Uttar Pradesh

StateCommission

A/1184/2017

Praveen Kumar Singh - Complainant(s)

Versus

Uninor Telecom - Opp.Party(s)

S P Pandey

02 Feb 2018

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/1184/2017
( Date of Filing : 03 Jul 2017 )
(Arisen out of Order Dated 17/05/2017 in Case No. C/266/2015 of District Pratapgarh)
 
1. Praveen Kumar Singh
Pratqapgarh
...........Appellant(s)
Versus
1. Uninor Telecom
Lucknow
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN PRESIDENT
 HON'BLE MR. Mahesh Chand MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 02 Feb 2018
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

(मौखिक)                                                                                  

अपील संख्‍या:-1184/2017

(जिला उपभोक्‍ता फोरम, प्रतापगढ द्धारा परिवाद सं0-266/2015 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 17.5.2017 के विरूद्ध)

प्रवीण कुमार सिंह उम्र लगभग 24 वर्ष, पुत्र श्री शिवशंकर सिंह, निवासी ग्राम अमरौना परगना सदर तहसील लालगंज, थाना जेठवारा जनपद प्रतापगढ़।

                                                 ........... अपीलार्थी/परिवादी

बनाम        

1- निदेशक, क्षेत्रीय प्रबन्‍धक, यूनिनार हिन्‍दुस्‍तान टाइम्‍स हाउस, 25 अशोक मार्ग लखनऊ उ0प्र0।

2- प्रबन्‍धक यूनीनार एक्‍सप्रेस, स्‍टोर यूनिट बलीपुर प्रतापगढ़, उ0प्र0।

3- सुमन इण्‍टरप्राइजेज पुराना आर0टी0ओ0 आफिस, गल्‍लामण्‍डी रतपुर रोड़, रायबरेली 9125232222

  ……..…. प्रत्‍यर्थीगण/विपक्षीगण      

समक्ष :-

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष

मा0 श्री महेश चन्‍द, सदस्‍य

अपीलार्थी के अधिवक्‍ता        : श्री एस0पी0 पाण्‍डेय

प्रत्‍यर्थी के अधिवक्‍ता          : कोई नहीं।

दिनांक :-09.7.2018                                           

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय   

परिवाद संख्‍या-266/2015 प्रवीण कुमार सिंह बनाम निदेशक क्षेत्रीय प्रबन्‍धक, यूनिनार हिन्‍दुस्‍तान टाइम्‍स हाउस, 25 अशोक मार्ग लखनऊ उ0प्र0 व दो अन्‍य में जिला उपभोक्‍ता प्रतितोष फोरम, प्रतापगढ़ द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनांक 17.5.2017 के

 

-2-

विरूद्ध यह अपील धारा-15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अन्‍तर्गत इस आयोग के समक्ष प्रस्‍तुत की गयी है।

आक्षेपित निर्णय और आदेश के द्वारा जिला फोरम ने परिवाद खारिज कर दिया है, जिससे क्षुब्‍ध होकर परिवाद के परिवादी ने यह अपील प्रस्‍तुत की है।

अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री एस0पी0 पाण्‍डेय उपस्थित हुए। प्रत्‍यर्थीगण की ओर से नोटिस के तामीला के बावजूद भी कोई उपस्थित नहीं हुआ है। अत: अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता के तर्क को सुनकर अपील का निस्‍तारण किया जा रहा है।

अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्‍त सुसंगत तथ्‍य इस प्रकार है कि अपीलार्थी/परिवादी ने परिवाद जिला फोरम के समक्ष इस कथन के साथ प्रस्‍तुत किया है कि उसने विपक्षी सं0-2 के कार्यालय से दिनांक 14.5.2013 को यूनीनार सिम जिसका नम्‍बर-8381898886 वैधानिक आई0डी0 के आधार पर प्राप्‍त किया, किन्‍तु यह सिम बैंक रोड इलाहाबाद में गिर कर खो गया। तब उसने दिनांक 23.3.2015 को थाना कर्नलगंज, इलाहाबाद में लिखित सूचना अंकित कराई और उसकी एक प्रति यूनीनार कार्यालय इलाहाबाद में देकर उक्‍त नम्‍बर को बन्‍द करा दिया, फिर भी अपीलार्थी/परिवादी के उक्‍त बन्‍द नम्‍बर पर अज्ञात व्‍यक्तियों द्वारा जान से मारने की धमकी एवं फर्जी मुकदमें में फंसा देने की धनकी दी जा रही थी। अत: अपीलार्थी/परिवादी ने माना कि विपक्षी ने फर्जी आई.डी. पते पर दूसरे को सिम एलाट कर दिया है, तब अपीलार्थी/परिवादी ने दिनांक 30.3.2015 को पुलिस अधीक्षक प्रतापगढ़ को लिखित प्रार्थना पत्र दिया। जिसके आधार पर वैधानिक कार्यवाही करने का आश्‍वासन दिया गया। परिवाद पत्र के अनुसार विपक्षीगण द्वारा सेवा भाव में कमी करते हुए फर्जी आई.डी. पर दूसरे को सिम एलाट कर असामाजिक गतिविधियों को बढावा दिया गया है।

-3-

अत: परिवादी ने विपक्षीगण के विरूद्ध परिवाद प्रस्‍तुत कर क्षतिपूर्ति की मॉग की है, साथ ही अपना उपरोक्‍त सिम एलाट करने हेतु विपक्षीगण को निर्देशित करने का अनुरोध किया है।

विपक्षीगण की ओर से जिला फोरम के समक्ष लिखित कथन प्रस्‍तुत नहीं किया गया है और उनके विरूद्ध परिवाद की कार्यवाही एकपक्षीय रूप से की गई है।

जिला फोरम ने परिवाद पत्र में उपलब्‍ध साक्ष्‍य पर विचार करते हुए अपने निर्णय में यह उल्‍लेख किया है कि सिम खोने की सूचना 11/2 थाना कर्नलगंज में दिनांक 23.3.2015 को दी गई, जिसमें यह स्‍पष्‍ट उल्‍लेख है कि अपीलार्थी/परिवादी अपना सिम कार्ड बन्‍द कराना चाहता है, जिसके अनुपालन में विपक्षी द्वारा परिवादी के सिम कार्ड को बन्‍द कर दिया गया और सिम कार्ड बन्‍द होने के पश्‍चात दूसरे को एलाट कर दिया गया। यदि दूसरे को आवंटित उक्‍त सिम कार्ड से परिवादी को किसी अन्‍य व्‍यक्ति द्वारा फोन आता है और धमकी दी जाती है, तो उसके विरूद्ध कार्यवाही की जा सकती है, विपक्षीगण के विरूद्ध नहीं। जिला फोरम ने अपने निर्णय में यह भी उल्‍लेख किया है कि परिवादी का सिम परिवादी की प्रार्थना पर बन्‍द किया गया है, अत: वह इसे पुन: आवंटित करने का अधिकारी नहीं है। जिला फोरम ने उपरोक्‍त आधार से ही परिवाद निरस्‍त कर दिया है।

अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि परिवादी ने दिनांक 23.3.2015 को अपने उपरोक्‍त सिम के नम्‍बर को बन्‍द कराने हेतु आवेदन पत्र विपक्षीगण के कार्यालय में दिया, परन्‍तु उसके मोबाइल का सिम बन्‍द नहीं किया गया और उसके नम्‍बर के सिम नम्‍बर से ही उसे धमकी दी गई है। अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि दिनांक 23.3.2015 को सिम बन्‍द करने की सूचना विपक्षीगण को उसके द्वारा दिए जाने के बाद दिनांक 30.3.2015 तक सिम बन्‍द न किया जाना विपक्षीगण की सेवा में कमी है और इस

-4-

बिन्‍दु पर जिला फोरम ने विचार नहीं किया है। अत: जिला फोरम ने इस बिन्‍दु पर विचार किए बिना अपीलार्थी/परिवादी का जो परिवाद निरस्‍त किया है, वह उचित और विधि सम्‍मत नहीं है।

