Uttar Pradesh

StateCommission

CC/215/2017

M/S S R Textiles - Complainant(s)

Versus

United India Insurance co ltd - Opp.Party(s)

R.K. Gupta

08 Sep 2022

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
Complaint Case No. CC/215/2017
( Date of Filing : 16 Jun 2017 )
 
1. M/S S R Textiles
Meruth
...........Complainant(s)
Versus
1. United India Insurance co ltd
Meruth
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Vikas Saxena JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 08 Sep 2022
Final Order / Judgement

                                                          (सुरक्षित)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

परिवाद संख्‍या-215/2017

मै0 एस.आर. टेक्‍सटाइल्‍स, प्‍लाट सं0-11, खसरा सं0-667/1 व 662/2 का भाग, ग्राम अछरोंडा, गंगोल रोड, जिला मेरठ, उ0प्र0।

द्वारा प्रोपराइटर श्रीमती शालू पत्‍नी श्री आशीष त्‍यागी, निवासी एल-840, शास्‍त्री नगर, नगर व जिला मेरठ, उ0प्र0।

                   परिवादिनी

बनाम

1.    मै0 यूनाइटेड इ‍ंडिया इंश्‍योरेंस कं0लि0, मण्‍डलीय कार्यालय-2 174/1 एच.के. हाऊस, दिल्‍ली रोड, नगर व जिला मेरठ 250002 उ0प्र0, द्वारा मण्‍डलीय प्रबन्‍धक।

2.    सिंडीकेट बैंक, शाखा मोहकमपुर, जिला मेरठ द्वारा शाखा प्रबन्‍धक।

        विपक्षीगण

समक्ष:-                           

1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य

2. माननीय श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य।

परिवादिनी की ओर से उपस्थित         : श्री आर0के0 गुप्‍ता

विपक्षी सं0-1 की ओर से उपस्थित     : श्री वी0पी0 शर्मा।

विपक्षी सं0-2 की ओर से उपस्थित     : कोई नहीं।

दिनांक:  26.09.2022

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य  द्वारा उद्घोषित                                                 

निर्णय

1.          यह परिवाद, विपक्षी बीमा कंपनी के विरूद्ध बीमित धनराशि अंकन 45 लाख रूपये 18 प्रतिशत ब्‍याज सहित प्राप्‍त करने के लिए तथा सर्वेयर को भुगतान की गई राशि अंकन 12,000/- रूपये एवं मानसिक प्रताड़ना की मद में अंकन 02 लाख रूपये, परिवाद व्‍यय की मद में अंकन 01 लाख रूपये प्राप्‍त करने के लिए प्रस्‍तुत किया गया है।

