Uttar Pradesh

Chanduali

CC/45/2013

Jelar Shah - Complainant(s)

Versus

Universal, sompo Gen,Ins,Co.Ltd - Opp.Party(s)

Ram Singh

21 Dec 2015

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/45/2013
 
1. Jelar Shah
Gandhi Nagar Mughalsarai Chandauli
Chandauli
UP
...........Complainant(s)
Versus
1. Universal, sompo Gen,Ins,Co.Ltd
Unit No401 4th Floor,Sangam. Complex 127,Andheri Karla road Andheri (E) mumbai
Chandauli
UP
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE Ramjeet Singh Yadav PRESIDENT
 HON'BLE MRS. Shashi Yadav MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

न्यायालय जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, चन्दौली।
परिवाद संख्या 45                                सन् 2013ई0
जेलर साह पुत्र श्री अदालत साह निवासी गांधीनगर कैथापुर जिला चन्दौली। तुषार गारमेन्टस के मालिक।
                                      ...........परिवादी                                                                                                                                    बनाम
1-शाखा प्रबन्धक यूनिवर्सल सैम्पो जनरल इश्योरेंस क0लि0 कार्यालय यूनिट नं0 401 चतुर्थ तल संगम काम्पलेक्स 127 अन्धेरी कोर्ट रोड अंधेरी पूरब।
2-शाखा प्रबन्धक इलाहाबाद बैंक शाखा मुगलसराय जिला चन्दौली।
                                            .............................विपक्षीगण
उपस्थितिः-
 रामजीत सिंह यादव, अध्यक्ष
 शशी यादव, सदस्या
                               निर्णय
द्वारा श्री रामजीत सिंह यादव,अध्यक्ष
1-    परिवादी ने यह परिवाद के दूकान में अज्ञात कारणो से लगी आग से हुई क्षति से बीमा धनराशि एवं मानसिक,आर्थिक क्षतिपूर्ति हेतु कुल रू0 959401/-मय 15 प्रतिशत ब्याज के साथ दिलाये  जाने हेतु प्रस्तुत किया है।
2-    परिवादी ने संक्षेप में कथन किया है कि परिवादी द्वारा विपक्षी संख्या 2 से ऋण लेकर तुषार गारमेन्ट्स के नाम से दुकान खोला था जिससे परिवादी का जीविकोपार्जन चलता था। परिवादी द्वारा दुकान खोलने के पश्चात विपक्षी संख्या 2 के माध्यम से विपक्षी संख्या 1 से दस लाख रूपये का बीमा कराया था। परिवादी गारमेन्ट्स की दुकान का बीमा कराते समय दूकान में भरे हुए सामान का मूल्य लगाकर तथा बीमा कम्पनी के अधिकृत अधिकारी/एजेण्ट द्वारा बीमा किया गया  था। परिवादी की दुकान अच्छे ढंग से चल रही थी कि अचानक दिनांक 9/10-2-2013 को रात में लगभग 12-1 बजे के बीच में किसी अज्ञात कारणों से दूकान में आग लग गयी जिससे दूकान में रखे सामान जल कर नष्ट हो गया। परिवादी द्वारा आग बुझाने हेतु अग्निशमन अधिकारी मुगलसराय को तत्काल सूचना दिया। तब अग्निशमन दल एवं स्थानीय लोगों के सहयोग से आग को बुझाया गया। परिवादी द्वारा दिनांक 10-2-2013 को थाना मुगलसराय में अपने दुकान में रखे रेडिमेड के कपडे जलने के सम्बन्ध में सूचना दिया। जिस पर थाना मुगलसराय द्वारा रपट दर्ज हुआ। जिसका रपट संख्या 26/10-2-2013 है। परिवादी द्वारा दूकान में आग लगने के सम्बन्ध में जले हुए सामान की सूचना विपक्षी संख्या 1 व 2 को दिया। विपक्षी संख्या 1 के यहाॅं से जांच करने हेतु आये और मांग किये गये सम्पूर्ण आवश्यक कागजात मय बिल सहित उपलब्ध करा दिया गया। परिवादी को विपक्षी संख्या 1 ने घटना साबित होने के उपरान्त दिनांक 28-2-2013 को रू0 65539/- का भुगतान किया और यह कहा गया कि और पैसा बाद में दिया जायेगा। इस सम्बन्ध में कारण पूछने पर विपक्षी संख्या 1 बीमा कम्पनी द्वारा कहा गया कि और पैसा बैंक में भेज दिया जायेगा। परिवादी का दूकान में रखे हुए सामग्री का विवरण जनवरी 2013 में विपक्षी संख्या 2 को उपलब्ध कराया था जिसमे सामग्री का मूल्य रू0 1140500/- का था। परिवादी के दूकान में आग लग जाने
