख्या 1894 सन 2008
सुपरिण्टेंडेंट आफ पोस्ट आफिस, सुल्तानपुर डिवीजन, सुल्तानपुर एवं 3 अन्य।
.......अपीलार्थी/प्रत्यर्थी
-बनाम-
बिन्देश्वरी प्रसाद पुत्र श्री राम समुझ निवासी उदयपुर, सकरवारी, परगना अल्दमऊ तहसील कादीपुर जिला सुल्तानपुर ।
. .........प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष:-
मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य ।
मा0 डा0 आभा गुप्ता , सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता - श्री यू0वी0सिंह के सहयोगी श्रीकृष्ण पाठक।
प्रत्यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता - श्री अभिषेक सिंह ।
दिनांक:- 02.03.2022
मा0 सदस्य श्री सुशील कुमार द्वारा उद्घोषित
निर्णय
उपभोक्ता परिवाद संख्या 360 सन 2003, सुपरिण्टेंडेंट पोस्ट आफिस एवं अन्य बनाम विन्देश्वरी प्रसाद में जिला उपभोक्ता मंच, सुल्तानपुर द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 23.06.2008 के विरूद्ध यह अपील प्रस्तुत की गयी है जिसके अन्तर्गत परिवाद स्वीकार करते हुए विपक्षी को आदेशित किया गया है कि परिवादी द्वारा जमा की गयी राशि अंकन 663.00 रू0 अदा की जाए साथ ही अंकन 5000.00 रू0 मानसिक प्रताड़ना के मद में अदा करने का आदेश दिया गया है।
इस निर्णय एवं आदेश को इन आधारों पर चुनौती दी गयी है कि स्वयं खाताधारक द्वारा मूल दस्तावेज पोस्ट आफिस में प्राप्त नहीं कराया गया, इसलिए भुगतान नहीं हो सकता क्योंकि परिवादी ने यह दस्तावेज बंधक कर दिया था ।
दोनों पक्षों के अधिवक्तागण को सुना गया तथा प्रश्नगत आदेश का अवलोकन किया गया।
जिला उपभोक्ता मंच ने अपने निर्णय में यह उल्लेख किया है कि मूल अभिलेख पोस्ट आफिस में उपलब्ध नहीं है, इसलिए विभाग ने सेवा में कमी की है।
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि स्वयं अपीलार्थी की ओर से मूल अभिलेख उपलब्ध नहीं कराए गए । परिवादी ने पासबुक संख्या 54404 की धनराशि क्रमश 593.92 रू0, तीन एन0एस0सी कीमत 120.00 रू0, कुल 663.92 रू0 जमा किया और खण्ड विकास अधिकारी के समक्ष इस खाते को बंधक किया । खण्ड विकास अधिकारी ने इस खाते में वर्णित राशि को बंधन मुक्त कर दिया है और इस राशि को परिवादी के पक्ष में रिलीज करने की संस्तुति भी की है इसलिए इस राशि को वापस लौटाने में कोई आपत्ति पोस्ट आफिस को नहीं होनी चाहिए। चूंकि खाता परिवादी के नाम है और परिवादी द्वारा धनराशि जमा की गयी है, इसलिए परिवादी से भुगतान हेतु इस आशय की अण्डरटेकिंग/बंध-पत्र लिया जा सकता है कि पुन: परिवादी द्वारा किसी स्तर पर क्लेम नहीं किया जाएगा ।
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का यह तर्क है कि अंकन 5000.00 रू0 अधिक आरोपित करना अनुचित है, क्योंकि परिवादी द्वारा मूल अभिलेख प्राप्त नहीं कराए गए ।
निर्णय के अवलोकन से ज्ञात होता है कि मूल अभिलेख के संबंध में कोई निष्कर्ष नहीं दिया गया है, अत: इस आधार पर भुगतान में बाधा कारित हो सकती है इसलिए अपीलार्थी को दण्डित किया जाना उचित प्रतीत नहीं होता है।
आदेश
अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। जिला उपभोक्ता मंच द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश इस प्रकार स्पष्ट किया जाता है कि परिवादी को देय राशि का भुगतान करते हुए पोस्ट आफिस द्वारा इस आशय का अण्टरटेकिंग/बंध- पत्र लिया जा सकता है कि परिवादी पुन: मूल अभिलेख के आधार पर इस राशि को प्राप्त करने का कोई अनुरोध नहीं करेगा ।
इसी प्रकार 5000.00 रू0 दण्ड आरोपित करने का आदेश अपास्त किया जाता है।
यहां यह भी स्पष्ट किया जाता है कि परिवादी द्वारा अपने खाते में जमा की गयी राशि पर पोस्ट आफिस द्वारा ब्याज राशि नहीं दी जाएगी ।
अपील व्यय उभय पक्ष पर ।
इस निर्णय की प्रमाणित प्रति नियमानुसार पक्षकारों को उपलब्ध करायी जाए।
आशुलिपिक/वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(सुशील कुमार) (डा0 आभा गुप्ता)
सदस्य सदस्य
सुबोल श्रीवास्तव
पी0ए0(कोर्ट नं0-2)