Uttar Pradesh

Chanduali

CC/48/2012

DUDH NATH - Complainant(s)

Versus

UNITED INDIA INSURANCE COMPANY LTD - Opp.Party(s)

Ram Singh

30 Jul 2015

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/48/2012
 
1. DUDH NATH
SHIKARGANJ CHANDUALI
Chandauli
UP
...........Complainant(s)
Versus
1. UNITED INDIA INSURANCE COMPANY LTD
RAMKTRA CHORHA LHURABIR VARANASI
VARANASI
UP
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MRS. Shashi Yadav PRESIDING MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

न्यायालय जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, चन्दौली।
परिवाद संख्या 48                                 सन् 2012ई0
दूधनाथ पुत्र बुद्धू निवासी लठियाॅं कलाॅं पो0 शिकारगंज जिला चन्दौली।
                                      ...........परिवादी                                                                                                                                    बनाम
1-मण्डलीय प्रबन्धक यूनाइटेड इण्डिया इश्योरेंस कम्पनी लि0 द्वितीय तल रामकटोरा चैराहा लहुराबीर वाराणसी।
2-शाखा प्रबन्धक काशी गोमती संयुक्त ग्रामीण बैंक शिकारगंज चकिया जिला चन्दौली।
                                            .............................विपक्षीगण
उपस्थितिः-
माननीय श्री मारकण्डेय सिंह, सदस्य
माननीया श्रीमती शशी यादव, सदस्या