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 से लगभग रू0 120000/- की सामग्री जल कर नष्ट हो गयी। परिवादी द्वारा दावा भुगतान के सम्बन्ध में विपक्षी संख्या 2 के कार्यालय में सम्पर्क किया तो यह कहा गया कि बीमा कम्पनी से अभी पैसा नहीं आया है पैसा आने पर आपके ऋण खाते में जमा कर दिया जायेगा। परिवादी द्वारा विपक्षी संख्या 1 के कार्यालय में बार-बार भागदौड के उपरान्त संतोषजनक कार्यवाही न होने पर अपने शेष धनराशि के भुगतान के सम्बन्ध में विपक्षी को एक नोटिस दिया गया। परिवादी द्वारा विपक्षी संख्या 1 को दिनांक 5-6-2013 को भेजे गये नोटिस का जबाब नहीं दिया गया और न तो दावे का भुगतान ही किया गया। इस आधार पर परिवाद दाखिल किया गया है।
3-    विपक्षी संख्या 1 की ओर से प्रतिवाद पत्र प्रस्तुत करके संक्षेप में कथन किया गया है कि परिवाद पत्र बिना किसी आधार के तथ्यों को छिपाकर गलत तौर पर प्रेषित किया गया है जो निरस्त किये जाने योग्य है।परिवादी द्वारा विपक्षी के यहाॅं शाप कीपर पैकेज पालिसी के अन्र्तगत बीमा कराया था तथा दूकान में लीगे आग के सम्बन्ध में कम्पनी को सूचना मिलने पर क्षतिपूर्ति का आंकलन आई.आर.डी.ए. द्वारा अधिकृत सर्वेयर से सर्वे कराने के उपरान्त वास्तविक क्षति का भुगतान रू0 65587/- प्राप्त कर लिया है। इस प्रकार परिवादी का क्षतिपूर्ति के प्रति कोई दावा नहीं बनता है। परिवादी द्वारा अपने परिवाद पत्र के कालम संख्या 10 में यह स्वीकार किया गया है कि दिनांक 28-10-2013 को रू0 65539/- प्राप्त कर लिया है इससे यह साबित होता है कि पूर्ण संतुष्टि के आधार पर परिवादी द्वारा क्षतिपूर्ति प्राप्त किया है तथा क्षतिपूर्ति प्राप्त करते समय कोई भी आपत्ति नहीं जताई गयी है परिवादी ने अपनी पूर्ण सहमति से कन्सेन्ट लेटर एवं पेमेन्ट डिस्चार्ज बाउचर बीमा कम्पनी को उपलब्ध कराया है अतः उक्त दावा निरस्त होने योग्य है। विपक्षी संख्या 1 द्वारा विपक्षी संख्या 2 इलाहाबाद बैंक में जो परिवादी का खाता था में जरिये चेक संख्या 102276 दिनांकित 28-2-2013 को बाउचर संख्या 1030788433 के तहत भुगतान किया है तथा भुगतान प्राप्ति के काफी समय बाद उक्त दावा प्रेषित किया गया है, दावे के भुगतान में भी कोई बिलम्ब नहीं किया गया है, समय सीमा के अन्र्तगत दावे का भुगतान कर दिया गया है जबकि परिवादी काफी समय बाद दिनांक 5-6-2013 को नोटिस भेजा जाना बताया है इससे यह साबित होता है कि उक्त परिवाद गलत तरीके पर दावा प्राप्त करने हेतु एवं कम्पनी को परेशान करने के लिए प्रस्तुत किया गया है। परिवादी द्वारा विपक्षी को जो स्टाक स्टेटमेन्ट प्रस्तुत किया गया है वह बढा-चढाकर दावा प्राप्त करने हेतु प्रस्तुत किया है  जिसके सम्बन्ध में कोई साक्ष्य उपलब्ध नहीं कराया गया है।परिवादी द्वारा प्रेषित दावा अभिलेखों के आधार पर यह प्रतीत होता है कि बनावटी तथा गलत तरीके से क्लेम पाने के उद्देश्य से दावा प्रेषित किया है। परिवादी विपक्षी का उपभोक्ता भी नहीं है। परिवादी द्वारा जो परिवाद प्रेषित किया गया है उक्त परिवाद में यदि विपक्षी को क्षतिपूर्ति हेतु उत्तरदायी ठहराया जाता है तो विपक्षी पालिसी शर्तो के अधीन क्षतिपूर्ति हेतु भुगतान के लिए उत्तरदायी होगा। उक्त क्षतिपूर्ति के
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 अलावा विपक्षी किसी अन्य क्षतिपूर्ति की जिम्मेदारी विपक्षी की नहीं होगी क्योंकि परिवादी द्वारा जानबूझकर बढा-चढाकर गलत तरीके से परिवाद प्रेषित किया गया है।  परिवादी हरगिज कोई प्रतिकर धनराशि प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है। अतः परिवादी का परिवाद सव्यय निरस्त होने योग्य है।