2.         परिवाद के तथ्‍यों के अनुसार परिवादिनी द्वारा अंकन 90 लाख रूपये का ऋण विपक्षी सं0-2, बैंक से प्राप्‍त कर अपने यूनिट में औद्योगिक कार्य प्रारम्‍भ किया गया, जिसका बीमा दिनांक 24.05.2016 से दिनांक 23.05.2017 की अवधि तक अंकन 01 करोड़ 25 लाख रूपये के लिए कराया गया। बिल्डिंग का बीमा अंकन 45 लाख रूपये तथा मशीनरी का बीमा अंकन 50 लाख रूपये तथा स्‍टॉक का बीमा अंकन 30 लाख रूपये था। बीमा पालिसी संलग्‍नक संख्‍या-2 है। दिनांक 14.08.2016 को बारिश के कारण बिल्डिंग का लेंटल (छत) अचानक गिर गया, जिसके कारण भूतल एवं प्रथम तल का निर्माण ध्‍वस्‍त हो गया, जिसमें अंकन 50 लाख रूपये खर्च हुए थे। बिल्डिंग गिरने के कारण परिवादिनी के एक रिश्‍तेदार श्री निरमेन्‍द्र त्‍यागी गंभीर रूप से घायल हो गए वह 15 दिन अस्‍पताल में भर्ती रहे, जिस कारण विपक्षी बैंक एवं बीमा कंपनी को तुरंत सूचना नहीं दी जा सकी। तीन बार बीमा कंपनी के कार्यालय में जाने पर मूलाकात नहीं हो सकी। दिनांक 16.09.2016 को शाखा प्रबन्‍धक से वार्ता हुई। दिनांक 17.09.2016 को विपक्षी सं0-2 बैंक से बीमा पालिसी प्राप्‍त हुई, इस तिथि को बीमा बीमा कंपनी का कार्यालय बंद था। दिनांक 19.09.2016 को क्‍लेम हेतु प्रार्थना पत्र दिया गया। मे‍डिकल सर्टिफिकेट संलग्‍नक संख्‍या-5 है। विपक्षी सं0-2 बैंक द्वारा दिनांक 20.09.2016 को बीमा कंपनी को सूचना दी गई। देरी का स्‍पष्‍टीकरण दिया गया। बीमा कंपनी द्वारा सर्वेयर नियुक्‍त किया गया। दिनांक 30.09.2016 को ध्‍वस्‍त बीमित बिल्डिंग का मुआयना किया गया तथा दिनांक 08.12.2016 के पत्र द्वारा कहा गया कि दुर्घटनाग्रस्‍त बिल्डिंग पालिसी के अन्‍तर्गत कवर नहीं है। परिवादिनी द्वारा संलग्‍नक संख्‍या-10 व 11 वाले पत्र बीमा क्‍लेम के लिए प्रस्‍तुत किए गए, परन्‍तु कोई कार्यवाही नहीं हुई, इसके बाद अनेक पत्र दिए गए, किंतु कोई जवाब नहीं मिला। दिनांक 03.03.2017 के पत्र द्वारा नो क्‍लेम करते हुए बीमा क्‍लेम खण्डित करने की सूचना दी गई, जिसमें बिल्डिंग ढहने का प्राथमिक कारण असुरक्षित डिजाईन, त्रुटिपूर्ण कारगरी तथा घटिया मैटेरियल का उपयोग बताया गया। बीमा दावा खण्डन की प्रतिलिपि संलग्‍नक संख्‍या-20 है, जबकि सर्वेयर को यथार्थ में लेंटल (छत) गिरने का सही कारण ज्ञात नहीं हो पाया। बीमा क्‍लेम नकारना अनुचित है, इसलिए बीमा क्‍लेम प्राप्‍त करने के लिए यह परिवाद प्रस्‍तुत किया गया और अपना दावा केवल बिल्डिंग ध्‍वस्‍त में हुए नुकसान के कारण अंकन 45 लाख रूपये तक सीमित किया गया यद्यपि अन्‍य अनेक नुकसान होने का भी उल्‍लेख किया गया।

3.         परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र तथा दस्‍तावेज संख्‍या-20 लगायत 108 प्रस्‍तुत किए गए। सुसंगत दस्‍तावेजों की चर्चा आगे चलकर की जाएगी।

4.         विपक्षी संख्‍या-1, बीमा कंपनी का कथन है कि बीमा पालिसी जारी की गई थी। इस आयोग को प्रस्‍तुत परिवाद की सुनवाई का आर्थिक क्षेत्राधिकार प्राप्‍त नहीं है। निर्माणाधीन बिल्डिंग की सुरक्षा के लिए बीमा पालिसी प्राप्‍त नहीं की गई, इसलिए परिवादिनी किसी प्रकार के बीमा क्‍लेम के लिए अधिकृत नहीं है। बीमा क्‍लेम अत्‍यधिक देरी से प्रस्‍तुत किया गया है। बीमा कंपनी के स्‍तर से सेवा में कोई कमी नहीं की गई है, इसलिए उपभोक्‍ता परिवाद संधारणीय नहीं है, खारिज होने योग्‍य है।

5.         विपक्षी संख्‍या-2, बैंक का कथन है कि परिवाद में वर्णित सभी तथ्‍य असत्‍य हैं। कोई वाद कारण उत्‍पन्‍न नहीं है। बीमा क्‍लेम प्राप्‍त हुआ था, जो बीमा कंपनी को अग्रसारित कर दिया गया था।

6.         विपक्षीगण की ओर से अपने-अपने लिखित कथन के समर्थन में शपथ पत्र तथा सुसंगत दस्‍तावेज प्रस्‍तुत किए गए, जिन पर चर्चा आगे चलकर की जाएगी।

7.         परिवादिनी एवं विपक्षी संख्‍या-1 के विद्वान अधिवक्‍ता उपस्थित आए। विपक्षी संख्‍या-2 की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ। अत: परिवादिनी एवं विपक्षी संख्‍या-1 के विद्वान अधिवक्‍तागण को सुना गया तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध अभिलेखों का अवलो‍कन किया गया।

8.         सर्वप्रथम इस बिन्‍दु पर विचार करना है कि क्‍या इस आयोग को प्रस्‍तुत परिवाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार प्राप्‍त है ?