हमने अपीलार्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता के तर्क पर विचार किया है।

अपीलार्थी/परिवादी के अनुसार सिम खोने पर उसने दिनांक 23.3.2015 को विपक्षीगण को सिम बन्‍द करने की लिखित सूचना दी, परन्‍तु दिनांक 30.3.2015 तक विपक्षीगण ने सिम को बन्‍द नहीं किया और इसी सिम नम्‍बर से अपीलार्थी/परिवादी को धमकी दी गई है। अपीलार्थी परिवादी द्वारा सिम बन्‍द किए जाने सूचना दिए जाने पर विपक्षगण द्वारा सिम बन्‍द न किया जाना निश्चित रूप से विपक्षीगण की सेवा में कमी है, परन्‍तु इस बिन्‍दु पर जिला उपभोक्‍ता फोरम द्वारा विचार नहीं किया गया है। जिला फोरम ने इस बिन्‍दु पर भी विचार नहीं किया है कि अपीलार्थी परिवादी का सिम नम्‍बर दूसरे व्‍यक्ति को विपक्षीगण ने कब एलाट किया है। अत: सम्‍पूर्ण तथ्‍यों व साक्ष्‍यों पर विचार करते हुए हम इस मत के हैं कि जिला फोरम ने आवश्‍यक सुसंगत बिन्‍दुओं पर विचार किए बिना आक्षेपित आदेश पारित किया है। अत: जिला फोरम का निर्णय अपास्‍त कर पत्रावली जिला फोरम को इस निर्देश के साथ प्रत्‍यावर्तित किया जाना आवश्‍यक है कि वह विपक्षीगण को नोटिस जारी कर उन्‍हें लिखित कथन प्रस्‍तुत करने का अवसर देकर पुन: उभय पक्ष को साक्ष्‍य एवं सुनवाई का अवसर दें और उसके बाद पुन: इस बिन्‍दु पर उपलब्‍ध साक्ष्‍यों के आधार पर निष्‍कर्ष अंकित करें कि क्‍या दिनांक 23.3.2015 को अपीलार्थी परिवादी द्वारा अपना सिम कार्ड बन्‍द करने की सूचना विपक्षीगण को दी गई है और उसके बाद भी विपक्षीगण ने उसके सिम का संचालन बन्‍द नहीं किया है, जिससे विपक्षी के सिम नम्‍बर से उसे धमकी दी गई है जिला फोरम इस बिन्‍दु पर भी विचार कर निष्‍कर्ष अंकित करें कि विपक्षीगण

-5-

ने अपीलार्थी परिवादी का सिम कब बन्‍द किया और कब दूसरे व्‍यक्ति को एलाट किया यदि एलाट किया है, तो किस व्‍यक्ति को एलाट किया है।

अत: उपरोक्‍त निष्‍कर्ष के आधार पर अपील स्‍वीकार की जाती है और जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय और आदेश अपास्‍त कर पत्रावली जिला फोरम को इस निर्देश के साथ प्रत्‍यावर्तित की जाती है कि वह प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण को नोटिस जारी कर लिखित कथन का अवसर प्रदान करें और उभय पक्ष को साक्ष्‍य एवं सुनवाई का अवसर दें, तदोपरांत इस निर्णय में ऊपर की गई विवेचना के अनुसार उपरोक्‍त संगत बिन्‍दुओं पर विचार कर स्‍पष्‍ट रूप से निष्‍कर्ष अंकित करें तथा अंतिम निर्णय और आदेश यथाशीघ्र विधि के अनुसार पारित करें।

अपीलार्थी/परिवादी जिला फोरम के समक्ष दिनांक 13.8.2018 को उपस्थित हो।

उभय पक्ष अपीलीय व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

 

     (न्‍यायमूर्ति अख्‍तर हुसैन खान)                (महेश चन्‍द)

               अध्‍यक्ष                           सदस्‍य

हरीश आशु.,

कोर्ट सं0-1

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. Mahesh Chand]
MEMBER

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