( मौखिक )
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ।
अपील संख्या :914/2019
(जिला उपभोक्ता आयोग, कानपुर नगर द्वारा परिवाद संख्या-485/2017 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 06-05-2019 के विरूद्ध)
संजीव सिंह पवार पुत्र स्व0 जगत पाल सिंह निवासी-99ए, नरपत नगर, बर्रा दक्षिण चौराहा, जरौली, कानपुर नगर।
बनाम्
यूनिवर्सल सोम्पो जनरल इं0कं0लि0 517-518, पंचम तल, ग्लोबस मेगा माल, दि मॉल, कानपुर नगर-208001 द्वारा अथराइज्ड सिग्नेचरी व अन्य।
प्रत्यर्थी/विपक्षीगण
समक्ष :-
1-मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष।
उपस्थिति :
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित- श्री प्रमेन्द्र वर्मा।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित- श्री आनंद भार्गव।
दिनांक : 31-10-2022
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित निर्णय
परिवाद संख्या-485/2017 संजीव सिंह पवार बनाम यूनीवर्सल सोम्पो जनरल इं0कं0लि0 व अन्य में जिला उपभोक्ता आयोग, कानपुर नगर द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनांक 06-05-2019 के विरूद्ध यह अपील उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत इस न्यायालय के सम्मुख प्रस्तुत की गयी है।
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पत्रावली लंच बाद पेश हुई। पुकारा गया। अन्यान्य पुकार पर परिवादी अनुपस्थित है। विपक्षी संख्या-4 व 5 के विद्धान अधिवक्ता उपस्थित।
पत्रावली के अवलोकन से विदित होता है कि परिवादी दिनांक 27-04-2018 से अनुपस्थित चल रहा है। जब कि विगत दिनांक 11-10-2018 को यह आदेश पारित किया गया था कि परिवादी नियत तिथि पर पुकार पर उपस्थित आवे, अन्यथा की स्थिति में परिवाद खारिज किया जा सकता है।‘’ परन्तु उसके बाद भी परिवादी लगातार अनुपस्थित चल रहा है। परिवाद को अब आगे बढ़ाये जाने का कोई औचित्य नहीं है। अत: ऐसी स्थिति में प्रस्तुत परिवाद, परिवादी की लगातार अनुपस्थिति के कारण खारिज किये जाने योग्य है।
उपरोक्त कारणों से परिवादी का प्रस्तुत परिवाद, ‘’उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम-1986 की धारा-13 की उपधारा-2(सी)’’ के अन्तर्गत खारिज किया जाता है।
पत्रावली नियमानुसार दाखिल दफ्तर की जावे।‘’
जिला आयोग के आक्षेपित निर्णय व आदेश से क्षुब्ध होकर परिवाद के परिवादी की ओर से यह अपील प्रस्तुत की है।
जिला आयोग ने परिवादी की अनुपस्थिति में परिवाद खारिज कर दिया है।
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अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता श्री प्रमेन्द्र वर्मा उपस्थित। प्रत्यर्थी की ओर से विद्धान अधिवक्ता श्री आनंद भार्गव उपस्थित।
मेरे द्वारा उभयपक्ष के विद्धान अधिवक्तागण के तर्क को सुना गया तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों एवं जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश का अवलोकन किया गया।
अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता का तर्क है कि विद्धान जिला आयोग द्वारा अपीलार्थी/परिवादी की अनुपस्थित में परिवाद खारिज कर दिया है जिससे वह जिला आयोग के समक्ष अपना पक्ष प्रस्तुत नहीं कर सका। अत: उन्हें न्यायहित में साक्ष्य एवं सुनवाई का एक अवसर प्रदान किया जावे।
उभयपक्ष के विद्धान अधिवक्तागण को सुनने तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों एवं जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश का भली-भॉंति परिशीलन एवं परीक्षण करने के उपरान्त मैं इस मत का हूँ कि विद्धान जिला आयोग द्वारा अपीलार्थी को बिना सुने एकपक्षीय रूप से निर्णय एवं आदेश पारित किया है अत: अपीलार्थी को साक्ष्य एवं सुनवाई का एक अवसर प्रदान किया जाना न्यायोचित प्रतीत होता है। तदनुसार अपील स्वीकार किये जाने योग्य है।
आदेश
अपील स्वीकार की जाती है। विद्धान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश अपास्त किया जाता है तथा पत्रावली जिला आयोग को इस निर्देश के साथ प्रत्यावर्तित की जाती है कि जिला आयोग परिवाद को अपने पुराने नम्बर पर पुर्नस्थापित करते हुए उभयपक्ष को साक्ष्य और सुनवाई का
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समुचित अवसर प्रदान करते हुए गुणदोष के आधार पर 06 माह की अवधि में परिवाद का निस्तारण किया जाना सुनिश्चित करें।
उभयपक्ष जिला आयोग के समक्ष दिनांक 13-12-2022 को उपस्थित हों।
अपील में उभयपक्ष अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार)
अध्यक्ष
प्रदीप मिश्रा , आशु0 कोर्ट नं0-1