9.              बीमा कंपनी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि बीमा पालिसी अंकन 01 करोड़ 25 लाख रूपये की है और बीमित राशि अंकन 60 लाख है, इसलिए इस आयोग को सुनवाई का क्षेत्राधिकार प्राप्‍त नहीं है। बीमा कंपनी के विद्वान अधिवक्‍ता का यह तर्क ग्राह्य नहीं है, क्‍योंकि मांगे गए अनुतोष के आधार पर क्षेत्राधिकार सुनिश्‍चित माना जाता है न कि बीमा पालिसी के मूल्‍य के आधार पर। अत: इस आयोग को आर्थिक रूप से परिवाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार प्राप्‍त है।

10.        परिवादिनी के विद्वान अधिवक्‍ता का यह तर्क है कि निर्माणाधीन बिल्डिंग भी बीमा पालिसी के अन्‍तर्गत कवर है, जबकि बीमा कंपनी के विद्वान अधिवक्‍ता का यह तर्क है कि निर्माणाधीन बिल्डिंग बीमा पालिसी के अन्‍तर्गत कवर नहीं है। यहां यह स्‍पष्‍ट किया जाता है कि इस बिन्‍दु पर पक्षकारों के मध्‍य कोई विवाद नहीं है कि अत्‍यधिक वर्षा के कारण बिल्डिंग ध्‍वस्‍त न हुई हो, बल्कि बीमा कंपनी का केवल यह कहना है कि निर्माणाधीन बिल्डिंग के निर्माण में त्रुटियां थीं। घटिया सामग्री का प्रयोग किया गया था तथा निर्माणाधीन बिल्डिंग बीमा पालिसी के अन्‍तर्गत सुरक्षित नहीं है। अत: इस आयोग को केवल सर्वप्रथम इस बिन्‍दु पर विचार करना है कि क्‍या निर्माणाधीन बिल्डिंग भी बीमा पालिसी के अन्‍तर्गत कवर है और यदि इस प्रश्‍न का उत्‍तर सकारात्‍मक मिलता है तब इस बिन्‍दु पर विचार करना है कि निर्माणाधीन बिल्डिंग का ध्‍वस्‍तीकरण प्राकृतिक कारणों यानी भारी वर्षा के कारण या निर्माण के समय बरती गई लापरवाही, कारीगरो की अकुशलता, घटिया सामग्री का प्रयोग तथा त्रुटिपूर्ण ढॉंचागत निर्माण के कारण हुआ है।

11.        संलग्‍नक संख्‍या-2 बीमा पालिसी है, जो परिवादिनी द्वारा प्राप्‍त की गई है। बीमा पालिसी के अवलोकन से ज्ञात होता है कि  Storm, Cyclone, Typhoon, Tempest, Hurricane, Tornado, Flood and Inundation से बिल्डिंग/भवन सुरक्षित है। बीमा पालिसी में कहीं पर भी यह उल्‍लेख नहीं है कि निर्माणाधीन बिल्डिंग/भवन पालिसी से सुरक्षित नहीं है। यथार्थ में जब पालिसी प्राप्‍त की गई तब बिल्डिंग/भवन निर्माणाधीन था, इसलिए बीमा कंपनी को यह तथ्‍य ज्ञात था कि निर्माणाधीन बिल्डिंग के लिए भी पालिसी जारी की जा रही है। अत: इस तर्क में कोई बल प्रतीत नहीं होता है कि यह पालिसी निर्माणाधीन बिल्डिंग/भवन की सुरक्षा के लिए जारी नहीं की गई।

12.        बीमा कंपनी के विद्वान अधिवक्‍ता का यह तर्क है कि बिल्डिंग स्‍वंय गिरी है, जिसका कारण असुरक्षित डिजाईन, अकुशल कारीगर तथा घटिया निर्माण सामग्री है। यह तीनों तथ्‍य सर्वेयर की कल्‍पना पर आधारित हैं, क्‍योंकि सर्वेयर द्वारा निर्माण में प्रयुक्‍त होने वाली सामग्री की लैबोरेट्री रिपोर्ट प्राप्‍त नहीं की गई, इसलिए घटिया सामग्री के संबंध में सर्वेयर द्वारा किया गया उल्‍लेख तथ्‍यात्‍मक रूप से साबित नहीं है। कारीगरों की योग्‍यता एवं कुशलता आदि पर कोई पूछताछ नहीं की गई, इसलिए इस बिन्‍दु पर दी गई रिपोर्ट भी भ्रामक है। असुरक्षत डिजाईन के संबंध में भी किसी ढांचागत इंजीनियर की रिपोर्ट प्राप्‍त नहीं की गई। यह उल्‍लेख तक नहीं किया गया कि जिस निर्माण का नक्‍शा पास कराया गया था, उस नक्‍शे के विरूद्ध निर्माण कराया जा रहा था, इसलिए सर्वेयर की रिपोर्ट इस बिन्‍दु पर स्‍वीकार्य नहीं है कि बिल्डिंग/भवन स्‍वमेव गिर गया। परिवादिनी द्वारा सशपथ बयान दिया गया है कि लेंटल (छत) गिरने के पश्‍चात असाधारण वर्षा हुई थी, जिसके कारण लेंटल (छत) गिर गई थी। असाधारण वर्षा भी पालिसी के अन्‍तर्गत सुरक्षा प्रदान करने के लिए शामिल है, इसलिए पालिसी के अन्‍तर्गत परिवादिनी को बिल्डिंग/भवन ध्‍वस्‍त होने के आधार पर बीमा क्‍लेम देय है।

