Uttar Pradesh

StateCommission

CC/17/2016

Anoop Kumar Gupta and another - Complainant(s)

Versus

Unitec Ltd - Opp.Party(s)

S P Bajpai

12 Jan 2018

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
Complaint Case No. CC/17/2016
 
1. Anoop Kumar Gupta and another
Kanpur
...........Complainant(s)
Versus
1. Unitec Ltd
Kanpur
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN PRESIDENT
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
Dated : 12 Jan 2018
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

 परिवाद सं0- 17/2016

                                   (सुरक्षित)

  1. अनूप कुमार गुप्‍ता बालिग पुत्र श्री जय प्रकाश गुप्‍ता,
  2. श्रीमती मृदुला गुप्‍ता बालिग पत्‍नी अनूप कुमार गुप्‍ता

निवासीगण- म0नं0 124, सी-1, इन्‍द्रानगर कानपुर (उ0प्र0) 208026

                                             ............परिवादीगण

बनाम

 

यूनीटेक लिमिटेड ग्रेन्‍ड पैवेलियन, सेक्‍टर-96, एक्‍सप्रेस-वे निकट एमिटी मैनेजमेंट स्‍कूल नोयडा- 201305 उ0प्र0।

                                                ............. विपक्षी                                                                                                                                                                                                                                                          

समक्ष:-                       

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष। 

परिवादीगण की ओर से उपस्थित     : श्री सर्वेश कुमार शर्मा,

                                 विद्वान अधिवक्‍ता।

विपक्षी की ओर से उपस्थित         : कोई नहीं।            

दिनांक:- 26.02.2018

 

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष  द्वारा उद्घोषित                                                 

 

निर्णय

  परिवादीगण अनूप कुमार गुप्‍ता और श्रीमती मृदुला गुप्‍ता ने यह परिवाद विपक्षी यूनीटेक लि0 के विरुद्ध धारा- 12 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत आयोग के समक्ष प्रस्‍तुत किया है और निम्‍न अनुतोष चाहा है:-

  1.  यह कि विपक्षी को आदेशित किया जावे कि परिवाद योजित किये जाने की तिथि से उन्‍हें आवंटित फ्लैट का भौतिक कब्‍जा दिये जाने की वास्‍तविक तिथि तक परिवादीगण द्वारा जमा की गयी धनराशि रूपये 27,46,851.00/- पर 18 प्रतिशत त्रैमासिक चक्रवृद्धि ब्‍याज (साम्‍या के सिद्धांतों के अधीन) एवं रूपये 60,000/- मासिक क्षति के रूप में परिवादीगण को अदा करें।

(ब) यह कि क्षतिपूर्ति के रूप में रू0 64,11,354/- तथा परिवाद व्‍यय

    रू0 11,000/- एवं अन्‍य अनुतोष जिसके लिए परिवादीगण

    हकदार हों विपक्षी के विरुद्ध दिलाये जावें।     

  परिवाद पत्र के अनुसार परिवादीगण का कथन है कि विपक्षी ने उनके अनुरोध पर आवंटन पत्र सं0- 00322/64841 दिनांकित 17.08.2009 के द्वारा फ्लैट नं0- 0605 ब्‍लाक नं0- डी-1, यूनीहोम्‍स फेज-2 सेक्‍टर-117 नोएडा उन्‍हें आवंटित किया। फ्लैट का कुल मूल्‍य 31,36,038.38 था जिसका भुगतान पेमेंट प्‍लान के अनुसार किया जाना था। परिवादीगण ने पेमेंट प्‍लान के अनुसार विपक्षी द्वारा प्रेषित ग्‍यारहवीं किस्‍त के डिमाण्‍ड लेटर दि0 07.11.2013 तक की धनराशि विपक्षी को अदा किया है। इस प्रकार परिवादीगण ने कुल 27,46,851/-रू0 विपक्षी को अदा किया है और डिमाण्‍ड लेटर दि0 07.11.2013 के बाद विपक्षी ने परिवादी को कोई डिमाण्‍ड लेटर नहीं भेजा है। परिवाद पत्र के अनुसार परिवादीगण का कथन है कि आवंटन के दिन ही विपक्षी द्वारा परिवादीगण से इकरारनामे पर हस्‍ताक्षर कराया गया था जिसकी शर्त 5(ए)(1) के अनुसार आवंटित आपर्टमेंट का कब्‍जा विपक्षी द्वारा करार की तिथि से 24 माह के अन्‍दर दिया जाना था, परन्‍तु इकरारनामे की शर्त 9(ए) में यह शर्त थी की फोर्स मेजयूर के आधार पर इस समय-सीमा का विस्‍तार किया जा सकता है। परिवाद पत्र के अनुसार परिवादीगण का कथन है कि विपक्षी ने लगभग तीन वर्ष निर्माण कार्य धीमी गति से किया और उसके बाद निर्माण कार्य बन्‍द कर दिया है। परिवाद पत्र के अनुसार 6 वर्ष का समय बीत जाने के उपरांत भी विपक्षी ने आवंटित फ्लैट का कब्‍जा उपलब्‍ध नहीं कराया है।