4-    विपक्षी संख्या 2 की ओर से कोई प्रतिवाद पत्र दाखिल नहीं है और मुकदमा उनके विरूद्ध एक पक्षीय चल रहा है।
5-     परिवादी की ओर से परिवाद के समर्थन में शपथ पत्र दाखिल है इसके अतिरिक्त दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में प्रथम सूचना रिर्पोट,(जी0डी0) की नकल की छायाप्रति,बीमा पालिसी की छायाप्रति, लीगल नोटिस की छायाप्रति,रजिस्ट्री रसीद, इलाहाबाद बैंक शाखा मुगलसराय को परिवादी द्वारा प्रेषित प्रार्थना पत्र दिनांक 10-2-2013 की छायाप्रति, अग्निशमन अधिकारी को परिवादी द्वारा प्रेषित प्रार्थना पत्र की छायाप्रति,बैंक का स्टाक स्टेटमेन्ट,तुषार गारमेन्ट का स्टाक स्टेटमेन्ट,समाचार पत्र में प्रकाशित समाचार,फोटोग्राफ 2अद्द तथा जली हुई सामान की सूची,स्टाक रजिस्टर की सत्यापित प्रति दाखिल की गयी है। विपक्षी संख्या 1 की ओर से प्रतिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र दाखिल है तथा संलग्नक के रूप में सर्वेयर की सर्वे तथा असेसमेन्ट रिर्पोट की छायाप्रति,एसेप्टेन्स आफ असेसमेन्ट एवं डिस्चार्ज बाउचर दाखिल किया गया है।
6-    हम लोगों ने उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्ता की बहस को सुना तथा पत्रावली का सम्यक रूपेण परिशीलन किया।
7-    परिवादी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा तर्क दिया गया कि परिवादी ने विपक्षी इलाहाबाद बैंक से ऋण लेकर कपडे की दूकान खोला था जिसका बीमा रू0 1000000/- का विपक्षी संख्या 1 द्वारा किया गया है। दिनांक 9/10-2-2013 की रात करीब 12-1 बजे अज्ञात कारणों से परिवादी के कपडे की दूकान में आ लग गयी जिससे उसमे रखा सामान जलकर नष्ट हो गया। फायर ब्रिगेड  तथा स्थानीय लोगों के सहयोग से आग बुझाई गयी थी। परिवादी ने घटना की सूचना दिनांक 10-2-2013 को थाना मुगलसराय में दिया और आग लगने की सूचना तथा जले हुए सामान की सूचना विपक्षी संख्या 1 व 2 को दिया। बीमा कम्पनी विपक्षी संख्या 1 के यहाॅं से सर्वेयर जांच करने के लिए आये थे और परिवादी ने उन्हें आवश्यक कागाजत बिल सहित उपलब्ध कराया था लेकिन विपक्षी संख्या 1 द्वारा दिनांक 28-2-2013 को परिवादी को केवल रू0 65539/- का भुगतान किया गया और यह कहा गया कि और पैसा बाद में दिया जायेगा। परिवादी के पूछने पर कहा गया कि और पैसा बैंक में भेज दिया जायेगा। परिवादी ने अपने दूकान में रखे सामानों का विवरण जनवरी 2013 में विपक्षी बैंक को उपलब्ध कराया था और सामग्री का मूल्य रू0 1140500 था। आग लगने से परिवादी को लगभग 12,00000/-का नुकसान हुआ है। विपक्षी संख्या 2 इलाहाबाद बैंक द्वारा परिवादी के पूछने पर यह कहा गया था कि बीमा कम्पनी से अभी पैसा नहीं आया है पैसा आयेगा तो ऋण
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 खाते में जमा हो जायेगा लेकिन परिवादी के बार-बार भागदौड के उपरान्त भी कोई कार्यवाही नहीं हुई तब परिवादी ने कानूनी नोटिस भेजा और क्षतिपूर्ति के रूप में रू0 9,34,461/- बकाया भुगतान हेतु कहा लेकिन विपक्षी की ओर से नोटिस का कोई जबाब नहीं दिया गया तब परिवादी ने यह परिवाद दाखिल किया है।
8-    इसके विपरीत विपक्षी के अधिवक्ता द्वारा यह तर्क दिया गया कि परिवादी ने बिल्कुल गलत तथ्यों के आधार पर दावा दाखिल किया है। परिवादी का बीमा शाप कीपर पैकेज पालिसी के अन्र्तगत था और जब परिवादी के दूकान में आग लगने की सूचना प्राप्त हुई तो बीमा कम्पनी ने क्षतिपूर्ति का आंकलन करने के लिए अधिकृत सर्वेयर को भेजा था और सर्वे कराने के उपरान्त वास्तविक क्षति जो रू0 65587/- थी उसका भुगतान परिवादी को कर दिया गया है और अब कोई भी क्षतिपूर्ति दिये जाने का कोई आधार नहीं है क्योंकि उसने पूर्ण सहमति से क्षतिपूर्ति प्राप्त कर लिया है और क्षतिपूर्ति प्राप्त करने के काफी समय बाद बीमा कम्पनी को परेशान करने की दृष्टि से गलत तथ्यों के आधार पर यह परिवाद दाखिल किया गया है जो निरस्त किये जाने योग्य है।
