(सुरक्षित)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
परिवाद सं0- 180/2017
मैसर्स शर्मा ट्रेडर्स अशोक विहार कालोनी खैर बाई पास रोड, अलीगढ़ द्वारा प्रोपराइटर, देवेन्द्र कुमार आर्य।
.........परिवादी
बनाम
1. दि यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कं0लि0 डिवीजनल आफिस 'कुबेर एबोड' एच0आई0जी0, बी/96, स्वर्ण जयंती नगर, अलीगढ़ द्वारा सीनियर डिवीजनल मैनेजर।
2. केनरा बैंक एस0एम0ई0 ब्रांच गूलर रोड, अलीगढ़ द्वारा शाखा प्रबंधक।
.......विपक्षीगण
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्री विकास सक्सेना, सदस्य।
परिवादी की ओर से : श्री नवीन कुमार तिवारी,
विद्वान अधिवक्ता।
विपक्षी सं0- 1 की ओर से : श्री अशोक कुमार राय,
विद्वान अधिवक्ता।
विपक्षी सं0- 2 की ओर से : कोई नहीं।
दिनांक:- 23.08.2022
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उद्घोषित
निर्णय
1. यह परिवाद परिवादी द्वारा विपक्षीगण के विरुद्ध अंकन 64,00,000/-रू0 की क्षतिपूर्ति के लिए एवं मानसिक प्रताड़ना के मद में 6,00,000/-रू0 की प्रतिपूर्ति के लिए 12 प्रतिशत ब्याज सहित दिलाये जाने हेतु राज्य आयोग के समक्ष प्रस्तुत किया गया है।
2. परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार हैं कि परिवादी द्वारा अपनी फर्म विपक्षी सं0- 1 से 70,00,000/-रू0 के लिए दि0 10.03.2016 से दि0 09.03.2017 तक की अवधि तक कराया था तथा दूसरी पालिसी बर्गलरी प्राप्त की थी। दि0 30.10.2016 को परिवादी की फर्म के परिसर में लगभग 70,00,000/-रू0 का पुराना टायर व टायर स्क्रैप आदि जमा थे। दीपावली को रात अतिशबाजी के कारण परिवादी के परिसर में आग लग गई। इस अग्निकांड की 100 नम्बर पर तथा फायर बिग्रेड को सूचना दी गई। फायर बिग्रेड की 05 गाडि़यों द्वारा अग्नि शमन किया गया। इस अग्नि कांड के कारण 64,00,000/-रू0 का नुकसान कारित हुआ।
3. दि0 31.10.2016 को बैंक एवं बीमा कम्पनी को सूचना दी गई। बीमा कम्पनी द्वारा सर्वेयर नियुक्त किया गया। सर्वेयर द्वारा मांगी गई सूचना उपलब्ध करा दी गई, परन्तु बीमा क्लेम का निस्तारण नहीं किया गया। इसलिए उपरोक्त वर्णित बीमा क्लेम तथा अन्य क्षतिपूर्ति प्राप्त करने के लिए परिवाद प्रस्तुत किया गया।
4. परिवाद के समर्थन में दस्तावेज सं0- 05 लगायत 49 तथा शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
5. बीमा कम्पनी द्वारा प्रस्तुत किए गए लिखित कथन के अनुसार बीमा होना स्वीकार है। अग्निकांड की घटना से इंकार नहीं है। परिवादी द्वारा सर्वेयर को आवश्यक दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराये गये, इसलिए नो क्लेम मानते हुए फाइल दाखिल दफ्तर कर दी गई, क्योंकि क्षति हुए सामान का मूल्यांकन नहीं किया जा सका। इसलिए बीमा क्लेम उचित रूप से नो क्लेम किया गया है।
6. बीमा कम्पनी द्वारा लिखित कथन के समर्थन में शपथ पत्र एनेक्जर सं0- 1 लगायत एनेक्जर सं0- 10 प्रस्तुत किए गए हैं।
7. हमने परिवादी के विद्वान अधिवक्ता श्री नवीन कुमार तिवारी तथा विपक्षी सं0- 1 के विद्वान अधिवक्ता श्री अशोक कुमार राय को सुना। पत्रावली पर उपलब्ध अभिलेखों का सम्यक परिशीलन किया।
8. परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का यह तर्क है कि बीमा कम्पनी के सर्वेयर द्वारा मांगे गये सभी दस्तावेज उपलब्ध करा दिये गये थे। इसके बावजूद भी बीमा क्लेम स्वीकार नहीं किया गया।
9. विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि हानि की क्षति का आंकलन करने के लिए सुसंगत दस्तावेज स्वयं परिवादी द्वारा उपलब्ध नहीं कराये गये, इसलिए बीमा क्लेम देय नहीं है, क्योंकि क्षति का आंकलन करना सम्भव नहीं हो पाया है।
10. परिवाद में दिये गये विवरण के अनुसार अग्निकांड दि0 30/31.10.2016 को हुआ है। दि0 31.10.2016 को बीमा कम्पनी को सूचना दी गई है, यह सूचना पत्रावली पर दस्तावेज सं0- 13 पर मौजूद है। दि0 01.11.2016 को पत्र लिखा गया जो दस्तावेज सं0- 12 है। इस पत्र में 60-65 लाख रू0 हानि की चार्ज की गई है।
11. सर्वेयर द्वारा दि0 05.11.2016 को लिखे गये पत्र के माध्यम से 18 बिन्दुओं पर रिपोर्ट मांगी गई है तथा इस रिपोर्ट को प्रस्तुत करने के तरीके अपने पत्र के क्रमांक 19, 20 एवं 21 पर दर्शाये गये हैं। दस्तावेज सं0- 18 के अनुसार परिवादी फर्म द्वारा 17 बिन्दुओं पर सूचना प्रेषित की गई है। बीमा कम्पनी द्वारा अपने शपथ पत्र में उल्लेख किया गया है कि अन्तिम सर्वेयर श्री आर0के0 सिंघल एसोसिएट्स द्वारा दि0 02.05.2017 को रिपोर्ट तैयार की गई और अंकन 25,94,912/-रू0 की क्षति का आंकलन किया गया। अत: इस प्रकार बीमा कम्पनी द्वारा नियुक्त सर्वेयर द्वारा जिस क्षति का आंकलन किया गया है वह क्षति अंकन 25,94,912/-रू0 है। विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क यह है कि परिवादी ने क्षति हुए सामान की मात्र गुणवत्ता तथा मूल्य का कोई विवरण प्रस्तुत नहीं किया है जो सामान सही मात्रा में रखा गया उसका कोई उल्लेख नहीं किया गया तथा सुसंगत सूचनायें नहीं दी गईं।
12. परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि बीमा कम्पनी के सर्वेयर द्वारा 29,27,880/-रू0 की क्षति का आंकलन किया गया है और अवैध रूप से डेड स्टाक के मद में 05 प्रतिशत की कटौती कर दी गई जो अनुचित है। सर्वेयर डेड स्टाक के मद में कटौती करने का कोई विवरण प्रस्तुत नहीं किया है। इसलिए 29,27,880/-रू0 में से 1,46,394/-रू0 की कटौती अनुचित है। अत: परिवादी केवल 29,27,880/-रू0 तथा इस राशि पर परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से अन्तिम भुगतान की तिथि तक 10 प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से ब्याज विपक्षी सं0- 1 बीमा कम्पनी से प्राप्त करने के लिए अधिकृत हैं।
13. परिवादी द्वारा मानसिक प्रताड़ना के मद में अंकन 6,00,000/-रू0 की मांग की गई है। चूँकि परिवादी को विपक्षी द्वारा बीमा क्लेम की राशि पर 10 प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से ब्याज अदा करने का आदेश दिया गया है, इसलिए अतिरिक्त क्षतिपूर्ति अदा करने का आदेश दिये जाने का कोई औचित्य नहीं है। तदनुसार परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किए जाने योग्य है।
आदेश
14. परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है। विपक्षी सं0- 1 को आदेशित किया जाता है कि परिवादी को केवल 29,27,880/-रू0 तथा इस राशि पर परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से अन्तिम भुगतान की तिथि तक 10 प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से ब्याज सहित अदा करे।
विपक्षी सं0- 1 बीमा कम्पनी वाद व्यय के रूप में अंकन 10,000/-रू0 भी परिवादी को अदा करे।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(विकास सक्सेना) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
शेर सिंह, आशु0,
कोर्ट नं0- 2