Uttar Pradesh

Muradabad-II

CC/16/2017

Shri Rajveer Singh - Complainant(s)

Versus

United India Insurance Com. Ltd. - Opp.Party(s)

Shri Sudhir Kumar Gupta

05 Nov 2020

ORDER

                                                     न्‍यायालय जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग-द्वितीय, मुरादाबाद

परिवाद संख्‍या-16/2017

राजवीर सिंह पुत्र श्री जोगराज सिंह निवासी खूंटखेड़ा, छजलैट, जिला मुरादाबाद।                                                                ….....परिवादी

बनाम

1-यूनाईटेड इंडिया इंश्‍योरेंस कंपनी लि0 ए-62 गांधी नगर, मुरादाबाद द्वारा शाखा प्रबन्‍धक। 

2-सिंडीकेट बैंक शाखा कांठ जिला मुरादाबाद द्वारा शाखा प्रबन्‍धक                                                                                   .......विपक्षीगण

वाद दायरा तिथि: 08-02-2017                                                                                                                    निर्णय तिथि: 05-11-2020

 

 (श्रीमती अलका श्रीवास्‍तव, अध्‍यक्ष द्वारा उद्घोषित)

निर्णय

     1-परिवादी ने यह परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध मृतक बीमित गाय की बीमा राशि 70,000/-रूपये एवं मानसिक व आर्थिक क्षतिपूर्ति अंकन-50,000/-रूपये तथा वाद व्‍यय दिलाये जाने के लिए योजित किया है।   

     2-संक्षेप में वाद के तथ्‍य इस प्रकार हैं कि परिवादी ने मिनी कामधेनु डोयरी योजना के तहत विपक्षी-2 से ऋण लेकर गाय क्रय की गई थीं, जिनका बीमा विपक्षी-1 बीमा कंपनी से कराया था। जो दिनांक 15-09-2015 से 14-9-2018 तक वैध व प्रभावी था। परिवादी की बीमित गाय टैग नं.-9769 कीमती अंकन-70,000/-रूपये की मृत्‍यु दिनांक 23-3-2016 को हो गई, जिसकी सूचना विपक्षीगण को दी गई। जिसपर 23-3-2016 को ही विपक्षी के सर्वेयर ने परिवादी के घर आकर मृत गाय का निरीक्षण किया तथा फोटो भी लिये और सर्वेयर ने उक्‍त गाय के कान में पड़ा हुआ टैग नं.-9769 भी देखा। मृत गाय का पोस्‍टमार्टम पशु चिकित्‍साधिकारी, कांठ द्वारा किया गया, जिन्‍होंने पोस्‍टमोर्टम रिपोर्ट में उक्‍त टैग नं.-9769 का उल्‍लेख किया है। मृत गाय के जारी मृत्‍यु प्रमाण-पत्र व विपक्षी-2 द्वारा जारी बैंक प्रमाण पत्र में भी बीमित मृत गाय का टैग नं.-9769 अंकित किया गया है। गाय के पोस्‍टमार्टम के समय पशु चिकित्‍सक ने गाय के कान का साईड से काटकर टैग नं.-9769 परिवादी को दिया था जो परिवादी के घर में कहीं गुम हो गया, जो काफी तलाश करने पर भी नहीं मिला। परिवादी ने पशुधन दावा समस्‍त औपचारिकतायें पूर्ण करते हुए विपक्षी-1 को दिया लेकिन टैग न देने की बात करते हुए दिनांक 23-12-2016 को विपक्षी-1 ने परिवादी के दावे का भुगतान करने से मना कर दिया। जिससे परिवादी को मानसिक, शारीरिक व आर्थिक क्षति हुई और उक्‍त अनुतोष पाने के लिए यह परिवाद योजित किया गया है।

3-परिवादी ने अपने कथन के समर्थन में अपना शपथपत्रीय साक्ष्‍य एवं दस्‍तावेजी साक्ष्‍य में पशु बीमा पालिसी, गाय का वैल्‍यूएशन सर्टिफिकेट, पोस्‍टमार्टम रिपोर्ट, विपक्षी-1 द्वारा जारी दावा निरस्‍तीकरण पत्र इत्‍यादि अभिलेख दाखिल किये हैं।   

     4-विपक्षी-1 ने अपना प्रतिवाद पत्र प्रस्‍तुत किया, जिसमें परिवादी के पशुओं का दिनांक 15-9-2015 से 14-9-2018 तक बीमा होना स्‍वीकार  करते हुए वाद का विरोध मुख्‍य रूप से इस आधार पर किया है कि परिवादी के द्वारा बीमित मृत गाय का टैग नं.-9769 अनेक बार मांगने पर भी बीमा कंपनी को उपलब्‍ध नहीं कराया गया और परिवादी ने स्‍वयं बीमा शर्तों का उल्‍लंघन किया है। इसलिए उसके दावे को नो क्‍लेम करते हुए पंजीकृत डाक से सूचना दी गई थी। परिवाद असत्‍य कथनों पर आधारित है। परिवादी स्‍वच्‍छ हाथों से नहीं आया है। परिवादी को कोई वाद कारण उत्‍पन्‍न नहीं हुआ। उत्‍तरदाता ने सेवा में कोई त्रुटि या कमी नहीं की है। विपक्षी ने इस संदर्भ में जबाव दावे के पैरा-14 में कई दृष्‍टांतों का हवाला भी दिया है और कथन किया है कि परिवाद को खण्डित किया जावे।