9-    उभय पक्ष के तर्को को सुनने तथा पत्रावली के अवलोकन से यह स्पष्ट है कि विपक्षी की ओर से शपथ पत्र के संलग्नक-1 के रूप में सर्वेयर की रिर्पोट दाखिल की गयी है जिसके अवलोकन से यह स्पष्ट है कि सर्वेयर ने सर्वे के उपरान्त विस्तृत आख्या प्रस्तुत की है जिसमे परिवादी की दूकान में लगी आग के कारण परिवादी को रू0 65588/- की क्षति होना पाया गया है। विपक्षी की ओर से शपथ पत्र के संलग्नक-2 के रूप में कन्सेन्ट टू असेप्टेन्स आफ असेसमेन्ट की छायाप्रति दाखिल किया गया है जिसमे परिवादी ने उपरोक्त असेसमेन्ट से सहमति व्यक्त की है और इस अभिलेख पर परिवादी ने अपना हस्ताक्षर भी बनाया है तथा अपनी दूकान(तुषार गारमेन्ट) की मुहर भी लगायी है इस प्रकार विपक्षी की ओर से डिस्चार्ज बाउचर भी दाखिल किया गया है और इसके अवलोकन से भी यह स्पष्ट है कि परिवादी ने असेसमेन्ट रिर्पोट को स्वीकार करते हुए असेसमेन्ट की धनराशि में से रू0 48/- बाकी प्रीमियम की अदायगी के रूप में अदा करते हुए रू0 65539/- को अपनी सहमति के अनुसार मुआवजे के रूप में प्राप्त किया है जिसे परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में भी स्वीकार किया है। डिस्चार्ज बाउचर में स्पष्ट रूप से यह कहा है कि उन्होंने डिस्चार्ज प्रमाण पत्र को भलीभांति पढा है और उसे पूरी तौर पर समझने के बाद उस पर अपनी सहमति दी है इस प्रमाण पत्र पर भी परिवादी ने अपना हस्ताक्षर बनाया है तथा अपनी दूकान (तुषार गारमेन्ट)की मुहर लगायी है यह डिस्चार्ज बाउचर दिनांक 5-3-2013 का है जबकि परिवादी ने प्रस्तुत परिवाद दिनांक 6-8-2013 को दाखिल किया है अर्थात डिस्चार्ज बाउचर पर हस्ताक्षर करने के 5 महीने बाद परिवादी ने यह परिवाद दाखिल किया है। बीमा कम्पनी के सर्वेयर द्वारा परिवादी को हुई क्षति का जो असेसमेन्ट किया गया उसके विरूद्ध परिवादी द्वारा कोई आपत्ति किये जाने का कोई साक्ष्य नहीं है। इस प्रकार इस असेसमेन्ट पर सहमति देने और डिस्चार्ज बाउचर पर हस्ताक्षर करने के तथ्य
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 से परिवादी ने न तो इन्कार किया है और न ही इस सम्बन्ध में कोई आपत्ति दाखिल की है इस प्रकार यह स्पष्ट है कि परिवादी ने बीमा कम्पनी के सर्वेयर द्वारा परिवादी के दूकान में आग लगने से जो क्षति हुई है उसके सम्बन्ध में दाखिल रिर्पोट से पूर्णतः सहमत रहा है और उस रिर्पोट के मुताबिक क्षतिपूर्ति की धनराशि भी प्राप्त कर चुका है और बीमा कम्पनी कोे डिस्चार्ज बाउचर पर भी हस्ताक्षर करके दे चुका है ऐसी स्थिति में परिवादी को अब कोई क्षतिपूर्ति दिये जाने का कोई न्यायोचित आधार नहीं पाया जाता है। अतः फोरम की राय में उसका परिवाद निरस्त किये जाने योग्य है।
                              आदेश
    परिवादी का परिवाद सव्यय निरस्त किया जाता है। पत्रावली दाखिल दपतर होवे।

(शशी यादव)                                       (रामजीत सिंह यादव)
  सदस्या                                               अध्यक्ष
                                               दिनांकः21-12-2015

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE Ramjeet Singh Yadav]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MRS. Shashi Yadav]
MEMBER

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