  विपक्षी पर नोटिस का तामीला पर्याप्‍त होने के पश्‍चात विपक्षी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री मोहित जौहरी उपस्थित आये हैं, परन्‍तु धारा 13(1)A उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अंतर्गत निर्धारित समय-सीमा 45 दिन के अन्‍दर लिखित कथन प्रस्‍तुत नहीं किया गया है। अत: विपक्षी के लिखित कथन का अवसर समाप्‍त कर दिया गया है। तदोपरांत विपक्षी की ओर से लिखित कथन प्रस्‍तुत करने में विलम्‍ब को क्षमा कर लिखित कथन ग्रहण करने हेतु प्रार्थना पत्र प्रस्‍तुत किया गया है, परन्‍तु प्रार्थना पत्र पर बल देने हेतु विपक्षी की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ है। अत: उसका प्रार्थना पत्र निरस्‍त किया गया है और एकपक्षीय रूप से परिवादीगण के विद्वान अधिवक्‍ता के तर्क को सुना गया है।              

  मैंने परिवादीगण के विद्वान अधिवक्‍ता के तर्क को सुना है और पत्रावली का अवलोकन किया है।

  परिवादी अनूप कुमार गुप्‍ता की ओर से परिवाद पत्र के कथन के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्‍तुत किया गया है जिसमें परिवाद पत्र के कथन का समर्थन किया गया है।

  उल्‍लेखनीय है कि विपक्षी की ओर से उसके विद्वान अधिवक्‍ता श्री मोहित जौहरी ने उपस्थित होकर सर्वप्रथम परिवाद की ग्राह्यता के सम्‍बन्‍ध में धारा 8(1) आर्बीटेशन एण्‍ड कंसीलेशन एक्‍ट 1996 की बाधा के आधार पर प्रारम्भिक आपत्ति प्रस्‍तुत की थी जिसका निस्‍तारण आदेश दि0 02.03.2017 के द्वारा किया गया है और आयोग द्वारा यह निष्‍कर्ष अंकित किया गया है कि आर्बीटेशन एण्‍ड कंसीलेशन एक्‍ट 1996 की धारा 8(1) का प्रावि‍धान वर्तमान परिवाद में बाधक नहीं है। परिवाद पत्र के कथन के समर्थन में परिवादी अनूप कुमार गुप्‍ता ने शपथ पत्र प्रस्‍तुत किया है और परिवादी के शपथ पत्र का खण्‍डन विपक्षी द्वारा शपथ पत्र प्रस्‍तुत कर नहीं किया गया है। परिवादी ने परिवाद पत्र के कथन के साथ एलाटमेंट लेटर व भुगतान की रसीदों की प्रतियां प्रस्‍तुत की हैं जिनके आधार पर यह प्रमाणित होता है कि परिवादीगण को विपक्षी द्वारा आवंटित फ्लैट का कुल मूल्‍य 31,360,38/-रू0 रहा है जिसमें 27,46,851/-रू0 का भुगतान उन्‍होंने पेमेंट प्‍लान व विपक्षी के डिमांड लेटर के आधार पर दि0 27.11.2013 तक विपक्षी को किया है। परिवाद पत्र और परिवादी के शपथ पत्र एवं प्रस्‍तुत फोटोग्राफ से स्‍पष्‍ट है कि विपक्षी ने अभी निर्माण कार्य पूरा कर आवंटित फ्लैट का कब्‍जा परिवादीगण को हस्‍तगत नहीं किया है, जब कि उसने करार की तिथि से कब्‍जा 24 माह के अन्‍दर दिये जाने का करार किया था। अत: सम्‍पूर्ण तथ्‍यों, साक्ष्‍यों और परिवाद में याचित अनुतोष को दृष्टिगत रखते हुए यह उचित प्रतीत होता है कि विपक्षी को आदेशित किया जाए कि वह प्रत्‍यर्थी/परिवादी को कब्‍जा आवंटित फ्लैट का पेमेंट प्‍लान के अनुसार अवशेष धनराशि प्राप्‍त कर 6 माह के अन्‍दर हस्‍तगत करे तथा आवश्‍यक विलेख निष्‍पादित करे।

