सुरक्षित
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
परिवाद संख्या 284/2016
श्रीमती प्रियंका गुप्ता, पत्नी श्री आशीष अग्रवाल एवं पुत्री श्री पी0के0 गुप्ता, निवासी आफ 1208, सेक्टर-1, हुडा रोहतक- 124001
परिवादिनी
बनाम
यूनीटेक रिलाएबेल प्रोजेक्ट्स प्रा0 लि0, 6 कम्युनिटी सेन्टर, साकेत न्यू दिल्ली, 110017 द्वारा मैनेजिंग डायरेक्टर।
विपक्षी
समक्ष:-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष।
माननीय श्री उदय शंकर अवस्थी, सदस्य
परिवादिनी की ओर से उपस्थित : विद्वान अधिवक्ता, श्री विकास अग्रवाल
विपक्षी की ओर से उपस्थित : कोई उपस्थित नहीं।
दिनांक: 23-04-2018
माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
यह परिवाद, परिवादिनी श्रीमती प्रियंका गुप्ता ने विपक्षी यूनीटेक रिलाएबेल प्रोजेक्ट्स प्रा0 लि0 6 कम्युनिटी सेन्टर, साकेत न्यू दिल्ली के विरूद्ध धारा 17 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत आयोग के समक्ष प्रस्तुत किया है और निम्न अनुतोष चाहा है:-
- An amount of Rs. 55,79,244.00 be directed to be refunded by the opposite party immediately together with compound interest at the rate of 18% per annum with
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monthly rest (at the same rate as was required by complainant to be paid to opposite party in case of delay in payment of consideration) on each and every payment made by complainant calculated from the date the same has been paid which opposite party be directed to pay immediately.
- Compensation of Rs. 5.00 Lakhs for unnecessary harassment, agony and humiliation caused by opposite party to the complainant.
- An amount of Rs. 75000/- as cost of litigation/complaint.
- Any other relief as may be deemed just and proper in the circumstances of the case of complainant.
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादिनी का कथन है कि उसने विपक्षी की परियोजना यूनीटेक वर्वे प्लाट नम्बर 11 सेक्टर पी-1 ।।, ग्रेटर नोएडा जिला गौतम बुद्ध नगर में 2 BHK फ्लैट के लिए आवेदन किया तब विपक्षी द्वारा उसे एलाटमेंट लेटर दिनांक 23-04-2007 के द्वारा अपार्टमेंट नम्बर 703 सातवें तल पर टावर नं० 6 आवंटित किया गया। एलाटमेंट लेटर के अनुसार बेसिक प्राइस, preferential location charges, लीज रेंट और यूज आफ स्पेस फार कार पार्किंग आदि का कुल प्रतिफल 56,54,600/- रू० था जिसमें परिवादिनी ने 5,50,000/- रू० दिनांक 24-11-2006 को बुकिंग एमाउंट चेक द्वारा दिया था जिसकी रसीद विपक्षी ने दिनांक 04-12-2006 को दी थी।
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परिवादिनी का कथन है कि विपक्षी ने उसे पत्र नं० URPL: VERVE: 0521 दिनांकित 10-03-2007 भेजा जिसके अनुसार उसे कुछ औपचारिकताऍं पूरी करनी थी जिसका उसने अनुपालन किया। तदोपरान्त दिनांक 23-04-2007 को पत्र संख्या 0969 के द्वारा विपक्षी ने परिवादिनी को एलाटमेंट लेटर के साथ 100/- रू० का नान ज्यूडिसियल स्टाम्प पेपर भेजा जिसमें भुगतान का विवरण अंकित था जिसके अनुसार 11 त्रैयमासिक किश्तों में 59,95,877/- का भुगतान दिनांक 01-09-2009 तक किया जाना था। इसके साथ ही यह उल्लेख था कि भुगतान में विलम्ब होने पर परिवादिनी को 18 प्रतिशत वार्षिक की दर से कम्पाउंड इन्ट्रेस्ट देना होगा। परिवाद पत्र के अनुसार परिवादिनी का कथन है कि विपक्षी ने पत्र दिनांकित 17-12-2007 जो परिवाद पत्र का संलग्नक 5 है, के द्वारा उसे सूचित किया कि कब्जा phased manner में दिया जाएगा और इसकी सूचना उसे 2009 कि तृतीय तिमाही में दी जाएगी। तदोपरान्त पत्र दिनांक 04-11-2009 के द्वारा परिवादिनी ने डाक से अपने पते की परिवर्तन होने की सूचना विपक्षी को दी जिस पर विपक्षी ने पत्र दिनांक 29-12-2010 जो परिवाद पत्र का संलग्नक 7 है, के द्वारा मूल एलाटमेंट लेटर की प्रति अन्य अभिलेखों के वांछित संशोधन के साथ परिवादिनी को भेजा।
परिवाद पत्र के अनुसार विपक्षी ने परिवादिनी को आवंटित फ्लैट/ अपार्टमेंट का कब्जा हैण्डओवर नहीं किया तब परिवादिनी ने उसे पत्र दिनांक 11-12-2013 प्रेषित किया और विपक्षी को उसने पत्र दिनांक 10-03-2007 की याद दिलाया जिसके अनुसार कब्जा तीन वर्ष में दिया
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जाना था जबकि सात वर्ष की अवधि पूरी होने के बाद भी कब्जा नहीं दिया गया था। उसके बाद परिवादिनी ने पुन: विपक्षी को रिमाइंडर भेजा तब विपभी ने पत्र संख्या UL:VERVE:9350 दिनांकित 07-06-2014 के द्वारा परिवादिनी को आवंटित अपार्टमेंट के फिजिकल पोजेशन का आफर निम्न धनराशि के भुगतान के अनुरोध के साथ किया।