                               निर्णय
द्वारा श्री मारकण्डेय सिंह,सदस्य
1-    परिवादी द्वारा यह परिवाद विपक्षी संख्या 1 से बीमित मृत भैंस की कीमत दवा,इलाज एवं मानसिक,शारीरिक क्षति तथा वाद व्यय के रूप में कुल मु0 24000/- मय 15 प्रतिशत ब्याज के साथ दिलाये जाने हेतु प्रस्तुत किया गया है।
2-    परिवादी की ओर से परिवाद प्रस्तुत करके संक्षेप में कथन किया गया है कि परिवादी ने अभिनव स्वयं सहायता समूह विपक्षी संख्या 2 से ऋण लेकर भैस क्रय किया था जिसका स्वास्थ्य परीक्षण पशु चिकित्साधिकारी चकिया से कराया। भैस का स्वास्थ्य परीक्षण होने के बाद विपक्षी संख्या 1 के अधिकृत अधिकारी/एजेण्ट द्वारा विपक्षी संख्या 2 के माध्यम से बीमा करके भैस के कान में छल्ला पहनाया गया जिसका छल्ला क्रमांक 02915/ओ0आई0सी0222500 है। उक्त भैस दिनांक 8-4-2011 को बीमार पड़ गयी जिसका दवा इलाज के दौरान दिनांक 8-4-11 को समय लगभग 8.30 बजे देहान्त हो गया। मृत भैस का शव परीक्षण पशु चिकित्साधिकारी नियमताबाद द्वारा किया गया। भैस के मृत्यु की सूचना तत्काल दूरभाष के माध्यम से विपक्षी संख्या 1 को दिया। तत्पश्चात विपक्षी संख्या 1 द्वारा दावा फार्म हेतु अपने कार्यालय बुलाया। परिवादी द्वारा दावा फार्म के साथ आवश्यक कागजात मृतक भैस के कान सहित छल्ला विपक्षी संख्या1 को उपलब्ध करा दिया। विपक्षी संख्या1 द्वारा परिवादी के दावे के भुगतान हेतु बराबर अपने कार्यालय बुलाते रहे किन्तु बीमा दावा का भुगतान नहीं किये। इस आधार पर परिवादी द्वारा यह परिवाद प्रस्तुत किया गया है।
3-    विपक्षी संख्या 1 द्वारा जबाबदावा प्रस्तुत करके संक्षेप में कथन किया गया है कि परिवादी ने छल्ला क्रमांक संख्या 02915/यू0आई0सी0 222500 के बाबत कोई दावा प्रस्तुत नहीं किया गया है।इसलिए दावा अस्वीकार करने का सवाल ही नहीं है।चूंकि परिवादी ने हम विपक्षी के कार्यालय में दावा प्रस्तुत नहीं किया गया है। इसलिए इस परिवाद को सुनने का क्षेत्राधिकार फोरम को नहीं है। अतः परिवादी का परिवाद खारिज किये जाने योग्य है।
2
4-    विपक्षी संख्या 2 की ओर से जबाबदावा प्रस्तुत करके संक्षेप में कथन किया गया है कि परिवादी ने हम विपक्षी के बैंक से ऋण लेकर भैस क्रय किया। चूंकि परिवादी ने हम विपक्षी के विरूद्ध किसी अनुतोष की मांग नहीं किया है। अतः परिवादी का परिवाद विपक्षी संख्या 2 के विरूद्ध खारिज किया जाय।
5-    परिवादी की ओर से फेहरिस्त के साथ साक्ष्य के रूप में बीमा कम्पनी को भेजे गये प्रार्थना पत्र की छायाप्रति कागज संख्या 4/1, भैस के स्वास्थ्य प्रमाण पत्र 4/2,दावा फार्म 4/3,मृत्यु प्रमाण पत्र 4/4, पशु का प्रमाण पत्र 4/5ता 4/6,शव परीक्षण 4/7 दाखिल किया गया है। परिवादी की ओर से एक दूसरे फेहरिस्त से भैस के बीमा की बीमा पालिसी छायाप्रति कागज संख्या 4/10 दाखिल किया गया है।
6-    बहस के समय विपक्षी के अधिवक्ता उपस्थित नहीं आये। अतः परिवादी के विद्वान अधिवक्ता की बहस को सुना गया।
7-    विपक्षी संख्या 1 की ओर से जबाबदावा में कथन  किया गया है कि परिवादी ने छल्ला क्रमांक 02915/ओ0आई0सी0222500 के भैस के मरने की कोई सूचना नहीं दिया है। इसलिए दावा के स्वीकार करने अथवा अस्वीकार करने का प्रश्न ही नहीं है। पत्रावली में परिवादी की ओर से प्रस्तुत साक्ष्य कागज संख्या 4/1 के अवलोकन से भी यह प्रतीत नहीं हो रहा है कि परिवादी ने अपने मृत भैस के बीमा धन के भुगतान हेतु विपक्षी बीमा कम्पनी के किस अधिकारी/कर्मचारी को प्रार्थना पत्र दिया है। परिवादी की ओर से दाखिल उपरोक्त प्रार्थना पत्र पर बीमा कम्पनी के किसी अधिकारी/कर्मचारी के हस्ताक्षर ही है और न ही बीमा कम्पनी की कोई मुहर ही लगी है। अतः विपक्षी बीमा कम्पनी का यह कथन कि परिवादी ने अपने भैस के मरने का कोई बीमा दावा प्रस्तुत नहीं किया गया है, मानने योग्य है।  उपरोक्त के अतिरिक्त परिवादी अपने परिवाद पत्र में ऐसा कोई साक्ष्य दाखिल नहीं किया है जिससे यह प्रमाणित हो सके कि उसने बीमा कम्पनी के समक्ष अपने मृत भैस के  बीमा दावा के भुगतान हेतु दावा प्रस्तुत किया है। अतः जब परिवादी ने बीमा कम्पनी के समक्ष कोई दावा प्रस्तुत ही नहीं किया तो विपक्षी बीमा कम्पनी परिवादी के मृत भैस के बीमा दावा के सम्बन्ध में कैसे आवश्यक कार्यवाही करेगी। उपरोक्त विवेचना के आधार पर हम लोगो इस निष्कर्ष पर पहुंचते है कि परिवादी का परिवाद निरस्त करते हुए न्यायहित में परिवादी को निर्देश दिया जाय कि वह अपने मृत भैस के बीमाधन हेतु बीमा कम्पनी के समक्ष दावा प्रस्तुत करें और विपक्षी बीमा कम्पनी परिवादी द्वारा प्रस्तुत बीमा दावा पर नियमानुसार विचार करते हुए उसका निस्तारण करें।
                                आदेश
    प्रस्तुत परिवाद खारिज किया जाता है। परिवादी यदि चाहे तो अपने मृत भैस के बीमा धन के लिए विपक्षी बीमा कम्पनी के समक्ष अपना दावा प्रस्तुत कर सकता है और विपक्षी बीमा कम्पनी परिवादी द्वारा प्रस्तुत बीमा दावा का नियमानुसार निस्तारण दावा प्रस्तुतीकरण की तिथि से दो माह के अन्दर करें।

(मारकण्डेय सिंह)                                       (शशी यादव)
  सदस्य                                               सदस्या 
                                                  दि0-30-7-2015      

 
 
[HON'BLE MRS. Shashi Yadav]
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