5-विपक्षी-1 ने अपने प्रतिवाद पत्र के समर्थन में अपने वरिष्‍ठ मण्‍डलीय प्रबन्‍धक श्री एस0पी0 पाठक का शपथपत्र, कर्ण टैग नम्‍बर उपलब्‍ध कराने हेतु परिवादी को भेजे गये पत्रों, परिवादी द्वारा विपक्षी-1 के कार्यालय में दिये गये पत्र, जिसमें उल्‍लेख है कि टैग मिल नहीं रहा है, पशु बीमा पालिसी, श्री सुनिल कुमार शर्मा, अन्‍वेषक की सर्वेयर रिपोर्ट व मृत गाय के फोटोग्राफ्स की छाया प्रतियों को प्रस्‍तुत किया है।

6-विपक्षी-2 बैंक की ओर से कोई प्रतिवाद पत्र दाखिल नहीं किया गया। अतएव अन्‍तत: दिनांक 10-8-2017 को उसके विरूद्ध एकपक्षीय कार्यवाही अमल में लायी गई।   

     7-हमने पक्षकारों के विद्वान अधिवक्‍तागण की बहस सुनी और पत्रावली का पूर्ण रूप से परिशीलन किया।

     8-परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता ने अपनी बहस में परिवाद पत्र को दोहराते हुए तर्क दिया है कि प्रश्‍नगत बीमित गाय की मृत्‍यु होना, उसका पोस्‍टमार्टम कराया जाना, मृत गाय की जांच करके उसके फोटो लेना इत्‍यादि विपक्षीगण को स्‍वीकार है। गाय का मूल टैग नं.-9769 परिवादी के घर में गुम हो गया और काफी तलाश करने पर भी नहीं मिला, जिसकी सूचना परिवादी ने विपक्षी बीमा कंपनी को दी लेकिन फिर भी गलत आधार लेते हुए बीमा कंपनी ने परिवादी का क्‍लेम निरस्‍त कर दिया, जबकि यह बात विपक्षीगण भी स्‍वीकार करते हैं कि उक्‍त बीमित गाय की मृत्‍यु हुई है। अतएव न्‍याहित में उसका क्‍लेम दिलाया जावे।    

     9-विपक्षी-1 बीमा कंपनी के विद्वान अधिवक्‍ता ने उपरोक्‍त तर्कों के विरोध में अपने प्रतिवाद पत्र को दोहराते हुए मुख्‍य तर्क दिया है कि जारी की गई पशुधन बीमा पालिसी की शर्तों के अनुसार परिवादी ने मृत बीमित गाय का मूल टैग नम्‍बर-9769 कई बार मांगने पर भी उपलब्‍ध नहीं कराया और परिवादी ने स्‍वयं बीमा पालिसी की शर्तों का उल्‍लंघन किया है। इसलिए उसका क्‍लेम सही प्रकार निरस्‍त किया गया है। परिवादी कोई अनुतोष पाने का अधिकारी नहीं है।