- Maintenance Charges from 01-08-2014 to 31-07-2017- Rs. 1,12,693.00 (Which were paid by complainant vide HDFC Bank cheque no. 000008 dated 21-07-2014)
- Maintenance Deposit R.s 47760.00 (Which was paid by complainant vide HDFC cheque no. 000014 dated 21-08-2014)
- Miscellaneous charges Rs. 4655.00 (Which were paid by complainant paid vide HDFC cheque no. 000009 dated 21-07-2014)
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादिनी ने उपरोक्त धनराशि का भुगतान एच0डी0एफ0सी0 बैंक के चेक के माध्यम से विपक्षी को किया। इसके साथ ही विपक्षी की मांग पर परिवादिनी ने 3,70,200/- रू० की 1 प्रतिशत धनराशि 3702/- रू० विपक्षी को TDS के रूप में अदा किया। उसके बाद विपक्षी ने परिवादिनी से चार फोटोग्राफ्स मांगा और ब्लैक पोजेशन सर्टिफिकेट चार प्रतियों में उसे भेजा जो साइट पर भरकर दिया जाना था और उसके लिए विपक्षी के कर्मचारी सुमित गौड़ से
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सम्पर्क किया जाना था। अत: परिवादिनी ने सुमित गौड़ से सम्पर्क स्थापित करने का प्रयास किया परन्तु सम्पर्क स्थापित नहीं हुआ। उसके
बाद परिवादिनी ने विपक्षी से बार-बार कब्जा की मांग की और पत्र दिनांक 10-09-2015 व 16-03-2016 इस सन्दर्भ में विपक्षी को भेजा। परन्तु परिवादिनी को कब्जा नहीं दिया गया और उससे मेंटेनेन्स चार्ज की विपक्षी द्वारा मांग की गयी जिसका भुगतान परिवादिनी ने किया फिर भी उसे कब्जा परिवाद प्रस्तुत करने तक नहीं दिया गया है। परिवाद पत्र के अनुसार परिवादिनी का कथन है कि विपक्षी ने उसे धोखा दिया है और सम्पूर्ण प्रतिफल व धनराधि उससे वसूल लिया है परन्तु उसे कब्जा नहीं दिया है। अत: विवश होकर परिवादिनी ने परिवाद आयोग के समक्ष उपरोक्त अनुतोष की याचना के साथ प्रस्तुत किया है।
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादिनी ने विपक्षी को कुल 55,79,244/- रू० का भुगतान परिवाद पत्र की धारा 13 में दिये गये विवरण के अनुसार किया है।
विपक्षी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री मोहित जौहरी उपस्थित हुए और परिवाद में धारा 8 आर्बीट्रेशन एण्ड कंसीलिएशन की बाधा के सम्बन्ध में आपत्ति प्रस्तुत किया जिसे आदेश दिनांक 24-08-2017 के द्वारा अस्वीकार कर दिया गया और परिवाद में धारा 8 आर्बीट्रेशन एण्ड कंसीलिएशन एक्ट 1996 को बाधक नहीं माना गया।
विपक्षी की ओर से लिखित कथन प्रस्तुत नहीं किया गया है। अत: विपक्षी के विरूद्ध परिवाद की कार्यवाही एकपक्षीय रूप से की गयी है।
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परिवादिनी ने परिवाद पत्र के कथन के समर्थन में शपथपत्र प्रस्तुत किया है।
परिवाद में अंतिम सुनवाई की तिथि पर परिवादिनी के विद्वान अधिवक्ता श्री विकास अग्रवाल उपस्थित हुए हैं। विपक्षी की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ है।
हमने परिवादिनी के विद्वान अधिवक्ता के तर्क को सुना है और पत्रावली का अवलोकन किया है।
परिवाद पत्र के कथन एवं सम्पूर्ण तथ्यों और साक्ष्यों पर विचार करने के पश्चात यह स्पष्ट है कि परिवादिनी ने विपक्षी को एलाटमेंट लेटर दिनांक 23-04-2007 द्वारा आवंटित अपार्टमेंट हेतु कुल 55,79,244/- रू० का भुगतान किया है परन्तु अब तक विपक्षी ने अपार्टमेंट का कब्जा परिवादिनी को नहीं दिया है। अत: परिवादिनी द्वारा जमा धनराशि 18 प्रतिशत वार्षिक की दर से धनराशि जमा करने की तिथि से अदायगी की तिथि तक ब्याज सहित विपक्षी से परिवादिनी को दिलाया जाना उचित है।
चॅूंकि परिवादिनी की जमा धनराशि 18 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज के साथ वापस दी जा रही है अत: परिवादिनी द्वारा याचित अन्य अनुतोष परिवादिनी को प्रदान करने की आवश्यकता नहीं है।
उपरोक्त निष्कर्ष के आधार पर परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है और विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादिनी द्वारा जमा धनराशि 55,79,244/- रू० धनराशि जमा करने
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की तिथि से अदायगी की तिथि तक 18 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज सहित उसे वापस करें। विपक्षी परिवादिनी को 10,000/- रू० वाद व्यय भी अदा करेगा।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान) (उदय शंकर अवस्थी)
अध्यक्ष सदस्य
कृष्णा, आशु0
कोर्ट नं01