  उपरोक्‍त विवेचना से यह स्‍पष्‍ट है कि परिवादीगण को आवंटित फ्लैट का कुल मूल्‍य 31,360,38/-रू0 है जिसमें 27,46,891/-रू0 विपक्षी परिवादीगण से दि0 27.11.2013 तक पेमेंट प्‍लान के अनुसार प्राप्‍त कर चुका है और उसके बाद चार साल से अधिक का समय बीत चुका है, परन्‍तु विपक्षी ने परिवादी को निर्माण कार्य पूरा कर फ्लैट का कब्‍जा हस्‍तगत नहीं किया है। अत: यह आवश्‍यक प्रतीत होता है कि परिवादीगण को उनकी जमा धनराशि पर इस निर्णय की तिथि से फ्लैट का निर्माण कार्य पूरा कर कब्‍जा हस्‍तगत करने की तिथि तक परिवादीगण को विपक्षी से 09 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्‍याज दिलाया जाए।

  यदि 6 माह की उपरोक्‍त अवधि में विपक्षी फ्लैट का निर्माण कार्य पूरा कर परिवादीगण को कब्‍जा हस्‍तगत करने में असफल रहता है तो ऐसी स्थिति में परिवाद पत्र में याचित अनुतोष ब को दृष्टिगत रखते हुए यह आदेशित किया जाना उचित प्रतीत होता है कि परिवादीगण द्वारा जमा धनराशि 27,46,851/-रू0 18 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज के साथ जमा करने की तिथि से अदायगी की तिथि तक विपक्षी परिवादीगण को अदा करे।

  उपरोक्‍त निष्‍कर्ष के आधार पर परिवाद उपरोक्‍त प्रकार से स्‍वीकार किये जाने योग्‍य है।

  परिवाद स्‍वीकार किया जाता है और विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादीगण को आवंटित फ्लैट का निर्माण कार्य 6 मास के अन्‍दर पूरा कर परिवादीगण से एलाटमेंट लेटर व पेमेंट प्‍लान के अनुसार अवशेष धनराशि प्राप्‍त कर कब्‍जा परिवादीगण को हस्‍तगत करे तथा आवश्‍यक विलेख निष्‍पादित करे। इसके साथ ही विपक्षी को यह भी आदेशित किया जाता है कि वह परिवादीगण को कब्‍जा देने में विलम्‍ब हेतु परिवादीगण की उपरोक्‍त जमा धनराशि पर इस निर्णय की तिथि से 6 माह के अन्‍दर कब्‍जा हस्‍तांरण की तिथि तक 09 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज भी क्षतिपूर्ति के रूप में अदा करे। क्षतिपूर्ति की यह धनराशि परिवादीगण के जिम्‍मा पेमेंट प्‍लान के अनुसार अवशेष धनराशि में समायोजित की जा सकती है।  

  यदि विपक्षी परिवादीगण को उपरोक्‍त 6 माह के अन्‍दर प्रश्‍नगत भवन पर कब्‍जा देने में असफल रहता है तो ऐसी स्थिति में विपक्षी परिवादीगण द्वारा जमा उपरोक्‍त सम्‍पूर्ण धनराशि 27,46,851/-रू0 जमा करने की तिथि से अदायगी की तिथि तक 18 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज सहित परिवादीगण को वापस करे।

  विपक्षी परिवादीगण को 10,000/-रू0 वाद व्‍यय भी अदा करेगा।  

 

 

 

(न्‍यायमूर्ति अख्‍तर हुसैन खान)                                           

                                       अध्‍यक्ष                         

शेर सिंह आशु0,

कोर्ट नं0-1

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN]
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