13.        अब इस बिन्‍दु पर विचार किया जाता है कि बीमा क्‍लेम की राशि कितनी होनी चाहिए। यह सही है कि बिल्डिंग/भवन के लिए बीमा क्‍लेम अंकन 45 लाख रूपये है, लेकिन भवन ध्‍वस्‍त होने का तात्‍पर्य यह नहीं है कि सम्‍पूर्ण बीमा राशि बतौर बीमा क्‍लेम देय हो जाती है, क्‍योंकि बिल्डिंग/भवन गिरने के बावजूद मौके पर जो मलबा बचता है, उसकी भी अपनी एक कीमत होती है। अत: इस केस में इस बिन्‍दु पर भी विचार करना आवश्‍यक है कि बिल्डिंग/भवन गिरने के बाद जो मलबा बचा, उसकी कीमत क्‍या होनी चाहिए ?

14.        दस्‍तावेज संख्‍या-72 के अनुसार अंकन 50 हजार रूपये मिट्टी भराई में खर्च हुए हैं, यह मिट्टी अभी भी मौके पर मौजूद है। अत: अंकन 50 हजार रूपये की राशि को बीमा क्‍लेम से घटाया जाना उचित है। इस प्रकार ईंट, सरिया भी घ‍टे दामों पर बाजार में पुन: विक्रय हो सकते हैं, यह ईंटें पुन: प्रयुक्‍त हो सकती हैं तथा सरिया बाजार में कबाड़ी को विक्रय किया जा सकता है। अत: इस मद में अंकन 4.5 लाख रूपये की कटौती करना विधिसम्‍मत है। इस प्रकार कुल सॉल्‍वेज अंकन 05 लाख रूपये निकलता है। इस राशि को घटाने के बाद शेष बीमित राशि अंकन 40 लाख रूपये बीमा क्‍लेम 06 प्रतिशत प्रतिवर्ष साधारण ब्‍याज की दर से देय है, परन्‍तु सर्वेयर को भुगतान की गई राशि को प्राप्‍त करने के लिए परिवादिनी अधिकृत नहीं है, क्‍योंकि इसका कोई सबूत पत्रावली पर मौजूद नहीं है। इसी प्रकार मानसिक प्रताड़ना की मद में इस आधार पर कोई राशि देय नहीं बनती है, क्‍योंकि बीमा क्‍लेम निस्‍तारित करने के बिन्‍दु पर छानबीन की जानी आवश्‍यक थी, जिसमें समय व्‍यतीत होना आवश्‍यक था, इसलिए इस मद में भी कोई राशि देय नहीं है। परिवाद व्‍यय की मद में अंकन 25 हजार रूपये देय हैं। परिवाद तदनुसार विपक्षी संख्‍या-1 के विरूद्ध स्‍वीकार होने योग्‍य है।       

आदेश

 

15.        प्रस्‍तुत परिवाद स्‍वीकार किया जाता है। विपक्षी संख्‍या-1 बीमा कंपनी को आदेशित किया जाता है कि वह इस निर्णय एवं आदेश की तिथि से 03 माह के अन्‍दर परिवादिनी को अंकन 40 लाख रूपये बतौर बीमा राशि मय 06 प्रतिशत प्रतिवर्ष साधारण ब्‍याज सहित परिवाद प्रस्‍तुत करने की तिथि से वास्‍तविक भुगतान की तिथि तक प्रदान करें।

परिवाद व्‍यय के रूप में अंकन 25 हजार रूपये भी उपरोक्‍त समयावधि में प्रदान करें, इस राशि पर कोई ब्‍याज देय नहीं होगा।

आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।

 

                           

(विकास सक्‍सेना)                         (सुशील कुमार)

    सदस्‍य                                    सदस्‍य

 लक्ष्‍मन, आशु0, कोर्ट-2

 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. Vikas Saxena]
JUDICIAL MEMBER
 

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