Uttar Pradesh

StateCommission

A/2007/2182

Dharm Pal Steel - Complainant(s)

Versus

UP Avas Vikas Parisad - Opp.Party(s)

J K Singh

06 Oct 2015

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2007/2182
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District )
 
1. Dharm Pal Steel
Ghaziabad
...........Appellant(s)
Versus
1. UP Avas Vikas Parisad
Lucknow
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Ram Charan Chaudhary PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MRS. Smt Balkumari MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
ORDER

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

अपील संख्‍या– 2182/2007

 ( जिला उपभोक्‍ता फोरम एटा द्वारा परिवाद सं0-73/2004 में पारित निर्णय/आदेश दिनांकित-25-08-2007 के विरूद्ध)

धर्मपाल  सीरेन उम्र लगभग 71 वर्षपुत्र श्री साहेब दयाल सीरेन वर्तमान निवासी- 361, वसुन्‍धरा गाजियाबाद।

                                                      ....अपीलार्थी/परिवादी

                           बनाम

  1. उत्‍तर प्रदेश आवास एवं विकास परिषद, 104 महात्‍मा गांधी मार्ग लखनऊ। 26001 द्वारा आवास आयुक्‍त।
  2. आफिस आफ सम्‍पत्ति प्रबन्‍ध, उत्‍तर प्रदेश आवास एवं विकास परिषद सोरो रोड़, कासगंज, द्वारा सम्‍पत्ति प्रबन्‍धक।

                                                      ...प्रत्‍यर्थीगण/विपक्षीगण

समक्ष:-

माननीय श्री राम चरन चौधरी, पीठासीन सदस्‍य।

माननीय श्रीमती बाल कुमारी, सदस्‍य।

अपीलकर्ता की ओर से उपस्थिति: श्री अरसद खान, विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थिति   : श्री एन0एन0 पाण्‍डेय,  विद्वान अधिवक्‍ता।

दिनांक- 02-12-2015

माननीय श्री राम चरन चौधरी, पीठासीन सदस्‍य, द्वारा उद्घोषित

निर्णय

      अपीलकर्ता ने यह अपील जिला उपभोक्‍ता एटा द्वारा परिवाद सं0-73/2004 में पारित निर्णय/आदेश दिनांकित-25-08-2007 के विरूद्ध प्रतिकर को बढाये जाने के सम्‍बन्‍ध में प्रस्‍तुत की गई है और यह प्रार्थना की गई है कि उसके हर्जाने की रकम को बढ़ाकर कम से कम 15 लाख रूपये किया जाय और उस पर 12 प्रतिशत का ब्‍याज भी दिलाया जाय।

      संक्षेप में केस के तथ्‍य इस प्रकार से है कि विपक्षी ने आवास आवंटन के संदर्भ में एक विज्ञप्ति प्रकाशित की थी, जिसे पढ़कर परिवादीनेएटा नगर में आवास आवंटन हेतु दिनांक 08-07-1980 को पंजीकरण कराया था, जिसका नम्‍बर ई0टी0एच0/एम0-9/11 है। परिवादी ने विपक्षी के द्वारा बनाये गये नियमों के अनुसार  मु0 5,000-00 रूपये की धनराशि जमा कर दी, जिसका पंजीकरण  प्रमाण पत्र विपक्षी द्वारा परिवादी को प्रदान कर दिया गया तथा शीघ्र ही आवास आवंटित किये जाने का आश्‍वासन दिया, लेकिन लगभग 5 वर्ष व्‍यतीत हो जाने के पश्‍चात भी विपक्षी द्वारा परिवादी को कोई आवास आवंटित नहीं किया गया। परिवादी को फ्लैट की सख्‍त आवश्‍यकता थी। अत: उसने दिनांक 26-11-85 को मु0 5,000-00 रूपये की धनराशि पुन: जमा कर दी, जिसका पंजीकरण  प्रमाण पत्र भी विपक्षी द्वारा दिनांक 23-01-1987 को परिवादी के नाम जारी कर दिया गया। परिवादी ने उक्‍त फ्लैट लेने के लिए 02 बार में पॉच-पॉच हजार रूपये जमा किये, परन्‍तु आज तक न तो परिवादी को फ्लैट आवंटित हुआ और न ही रूपया वापस किया गया। इस कारण वाद उत्‍पन्‍न हुआ है।

(2)

      जिला उपभोक्‍ता फोरम के समक्ष प्रतिवादीगण उपस्थित आये और कथन किया कि एटा शहर में विपक्षीगण की कोई योजना सृजित नहीं हो सकी है। अत: एटा शहर में आवेदन हेतु  कराये गये पंजीकरण की धनराशि नियमानुसार वापस लेने हेतु परिवादी को विपक्षीगण द्वारा पूर्व में ही कई बार सूचित किया जा चुका है तथा परिवादी को यह भी सूचित किया जा चुका है कि परिवादी द्वारा तत्‍समय कराये गये पंजीकरण पुस्तिका में यह प्राविधान है कि यदि क्रेता अपनी पंजीकरण बयाना धनराशि वापस लेना चाहता है तो वह निर्धारित औपचारिकताओं की पूर्ति करने पर परिवादी 06 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्‍याज के साथ धनराशि वापस प्राप्‍त कर सकता है।

      जिला उपभोक्‍ता फोरम ने अपने निर्णय में यह कहा है कि परिवादी ने विपक्षीगण के यहॉ दो बार में पॉच-पॉच हजार रूपये क्रमश: दिनांक 08-07-1980 में व दिनांक 23-01-1987 में जमा रूपया भूखण्‍ड प्राप्‍त करने के लिये उ0प्र0 आवास एवं विकास परिषद में जमा किये थे। विपक्षीगण ने संविदा का उल्‍लंघन किया है। परिवादी को भूखण्‍ड आवंटित न करके विपक्षीगण परिवादी की धनराशि मु0 10,000-00 रूपये 06 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज से वापस करना चाहता है, जबकि परिवादी 17 प्रतिशत वार्षिक दर से विपक्षीगण से भुगतान चाहता है।

      अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री अरसद खान तथा प्रत्‍यर्थी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री एन0एन0 पाण्‍डेय को सुना गया तथा अपील आधार का अवलोकन किया गया।

      केस के तथ्‍यों परिस्थितियों को देखते हुए और उभय पक्ष के द्वारा दाखिल लिखित बहस को देखते हुए हम यह पाते हैं कि प्रतिकर बढ़ाये जाने के सम्‍बन्‍ध में जो अपील योजित की गई है, वह न्‍यायोचित नहीं है और जिला उपभोक्‍ता फोरम का निर्णय/आदेश उचित है। अपीलकर्ता की अपील खारिज होने योग्‍य है।

आदेश

तद्नुसार अपीलकर्ता की अपील खारिज की जाती है।

      उभय पक्ष अपना-अपना अपील व्‍यय स्‍वयं वहन करेगें।

 

(आर0सी0 चौधरी)                               ( बाल कुमारी )

 पीठासीन सदस्‍य                                   सदस्‍य

आर.सी.वर्मा, आशु.

कोर्ट नं05

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. Ram Charan Chaudhary]
PRESIDING MEMBER
 
[HON'BLE MRS. Smt Balkumari]
MEMBER

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