Uttar Pradesh

StateCommission

A/2005/480

O I Co - Complainant(s)

Versus

Vidyadhar Nayak - Opp.Party(s)

Ashish Kumar Srivastava

25 Nov 2024

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2005/480
( Date of Filing : 04 May 2005 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. O I Co
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Vidyadhar Nayak
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 25 Nov 2024
Final Order / Judgement

(मौखिक)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

अपील संख्‍या-480/2005

Oriental Insurance Company Ltd Through chairman & other

Versus

Vidyadhar Nayak & other

एवं

अपील सं0 481/2005

Oriental Insurance Company Ltd Through chairman & other

Versus  

Nirakar Bahera & Other

  समक्ष:-                                                      

1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य। 

2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्‍याय, सदस्‍य।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित: श्री आशीष कुमार श्रीवास्‍तव, विद्धान

                          अधिवक्‍ता

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित: कोई नहीं

दिनांक :25.11.2024 

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

1.       परिवाद संख्‍या-372/2004, विद्याधर नायक व अन्‍य बनाम ओरियन्‍टल इंश्‍योरेंस कम्‍पनी लिमिटेड व अन्‍य में विद्वान जिला आयोग, मेरठ द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 18.09.2009 के विरूद्ध अपील सं0 480/2005 एवं परिवाद सं0 373/2004 निराकार बहेरा बनाम ओरियन्‍टल इं0कं0लि0 में अपील सं0 481/2005 प्रस्‍तुत की गयी है। चूंकि दोनों अपीलें एक ही घटना से संबंधित हैं। अत: दोनों अपीलों का निस्‍तारण एक साथ किया जा रहा है।

2.         अपील सं0 480/2005 में परिवाद के तथ्‍यों के अनुसार दिनांक 2.11.2003 को परिवादी की पत्‍नी अपने बच्‍चों के साथ एवं स्‍वयं शिकायतकर्ता अपने दोस्‍त शिकायतकर्ता सं0 2 की टाटा सूमो सं0 यू0पी0 16 ए-7787 से गुडगॉव से हरिद्वार जा रहे थे। 2/3.11.2003 की रात्रि करीब 1 बजे मरेठ बाईपास रोड पर जटौली फाटक से थोड़ा आगे की तरफ गुजर रही थी तो चालक की लापरवाही से गाड़ी गलती से पेड़ से टकरा गयी, इस दुर्घटना में परिवादी की पत्‍नी घायल हो गयी, जहां कंकर खेड़ा अस्‍पताल में भर्ती कराया गया, पंरतु परिवादी की पत्‍नी भारती नायक की मृत्‍यु हो गयी, जिसकी प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करायी गयी। गाड़ी तथा उसमें बैठने वाले दो व्‍यक्ति का बीमा दिनांक 20.04.2003 से 19.05.2004 तक प्रभावी था, इसलिए परिवादी की पत्‍नी की मृत्‍यु होने पर लाख रूपये का बीमा प्राप्‍त होना चाहिए।

3.        अपील सं0 481/2005 के तथ्‍यों के अनुसार शिकायतकर्ता की पत्‍नी की मृत्‍यु भी उपरोक्‍त वर्णित घटना से कारित हुई है, जिनका नाम खुलना बहेरा था। इस परिवाद में भी यह उल्‍लेख किया गया है कि वाहन का बीमा करते समय दो व्‍यक्तियों की मृत्‍यु पर बीमा क्‍लेम देय है और इस दुर्घटना में दो व्‍यक्तियों की मृत्‍यु हुई है।

4.         केवल अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्‍ता के तर्क को सुना गया। प्रत्‍यर्थीगण की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।

5.           अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्‍ता का यह तर्क है कि बीमा पॉलिसी के अंतर्गत वाहन में बैठे हुए पैसेंजर की मृत्‍यु पर बीमा क्‍लेम देय नहीं है। जिला उपभोक्‍ता आयोग ने बीमा पॉलिसी के कवर के विपरीत निर्णय पारित किया है, परंतु दोनों ही अपीलों में बीमा पॉलिसी की प्रति प्रस्‍तुत नहीं की गयी, जबकि बीमा पॉलिसी की प्रति प्रस्‍तुत करने का दायित्‍व अपीलार्थी बीमा कम्‍पनी पर है। जिला उपभोक्‍ता आयोग के समक्ष भी परिवाद पत्र का कोई उत्‍तर बीमा कम्‍पनी द्वारा नहीं दिया गया, यानि परिवाद पत्र में वर्णित तथ्‍यों का कोई खण्‍डन नहीं किया गया। इसी प्रकार शपथ पर दी गयी साक्ष्‍य का कोई खण्‍डन नहीं किया गया। अत: इस स्थिति में बीमा कम्‍पनी के लिए बाध्‍यकारी था कि पॉलिसी की प्रति पीठ के समक्ष प्रस्‍तुत की जाती, ताकि यह निष्‍कर्ष दिया जा सकता कि बीमित वाहन के लिए जारी की गयी बीमा पॉलिसी के अंतर्गत दो व्‍यक्तियों की मृत्‍यु होने पर बीमा कवर मौजूद है कि नहीं। चूंकि जिला उपभोक्‍ता आयोग ने एकपक्षीय अखण्‍डनीय साक्ष्‍य के आधार पर अपना निर्णय आधारित किया है, जिसे परिवर्तित करने का कोई आधार दर्शित नहीं किया गया। बीमा पॉलिसी की प्रति भी प्रस्‍तुत नहीं की गयी। अत: इस स्थिति में जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश में हस्‍तक्षेप करने का कोई आधार नहीं है। तदनुसार अपील सं0 480/2005 एवं अपील सं0 481/2005 खारिज होने योग्‍य है।  

आदेश

            अपील सं0 480/2005 एवं अपील सं0-481/2005 खारिज की जाती है। जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश पुष्‍ट किया जाता है।  

            इस निर्णय व आदेश की मूल प्रति अपील सं0-480/2005 में   रखी जाये एवं इसकी प्रमाणित प्रतिलिपि सम्‍बंधित अपील सं0-481/2005 में   रखी जाये। 

          उभय पक्ष अपना-अपना व्‍यय भार स्‍वंय वहन करेंगे।

 उपरोक्‍त अपीलों में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्‍त जमा धनराशि मय अर्जित ब्‍याज सहित संबंधित जिला उपभोक्‍ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जाए।

आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।

     

        (सुधा उपाध्‍याय)                         (सुशील कुमार)

            सदस्‍य                                सदस्‍य

 

 

संदीप सिंह, आशु0 कोर्ट नं0-2

 

 

 

 

         

 

 

 

 

 

 

 

 

 

                                   

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY]
MEMBER
 

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