10-यह तथ्‍य पक्षकारों को स्‍वीकार है कि बीमित गाय टैग नं.-9769 की मृत्‍यु हुई, उसकी जांच सर्वेयर द्वारा की गई, उसका पोस्‍टमार्टम भी किया गया लेकिन विपक्षी बीमा कंपनी ने क्‍लेम इस आधार पर नो क्‍लेम कर दिया कि परिवादी ने बार-बार मांगने पर भी गाय का कर्ण टैग उपलब्‍ध नहीं कराया, जो बीमा शर्तों का उल्‍लंघन है। पशुघन बीमा पालिसी कागज सं.-13/7 लगायत 13/11 पत्रावली पर उपलब्‍ध है, जिसकी शर्त सं.-6 में स्‍पष्‍ट उल्‍लेख है क्‍लेम के समय कर्ण टैग समर्पित करना होगा अन्‍यथा इस पालिसी के तहत क्‍लेम देय नहीं होगा। जिसके संदर्भ में परिवादी ने साक्ष्‍य शपथपत्र पर यह कथन किया है कि मात्र कर्ण टैग नं.-9769 उपलब्‍ध न कराने के आधार पर उसका क्‍लेम खारिज किया जाना उचित नहीं है। परिवादी की ओर से दस्‍तावेजी साक्ष्‍य में पशु बीमा पालिसी कागज सं.-3/5, गाय की शव विच्‍छेदन आख्‍या कागज सं.-3/6 ता 3/7, वैल्‍यूएशन सर्टिफिकेट कागज सं.-11/3, बीमर कंपनी द्वारा जारी पोस्‍टमार्टम रिपोर्ट फार्म कागज सं.-11/4, पशुधन दावा प्रपत्र कागज सं.-11/5, सर्वेयर रिपोर्ट कागज सं.-15ग/1ता 15ग/2 इत्‍यादि अभिलेख प्रस्‍तुत किये गये हैं, इन सभी प्रपत्रों में मृत गाय का टैग नं.-9769 ही उल्लिखित है। जो यह तथ्‍य साबित करता है कि जिस गाय का मृत्‍यु क्‍लेम प्रस्‍तुत किया गया है, उसका कर्ण टैग नं.-9769 था, जिस पर अविश्‍वास करने का कोई कारण व आधार नहीं है। अतएव विपक्षी द्वारा कथित पशुधन बीमा पालिसी की उपरोक्‍त शर्त जो कि बीमा क्‍लेम से संबंधित बीमित मृत पशु के कर्ण टैग को समर्पित किये जाने से संबंधित है, कर्ण टैग खो जाने मात्र से परिवादी का क्‍लेम झूठा अथवा गलत नहीं माना जा सकता है। परिवादी ने अपने परिवाद को साबित किया है। वैल्‍यूएशन सर्टिफिकेट कागज सं.-11/3 में विपक्षी बीमा कंपनी द्वारा प्रश्‍नगत गाय टैग नं.-9769 का बीमा अंक्‍न्‍-70,000/-रूपये कीमत पर किया जाना दर्शित है।

11-उपरोक्‍त तथ्‍यों व पत्रावली पर उपलब्‍ध शपथपत्र से समर्थित दस्‍तावेजी साक्ष्‍य के आधार पर यही निष्‍कर्ष निकलता है कि पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त तथ्‍यों, शपथपत्र से समर्थित दस्‍तावेजी साक्ष्‍य व विपक्षीगण की स्‍वीकारोक्ति के अनुसार गाय कर्ण टैग नं.-9769 की ही मृत्‍यु हुई है और विपक्षी बीमा कंपनी ने बिना किसी पर्याप्‍त आधार व कारण के गलत रूप से परिवादी के क्‍लेम का भुगतान न करके सेवा में कमी व घोर लापरवाही की है। जिससे परिवादी को मानसिक, शारीरिक व आर्थिक क्षति होना स्‍वाभाविक है। जिसकी प्रतिपूर्ति के लिए विपक्षी-1 बीमा कंपनी उत्‍तरदायी है। परिवादी का परिवाद उक्‍त गाय की बीमा राशि अंकन-70,000/-रूपये मय 9 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्‍याज वाद दायरा ताअदायगी तथा 2,000/-रूपये क्षतिपूर्ति एवं 2500/-रूपये वाद व्‍यय हेतु विपक्षी-1 बीमा कंपनी के विरूद्ध स्‍वीकार होने योग्‍य है। उक्‍त संपूर्ण धनराशि में सर्वप्रथम विपक्षी-2 ऋणदाता बैंक का हित निहित है। विपक्षी-2 ऋणदाता बैंक की कोई ऋण राशि यदि परिवादी पर बकाया है, तब उसके समायोजन के बाद अवशेष राशि परिवादी पाने का अधिकारी होगा।    

आदेश

परिवादी का परिवाद विरूद्ध विपक्षी-1 बीमा कंपनी स्‍वीकार किया जाता है। विपक्षी-1 बीमा कंपनी को आदेशित किया जाता है कि विपक्षी-1 बीमा कंपनी उक्‍त गाय की बीमा राशि अंकन-70,000/-रूपये मय 9 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्‍याज वाद दायरा तिथि ताअदायगी तथा 2,000/-रूपये क्षतिपूर्ति एवं 2500/-रूपये वाद व्‍यय परिवादी को अदा करे। उपरोक्‍त धनराशि में से विपक्षी-2 बैंक की परिवादी पर यदि कोई ऋण की बकाया राशि हो तो पहले उसका समायोजन किया जावे। इसके पश्‍चात यदि कोई राशि अवशेष बचती है तो उसका भुगतान परिवादी को किया जावे। इस आदेश का अनुपालन एक माह की समयावधि में सुनिश्चित किया जावे।   

 

(रूचिका सारस्‍वत)        (चन्‍द किरन सिंह)         (अलका श्रीवास्‍तव)

       सदस्‍य,                              सदस्‍य,                         अध्‍यक्ष,

आज यह निर्णय हमारे द्वारा हस्‍ताक्षरित एवं दिनांकित होकर खुले न्‍यायालय में उद्घोषित किया गया।

 

(रूचिका सारस्‍वत)         (चन्‍द किरन सिंह)        (अलका श्रीवास्‍तव)

       सदस्‍य,                               सदस्‍य,                        अध्‍यक्ष,

दिनांक: 05-11-2020

 

 

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